‘तुझसे तमीज से क्यों बात करूं, तू विक्टोरिया है?’
ABVP और RSS देश को बचाने की बात करते हैं. देश की संस्कृति की बात करते हैं. और इस बात में विश्वास रखते हैं कि औरतों की इज्जत करनी चाहिए. ये कोई एक तरह का बर्ताव नहीं, जो संघ के छात्र मेंमबरान से अपेक्षित हो. ये मूल्य इनकी नींव, इनकी आइडियोलॉजी में हैं.
और ये हैं सतेंदर अवाना. पिछले साल DUSU चुनाव जीतकर छात्र संघ के प्रेसिडेंट बने थे. इस वीडियो में इन्हें लॉ फैकल्टी की डीन से बात करते देखा जा सकता है.
सतेंदर अवाना का आरोप है कि डीन ने पुलिस बुलाई थी. लाठीचार्ज करवाया था. वहीं डीन का कहना है कि पुलिस इसलिए बुलाई थी ताकि वो भीड़ को कंट्रोल कर सकें. और लाठीचार्ज करवाने के आरोप को साफ़ साफ़ नकार रही हैं.
हम नहीं जानते इसमें कौन कितना सही, कौन कितना गलत है. मगर जो हमें दिख रहा है, वो सरासर गलत है. जिस टीचर से सतेंदर बात कर रहे हैं, वो महिला हैं. लड़कों की भीड़ उनपर चीख रही है. मैडम को बोलने का मौका तक नहीं दिया जा रहा. उनकी आवाज़ तक नहीं आ रही. और सतेंदर लगातार उनपर चीख रहे हैं. जब वो कह रही हैं कि सतेंदर उनसे एक स्टूडेंट की तरह बात करें, सतेंदर कह रहे हैं, ‘नहीं, मैं स्टूडेंट नहीं हूं. मैं बदतमीज़ हूं. ऐसे ही बात करूंगा.’
शुरुआत के संवाद में सतेंदर को पूरी तरह तू-तड़ाक करते देखा जा रहा है. मगर जब उन्हें पता पड़ता है कि पीछे से रिकॉर्डिंग चल रही है, वो ‘आप’ पर उतर आते हैं.
रामजस कॉलेज में हुए पूरे प्रकरण में ABVP के मेंबर लगातार एक ही चीज बोलते आए हैं. कि कैंपस के अंदर देशद्रोही गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कमाल की बात ये है कि ‘देशद्रोही’ और ‘बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’ की परिभाषा वो लगातार खुद ही लिख रहे हैं. वो सेमिनार से लेकर प्रोटेस्ट तक को देशद्रोही बता रहे हैं. और बर्दाश्त न करने के नाम पर छात्रों और टीचरों को पीट रहे हैं.
यूनिवर्सिटी एक ऐसी जगह है जिसकी परिभाषा में ही अलग अलग विचारधाराओं का समागम लिखा होना चाहिए. खासकर अगर वो एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है, उसमें हर राज्य, हर शहर, हर बैकग्राउंड के बच्चे और टीचर होते हैं. ऐसे में अगर किसी का होना सबसे ज्यादा अपेक्षित रहता है तो वो है विमर्श. लेकिन जब एक पड़ला ऐसा होगा, तो दोनों पार्टियों में विमर्श होगा भी तो कैसे?
देखिए, विडियो में सतिंदर अवाना विमर्श, सफाई देने, और सवाल पूछने के नाम पर क्या कर रहे हैं. टीचर को धमकी दे रहे हैं. और पुलिस यूं ही खड़ी है. लॉ फैकल्टी की डीन मैडम ऐसे दिन के बाद किस कदर रात को सो पाई होंगी, मालूम नहीं. कॉलेज में पढ़ाने भर के लिए उन्हें आने में अब कितना डर लग रहा होगा, मालूम नहीं.
और सतिंदर पर लगा ये बदतमीजी का पहला आरोप नहीं है. पिछले साल पूरे JNU प्रकरण के बाद उन्होंने DUSU सेक्रेटरी छत्रपाल यादव के साथ मिलकर टीचर्स और स्टूडेंट्स को धमकाया था, डराया था, और इसी तरह कि भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया था. साबित तब भी कुछ नहीं हो पाया था. लेकिन अगर सतेंदर की ज़बान ऐसी ही है, तो उन आरोपों पर विश्वास करने में कम से कम मुझे तो ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा.
न्यूज़लांड्री के इस वीडियो में आप इन्हें भड़कते, पत्रकार की बात काटते, NDTV के पत्रकारों के बारे में बुरे लहजे में बात करते हए दिख रहे हैं.
हम नेता हैं इसलिए पीटेंगे, पुरुष हैं, इसलिए औरत को चुप करा देंगे. इस विचारधारा पर अगर ABVP चल रहा है, तो हम सोच लें कि विश्वविद्यालय को असल में खतरा किससे है.