ज़िंदगी एक सफ़र ही तो है।सारा शहर मेरा घर ही तो है।ये शहर जला, वो कोई माराख़ैर छोड़ो ये ख़बर ही तो है।तेरी बातें खंज़र सी चुभती है।छलनी होने दो जिगर ही तो है।जाने वाले को भला मैं कैसे रोकूं।अपना नहीं
मैनू उस दे रूप दे नाल परियां दिस दीवो मिट्टी छू दे ते सोणे दे मोल बिकदीओनू तितलियां बहुत सतान्दी हैओनू हुस्ना फूला दा नाल महकदीदस खुदाया इन्ना सोणा हुस्न क्यूं बणायाजद्दे नाल देखदी हीर दी आंख तरसदीरब्
नज़रें मिला के उसने तो यार कमाल कर दिया!एक हसीना ने मिरा जीना मुहाल कर दिया!फैली तो है ये बात भी श
तुम्हारी जुल्फों के साए से भी, न जाने क्यूँ डरसा लग रहा है!कोई तो है आस पास अपने, या सिर्फ मुझको गुमाँ हुआ है!किसी की आँखों में अश्क हैं तो,किसी के चहरे पे मुस्कुराहट,अजीब रस्में&nbs
जाने और अनजाने में बस तिरा नाम पुकारा करते हैं!अक्सर ही दीवारों पर तिरी तस्वीर उतारा करते हैं!आतिश ए इश्क़ने बख़्शे
राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह)ग़ज़लकार- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'सन्-2022 मूल्य-50 पेज-62अनुक्रमणिका-1- बहुत दिन गुजर गये2-ज़िन्दगी साकार है3- ये असर देखा-4- मुलाकात होगी-5-क्या दिया आपने-6-आप क्यों-
इश्क की गलियों का दीदार कर आया।किसी की जुल्फ़ों से मैं प्यार कर आया।जानता हूं उनकी हर एक बाते झूठी है।हां मगर दिल के हाथों ऐतबार कर आया।दिल के कई फसाने जमाने ने सुनाई थी।मैं भी आज दिलों का व्यापार कर
गज़ल
कहां तरक्की बोलो र
कहना और सुनाना क्या है।
गुज़रा दौर भुनाना क्या है।
यूं गद्दी पर बैठे बैठ
ख्वाब मेरे आसमां तक यूं घुमाते हैं मुझे।
बादलों में बीजुरी जैसे छुपाते हैं मुझे।<
जिन्दगी के गीत गुनगुनाता चला गया हर रास्ते से हाथ मि
*उनकी महफिल में खुशियां बरसती रहें
मेरा नादान दिल भी बहल जाएगा।
रोऊंगी ना याद करके, उनको
हर इक इम्तिहा से गुजरना ही होगा चल जिंदगी तुझको चलना ही होगा रो-रो के काटें , खुशी
जीने मरने की बातें करता था
इश्क की चलो कोई रस्म हम निभाते हैं। सुर्ख सांझ साहिल
उन्हें ना आने की जिद है पर मेरे इंतजार की हद नहीं | किस को कौन समझाए दोनों को ही इसकी समझ
आदमी वैसे तो भला हूँ मैं बस शराबी &