3 मार्च 2017
भारत के कानून सख़्त होने चाहिए और भारत के लोगो को नियमो का पालन करना चाहिए , अभद्र भाषा का प्रयोग नही करना चाहिए . दूसरे देशों को भारत से भारत की संस्कृति ,सभ्यता , श्रद्धा , विशवास , और आस्था की बाते सीखनी चाहिए .
4 मार्च 2017
इस प्रश्न का उत्तर संक्षेप में दे पाना मुझे आसान नहीं लगता। अल्पकालिक या दीर्घकालिक विदेश-प्रवास का अनुभव अधिकांश लोगों को नहीं होता। उनमें और हम भारतीयों में क्या अंतर है इसके लिए व्यावसायिक कार्य संपन्न करने अथवा पर्यटक स्थलों का अवलोकन करने हेतु की गयी यात्रा पर्याप्त नहीं होती। वहां लोग कैसे उठते-बैठते हैं, कैसे अजनबियों से पेश आते है, सड़कों पर कैसे चलते हैं, इत्यादि उनकी हर हरकत पर पैनी निगाह डालने की आवश्यकता होती है कुछ सार्थक कह पाने के लिए। यह भी तथ्य है कि सभी देशों में अर्जित अनुभव एक जैसा नहीं होता है। मुझे ब्रिटेन (दीर्घकालिक), कनाडा, इटली एवं अमेरिका (अल्पकालिक) और पेरिस (एक-दिनी) का अनुभव प्राप्त है। और उसी के आधार पर २-४ बातें कह लेता हूं: (१) वहां प्रायः सभी लोग कायदे-कानूनों का पालन करते हैं और उनका उल्लंघन करने वाले को अच्छी नजर से नहीं देखते हैं। अपने यहां कानून तोड़ना बहादुरी होती है। (२) लोग जहां आवश्यक होता है लाइन में लगकर कार्य करवाते हैं। हम लाइन में लगना अपनी बेइज्जती समझते हैं। (३) यदि कानूनन सब बराबर होते हैं तो उसके अनुसार ही व्यवहार किया जाता है। अपने लोग विशेषाधिकार पाये रहते हैं या उसको अपने लिए मान लेते हैं। वहां सुरक्षा जांच में बड़े-छोटे नहीं होते है। (४) सड़कों पर पैदल व्यक्ति का प्रथम अधिकार माना जाता है। हमारे यहां इसके उल्टे वाहन-चालक को प्राथमिकता दी जाती है। सड़कें लेनों में बंटी रहती हैं और वाहन अपने-अपने लेन में चलते है। वे बिना संकेत दिए लेन नहीं बदलते हैं। मैंने सड़कों पर हॉर्न बजाते किसी को नहीं देखा है। अतिरिक्त इसके पार्किंग निर्धारित स्थल पर ही की जाती है। वाहन-चालन लाइसेंस लिखित एवं प्रायोगिक (करीब १ घंटा) की कड़ी परीक्षा के बाद ही दिया जाता है। लोग फेल हो जाते हैं। (५) कार्यालयों में हो हल्ला करते लोग नहीं देखे जाते हैं और न ही टालमतोल का रवैया अपनाते हैं। (६) अजनबियों की मदद करने में लोग देर नहीं करते। पुलिस पर भरोसा किया जा सकता है और वह यथाशीघ्र मदद को आ जाती है। इस प्रकार की तमाम और भी बातें हैं। उदाहरणार्थ इतना काफी है। विदेशियों को हमसे क्या सीखना चाहिए यह वे ही बेहतर बता सकते हैं।
3 मार्च 2017