भारत में आज भी मुहं दिखाई की रश्म है, यह रश्म आज की नहीं प्राचीन काल की है. रामायण के अंश में मुहं दिखाई से जुड़ा एक अंश भी है. इस अंश में बताया गया है की श्री राम ने माता सीता को मुहं दिखाई पर क्या दिया था. वैसे तो आप यह जानने के लिए उत्सक हो पर मैं आपको यह बताने से पहले कुछ और पहलू भी बताने वाला हूँ, तो पूरा आर्टिकल पढ़कर हमें जरुर बताएं की आपको यह आर्टिकल कैसा लगा. आज हम आपको बताने वाले हैं की श्री राम ने माता सीता को मुहं दिखाई पर क्या दिया था.
कैसे हुई राम और सीता जी की शादी
आपको यह तो ज्ञात होगा की माता सीता और राम जी की शादी कैसे हुई, फिर भी आपको बता देता हूँ की त्रेता युग में राजा जनक ने अपनी पुत्री जानकी के लिए स्वयंवर रखा था. इसमें श्री राम ने त्रिशूल को तोड़कर माता सीता को अपनी शक्ति और अपने पराक्रम से मोहित कर लिया था. उसके बाद माता सीता ने श्री राम को अपना वर स्वीकार किया.
स्वंयवर से पहले भी हो चुकी थी मुलाक़ात
वैसे तो बताया जाता है की श्री राम और सीता जी की शादी राजा जनक द्वारा रखें स्वयंवर के अनुसार हुई थी पर यह भी सच है की राम जी और माता सीता पहले भी मिल चुके थे. आपको बता दूँ की राम जी और माता सीता की पहली मुलाक़ात वाटिका में हुई थी. वहां माता सीता और राम जी ने एक दुसरे को देखा और सीता माता राम जी पर मोहित हो गई थी. बताया जाता है की माता सीता वहां गौरी माँ की पूजा के लिए फूल लेने गई थी और राम जी विस्वमित्र के लिए फुल लेने गये थे.
दिया था यह उपहार
विवाह के बाद जैसे हिन्दू धर्म में मुहं दिखाई की रश्म होती है ऐसी ही रश्म तब भी हुई थी. ऐसे में माता सीता को श्री राम ने उपहार की जगह यह अनमोल उपहार दिया था. श्री राम ने एक वचन दिया था की जब तक इस जीवन में वो जीवित रहेंगे तब तक उनके जीवन में कोई और स्त्री नहीं आएगी.
इस वचन से बने मर्यादापुरुषोत्तम
राम जी द्वारा दिए गये इस वचन के कारण राम जी को पुरुषों में उत्तम माना गया है. राम जी अपने वचन पर अंडीग रहे और उन्होंने कभी और स्त्री के बारें में सोचा भी नहीं. आज भी राम जी के लिए हमारे दिल में बहुत इज्जत और सम्मान है.
साभार - https://tadka24.com/mata-seeta-ko-diya-tha-yh-tohfa/