श्रीदेवी के निधन पर उन्हें फिल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगों ने श्रद्धांजलि दी. अब डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने फेसबुक पर एक नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने श्रीदेवी के बारे में कई ऐसी बातें लिखी हैं, जो उनके तमाम फैन्स को अब तक नहीं पता थीं. RGV ने बताया कि कैसे श्रीदेवी की पर्सनल लाइफ उनकी बाहर से दिखने वाली ज़िंदगी से एकदम अलग थी. पढ़िए राम गोपाल वर्मा का नोट और जानिए श्रीदेवी के बारे में और भी बहुत कुछ.
कई नामों का ज़िक्र होने की वजह से मैंने खुद से बहस की कि मुझे ये नोट सार्वजनिक करना चाहिए या नहीं. लेकिन मैं मानता हूं कि श्रीदेवी किसी और से ज़्यादा अपने फैन्स से बिलॉन्ग करती हैं और उन फैन्स को सच जानने का हक है.
श्रीदेवी के फैन्स के लिए मेरा लव-लेटर – राम गोपाल वर्मा
हां, आप जैसे लाखों लोगों की तरह मैं भी मानता हूं कि वो सबसे खूबसूरत और डिज़ायरेबल महिला थीं और हम सब जानते हैं कि वो देश की सबसे बड़ी सुपरस्टार थीं, जिन्होंने मेन हीरोइन के तौर पर 20 साल से ज़्यादा वक्त तक सिल्वर स्क्रीन पर राज किया. लेकिन ये कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है. श्रीदेवी के मौत से मुझे कितना भी झटका लगे और दुख हो, लेकिन ये हमारे लिए फिर वही रीमाइंडर है कि ज़िंदगी और मौत कितनी अप्रत्याशित, क्रूर, भंगुर और रहस्यमयी हो सकती हैं.
उनकी मौत के बाद आप लोग उनकी खूबसूरती के बारे में जो भी कह रहे हैं, जो आप ये कह रहे हैं कि वो कितनी बेहतरीन एक्ट्रेस थीं, कैसे उनकी मौत ने आपको प्रभावित किया, उनकी आत्मा को शांति मिले वगैरह-वगैरह, इस बारे में मुझे आप सबसे कहीं ज़्यादा कहना है.
ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके साथ अपनी दो फिल्मों ‘गोविंदा गोविंदा’ और Kshana Kshanam के दौरान मुझे उन्हें काफी करीब से देखने का मौका मिला. श्रीदेवी की ज़िंदगी एक क्लासिक केस है, जो बताता है कि एक सिलेब्रिटी की असल ज़िंदगी उसकी बाहर दिखने वाली ज़िंदगी से एकदम अलग होती है. बहुतों के लिए श्रीदेवी की ज़िंदगी परफेक्ट थी. खूबसूरत चेहरा, शानदार हुनर, स्थिर दिखने वाला परिवार और दो खूबसूरत बेटियां. इसे बाहर से देखने वाला इसकी डिज़ायर रखता है और इससे जलता है… लेकिन क्या श्रीदेवी असल में बहुत खुश इंसान थीं और क्या उनकी ज़िंदगी बहुत खुश थी?
मैं जब उनसे पहली बार मिला था, तब से मैं उनकी ज़िंदगी के बारे में जानता हूं. मैंने अपनी आंखों से देखा है कि कैसे उनकी ज़िंदगी आसमान में उड़ने वाले एक परिंदे की तरह थी, जो उनके पिता की मौत के बाद पिंजड़े में बंद चिड़िया की तरह हो गई थी. इसकी बड़ी वजह उनकी हद से ज़्यादा प्रोटेक्टिव मां थीं.
उन दिनों एक्टर्स को मिलने वाला ज़्यादातर मेहनताना ब्लैक मनी का होता था और टैक्स से जुड़े छापों के डर से उनके पिता दोस्तों और रिश्तेदारों पर भरोसा करते थे. लेकिन उनकी मौत के बाद सबने श्रीदेवी को धोखा दिया. इस सबसे परेशान श्री की मां ने कई विवादित प्रॉपर्टीज़ में गलत इन्वेस्टमेंट किए और ऐसे फैसलों का नतीजा ये निकला कि वो करीब-करीब दीवालिया हो गए. ये सब बोनी कपूर के श्रीदेवी की ज़िंदगी में आने के पहले हुआ.
बोनी खुद भारी कर्ज के तले दबे हुए थे और श्रीदेवी को रोने के लिए कंधा देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.
अमेरिका में हुई दिमाग की गलत सर्जरी की वजह से श्रीदेवी की मां मेंटल पेशेंट हो गईं और इसी बीच श्रीदेवी की छोटी बहन श्रीलता ने अपने पड़ोसी के बेटे के साथ भागकर शादी कर ली. मरने से पहले मां ने सारी प्रॉपर्टी श्रीदेवी के नाम कर दी थी. इससे नाराज़ श्रीदेवी की बहन ने उन पर ये कहते हुए केस कर दिया कि वसीयत लिखते समय उनकी मां अपने होश में नहीं थीं.
तो जिस औरत को इस दुनिया में लाखों लोग चाहते थे, उस मौके पर उसके पास ज़रा भी पैसा नहीं बचा. बोनी कपूर के अलावा श्रीदेवी के पास कुछ नहीं था.
बोनी की मां ने श्रीदेवी को ‘घर तोड़ने वाली’ कहा और बोनी की पहली पत्नी मोना के साथ ‘बुरा करने के जवाब में’ एक फाइव स्टार होटल की लॉबी में सबके सामने श्रीदेवी के पेट पर मुक्का मार दिया था.
इस पूरे प्रकरण में ‘इंग्लिश विंग्लिश’ की छोटी सी चमक के अलावा श्रीदेवी लगातार एक बहुत दुखी महिला थीं. भविष्य की अनिश्चितता, निजी ज़िंदगी में छोटे-छोटे भद्दे ट्विस्ट्स ने इस सुपर स्टार के दिमाग में बहुत गहरे घाव छोड़े थे, जिनकी वजह से वो कभी शांति से नहीं रह पाईं.
अपनी ज़िंदगी में वो ढेर सारी चीज़ों से गुज़रीं और चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर बेहद कम उम्र में करियर शुरू करने की वजह से उनकी ज़िंदगी कभी सामान्य गति से नहीं बढ़ी. बाहरी शांति से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण उनकी मानसिक शांति थी, जिसने उन्हें सब कुछ खुद ही संभालने के लिए मजबूर कर दिया था.
ढेर सारे लोगों के लिए वो सबसे खूबसूरत महिला थीं. पर क्या वो खुद को खूबसूरत मानती थीं? हां, वो मानती थीं, लेकिन उम्र हर एक्ट्रेस का बुरा सपना होती है और श्रीदेवी भी कोई अपवाद नहीं थीं. कई सालों तक उन्होंने अलग-अलग मौकों पर कई कॉस्मेटिक सर्जरी करवाईं और उसका असर साफ देखा जा सकता है.
वो हमेशा खुशमिजाज़ दिखती थीं, लेकिन असल में उन्होंने अपने आसपास एक मानसिक दीवार खड़ी कर ली थी. वो इस बात को लेकर बेहद डरती थीं कि कोई उनके अंदर चल रहीं चीज़ें देख लेगा. अगर कोई उनकी इनसिक्यॉरिटी के बारे में जान जाता था, तो वो पैनिक करने लगती थीं.
और ये उनकी गलती नहीं थी. असल वजह ये थी कि उन्हें बेहद कम उम्र से ही ज़ोरदार शोहरत मिलने लगी थी. इसने उन्हें कभी इंडिपेंडेंट होने का मौका नहीं दिया. इसने उन्हें वो बनने का मौका नहीं दिया, जो वो असल में थीं और जो वो बनना चाहती थीं.
मेकअप लगाकर उन्हें सिर्फ कैमरे के सामने ही कोई और नहीं बनना होता था, बल्कि कैमरे के पीछे असल खुद को छिपाने के लिए उन्हें साइकोलॉजिकल मेकअप भी करना पड़ता था.
उनके पेरेंट्स, रिश्तेदार और पति अपने मकसद के हिसाब से लगातार उन्हें डायरेक्शन देते रहते थे और एक हद तक उनके बच्चे भी. कई स्टार पेरेंट्स की तरह श्रीदेवी को इस बात का भी डर था कि कहीं उनकी बच्चियों को स्वीकार किया जाएगा या नहीं.
श्रीदेवी असल में एक औरत के शरीर में बंद एक बच्ची थीं. एक इंसान के तौर पर वो निष्कपट थीं, लेकिन अपने बुरे अनुभवों की वजह से थोड़ा शक्की थीं. उनकी मौत पर लग रहीं अटकलों को एक किनारे रखते हुए मैं बता दूं कि आमतौर पर मैं लोगों के मरने पर ‘Rest In Peace’ नहीं कहता, लेकिन श्रीदेवी के मामले में मैं ये ज़रूर कहूंगा, क्योंकि मैं मज़बूती से मानता हूं कि आखिरकार अपनी ज़िंदगी में पहली बार अब वो सच में शांति से आराम कर सकेंगी, क्योंकि अब वो खत्म हो चुकी हैं.
उनके साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कहूं, तो मैंने उन्हें सिर्फ कैमरे सामने ही सुकून वाले भाव में देखा है. वो भी ‘एक्शन’ और ‘कट’ की आवाज़ के बीच. क्योंकि यही वो वक्त था, जब वो असल ज़िंदगी की कड़वाहट से दूर अपे सपनों के जहां में चली जाती थीं.
इसीलिए अब मैं श्योर हूं कि वो हमेशा सुकून में रहेंगी, क्योंकि आखिरकार वो उन सारी चीज़ों से बहुत दूर हैं, जो उन्हें दर्द दे रही थीं.
RIP श्रीदेवी, लेकिन मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपको इतनी तकलीफ देने वाली ये दुनिया कभी सुकून में नहीं रहेगी.
हम फैन्स और आपके करीबियों ने आपको सिर्फ और सिर्फ परेशानियां दी हैं. हमारी वजह से ही आपको बचपन से ही हर वक़्त काम में जूझना पड़ा और बदले में आप हमें सिर्फ और सिर्फ़ खुशियां देती गईं.
हां, ये बहुत अच्छी डील नहीं है, लेकिन अब कुछ भी करने के लिए बहुत देर हो चुकी है.
अब मैं आपको ख्यालों में एक आज़ाद चिड़िया की तरह पूरे आसमान में उड़ते देख रहा हूं, जहां आपकी आंखों में सच्ची खुशी और सुकून है.
मैं पुनर्जन्म में यकीन नहीं रखता है, लेकिन अब मैं सच में इसमें यकीन करना चाहता हूं, क्योंकि हम फैन्स अपने अगले जन्म में एक बार फिर आपको देखना डिज़र्व करते हैं और इस बार हम बदलाव करने और आपको दोबारा देखने की हैसियत पाने की पूरी कोशिश करेंगे.
श्रीदेवी, प्लीज़ हमें वो एक मौका दीजिए, क्योंकि हम सबसे सच में प्यार करते हैं.
मैं इसी तरह लगातार लिख सकता हूं, लेकिन अब मैं अपने आंसू और नहीं रोक सकता…
राम गोपाल वर्मा
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