पहेचान अपने कर्मो से होंगी दरिंदे आलीमो बुजरुगों के घर भी पैदा होसकते ।.
ताकद आझमाईश कमजोर पर न हो हौसले बुलंद किसी के भी होसकते ।.
कुदरत का नीज़ाम अजब और निराला है दिन बूरे किसी के भी होसकते।.
खौफेखुदा बसा हो दिल मे जीसके गमगीन वो कभी भी नही होसकते।.
*आशफाक खोपेकर*