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ब्लाइंड (भाग- 4)

10 नवम्बर 2021

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घर आने के बाद वे पेंटिंग बनाने में जुट गए ।कई दिनों से वे कुछ नया सोच भी नहीं पा रहे थे, पर जॉन के बनाए चित्र ने उन्हें उद्वेलित कर दिया। वह बरामदे में खड़े कैनवास पर कुछ लाइनें खींच रहे थे कि सामने एक इंडियन चेहरा दिखाई पड़ा।
'हेलो मिस्टर नील।'.. वह व्यक्ति बोला।
'मैंने आपको पहचाना नहीं!' नील ने कहा।
'मैं दास बाबू, आपने मिस्टर रोनाल्ड से ट्यूटर के लिए कहा था।' उन्होंने अपना परिचय दिया।
'आप बैठिए।'
'जी धन्यवाद'.. मिस्टर दास बैठते हुए बोले।
नील उनसे बातों में व्यस्त हो गए।
'आपको पता है मिस्टर दास ,मुझे भारतीय काफी अच्छे लगते हैं। खासकर इस मशीनी युग में भी उनके इंसान के भावनाओं का ख्याल रखने का स्वभाव।'
'वह तो मैंने आप लोगों में भी महसूस किया है, और फिर आप भी तो मानवीय संबंधों की काफी कद्र करते हैं।' मिस्टर दास ने कहा।
'पहली ही बार में आपने मेरे विषय में इतना बड़ा अंदाजा कैसे लगा लिया?'
'पहली बार में नहीं मिस्टर नील, मैंने आपके चित्र देखे हैं। कोई भी बता सकता है आप मानवीय संवेदना के हर पहलू को चित्रित करने में महारत हासिल रखते हैं।... और निसंदेह ऐसा इंसान वास्तविक जीवन में भी मानवीय संवेदना, उनकी भावनाओं का कद्र करता होगा।'
"आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं मिस्टर दास!' नील ने हसते हुए कहा ।......अरे तो भूल ही गया! आप क्या लेंगे?'
मिस्टर दास ने चाय के लिए कहा.
'मेरा स्टूडेंट नहीं दिखाई पड़ा?' मिस्टर दास ने चाय को मुंह से लगाते हुए कहा।
'अरे हां, वह आता ही होगा।' नील ने कहा ।सामने से जॉन आता दिखाई पड़ा।
'जॉन...'आओ।नील  कुर्सी से खड़े होते हुए बोले।
कृतज्ञता अभी उसकी आंखों में झलक रही थी। मिस्टर दास दोनों को अचरज से देख रहे थे। दास बाबू को जॉन के कपड़ों से उसकी वास्तविकता का अंदाजा लग चुका था।
'यह रहा आपका स्टूडेंट मिस्टर दास।' वे अभी जिज्ञासु दृष्टि से नील को देखे जा रहे थे।
'यह पढ़ना चाहता है मिस्टर दास, पर.......
......बस मिस्टर नील आगे मैं समझ चुका हूं।' वैसे आप के विषय में मेरी राय एकदम सही थी।
'आप मुझे दोबारा शर्मिंदा कर रहे हैं!' नील ने झेंपते हुए कहा, मिस्टर दास हंस पड़े।
जॉन की पढ़ाई शुरू हो चुकी थी ।नील उसके लिए किताबें व अन्य चीजें पहले ही ले आए थे। थोड़ी देर बाद वे एक पेंटिंग बनाने में व्यस्त हो थे। समय काफी बीत चुका था। दास जाने की तैयारी कर रहे थे। थोड़ी देर के लिए वे नील के पास है और एकदम से चौंक उठे। उनका चौंकना स्वाभाविक था पहली बार नील ने अपनी रचनाओं में खुद के बनाए परंपराओं को तोड़ा था। रंगों के सामंजस्य और शालीनता की जगह एकदम चटक से रंग उनकी इस पेंटिंग में प्रस्फुटित हो रहे थे। सृष्टि के नियमों के विरुद्ध जवानी से बुढ़ापे के बजाय बुढापे से जवानी की तरफ भाग रहे थे वे ,जीवन के एक अलग से आनंद की तलाश में।
'मिस्टर नील अंततः आपने भी परंपराओं से खुद को विमुख कर ही लिया! क्या जीवन में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है?' दास बाबू पेंटिंग को निहारते हुए बोले।
'शायद हां मिस्टर दास। न जाने क्यों अब मेरी आकांक्षाए भी बलवती होने लगी है।... जीवन से कुछ पाने की आस ना चाहते हुए भी हृदय में उमड़ा जा रहा है ।...यूं लगता है जैसे इसके सहजता मौलिकता को छोड़ प्रकृति की रंगीनियों में मैं भी मगन हो जाऊ. नील के शब्दों में स्वाभाविक चंचलता व उल्लास था।
'ओ हो मिस्टर! 'मिस्टर नील क्या बात है ...इस उम्र में अचानक बच्चों सी चंचलता? ...इतना खिलंदड़ापन....   कहीं कुछ पा तो नहीं लिया आपने? मिस्टर दास मुस्कुराते हुए बोले।
'ऐसा ही समझिये। ... न जाने क्यों एक लंबी अभिशप्तता के बाद जीवन प्यारा सा लगने लगा है।... जीवन की सच्चाईयों को जानने के बाद भी ना जाने क्यों इससे अंजाना बनना चाहता है।'
दास बाबू कभी पेंटिंग तो कभी नील को निहार रहे थे।
'जानते हैं मिस्टर दास..... यूं तो जीवन समझ में आता है इसमें अकूत कुछ भी नहीं, पर जीने के लिए भुलावा तो चाहिए ही।... आप यह मत सोचिये कि मैं इसे सिर्फ भुलावे और झूठे आदर्शों तक ही समेट ना चाहता हूं।.. सोचता हूं इस झूठ भरे आवरण में रहना ही है जैसा कि आज प्रत्येक जगह है तो इनसे कब तक बचा जा सकता है.... हदों को तोड़ते हुए अगर मैं कुछ देर तक चलूं भी तो परिस्थितियां ....ये सामाजिकता... अपनी  अपनी तरफ खींचती है।.... हां अनसुना भी करता हूं उन्हें पर अंततः .....पूर्णतया हार तो नहीं कह सकते ....पर टूटने तो लगता ही हूं मैं!.... पर अब लगता है जैसे कुछ मिल गया है इस टूटन से बचने के लिए.... निःशब्द.. निस्पंद....अगणित- सा  ....हृदय के तारों को झंकृत करता .... झूठे आदर्शों से बचाता .....एक नए आदर्श के नव निर्माण हेतु।'
दास बाबू निरुत्तर हो गए थे।
'अच्छा मिस्टर नील मैं चलता हूं।'
कल हम फिर से मिलते हैं।
नील उन्हें छोड़ने बाहर तक आए। वापस लौट आए तो जॉन अपनी किताबें समेट रहा था. उन्हें देखते ही वह खड़ा हो गया।
"कैसा रहा पढ़ाई का पहला दिन ?"नील ने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा।
वह आल्हादित-सा, खामोश नील को देखे जा रहा था।
'क्या हुआ जॉन?" नील ने पूछा।
'कुछ नहीं सर, आप बहुत ही अच्छे हैं।' उसने अपना होठ नील के गालों पर रख दिया और खिलखिलाते हुआ दूर भाग गया।

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत बढिया 👌 👌 👌

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

अच्छा भाग

29 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
ब्लाइंड
5.0
प्रस्तुत उपन्यास" ब्लाइंड: आनंद की खोज एक पीरियड ड्रामा है जो वर्ल्ड वार के समय घटित हुआ था। जिसके विरोध में साहित्यकारों, चित्रकारों, संगीतकारों ने मिलकर एक आंदोलन शुरू किया था जिसे दादावाद नाम दिया गया था। इसका नायक एक बाइसेक्सुअल चरित्र है जिसे बचपन में ही यौन शोषण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा... परिणामतः वह सामान्य नहीं रह सका और जीवन पर यह दर्द उस हावी रहा। एक ही परिवेश और पृष्ठभूमि में पलने बढ़ने वाला मनुष्य चिंतन के धरातल पर अलग-अलग सोच का प्रतिनिधित्व क्यों करता है! प्रेम ..हिंसा ...लगाव और नफरत जैसी भावनाएं किस तरह उसके मन मस्तिष्क में पनपती और आकार लेती हैं ।कैसे वह इनको जीता और व्यक्त करता है। जीवन के लिए आनंद बेहद जरूरी है। लेकिन हर मनुष्य के भीतर आनंद की परिभाषा अलग-अलग है। इस उपन्यास का पात्र आनंद की खोज में ऐसे कई भावों की टकराहट से गुजरता है। जहां से प्रेम की जगह हिंसा और नफरत से रूबरू होना पड़ता है। लेकिन वह प्रेम और आनंद की राह नहीं छोड़ता। उपन्यास का पात्र हर रिश्तो को जीना चाहता है ,यह जानते हुए भी कि इस रिश्ते की परिणति उसकी सोच के अनुरूप नहीं होगी। लेकिन इससे भी उसे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है ।उपन्यास पाठकों को कथावस्तु के सहारे चिंतन के ऐसे मोड़ तक ले जाता है जहां उसे औरों के लिए खुद को समर्पित कर देने में आनंद की अनुभूति होती है। उपन्यास रोचक एवं पटनीय है।
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ब्लाइंड( भाग- 1)

7 नवम्बर 2021
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<div> <span style="font-size: 1em;">..... मैंने बचपन से ही </span><u style=

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ब्लाइंड (भाग- 2)

8 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>'ये क्या!... आप इस तरह बेतरतीब... घबराए हुए से? कहीं कुछ हुआ तो नहीं?' उसने जानन

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ब्लाइंड( भाग- 3)

9 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>यह जॉन के साथ नया नहीं था। पिता उसके थे नहीं, मा न जाने कहां चली गई थी। उसे पालन

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ब्लाइंड (भाग- 4)

10 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>घर आने के बाद वे पेंटिंग बनाने में जुट गए ।कई दिनों से वे कुछ नया सोच भी नहीं पा

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ब्लाइंड (भाग- 5)

11 नवम्बर 2021
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<div>जॉन... जॉन ....वापस आओ।' नील चिल्लाए।</div><div>जॉन चुपचाप खड़ा रहा।... निश्चल ...निस्पंद- सा!

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ब्लाइंड( भाग- 6)

13 नवम्बर 2021
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<div>नील की उपलब्धियों में आज और भी विस्तार होने वाला था। आज के तमाम प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में उन

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ब्लाइंड (भाग- 7)

13 नवम्बर 2021
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<div>साक्षात्कार के बाद नील जॉन के पास पहुंचे ।खुशी अभी भी उनके चेहरे से टपक रही थी ।थोड़ी ही देर बा

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ब्लाइंड (भाग-8)

5 दिसम्बर 2021
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<div>नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त थे या यूं कह सकते हैं कि वह खुद को व्यस्त रखना पसंद करते थे ।उनके

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ब्लाइंड (भाग -9)

5 दिसम्बर 2021
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<div>थोड़ी ही देर बाद दोनों दुबारा जीसस की प्रतिमा के सामने खड़े थे। नील ने मन ही मन जीसस को धन्यवाद

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ब्लाइंड (भाग- 10)

5 दिसम्बर 2021
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<div>आज जॉन को नील से मिले कई दिन बीत चुके थे। नील काफी बेचैन थे ।उन्होंने पता किया वह ,बीमार था। नी

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ब्लाइंड( भाग- 11)

6 दिसम्बर 2021
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<div>घर आने के कुछ पल बाद नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त हो गए। यूं भी खुद के गमों और खुशियों को पेंटि

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ब्लाइंड (भाग- 12)

6 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">नील आए यूं ही खाली से बैठे ना जाने क्यों उदास से दिख रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह चाहक

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ब्लाइंड (भाग -13)

7 दिसम्बर 2021
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<div>अचानक सामने से आती गाड़ी ने नील की तंद्रा तोड़ी। उन्होंने किसी तरह ब्रेक लगाया।</div><div>" क्य

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ब्लाइंड (भाग- 14)

7 दिसम्बर 2021
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<div>आज मौसम सुबह से ही बारिश हो मे नहाया था। नील चाह कर भी स्टूडियो नहीं जा सके। अपने लिए कॉफी बनाई

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ब्लाइंड (भाग -15)

8 दिसम्बर 2021
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<div>नील का आज भारत में प्रथम दिवस था, प्रथम सुबह। उन्हें यहां के वातावरण में एक अजीब सी ताजगी

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ब्लाइंड (भाग -16)

8 दिसम्बर 2021
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<div>नील वापस अपने देश लौट रहे थेअपने साथ भारत की अविस्मरणीय यादें समेट। चेहरे पर जॉन से मिलने की खु

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ब्लाइंड (भाग- 17)

10 दिसम्बर 2021
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<div>अचानक एलिस को अपनी यहां देख नील आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने कारण पूछा।</div><div>" कु

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ब्लाइंड (भाग -18)

10 दिसम्बर 2021
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<div>एलिस के रूखे व्यवहार से जॉन झुंझला उठा था। इन सब का कारण वह नील को समझ बैठा। सही मायने में वह न

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ब्लाइंड( भाग- 19)

10 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">"अंततः मेरी दूरियां बनाने के हर निश्चय के बाद भी वह मेरे सामने खड़ा था। हां मैं उसे भूल

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ब्लाइंड( भाग-20)

10 दिसम्बर 2021
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<div>नील शहर से दूर ,इन दिनों पेंटिंग के एक कार्यशाला में आए हुए थे जहां विश्व के तमाम प्रतिष्ठित चि

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ब्लाइंड( भाग- 21)

10 दिसम्बर 2021
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<div>नील के लिए सब कुछ अप्रत्याशित था जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी ना की थी। वह सोच भी नहीं सकते थे

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ब्लाइंड (भाग- 22)

11 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-22</div><div>शाम का समय था। नील कैनवास पर कुछ रेखाएं खींचते और मिटाते जाते। ऐसा लग रहा था ज

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ब्लाइंड (भाग- 23)

11 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-23</div><div>नील के सपनों की यह टूटन प्रथम नहीं थी। मातृ- विहीन नील का अतीत और भी भयानक हाल

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ब्लाइंड (भाग -24)

11 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div>"अब हम यहां नहीं रहेंगे, इस लड़की ने तो जैसे हमारा जीना मुश्किल कर दिया है

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ब्लाइंड (भाग -25)

11 दिसम्बर 2021
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<div><b>भाग-25</b></div><div><b>नील का जीवन अब बदलाव की ओर अग्रसर था ,पर इस बदलाव में सिर्फ खुशियां

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ब्लाइंड( भाग- 26)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-26</div><div>जेनी एक बार फिर जा चुकी थी, नील को अकेला छोड़कर। नील एक बार फिर वही पहुंच गए ज

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ब्लाइंड( भाग- 27)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-27</div><div>शाम का समय था ।नील उदास से अपने घर पर बैठे थे। आंखें कुछ देखना चाहती थी, पर वह

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ब्लाइंड( भाग- 28)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-28</div><div>यह वह समय था जब गांधी जी के चरखे ने जोर पकड़ रखा था। याना भी इससे अछूती नहीं थ

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ब्लाइंड (भाग -29)

13 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">भाग-29<br> सुबह का समय था ।नील याना के साथ घाट की सीढ़ियों पर बैठे थे ।गंगा की लहरें शा

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ब्लाइंड (भाग -30)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -30</div><div>नील लेटे हुए छत को निहार रहे थे, आत्म -दहन की प्रक्रिया से गुजरते हुए। सब कुछ

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ब्लाइंड (भाग -31)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -31</div><div>नील का जीवन यूं ही बेलगाम चलने लगा था। कोई योजना नहीं ,कोई बंधन नहीं, स्वच्छं

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ब्लाइंड (भाग -32)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -32</div><div>समय बीतता जा रहा था पर नील की प्रतिक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं हुआ !जॉनसन

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