श्री राहुल गांधी को अभी राजनीति का ककहरा सीखना है ,
डॉ शोभा भारद्वाज
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गरमागर्म बहस चल रही थी देश के दर्शक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के विचार सुनने के उत्सुक थे वह अक्सर बढ़ चढ़ कर बोलते थे जब वह सदन में भाषण देंगे जलजला आ जाएगा मोदी जी उनके सामने खड़े नहीं हो सकेंगे देश उनके ऐसे भाषण का इंतजार कर रहा था मोदी जी जैसा परिपक्व राजनीति के खिलाड़ी के सामने कैसा भाषण होगा या उनके व्यक्तित्व को ही चुनौती दे दी जायेगी ?
सदन में देश के उत्तम महान सांसद पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार रखते रहे हैं दर्शक इन भाषणों को विभोर होकर सुनते थे | तब सदन में शोर मचाना वेळ में आकर हंगामा करना ,कागज फाड़ कर अध्यक्ष महोदय के सामने उड़ाने की प्रथा नहीं थी हाँ सदन से वाक आउट कर जाते थे|
शोध के विद्यार्थी घंटो लोकसभा की लायब्रेरी में बैठ कर उन भाषणों को पढ़ते हैं इन्हें प्राईमरी सोर्स माना जाता है अपनी थिसिज के फुट नोट में विवरण सहित उनका जिक्र करते हैं नियम है सदन में दिए गये भाषण प्रमाण सहित दिए जायें यह चुनावी भाषण नहीं होने चाहिए | लोकसभा में राहुल जी जम कर बोले कुछ विषय अप्रमाणित भी थे जैसे फ्रांस के साथ हुई राफेल डील पर राहुल ने कहा वह फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रो से मिले थे उन्होंने बताया राफेल जेट विमान पर भारत और उनके बीच कोई गोपनीय समझौता नहीं हुआ था प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एवं रक्षा मंत्री सीता रमण ने देश के सामने झूठ बोला था रक्षा मंत्री श्रीमती सीतारमण ने तुरंत उनके भाषण के बाद प्रमाण सहित उनके कथन को काटा| सदन को बताया यह डील डॉ मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्री काल में हुई थी|
राहुल के भाषण के कुछ समय बाद ही फ्रांस की तरफ से ब्यान जारी कर श्री राहुल के दावों को खारिज किया गया दो देशों के सम्बन्धों पर ऐसा अटपटा ब्यान |
भाषण समाप्त करने से पहले राहुल मोदी जी की तरफ बढ़े उन्हें पहले उठने का इशारा किया मोदी जी के चेहरे पर अचरज का भाव था कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने उन्हें गले लगा लिया अब मोदी जी सम्भले उन्होंने उन्हें पुन: बुला कर उनकी पीठ थपथपा कर कुछ कहा | दर्शको को लगा राहुल राजनीति में नई शुरुआत कर रहे हैं जैसे ही अपने सलाहकारों के पास जाकर बैठे जिस तरह आँख मार कर आँख चलाई समझ में आ गया एक क्रिकेटर के विकट लेने जैसे विजयी भाव का परिचय दे रहें हैं बस इशारे का फर्क है |
यह उनके अपने साथियों की मिली भगत का नमूना था , बचकानी हरकत कांग्रेस में विद्वानों की कमी नहीं है एक से एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ हैं यदि भाषण में उठाये विषयों एवं भाषण के समापन के बाद देश के प्रधान मंत्री को जादू की जप्फी देनें की उनसे सलाह ली होती वह उन्हें मना करते राहुल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष हैं भारत जैसे विशाल प्रजातांत्रिक देश के प्रधान मंत्री ही नहीं महा गठ्बन्धन के नेतृत्व की इच्छा रखते हैं नेहरू गांधी परिवार के राजनीतिक वारिस समझे जाते हैं उनका राजनीति में अधकचरेपन का परिचय वह भी मोदी जी जैसे उत्तम कूटनीतिज्ञ के सामने?
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लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँऔर विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है ,लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँऔर विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है ,लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी एवं टीवी चैनलों से से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँ और विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं में वरिष्ठ स्तम्भकार हूँ जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है ,लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी एवं टीवी चैनलों से से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँ और विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं में वरिष्ठ स्तम्भकार हूँ जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है D