उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री अगला प्रिंस है. गड्ढ़े से निकल ही नहीं रहा. दिखता ही नहीं है. बेवजह का सस्पेंस बनाया जा रहा है अलग. सस्पेंस कौन बना रहा है? हम सब मिलके. माने सबको पता है. आज नहीं तो कल नाम आ ही जाएगा. पर सबको जल्दी ही जानना है. चुल्ल का इलाज थोड़े होता है. तो अभी बात ये चल रही है कि मोदी और शाह ने मन बना लिया है. किसको बनाएंगे? मनोज सिन्हा को. गाजीपुर से तीन बार सांसद और अभी में मोदी सरकार में रेल राज्यमंत्री हैं वो. ये सूत्र ने बताया. सबको बताया. सूत्र और मूत्र का कोई भरोसा नहीं होता, जाने कब आ जाए, जाने कब गलत निकल जाए. एक तो ये सूत्र नाम भी नहीं बनाते. सूत्र ये भी कहता है कि आज लखनऊ में होने वाली भाजपा की विधायक दल की बैठक में इसकी घोषणा भी हो जाएगी. रे सूत्र तेरे इतने ही कांटेक्ट हैं तो सीएम ही क्यों न हो जाता.
हमारी सलाह ये है कि सूत्र की न सुनें. समय आने का वेट करें. तब तक आइस-पैस खेल ें. क्योंकि मनोज सिन्हा ने जो कहा उसपे कान देना सबसे जरुरी है. कहा कि उनको मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने की बातें सिर्फ अफवाह है. हमारे पास पहले ही से केंद्र में काफ़ी जिम्मेदारियां हैं. अभी रेल राज्यमंत्री के साथ संचार मंत्रालय भी देख रहे हैं. ऐसे में नई जिम्मेदारी लेने का कोई सवाल नहीं उठता है.
अब देखो हालत ये है कि मनोज सिन्हा शनिवार को वाराणसी पहुंचे. मंदिर गए. पहले कालभैरव मंदिर गए, फिर काशी विश्वनाथ मंदिर और अंत में संकटमोचन मंदिर. और फिर गाजीपुर निकल लिए. और इधर जनता पागल. माने की हवा ऐसी बना दी कि बस सीएम ही होने वाले हैं, और सीएम बनने के पहले आशीर्वाद लेने गए थे. हाय रे जिज्ञासा! तूने ही तो उस वाले किस्से में बंदर को मारा था.
तो अभी ये है कि मनोज सिन्हा अपने मुख से बोले हैं, मुख्यमंत्री बनने का कोई प्लान नहीं है. वो बस पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता हैं.
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