सब्रोसुकून आता हो जाए दुआ ऐसी खुदा से कर।.
लाइलाज मर्ज की दवा ये तू सजदा खूदा को कर।.
हर सितमगर का हीसाब होंगा इन्तेजार थोडा और कर।
मुकद्दर का लिखा चलकर आयेंगा रब पे ऐतबार कर।.
*आशफाक *
अपने अपने फन में माहिर है हर इंसान ।.
खुद के लिए जीता है वह बनकर हैवान ।.
बेरहमी से लेता है वह आज अपनों की ही जान।.
मिट जाएगी खुद की हस्ती बाकी न बचेंगी शान।.
इसी बात से कमबख्त बेखबर बैठा है आज इंसान।.
*आशफाक खोपेकर*