*lPRS Members*
दोस्तो,
lPRS से समझोते वालीे बाते तो आप ने सुनी ही हेंगी,लेकिन lPRS के साथ किसने और कौन सी शर्तो पर समझोता हुआ है यह हम मे से किसे भी पता नही है और न ये लोग बताएंगे जो हमे समझोते पर दस्तखत करने बोले जारहे है।जीन मे कुछ राईटर आसेसियेशन के पुराने कमीटी वाले भी है जीन्होने एक नयी कॉपीराईट के लिए कंपनी/सोसायटी हमारे ही पैसे से बनाकर सरकार से ऑथराईज करनेमे सफल नही हुए, और हमारी की एकजूट की वजहा से lPRS का लायसेंस भी अब तक रीनीव नही हो पा रहा है। इसी वजाह से ये लोग आपसी शर्ते जो हमे बता नही सकते वो तय करके समझोता करने तयार होगये जीस मे जावेदद साहब की बडी भुमीका है।.
दोस्तो इन लोगोंके समझोते मे पारदर्षीता होती तेा हम से छुपाया नही जाता। अब तक तो ये मामला लिरीक्स राइटर,मुझीक डारेक्टर और म्युझीक कंपनी का था लेकिन अब राइटर का भी है। ये 50/60लोग अपने आप को सब कुछ समझकर मनमानी करना चाहते जैसे अन्जुम रजब्बाली, कमलेश पांडेजी और भी कुछलोग जेा lPRS के मेम्बर तक नही है लेकिन उन्हे कॉपीराईट की सोसायटी की फिक्र है।.
दोस्तो करीब 1500 सौ करोड रुपये सालाना कमाई है lPRS की लेकिन हमे सिर्फ 50/60 करोड का ही हिसाब मीलता है ।. अब अगर lPRS गलत लोगो के हात चली गयी तो कॉपीराईट सोसायटी भी बन जायेगी और हमारे साथ साथ राइटर का हक्क भी मारा जायेंगा। हम 800लोगो की ताकत के सामने ये मतलबी लोग टीक नही पायेगें हौसला रखे अब दिन दुर नही हमे इन्साफ जरुर मीलेंगा।
MCAl मे तो बिल्कुल पारदर्षीता नही है और पुरी कमीटी असंवेधानिक तरीके से वहा पर बैठकर मनमानी चला रही है।करोडो रुपया बरबाद करके किराये के ऑफीस से आसेसियेशन चलायी जारही है उनपर तो भरोसा करना ही बेवकुफी है।.
दोस्तो इन सब का भी हिसाब हमे लेना है इसी लिए बगैर सोचे समझे कीसी भी समझोते पर दस्तखत न करे।मेरी ये लडाई आपके हक्क के लिए है जीसके लिए सय्यदभाय, भारतीजी,अलीगनी साहब, जलीस शेरवानीजी और नवाब आरजु साहब ने कडी मेहन्त की है।
*आशफाक खोपेकर*