"अधुरी तमन्ना"
ऑखो से ऑसु निकलने से पहले मेरी तक्लिफ दुर होने वाली है।
अम्मी मेरी अब मुझे बेहद खुशी से अपने गले लगाने वाली है ।
बसेरा था कोख मे उसके आज वो मुझे सिनेसे लगाने वाली है।
जतन करके रख्खा है अमृत आज वह मुझे पिलाने वाली है।
ऑखो से ऑसु निकलने से पहले मेरी तक्लिफ दुर होने वाली है।
अचानक आवाज आयी लडकी है सुनकर अम्मी भी घबराई।
यही खत्म हुयी मेरी कहानी कसूर क्या था मेरा क्यु हुई ऐसी सुनवाई।
हर ख्वाईश अधुरी रहगयी नोच कर बोटी मेरी जबरन कोख से निकलवाई।
देखते देखते ही जिस्म कुडे मे चला गया अब रुह भी वापस जानेवाली है।
अफसोस रहेंगा हमेशा डायन कैसे बनगयी मॉ जो अमृत पिलाने वाली है।
ऑखो से ऑसु निकलने से पहले मेरी तक्लिफ दुर हेनेवाली है।
(आशफाक खोपेकर)