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वरिष्ठजन दिवस पर मेरी एक रचना उन बुजुर्गो के नाम जो अपने घर आँगन में सघन छांह भरे बरगद के समान है | जो उनकी कद्र जानते हैं उन्ही के मन के भाव ----बाबा की आँखों से झांक

"अयोध्या - राम"टैम्पल "--------० ------------------मित्र देश का साथी, था वह बोल रहा ?है हमें बनाने को ,निर्णय मन से लिया | शिव मंदिर यहाँ पर, टैंपल राम अयोध्या || अजब दीवाना जीवन, लौटकर आए न आए, सागर सा यह हृदय, फूल मरुस्थल खिलाए,स्वप्न टीसते रहते,टैंपल राम अयोध्य

चोर की परिभाषा ?डॉ शोभा भारद्वाजएक प्रसिद्ध चैनल में गरमा गर्म बहस चल रही थी सभी उत्साहित थे ‘भारत सरकार की कूटनीतिक विजय’ पाकिस्तानी आतंकी मसूर अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया चीन ने अपना वीटो वापिस ले लिया |बीच –बीच में नारे लगाये जा रहे थे है हरेक उत्साहित था भारत की कूटनीतिक विजय बहस खत्म

क्या कहूँ, कि ज़िन्दगी क्या होती है कैसे यह कभी हँसती और कभी कैसे रो लेती है हर पल बहती यह अनिल प्रवाह सी होती है या कभी फूलों की गोद में लिपटीखुशियों के महक का गुलदस्ता देती हैऔर कभी यह दुख के काँटो का संसार भी हैहै बसन्त सा

खिली बसंती धुप "खिल उठी बसंती धुप फिजा भरी अंगड़ाई चली हवा सुगन्धित ऐसी प्रिये जब -जब मुस्कायी | रूप बदल नित नवीन श्रृंगार ले रौनक लाई अधरों मुस्कान रहा प्रिये जब ली अंगड़ाई | | मन मलिन कभी हुआ सम्मुख तब तुम आई खिली बसंती धुप नई प्रिये मन मुख मुस्कायी | हृदय ागुंजित स्वर बेला मंगल- बुद्धि ठकुराई

मुस्कुराती बहारों को नींद आ गईआज यूं गम के मारों को नींद आ गई,जैसे जलते शरारों को नींद आ गई।थे ख़ज़ां में यही होशियार-ए-चमन,फूल चमके तो खारों को नींद आ गई।तुमने नज़रें उठाईं सर-ए-बज़्म जब,एक पल में हजारों को नींद आ गई।वो जो गुलशन में आए मचलते हुए,मुस्कुराती बहारों को नींद आ गई।चलती देखी है 'अरश

"आतंकवाद जहाँ "--------------------सिर - बांधे लाल पगड़िया दुनिया को बताएगा तेरी करतूतों - कहर तुझको ही समझायेगा |गांती बांधे चलता था दुनिया पर कहर वर्षाया मैं! बातों से समझाता सब मिलजुल लतियायेंगे |धरा - अमन सभी चाहते कसमें सभीने खाई इ हर्षित रहते सारे बच्चे कौन तुझे

"दोहावली"नमन शहीदों को नमन, नमन हिंद के वीर।हर हालत से निपटते, आप कुशल रणधीर।।-1नतमस्तक यह देश है, आप दिए बलिदान।गर्व युगों से आप पर, करता भारत मान।।-2रुदन करे मेरी कलम, नयन हो रहे लाल।शब्द नहीं निःशब्द हूँ, कौन वीर का काल।।-3राजनयिक जी सभा में, करते हो संग्राम।जाओ सीमा पर लड़ो, खुश होगी आवाम।।-4वोट

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2018 समाप्त हुवा । बदलाव , परिवर्तन निसर्ग का एक नियम है । आज विश्व काफी तीव्रगति से चल रहा है । और परिवर्तन की दौड़ मैं कई पीछे छुट रहे है तो कई काफी तेजीसे आगे भी बढ़ रहे है । समाज की एकता और प्रेम तभी आपसे में एक रूप हो सकते है जब हम इस बढ़ती तेज रफ़्तार में एक दूजे के सहायक बन एक दूजे को भी साथ लेकर

जय नव दुर्गा ^^ जय - जय माँ आदि शक्ति -, वज़्न-- 1222 1222 122, अर्कान-- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन, क़ाफ़िया— आया (आ स्वर की बंदिश) रदीफ़ --- कहाँ से....... ॐ जय माँ शारदा.....! 1 मुहब्बत अब तिजारत बन गई है 2. मै तन्हा था मगर इतना नहीं था "गज़ल"किनारों को भिगा पाता कहाँ सेनजारों को सजा जाता कहाँ सेबंद थ

काफ़िया- आ स्वर, रदीफ़- रह गया शायद“गज़ल”जुर्म को नजरों सेछुपाता रह गया शायदव्यर्थ का आईनादिखाता रह गया शायद सहलाते रह गया कालेतिल को अपने नगीना है सबकोबताता रह गया शायद॥ धीरे-धीरे घिरती गईछाया पसरी उसकी दर्द बदन सिरखुजाता रह गया शायद॥ छोटी सी दाग जबनासूर बन गई माना मर्ज गैर मलहमलगाता रह गया शायद॥

“मुक्तक”मापनी- २१२२ २१२२ २२१२ २१२जिंदगी को बिन बताए कैसे मचल जाऊँगा। बंद हैं कमरे खुले बिन कैसे निकल जाऊँगा। द्वार के बाहर तेरे कोई हाथ भी दिखता नहीं- खोल दे आकर किवाड़ी कैसे फिसल जाऊँगा॥-१ मापनी- २२१२ २२१२ २२१२ २२१२जाना कहाँ रहना कहाँ कोई किता चलता नहीं। यह बाढ़ कैसी आ गई

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वीरों को शत्-शत् नमन करते हुए समस्त देशवासियों को 72वें स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! ***स्वतंत्र भारत… मेरा भारत*** लेख स्वतंत्र है भारत देश हमारा इस मिट्टी के हम वासी हैं । भारत देश की शान की खातिर हर राही के हम साथी हैं । सीमा की रक्षा पर जो वीर तैनात हैं भारतवासी हैं । उनके हर कतरे

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श्री राहुल गांधी को अभी राजनीति का ककहरा सीखना है ,डॉ शोभा भारद्वाज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गरमागर्म बहस चल रही थी देश के दर्शक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के विचार सुनने के उत्सुक थे वह अक्सर बढ़ चढ़ कर बोलते थे जब वह सदन में भाषण देंगे जलजला आ जाएगा मोदी जी उनके सामने खड़े नहीं हो सक

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ऐ भाई ज़रा देखके चलो ये कौन सा मुक़ाम है, फ़लक नहीं ज़मीं नहीं के शब नहीं सहर नहीं, के ग़म नहीं ख़ुशी नहीं कहाँ ये लेके आ गई हवा तेरे दयार की ||गुज़र रही है तुमपे क्या बनाके हमको दर-ब-दरये सोचकर उदास हूँ, ये सोचकर है चश्मे तरन चोट है ये फूल की, न है ख़लिश ये ख़ार की ||पता नहीं ऊप

हँसमुखी चेहरे पर ये कोलगेट की मुस्कान,बिखरी रहे ये हँसी,दमकता रहे हमेशा चेहरा,दामन तेरा खुशियों से भरा रहे,सपनों की दुनियां आबाद बनी रहे,हँसती हुई आँखें कभी नम न पड़े,कालजयी जमाना कभी आँख मिचौली न खेले,छलाबी दुनियां से ठग मत जाना,खुशियों की यादों के सहारे,दुखों को पार लगा लेना,कभी ऐसा भी पल आये जीवन

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माँ …मुझे मौत दे दो ???? मर्म की चीख जागरुकता लेख क्यों आज हर माँ को यह कहने की स्थिति में पहुँचा दिया है कि… 'अगले जन्म मुझे बिटिया न दीजो' और एक बेटी को यह कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि… 'अगले जन्म मुझे बिटिया ना कीजो' आज देश में जो हालात हैं छोटी-छोटी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं उनको यूँ क

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विकास के साथ-साथ विनाश को रोकना संभव**** इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी देश का विकास उस देश की समृद्धि और संपन्नता को दर्शाता है । यह समृद्धि और संपन्नता तब तक कायम रह सकती है जब तक की विकास की दिशा सही हो और अगर स्वार्थ पूर्ति के चलते जब हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करन लगतेे हैं तब विनाश को रोक

Meri parchhai jaisa hai ye mera pyar,yu to humesha raheta karib mere fir bhi hai vo mujse bahot door,Yu to humesha hota saath mere fir bhi raheta hai vo kahi ghum,Yu to humesha roshni bikherta huaFir bhi andhero mai bhatkta hua,Yu to humesha muskurata hua,Fir bhi ander se

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