सोच बदलने से सबकुछ नही बदलेगा कर्मो को बदलना होगा।
तरक्की नामुम्कीन नही दोस्तो बुरे इरादो को बदलना होगा।
कुदरत जमीन आसमान समन्दर मे हर किसीको रिज्जक पोहचाती है।
रिज्जक तेरी भी कही न कही आयी होगी उठकर उसे तलाशना होगा।
*आशफाक खोपेकर*
30 मई 2018
सोच बदलने से सबकुछ नही बदलेगा कर्मो को बदलना होगा।
तरक्की नामुम्कीन नही दोस्तो बुरे इरादो को बदलना होगा।
कुदरत जमीन आसमान समन्दर मे हर किसीको रिज्जक पोहचाती है।
रिज्जक तेरी भी कही न कही आयी होगी उठकर उसे तलाशना होगा।
*आशफाक खोपेकर*