कहानी अजीब सी थी उन उरुज से गीरे सितारों की।.
पलट कर कभी न देखेते थे ऐसे तकब्बुरी इन्सानो की।
मेहनत ने दी दस्तक किस्मत के दरवाजे पर दुआओं ने उरुज पर पोहचा दिया।.
हजम न कर सके कामयाबी बेगैरत तक्बबुर ने उन को ऐसा नशा कर दिया।
इशारे कई दिये कुदरत ने संभल जानेके सब को नजर अंदाज कर दिया।
भुल गए थे वो अवकात अपनी हरकतो ने वही लाकर खडा कर दिया।.
शोहरत दौलत इज्जत न रही तक्बबुर ने दुआओं का सारा असर बेअसर कर दिया।
कुदरत की लाठी मे आवाज नही होती उसने रुस्तमो तवंगरो को भी खत्म कर दिया।.
(आशफाक खोपेकर)