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ब्लाइंड( भाग- 1)

7 नवम्बर 2021

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      ..... मैंने बचपन से ही खोना शुरू कर दिया था ।बाद में कुछ रिश्ते बने, मैंने उन हर रिश्तो को जिया ,सब में स्थायित्व चाहा। पर नहीं.... सब स्वार्थी निकले !सत्य क्या है ?मैं स्वयं नहीं। जानता इस रिश्ते की परिणति क्या होगी? नहीं पता मुझे। पर इतना जानता हूं, इससे संतुष्ट हूं ।मुझे उससे एक अनूठे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है! उसके एक पल की खुशी के लिए मैं अपना सर्वस्व न्योछावर कर सकता हूं। इतना महत्वपूर्ण है वह मेरे लिए ।उसके विषय में सोचते ही ना जाने आंखों में कैसी चमक आ जाती है ।ह्रदय में एक सुकून सा उठता है, और पूरे वजूद में एक अनोखी विश्रांति छा जाती है।

                                               -  गुस्ताव नील
.......हां मेरे लिए महान है वह, बल्कि महानता की पराकाष्ठा। जहां से सब कुछ खत्म हो जाता है ,वहां से उनका अस्तित्व शुरू होता है। मैं क्या था ,क्या बनता, मुझे खुद पता नहीं था। लेकिन उन्होंने मुझे सींचा, मेरा निर्माण किया। जीवन में सब कुछ कितना विषम था मेरे लिए, लेकिन जब से उन्होंने मेरे जीवन में प्रवेश किया सब कुछ सुगम बनता चला गया। शायद मेरे लिए ही बने थे वह। खुद को बार-बार समर्पित कर दू उनके लिए, फिर भी उनका बदला नहीं चुका सकता।
                                                    -  डॉ जॉनसन
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अस्पताल का एक तामझाम भरा दिन !यह अलग बात है कि अस्पतालों में अधिकांश रात दिन जैसे शब्दों का कोई औचित्य नहीं होता। नर्सों और डॉक्टरों का आवागमन, लोगों के बदहवास से चेहरे, रह-रहकर अप्रत्याशित सा रुदन
और चिल्लाहट की आवाज! पर इन्हीं सबके बीच अस्पताल का एक कमरा एक दम शांत सा। इसमें विदेशी सा दिखने वाला एक मरीज पड़ा हुआ था। इस अगाध संसार के लिए महत्वपूर्ण पर, स्वयं के लिए एकदम अनजान !सामने खड़ा इलाज करने वाला व्यक्ति भी कोई विदेशी ही था जो काफी दिनों से यही था। बगल में खड़ा था उनका एक सहयोगी वह महसूस कर रहा था डॉक्टर जॉनसन इस मरीज में खासा दिलचस्पी ले रहे थे।

उन्माद! उल्लास! डर! खुशियां सहसा फिर से सहम गया वह। शायद वह किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था, पूरा चेहरा विकृत सा नजर आ रहा था। और उस पर पसीने की बूंदें चमक रही थी। सांस धौकनी की तरह चल रही थी। जॉनसन करीब आए, देखा तो वह सोने की कोशिश कर रहा था ।यह सब कुछ नया नहीं था इस कमरे में कई दिनों से यही सब चल रहा था। वह स्वयं को जितना एकाग्र करता ,उसकी मानसिक स्थितिया उससे उतना ही विद्रोह करती। परिणाम होता उसकी बेचैनी! उसके चेहरे के भाव प्रति क्षण बदलने लगते और वह खुद से ही विद्रोह कर उठता। भाव और शारीरिक स्थितियों में परस्पर तालमेल बिठाने की कोशिश में वह चिल्ला उठता। सासे साथ छोड़ने की कोशिश करने लगती।
गुस्ताव नील... यही नाम है इस मरीज का। इनकी यह दिनचर्या नई नहीं थी। काफी दिन बीत चुके थे उन्हें इस अस्पताल में आए ।पर अभी तक उनमें कोई परिवर्तन नहीं आया। परिवर्तन शायद हो भी नहीं! परिवर्तन .....हां परिवर्तित ही तो हुए हैं वह। जीवन का आधा पल गुजार चुके नील ने हमेशा परिवर्तन चाहा, हर सुबह, हर शाम, और रात में भी जबकि चारों तरफ सिर्फ नीरवता छाई रहती उनके प्रार्थना के प्रस्फुटन का शब्द सुनाई पड़ता। जो खुद के परिवर्तन के लिए ही होता। ईश्वर ने शायद उनकी फुसफुसाहट सुनी। तभी कुछ सीमित समय के लिए खुशियों का पटाक्षेप हुआ। पर अंततः? जीवन में परिवर्तन के लिए कुछ लम्हे काफी होते हैं,पर जिसका पूरा जीवन ही संतप्त रहा हो ...उसके लिए इस पटाक्षेप का क्या औचित्य ?हमेशा प्रेम और संरक्षण के लिए बेचैन रहे वो। निजी जीवन का यह दुख हमेशा इनके कार्यों में परिलक्षित होता रहा
'कभी-कभी सोचता हूं विधाता निर्मित इस सृष्टि में न जाने कितनी विचित्रताए होगी। यह भी तो विचित्र है !और विचित्र ही क्यों विक्षिप्त भी! सामने दीवार पर एक पेंटिंग टँगी है। नव उल्लासित! नव सुभाषित सा! जिसका दर्शन चित्त में संतुष्टि की पराकाष्ठा भर देता है। इसमें चित्रित लहरें हृदय में मधुर संगीत  की लहरियां बिखेर देती है, इसकी चमकती सूर्य रश्मिया विचारों को जैसे निष्पाप सा कर देती ।मानव जीवन की संपूर्णता की झलक है यह पेंटिंग ।पर इस चित्र का सृजन कर्ता खुद अधूरा मेरे यहां बीमार पड़ा है ।इन्हें तो यह भी नहीं पता या उनकी स्वयं की अभिव्यक्ति है ,इनके द्वारा चित्रित।' ...जॉनसन एक उच्छवास लेकर चुप हो गए।
जॉनसन के मन में छिपे पीड़ा के भाव को उतारते हुए उनका सहयोगी बोला,-' आप चुप क्यों हो गए सर और मुझे यह समझ में नहीं आता कि इस मरीज में आपकी इतनी रुचि क्यों है?
'तुम नहीं जान पाओगे राघव, ये मेरे मरीज ही नहीं मेरे..... जॉनसन के शब्द उन्हें अतीत में खींच रहे थे.....

Jyoti

Jyoti

👍

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया

29 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
ब्लाइंड
5.0
प्रस्तुत उपन्यास" ब्लाइंड: आनंद की खोज एक पीरियड ड्रामा है जो वर्ल्ड वार के समय घटित हुआ था। जिसके विरोध में साहित्यकारों, चित्रकारों, संगीतकारों ने मिलकर एक आंदोलन शुरू किया था जिसे दादावाद नाम दिया गया था। इसका नायक एक बाइसेक्सुअल चरित्र है जिसे बचपन में ही यौन शोषण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा... परिणामतः वह सामान्य नहीं रह सका और जीवन पर यह दर्द उस हावी रहा। एक ही परिवेश और पृष्ठभूमि में पलने बढ़ने वाला मनुष्य चिंतन के धरातल पर अलग-अलग सोच का प्रतिनिधित्व क्यों करता है! प्रेम ..हिंसा ...लगाव और नफरत जैसी भावनाएं किस तरह उसके मन मस्तिष्क में पनपती और आकार लेती हैं ।कैसे वह इनको जीता और व्यक्त करता है। जीवन के लिए आनंद बेहद जरूरी है। लेकिन हर मनुष्य के भीतर आनंद की परिभाषा अलग-अलग है। इस उपन्यास का पात्र आनंद की खोज में ऐसे कई भावों की टकराहट से गुजरता है। जहां से प्रेम की जगह हिंसा और नफरत से रूबरू होना पड़ता है। लेकिन वह प्रेम और आनंद की राह नहीं छोड़ता। उपन्यास का पात्र हर रिश्तो को जीना चाहता है ,यह जानते हुए भी कि इस रिश्ते की परिणति उसकी सोच के अनुरूप नहीं होगी। लेकिन इससे भी उसे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है ।उपन्यास पाठकों को कथावस्तु के सहारे चिंतन के ऐसे मोड़ तक ले जाता है जहां उसे औरों के लिए खुद को समर्पित कर देने में आनंद की अनुभूति होती है। उपन्यास रोचक एवं पटनीय है।
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ब्लाइंड( भाग- 1)

7 नवम्बर 2021
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<div> <span style="font-size: 1em;">..... मैंने बचपन से ही </span><u style=

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ब्लाइंड (भाग- 2)

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ब्लाइंड( भाग- 3)

9 नवम्बर 2021
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ब्लाइंड( भाग- 6)

13 नवम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 7)

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ब्लाइंड (भाग-8)

5 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग -9)

5 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 10)

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ब्लाइंड( भाग- 11)

6 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 12)

6 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">नील आए यूं ही खाली से बैठे ना जाने क्यों उदास से दिख रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह चाहक

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ब्लाइंड (भाग -13)

7 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 14)

7 दिसम्बर 2021
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8 दिसम्बर 2021
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<div>नील का आज भारत में प्रथम दिवस था, प्रथम सुबह। उन्हें यहां के वातावरण में एक अजीब सी ताजगी

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ब्लाइंड (भाग -16)

8 दिसम्बर 2021
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<div>नील वापस अपने देश लौट रहे थेअपने साथ भारत की अविस्मरणीय यादें समेट। चेहरे पर जॉन से मिलने की खु

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ब्लाइंड (भाग- 17)

10 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग -18)

10 दिसम्बर 2021
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<div>एलिस के रूखे व्यवहार से जॉन झुंझला उठा था। इन सब का कारण वह नील को समझ बैठा। सही मायने में वह न

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ब्लाइंड( भाग- 19)

10 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">"अंततः मेरी दूरियां बनाने के हर निश्चय के बाद भी वह मेरे सामने खड़ा था। हां मैं उसे भूल

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ब्लाइंड( भाग-20)

10 दिसम्बर 2021
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<div>नील शहर से दूर ,इन दिनों पेंटिंग के एक कार्यशाला में आए हुए थे जहां विश्व के तमाम प्रतिष्ठित चि

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ब्लाइंड( भाग- 21)

10 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 22)

11 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 23)

11 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग -24)

11 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div>"अब हम यहां नहीं रहेंगे, इस लड़की ने तो जैसे हमारा जीना मुश्किल कर दिया है

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ब्लाइंड (भाग -25)

11 दिसम्बर 2021
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<div><b>भाग-25</b></div><div><b>नील का जीवन अब बदलाव की ओर अग्रसर था ,पर इस बदलाव में सिर्फ खुशियां

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ब्लाइंड( भाग- 26)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-26</div><div>जेनी एक बार फिर जा चुकी थी, नील को अकेला छोड़कर। नील एक बार फिर वही पहुंच गए ज

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ब्लाइंड( भाग- 27)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-27</div><div>शाम का समय था ।नील उदास से अपने घर पर बैठे थे। आंखें कुछ देखना चाहती थी, पर वह

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ब्लाइंड( भाग- 28)

12 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग -29)

13 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">भाग-29<br> सुबह का समय था ।नील याना के साथ घाट की सीढ़ियों पर बैठे थे ।गंगा की लहरें शा

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ब्लाइंड (भाग -30)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -30</div><div>नील लेटे हुए छत को निहार रहे थे, आत्म -दहन की प्रक्रिया से गुजरते हुए। सब कुछ

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ब्लाइंड (भाग -31)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -31</div><div>नील का जीवन यूं ही बेलगाम चलने लगा था। कोई योजना नहीं ,कोई बंधन नहीं, स्वच्छं

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ब्लाइंड (भाग -32)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -32</div><div>समय बीतता जा रहा था पर नील की प्रतिक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं हुआ !जॉनसन

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