व्यवस्था में नम्बर पावर गेम की एंट्री नम्बरगेम और पावर गेम के चलते प्राय: देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अब सवाल उठनेलगे हैं:पढे लिखे च विद्वान ज्ञानी लोगो को किनारे कर अब सिर्फ नम्बर व पावर गेमपर ध्यान दिया जा रहा है:अगर संवैधानिक व्यवस्था में इसे सुधार किया जाये तोबहुत हद तक लोकतात्रिक
होड़ लगी है भगवान तेरे दर पर सीष झुकाने की माँ बाप से लड़कर ही सही जल्दी है तेरे दर पर आने की होड़ लगी है भगवन..... भूके को एक रोटी न दे पर जल्दी है तेरा भोग लगाने की होड़ लगी है भगवन ........ प्या
हरिगीतिका छन्द,2212 2212 2, 212 2212हे! मात! नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात्यायनी।अवसाद सारे नष्ट कर हे, मात! मोक्ष प्रदायनी।हे! सौम्य रूपा चन्द्र वदनी, रक्त पट माँ धरिणी।हे! शक्तिशाली नंदिनी माँ, सिंह प्रिय नित वाहिनी।माथे मुकुट है स्वर्ण का शुभ, पुष्प कर में धारिणी।हे! मात!नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात
‘‘न्यूटन‘‘ क्या भारतीय राजनीति को ‘‘न्यूट्रल‘‘ कर देगें?मैं विज्ञान का छात्र रहा हूं। बचपन में मैंने पढ़ा है कि ‘‘न्यूटन के गति‘‘ के तीसरे नियम के अनुसार ‘‘हर क्रिया के बराबर (समान) और विपरीत प्रतिक्रिया होती है‘‘। प्रसिध्द वैज्ञानिक ‘‘न्यूटन‘‘ ने अपनी पुस्तक ‘‘प्रिंसीपिया मैथमैटिका‘‘ (वर्ष 1687) के
कवितातुम्हारी याद तुम यादों से विस्मृत हो जाओ सम्भव नहीं है ये ,तुम पटल से उतर जाओ स्वीकृत नहीं है ये । न करो याद तुमफ़र्क पड़ता है क्या ?न करो विश्वास तुमसमय रुकता है क्या ?श्वास तो चलते हैंहृदय भी धड़कता है दोनों ही के स्पंदन मेंध्वनि हो या प्रतिध्वनि तुमसे ही होकर आती
जंगली जानवरों पर करंट कनेक्शन !छत्तीसगढ के जंगलों में अवैध शिकार, लकड़ी की कटाई और अवैध परिवहन अब एक समस्या बनती जा रही है: हालाकि सरकार की तरफ से इस पर लगाम लगाने सहित कई उपाय भी किये जा रहे हैं किन्तु लगता है यह पर्याप्त् नहीं है:हाल के दिनों में जो घटनाएं सामने आई है वह यह निष्कर्ष निकालता
यह कविता मेरे आराध्य पिता जी को समर्पित:-देखो दिवाली फिर से कुछ, यादें लाने वाली है।पर तेरी यादों से पापा, लगती खाली-खाली है।।याद आता है पापा मुझ को साथ में दीप जलाना।कैसे भूलूँ पापा मैं वो, फुलझड़ियां साथ छुटाना।।दीपावली में पापा आप, पटाखे खूब लाते थे।सबको देते बांट पिता जी, हम सब खूब दगाते थे।।तेरे
[12/09/2020 ]*नौकरी का भूत* (व्यंग्य-कविता)पढ़ लिख के मैं बड़ा हुआ जब, ये मन में मैने ठाना ।जिन सब का था कर्ज पिता पर, वो मुझको जल्द चुकाना ।नौकरी की आस को लेकर, निकला घर से मतवाला ।सफल सफर करके भैया मैं, पहुच गया हूँ अम्बाला।***दो महिनें तक करी नौकरी , मन को थी कुछ ना भायी ।पता चला कुछ भर्ती निकली
गरीब औरअसहाय लोगो की डोर किसके हाथ में?यूपी केहाथरस रेप कांड ने पिछले दो चार दिनो में देश के आम लोगो को अपने बोर में सोचने व समझने का मौका दिया कि वे किस तरहकतिपय लोगों की कठपुती बने समाज में जी रहे हैं: यह भी लगभग साफ हो गया कि उनकेऊपर किन लोगों की मर्जी चलती है: मीडिया को भी यह समझने का मौका मिल
एक और हैवानियत….अंघेरी रात में पुलिस ने जलाई चिता?हृाथरस में इंसानों के बीच मौजूद राक्षसो ने फिर अपना असली रूप दिखाया और हम एक बार फिर वही डायलाग दोहरा रहे हैं जो इससे पहले मानवता को शर्मसार करने की अन्य घटनाओं के समय हुआ: कडी सजा देगे
मौनमौन होकर उस आनंद की अनुभूति करना चाहता हूँलाखों वर्षों से जिसके लिए भटक रहा हूँ।जग मन विलास है....प्रभु हृदय-हुलास है;यह भाव निरंतर आ रहा है,चिर -शांति का द्वार लग रहा है।अनुभूतियाँ जीवन की अनेक हैं..अनेक हैं धरातल भी..मौन का धरातल हृदय-पटल हैसत् चित् आनंद जहाँ हर
अपने पूर्वज ,मृत्यु लोक के प्राणियों की याद में मनाये जाने वाले पर्व डॉ शोभा भारद्वाज विश्व की लगभग सभी संस्कृतियों में जन्म मृत्यु आत्मा भूत प्रेत पूर्वजों आदि की मान्यता है। पश्चिमी देशों में ‘एक दिन’ का हैलोवीन एवं आल सेंट्स डे पर्व मनाया जाता है। एशिया में वर्ष का सातवाँ महीना, घोस्ट धरती पर
क्यों मुझको ऐसा लगता है?, दूर कहीं कोई रोता है।कौन है वो? ,मैं नही जानता, पर मुझको ऐसा लगता है,दूर कोई अपना रोता है। क्योंमुझको ऐसा लगता है?दूर कहीं कोई रोता है। 2पर्वत की हरी-भरी वादियाँ
देखो ना आँखों में लाली छाई हैं।रातों में जगा हूँ फिर से तुम्हारी याद आइ हैं।
(1)वो घर से निकला पीने को, मानो अंतिम पल जीने को।उसे अंतिम सत्य का बोध हुआ। मानो अंतिम घर से मोह हुआ।सोते बच्चों को जी भर देखा, सोती बीबी के गालों को चूमा,माँ-बाप को छूपकर देखा, चुपके सोते चरणों को पूजा।कुछ पैसे
अंधी ममता दिमाग की नहीं दिल की सुनती है ?डॉ शोभा भारद्वाज इंडोनेशिया एवं सिंगापुर की पृष्ट भूमि में लिखी कहानी यूनी 22 वर्षों से सिंगापुर में मेड का काम कर रही थी यहाँ इन्हें नैनी कहा जाता वह सिंगापूर की नागरिकता लेना चाहती है नहीं मिली वहाँ केवल पढ़े लिखे प्रतिभाव
अंधी ममता दिल की सुनती है दिमाग की नहीं डॉ शोभा भारद्वाज इंडोनेशिया एवं सिंगापुर की पृष्ट भूमि में लिखी कहानी यूनी 22 वर्षों से सिंगापुर में मेड का काम कर रही थी यहाँ इन्हें नैनी कहा जाता वह सिंगापूर की नागरिकता लेना चाहती है नहीं मिली वहाँ केवल पढ़े लिखे प्रतिभावान लोगों को नागरिकता दी जाती है
पैर में शनि का चक्कर यानी टर्की के शहर इस्तांबुल में आदतन घुमक्कड़ !मई - 2014जब मैं छोटा था तो किन्ही पंडित जी ने मेरी जन्म कुंडली देखकर कहा था कि जातक के पैर में शनि का चक्कर है इसलिए ये हमेशा घूमता ही रहेगा । मुझे लगता है कि वैसा ही चक्कर ज़रूर बहुत घुमक्कडों के पैरों में होता होगा । यह बात मैं टर
फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -7 14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019फिर एक और शहर में हमेशा के लिए बसने का मन जहाँ रुका हूँ , वो घर एक पहाड़ी पर है । नीचे पूर्व में नीले समुद्र का विशाल फैलाव है । सीढियां उतर कर पन्द्रह बीस मिनट में समुद्र का किनारा है । दांयी तरफ बहुत विशाल और खूवसूरत म
फलों , शहद और झरनों के देश क्रोएशिया में -6 14 सितम्बर 2019 से 5 अक्तूबर 2019दुनिया के सबसे खूबसूरत प्लिटविच और सिबनिक नेशनल पार्क्स में क्रोएशिया में लैंड होने के बाद बहुत जगह एक बात बहुत सारे क्रोएशयन ने कई बार जो बड़े गर्व से दोहराई वो है यहां के पानी के बारे में उनका विश्वास । ' आप बोतल के पान