फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई याद है आपको. राजकुमार हिरानी की वो फिल्म जिसके बाद हम ‘दादागिरी’ के लिए नए शब्द ‘गांधीगिरी’ के संपर्क में आए. उस फिल्म में बुजुर्ग का रिश्वत मांगने वाले अफसर के सामने कपड़े उतारने वाला सीन कौन भूल सकता है? रिश्वतखोरी इस देश का सच है. सरकारी तंत्र में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए सरकार बहादुर ने दर्जनों विभाग बना रखे हैं. यहां आम आदमी की शिकायत अक्सर अनसुनी कर दी जाती है. राजस्थान के सीकर में एक आदमी ने रिश्वतखोरी के खिलाफ अपने तरीके से लड़ाई छेड़ी हुई है. इस लड़ाई का हथियार बहुत दिलचस्प है.
सीकर जिले में एक तहसील है लक्ष्मणगढ़. आस-पास के इलाकों में इस तहसील का पढ़ाई के मामले में काफी नाम है. लेकिन जो कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं, उसकी शुरुआत उस समय की है जब गांव में बड़ी मुश्किल से एकाध आदमी ऐसा मिलता था जिसे आखर समझ आते हो. इतिहास की किताबों में उसे अंग्रेजों का जमाना कहते हैं. लेकिन अंग्रेज खुद कभी राजस्थान आया नहीं. वो तो यहां के राजे-रजवाड़ों से पैसा वसूलता था. तो राजस्थान में यह राजे-रजवाड़ों का दौर था. धन्नाराम सैनी नाम का एक नौजवान हरियाणा के हिसार से लक्ष्मणगढ़ आया. धन्नाराम किसान था, वो जब लक्ष्मणगढ़ पहुंचा तो उसके पीछे कोई हथियारबंद लश्कर नहीं था. इस वजह से उस समय के चारणों के पोथों में धन्नाराम का कोई जिक्र नहीं मिलता. हम पक्के तौर पर बस यह कह सकते हैं कि उस समय देश में लोकतंत्र नहीं था.
धन्नाराम जब लक्ष्मणगढ़ पहुंचा तो यह आज जैसा क़स्बा नहीं था. यह कुछ सौ घरों वाला गांव था. उस समय धन्नाराम ने कुछ बीघा जमीन लेकर यहां खेती शुरू कर दी. धन्नाराम ने अपना जीवन पूरा किया और दुनिया से रुखसत हुए. धन्नाराम जब चले गए तो उनके बेटे झाबरमल ने घर की बागडोर संभाल ली. झाबरमल ने अपने जीवन में काफी बदलाव देखे. गांव बदला और देश भी बदला. देश में आजादी आई. अंग्रेज चले गए. रजवाड़े चले गए. झाबरमल बचे रहे. बचा रहा उनका घर और खेत.
फिर आए उनके बेटे भानाराम. भानाराम आज़ाद मुल्क में पैदा हुए. कुछ बदलाव उनके जीवन के बही-खाते में भी दर्ज हैं. देश की सियासत बदली. भारत ने तीन जंगे लड़ीं. एक प्रधानमंत्री और एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हुई. उनके जिले के भैरो सिंह शेखावत उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचे. लेकिन इन सब बदलावों से बड़ा एक बदलाव भानाराम की जिंदगी में हुआ. उनके गांव ने कस्बे की शक्ल अख्तियार कर ली. कस्बे की एक नगरपलिका बनी. भानाराम की खतो-किताबत के पते में नई लाइन जुड़ी, “नगर पालिका के पास, माली मंदिर.”
दो बेटों के बाप भानाराम ने अपनी आंख उस घर में खोली जिसे धन्नाराम ने बनाया था. फिलहाल इस घर में धन्नाराम की चौथी पीढ़ी रह रही है. लेकिन इस दौरान उनके पुरखों से एक गलती हुई. जिस जमीन पर उनके परिवार ने एक सदी गुजार दी वो नगरपालिका में उनके नाम से दर्ज ही नहीं थी. उनके बड़ा बेटा नए जमाने के चलन से वाकिफ था. उसने टीवी पर लाल किले से बोल रहे देश के प्रधानमंत्री को सुना था. वो हर भारतीय के लिए घर का सपना पूरा करने के दावे कर रहे थे. भानाराम के लिए उसके पुरखे घर छोड़ कर गए थे, बस दिक्कत यह थी कि यह नगरपालिका के खाते में दर्ज नहीं था. उनके बेटे ने 30 दिसम्बर 2014 को नगरपालिका में घर का पट्टा हासिल करने की अर्जी दाखिल की.
30 अगस्त 2017, इस बात के ठीक दो साल 8 महीने बाद एक पेंटर राजकुमार के घर की दीवार का एक हिस्सा सफ़ेद रंग से पोत रहा था. रंग सूखने के बाद उसने अपने झोले से लाल रंग और एक इंच चौड़ाई वाल ब्रश निकाला. उसने ब्रश को रंग में डुबाेकर वो लिखना शुरू किया, जो उसे सादे कागज पर लिख कर दिया गया था-
“मैं भानाराम माली, पुत्र झाबरमल माली, वार्ड 28 लक्ष्मणगढ़ (सीकर). तारीख 30-12-2014 मेरे मकान का पट्टा नगर पालिका द्वारा नहीं बनाया जा रहा है. कारण नगर पालिका के EO व JEN द्वारा 50,000 रूपए मांगे जा रहे हैं. मेरे जैसे मजदूरी करने वाले के पास इतनी बड़ी रकम नहीं है. जितने भी पट्टे बने हैं, पैसे लेकर बनाए हैं.”
भानाराम की इस दीवार की तस्वीर जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. सुबह यह दीवार रंगी थी और शाम ढलते-ढलते प्रशासन की तरफ से नोटिस आ गया. नोटिस जिस पर लिखा गया था कि भानाराम की दीवार पर लिखी इबारत ‘संपति विरूपण अधिनियम’ और राज्य सरकार की मानहानि है. नोटिस में कहा गया कि शाम आठ बजे दीवार पर लिखी इबारत को मिटा दिया जाए, वरना प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई करेगा. इस नोटिस के नीचे अधिशाषी अधिकारी नवीन कुमार के दस्तखत थे जिन पर भानाराम रिश्वतखोरी का इल्जाम लगा रहे थे.
दरअसल भानाराम के बेटे राजकुमार पट्टे के सिलसिले में नगरपालिका के चक्कर काटते-काटते परेशान हो चुके थे. सब जगह से हार कर उन्होंने यह कदम उठाने का फैसला किया. दी लल्लनटॉप से हुई बातचीत में वो कहते हैं-
“मैंने हर जगह प्रयास करके देख लिया. कई बार प्रशासन द्वारा आयोजित जनसुनवाई में भी इस बात को उठा कर देख लिया. राजनेताओं से भी मिला लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. ये लोग कागज में गलती निकाल कर पैसे मांगते हैं. मैंने देने से इनकार कर दिया तो मेरा काम नहीं हो रहा है. जो लोग पैसा खिला रहे हैं उनका काम हो जा रहा है. मैं मजदूरी करके पेट पालता हूं.अब आप बताइए कि मैं इतने पैसे कहां से लाकर दूं.”
राज कुमार घर बनाने के मिस्त्री है. उनके पिता भानाराम लकड़ी फाड़ने का काम करते हैं. इसके अलावा दस लोगों के इस परिवार के पास कुल डेढ़ बीघा जमीन है, जिस पर ये लोग खेती करते हैं. प्रशासन के नोटिस के दो दिन बाद भी उन्होंने अपनी दीवार को साफ़ करने की जहमत नहीं उठाई है. वो कहते हैं-
“अगर मेरे द्वारा उपलब्ध करवाए गए कागजात में कोई कमी है तो इस गली में रहने वाले बाकी लोगों के पट्टे कैसे बने. मुझे अपनी जमीन का पट्टा मिले या ना मिले लेकिन मैं चाहता हूं कि बाकी बने पट्टों की जांच हो.”
इधर अधिशाषी अधिकारी नवीन कुमार मामले की अलग ही सफाई रखते हैं. दी लल्लनटॉप को उन्होंने बताया-
“भानाराम की जमीन के पट्टे की अर्जी नगरपालिका को दिसम्बर 2014 में मिली थी. इसके बाद नगर पालिका के JEN ने मौका मुआयना करके 2 सितम्बर 2015 को इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में दर्ज था कि भानाराम पट्टा हासिल करने की जरूरी शर्तें पूरी नहीं करते. इसके बाद इन्हें जरूरी कागजात जमा करवाने की मोहलत दी गई. इस बीच पालिका के तीन अधिशाषी अधिकारी बदल गए. मैंने यहां जनवरी 2017 में ज्वॉइन किया. जब मेरे सामने यह मामला आया तो मैंने इन्हें यथास्थिति बताई.
इसके बाद यह मुझ पर तरह-तरह के दबाव डालने लगे. अंत में हमने 11 अप्रैल 2017 को इनका आवेदन ख़ारिज कर दिया. इसके बाद भानाराम के बेटे राजकुमार में मुझे रिश्वत के मामले में फंसाने की धमकी भी दी थी. अब मैं कानून से बाहर जाकर कैसे पट्टा दे दूं?”
31 अगस्त के दिन प्रशासन की तरफ से भानाराम के खिलाफ ‘राजस्थान संपत्ति विरूपण अधिनियम’ के तहत मुक़दमा कायम करवा दिया गया है. 2006 में आए इस कानून के अनुसार सार्वजनिक दृश्य स्थानों पर बिना प्रशासन की आज्ञा से कोई भी इश्तिहार, पोस्टर, होर्डिंग आदि लगाना कानूनी जुर्म है. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 5 हजार से 20 हजार तक का आर्थिक दंड और 1 महीने से 1 साल तक की कैद हो सकती है.
साभार
http://www.thelallantop.com/bherant/in-lakshmangargh-rajsthan-this-man-has-unique-idea-to-fight-corruption/