केंद्र सरकार ने एक अहम फैसले के तहत 15 नई जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया है. कैबिनेट की बैठक में सरकार ने नई जातियों को शामिल करते हुए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने ओबीसी की केंद्रीय सूची में 15 नई जातियों को शामिल करने और 13 अन्य जातियों में परिवर्तन को मंजूरी दी है. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने आठ राज्यों असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के सिलसिले में कुल 28 परिवर्तनों की सिफारिश की थी.
28 बदलावों में से 15 नई प्रविष्टियां थीं, नौ उन जातियों की समानार्थी थीं या उपजातियां थीं जो पहले से सूची में हैं तथा चार सुधार थे. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि परिवर्तनों से इन जातियों-समुदायों से आने वाले व्यक्तियों को सरकारी सेवाओं और पदों के साथ ही केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में वर्तमान नीतियों के तहत आरक्षण का लाभ उठाने में मदद मिलेगी.
इसमें कहा गया कि वे विभिन्न उन कल्याणकारी योजनाओं, छात्रवृत्ति आदि के लाभ के लिए योग्य बनेंगे जो केंद्र सरकार द्वारा शासित हैं, जो वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को मुहैया हैं.
एनसीबीसी की सिफारिश पर 25 राज्यों एवं छह केंद्र शासित प्रदेशों में ओबीसी की केंद्रीय सूची में कुल 2479 प्रविष्टियों को अधिसूचित किया गया है जिसमें उसकी समानार्थी, उपजातियां आदि शामिल हैं। ऐसी पिछली अधिसूचना सितम्बर 2016 तक के लिये जारी हुई थी.
इसके अलावा पीओके के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए 2000 करोड़ के स्पेशल पैकेज को मंजूरी दे दी गई. कैबिनेट ने गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, ताकि 36 हजार 384 परिवारों को बढ़ी हुई आर्थिक सहायता दी जा सके. स्वतंत्रता के बाद पीओके से विस्थापित होने वाले इनमें अधिकतर लोग जम्मू क्षेत्र में रह रहे हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक परिवार को सहायता के तौर पर करीब साढ़े पांच लाख रुपये मिलेंगे. पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों में अधिकतर पीओके से हैं जो जम्मू, कठुआ और राजौरी जिले के अलग-अलग स्थानों पर बसे हुए हैं.
बहरहाल जम्मू-कश्मीर के संविधान के मुताबिक वे राज्य के स्थायी निवासी नहीं हैं. इसके अलावा कैबिनेट ने वीजा नियमों में ढील देने पर फैसला किया. टूरिस्ट और विदेशी कारोबारियों के लिए वीजा नियम और आसान किए गए हैं.