शिव कृपानिधी यानी बेहद करुणा से भरे देवता के रूप में पूजनीय है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक शिव का करुणा भाव ही सांसारिक जीवन में सुखों की वजह है। शिव की ऐसी ही प्रसन्नता और कृपा के लिए शिव उपासना में पंचाक्षरी मंत्र यानी नम: शिवाय का ध्यान भी बहुत ही शुभ और असरदार माना गया है।
शास्त्रों के मुताबिक पंचाक्षरी मंत्र का स्मरण व्यक्ति के जीवन में हर काम और इच्छा को पूरा करने वाला होता है। इस मंत्र के ध्यान मात्र से ही शिव भक्त के जीवन से सारे कलह मिट जाते हैं।
शिव की महिमा उजागर करता शिव महापुराण में पंचाक्षरी मंत्र के जप व स्मरण से जल्द और मनचाहे नतीजों के लिए कुछ खास नियमों का पालन जरूरी बताया गया है। जानिए ये खास वक्त, नियम और संयम क्या है-
- इस मंत्र को गुरु से प्राप्त करें। इससे यह मंत्र जप ज्यादा असरदार और मंगलकारी होता है।
- देवालय, तीर्थ या घर में साफ, शांत व एकांत जगह बैठकर मंत्र जप करें।
- पंचाक्षरी मंत्र यानी नम: शिवाय के आगे हमेशा ऊँ लगाकर जप करें। यह षडाक्षरी मंत्र बन जाता है।
- किसी भी हिन्दू माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन से कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी चौदहवें दिन तक मंत्र जप करें।
- नियत संख्या में पंचाक्षरी मंत्र जप की अवधि में व्यक्ति खान-पान, वाणी और इंद्रियों पर पूरा संयम रखें।
- गुरु, पति, माता-पिता के प्रति सेवाभाव और सम्मान मंत्र जप काल के दौरान न भूलें।
- हिन्दू पंचांग के सावन, माघ माह और भाद्रपद माह में मंत्र जप बहुत शुभ और जल्द मनोरथ पूर्ति करने वाला वाला माना गया है।