उन्हें ना आने की जिद है पर मेरे इंतजार की हद नहीं | किस को कौन समझाए दोनों को ही इसकी समझ
आदमी वैसे तो भला हूँ मैं बस शराबी &
दर्मियां-ए-आरज़ू में रहें तो बेहतर हो।
नसीब का गज़ल
होता है खेल सिर्फ ,जहां में नसीब का।
चाहे अमीर का कहो, चाहे गरीब का।।
ग़ज़ल ------------------------ जो जीते जी न आए वो अज़ादारी को आएंगे | अभी कु
हम बहुत रोए किसी त्यौहार से होकर जुदा
जी सका है कौन अपने प्यार से हो कर &nb
मुसल्सल आंसुओं से भीगी हुई आंखों से हंसना सीख । गिर के बिखर गया तो क्या फिर से उठ और चलना
दोहा ग़ज़लकोरोना इक वायरस, परेशान संसार।पूरे जग में मच रहा, देखो हाहाकार।हाँथों को तुम जोड़कर, सबको करो प्रणामकोरोना ने कर दिया, मानव को बीमार।निश्चित दूरी कीजिये, मुह पर पहनो मास्कहाँथों को तुम ध्यान से, धोना बारम्बार।बैठे सब बेकार हैं, कामगार मजदूरकोरोना की मार से, दिखते सब लाचार।बाहर जाने से प्रथम,
*पुरानी ध्वनि नया तरीका:-* *_ध्वनि :-मैं दुनिया तेरी छोड़ चला_* मैं तन्हा जीना सीख रहा,नजरों के सामने मत आना|आंसू छलकते नैनो से, पोंछने के बहाने मत आना|मैं तन्हा....................... 💝💔💓💕💗💘करके बादे वफा के हमसे, गैरों से प्रीति लगा बैठे|जब से मिल गया मीत उनको,
★★★★ जरुरी है ★★★★ 💐💐💐💐💐💐💐💐रिश्तों में समझौता यक़ीनन,बेहद जरुरी हैज़ख्म ज़िंदगी ज़ख्मों से भरी,कारगर मरहम जरुरी हैहर ज़ुम्बिश ओ' साँसों परतवज़्ज़ो करने वाले,अपने हीं ख़ुद-परस्त हुए तो क्या हुआ?हर ज़ायज़-नाज़ायज़ काम कापक्का हिसाब जरुरी हैमंज़ूर किया ग़र सरयामताज़िंदगी साथ चलने के लिए,वख़्त-बेवख़्त हर उसूलनिभ