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ब्लाइंड (भाग -18)

10 दिसम्बर 2021

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एलिस के रूखे व्यवहार से जॉन झुंझला उठा था। इन सब का कारण वह नील को समझ बैठा। सही मायने में वह नील के दिखाए उद्देश्यों से भटकने लगा या फिर नील को दिखाना चाहता था। पढ़ाई से इसका नाता टूटने लगा। एक प्रसिद्ध चित्रकार के साथ नाम जुड़ा होने के कारण उसे दोस्तों की कमी न थी खासकर लड़कियों की जो सुदर्शन जॉन के हर नाज नखरे उठाने को तैयार रहती। जॉन इन मौकों का बखूबी फायदा उठाता, परिणाम स्वरुप वह सचमुच अपने उद्देश्यों से भटकता गया। शराब पीना ,फ्लर्ट करना ,उसके शौक बनते जा रहे थे।
कई दिनों बाद आज नील  घर से बाहर निकले थे। कुछ सामाजिक कार्य, कुछ अपना तनाव, इन व्यस्तताओं से वक्त निकाल वह अपने लिए कुछ पल सुकून के ढूंढने निकले। सामने एक रेस्तरां था ।उन्होंने गाड़ी पार्क की और कॉफी के लिए कहा। अचानक कुछ लड़के लड़कियों का हुजूम उनके सामने आ खड़ा हुआ ।सब उनके ऑटोग्राफ जिद कर रहे थे। नील ने सबकी इच्छा पूर्ति की।
" अरे जॉन ...तुम उधर क्यों खड़े हो?" उनमें से एक चिल्लाया।
आवाज सुनकर  नील पलटे, देखा जॉन रेस्त्रां के बाहर खड़ा था।
" जॉन !"उस लड़के ने दोबारा आवाज दी। वह बाहर ही खड़ा रहा।
नील स्वयं बाहर आए,सबको आश्चर्य हो रहा था जॉन के इस व्यवहार से ।
"जॉन!" उसका दोस्त हैरी चिल्लाया।
नील तब तक बाहर आ चुके थे।
" कैसे हो जान?" उन्होंने पूछा ।
"ठीक हूं !"वह गुस्से से भुनभुनाया ।उसके बोलने से शराब की महक  पूरे वातावरण में फैल गई ।
"तुमने शराब पी जॉन?" नील के चेहरे पर तनाव की रेखाएं खिंच आई।
"हां पी !..तो ?"वह ढिठाई से  बोला ।
"जॉन तुम होश में तो हो ?"हैरी चिल्लाया ।"तुम्हें पता है, तुम किससे बात कर रहे हो ?"
"नहीं  हैरी, इसे  बोलने दो जो यह बोलना चाहता है ।किसलिए मुझसे नाराज हो जॉन ?पता है मैं तुम्हें लेकर कितना परेशान था ?"
"मैं तो नहीं कहता आपको परेशान होने के लिए?"वह सीधे बहस पर उतर आया।" क्यों मेरे पीछे पड़े हैं?  क्या बिगाड़ा है मैंने आपका ?क्यों मेरा जीवन बर्बाद करना चाहते हैं ?"उसकी यह शब्द नील को हथौड़े की तरह लग रहे थे।
" मैं तुम्हारा जीवन बर्बाद करना चाहता हूं जॉन ?" ये तुम कह रहे हो ? नील के स्वरों में दुख झलक  रहा था।" मैं तो तुम्हें......
......नहीं चाहिए मुझे कुछ आपसे, मुझे बस मेरे हाल पर छोड़ दीजिए ।"जॉन ने नील शब्दों को काटते हुए कहा।" मुझे नहीं चाहिए आपका अहसान।"
नील ने देखा अच्छा- खासा भीड़ इकट्ठा हो चुका था। उन्होंने खुद को संयमित किया और गाड़ी की ओर बढ़े।
"सर ,हैरी चिल्लाया ।"मैं जान की तरफ से माफी मांगता हूं। वह इस समय होश में नहीं।
" नहीं हैरी, मुझे जाना चाहिए।" तुमने देखा ना उसका व्यवहार ?क्या उसे मेरे साथ ऐसा करना चाहिए था! क्यों वह लोगों के सामने मेरा मजाक बना रहा है?"
जॉन अस्थिर  सा नील की बातें सुन रहा था ।
"न जाने लोग क्या सोच रहे होंगे यह सब देख कर !क्या यह सब अच्छा लग रहा है? ऐसा क्यों कर रहे हो जॉन?" नील एक बार फिर उसकी तरफ मुड़े। "क्या तुम यही चाहते हो मैं तुम्हारे पीछे तुम्हें मनाता फिरूँ ? दौड़ता रहूं तुम्हारे लिए ?"
"मैंने तो ऐसा नहीं कहा?" वह बेरुखी से तेज आवाज में बोला।
आसपास जितने भी लोग थे एक बार फिर से उनका ध्यान जॉन और नील की तरफ हो गया ।सब आश्चर्य से उन्हें ही घूर रहे थे।
" तुम हमारा तमाशा बनाने पर क्यों लगे हो जॉन?" नील को ऐसा लग रहा था जैसे वह शर्म से गड़े जा रहे हो। उन्होंने अब वहां एक पल भी रुकना उचित न समझा। सब कुछ तो खत्म होता जा रहा था उनके बीच। पर वे खुद से विवश थे... हां विवश थे वे खुद से! कैसे छोड़ पाते वे उसे? नील वहां से लौटने लगे, हैरी उनके पास आया ।
" हां सर, न जाने क्या हो गया है उसे !मैं उसे समझाउंगा।" उसने नील को आश्वासन दिया ।
"नहीं हैरी, तुम कुछ भी नहीं कहोगे उससे। अगर वह खुद नहीं समझता तो दूसरे कब तक समझाएंगे !पर आश्चर्य हो रहा है मुझे उस पर !उस ने छल किया है मेरे साथ ।कितना विश्वास था मेरा उस पर ।पर वह.....?"
" मैं जानता हूं सर ,वह तो खुद  ही आप की तारीफ किया करता था ।पर आज उसने जो आपके साथ किया है.... मैं भी उसको माफ नहीं कर सकता। आपको उसका साथ ही छोड़ देना चाहिए ।"
"पर कैसे हैरी ?.....कैसे छोड़ दूं उसे? यही तो नहीं होता मुझसे !मैंने न जाने कितनी बार कोशिश की उसकी इन हरकतों के कारण ...नहीं भूल पाता मैं उसे! पर अब सोचता हूं उसे भूल जाने में ही भलाई है ।उसके कारण काफी मानसिक यंत्रणा झेल ली मैंने पर अब अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगाना चाहता। उसे लेकर क्या -क्या नहीं सोचा था मैंने!" नील ने एक उच्छवास ली । उसने मेरे सारे सपने धूमिल कर दिये। ऐसा लगता है हैरी जैसे मैं एक बार फिर से लुट गया हूं।"नील गाड़ी स्टार्ट कर चुके थे, उन्होंने दूर खड़े जॉन को  देखा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।
"हां मैं क्यों परवाह करूं उसकी? बार-बार उसका रूठना, मेरा मनाना! मैंने तो खुद की खुशियों के लिए वरण किया था उसका ,उसकी अच्छाइयों के लिए चुना था उसे ,नहीं चाहता था कि इस भीड़ में वह अपना जीवन टटोल रहे, सही मायने में उसे एक जीवन देना चाहता था जहां वह सामाजिकता समझे, इंसानियत समझे ।मैं उसके लिए जिऊं, तो वह मेरी जरूरते पहचाने। अपना हर रिश्ता ढूंढना चाहता था उसमें ,पर वह नहीं समझ पाया मुझे।" ऐसा लग रहा था नील गाड़ी के शीशे मैं खुद के प्रतिरूप से बहस करना चाहते हो। अपने अंदर उठे ज्वार को बहा देना चाहते हो ।"हां जान नहीं आऊंगा तुम्हारे पास, कभी नहीं!"
" तुमने अच्छा नहीं किया जॉन !"यह हैरी की आवाज थी। उसके अन्य दोस्त भी उसके पास आ गये।
" तुम ऐसे भी हो सकते हो सहसा हमें विश्वास नहीं होता!" उनमें से एक बोला।" आज से हमारा तुम्हारा भी कोई वास्ता नहीं !
"हां सच कहा तुमने!" सबने उसका समर्थन किया।
हैरु पहले ही जा चुका था ,बाकियों ने भी उसे अकेला छोड़ दिया।
" हां जाओ, जाओ सब! मुझे किसी की जरूरत नहीं, नहीं चाहिए मुझे किसी का साथ!... सर का भी नहीं!" जॉन चिल्लाते हुए बोला । सब अपनी रटते हैं ..अपनी कहतेहैं.. मुझे कोई नहीं समझना चाहता। उत्तेजना में न जाने वह क्या- क्या बड़बड़ा रहा।" नहीं चाहिए कोई भी मुझे! नहीं चाहिए!"
नील सोफे पर बैठे जॉन के विषय में ही सोच रहे थे। उनके चेहरे की छटपटाहट सब बता रही थी कि जो कुछ हो रहा है वह अच्छा नहीं।
" क्या मैं सच में छोड़ दूं उसे ! एक अनजाने आशंका से गिर गए वो।"कहीं वह .....?पर वह मेरी सुनता ही कहां है। नहीं.. नहीं उसे मनाना ही होगा। मैं नहीं रह सकता उसके बिना! ऐसा लगता है जैसे मैं चिल्ला पड़ेंगे ।
जॉन रुआँसा -सा आंखें मीचे लेटा पड़ा था ।चिंता की लकीरे उदासियों के साथ मिलकर उसका रूप परिवर्तित कर रही थी।
" सर आपने मुझसे वादा किया था हमेशा सींचते रहेंगे मुझे। संभालेंगे आप मुझे। मानता हूं मैं थोड़ा जिद्दी हो गया हूं पर आप इतना सा भी बर्दाश्त न कर सके! छोड़ दिया ना अकेला? उसका चेहरा आंसुओ में डूबता जा रहा था ।उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था ,क्यों किया उसने ऐसा !कितना प्यार करते हैं" वे" उसे .....और उसने ?उसे लग रहा था आत्मग्लानि से वह मर जाएगा ।"सर मुझे माफ कर दीजिए! भूल रहा था मैं कुछ ...कुछ क्या ,पूरा जीवन आदर्श ही मुझसे अछूता होता जा रहा था ।जीवन के जो खास मकसद हैं जैसे सब   मुझसे विमुख होते जा रहे हैं ।अपना लीजिए मुझे.... मुझे आपकी जरूरत है ।मैं भटक जाऊंगा सर। आपके बिना जीवन अव्यक्त...अनछुई सी हो गई है। धूमिल आदर्शों की परत में मैं ढक सा गया था ।मैं अपने आप को... अपने गरिमा को भूलता जा रहा था। हां सर मुझे भूल सुधारने का एक मौका दीजिए ।मैं फिर से वही जॉन बन कर दिखा दूंगा।"
अचानक दरवाजे पर किसी की आहट सुनाई पड़ी, वह चौका। उसे लगा नील उससे मिलने आए हैं । चेहरे पर एक खुशनुमा चमक सी तैर गई ।वह दौड़ कर दरवाजे पर आया।
" मैं जानता था सर मेरे पास जरूर आएंगे!" उसमें झटके से दरवाजा खोला सामने एलिस खड़ी थी ।
"ओह एलिस तुम ? अंदर आओ।" उसने खुद को सामान्य किया।
" कैसी हो एलिस?"
" मैं तो ठीक हूं ,तुम अच्छे नहीं दिख रहे !"
"नहीं तो ,ऐसा कुछ भी नहीं । जान ने अपने भावों को छुपाने की असफल कोशिश की।
" तुम बहुत बुरे हो जॉन !बहुत बुरे !मैं कई दिनों से तुमसे मिलना चाहती थी पर दिल इजाजत नहीं देता। लेकिन जब नील सर के बारे में सोचती तो ?खैर तुमसे कुछ कहना ही बेकार है!" एलिस ने गुस्से से कहा।
" क्या हुआ उनको ?"जॉन ने पूछा।
मैं कुछ दिन पहले उनसे मिली पर तुम्हारे बिना जो हालत देखी उनकी !सच कहूं तो तरस आ रहा था उन पर और तुम्हारी बदनसीबी पर भी।  कोई किसी को इतना प्रेम कैसे दे सकता है! मुझे विश्वास नहीं होता। काश मैं तुम्हारी जगह होती सच खुद को समर्पित कर देती उनकी खुशियों के लिए। मैंने उनके मन में तुम्हारे लिए ढेर सारी भावनाएं देखी। उनके शब्दों में ,उनके विचारों में, हर जगह तुम थे ।और तुम उनसे दूरियां बना रहे हो? क्यों ना रखें वे तुम पर अपना नियंत्रण  जबकि वह तुम पर अपना सबकुछ समर्पित कर चुके हो ।तड़प रहे थे वे जॉन तुम्हारे बिना ।क्यों अपनी किस्मत को स्वयं अपने हाथों से दूर कर रहे हो? तुम्हें एलिस कि नहीं नील की जरूरत है और उन्हें तुम्हारी। संभाल लो उन्हें वरना संसार एक अच्छा चित्रकार  खो देगा । और इसके लिए कोई भी तुम्हें माफ नहीं करेगा। मैं भी नहीं । 
जॉन आवाक सा उसकी बातें सुन रहा था ।
" मैं जाऊंगा एलिस, मैं जाऊंगा।" उसने अपने आंसू  पोछते हुए कहा।
" तुम्हें क्या लगता है एलिस, मैं उनसे दूर रहकर खुश हूं?" क्इ मेरे विचारों में शांति है ?मुझे भी सर चाहिए  एलिस,किसी भी कीमत पर ।पर मैं क्या करूं ?न जाने क्या हो जाता है मुझे! और तुमने भी तो ....वह रुक गया।
" तुमने गलत सोचा जॉन ...तुम आज भी मेरे उतने ही पास जितने कि पहले ।लेकिन तुम पर पहला हक नील सर का है। उन्होंने तुम्हें संवारा है जॉन ।मैं मानती हूं सबकी अपनी जरूरतें हैं , सब स्वतंत्र रहना चाहते हैं। मैं भी रहना चाहती हूं, लेकिन यह जीवन नहीं है जॉन। और मैं ऐसे जीवन को जीना भी नहीं चाहूंगी जहां दूसरों की भावनाओं के लिए जगह ना हो ।इतना स्वार्थी तो हम हो ही नहीं सकते और फिर नील सर! उनका तो पूरा जीवन ही दूसरों को समर्पित रहा और तुम इस तथ्य को मुझसे भी अच्छी तरह से जानते हो ।"
"हां एलिस, मै उनके साथ रहकर भी उनके गुणों को समाहित ना कर सका और तुम उनसे दूर रहकर भी उनको जान गई। मैं पूरे समाज को खुशियां देने की बात तो करता रहा पर खुद को छाँव देने वाले को भूल बैठा! मैं जाऊंगा उनके पास। मैं जानता हूं मुझे देखते ही वह फिर से खिल उठेंगे। भूल जाएंगे मेरी गलतियों को।"

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रचनाएँ
ब्लाइंड
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प्रस्तुत उपन्यास" ब्लाइंड: आनंद की खोज एक पीरियड ड्रामा है जो वर्ल्ड वार के समय घटित हुआ था। जिसके विरोध में साहित्यकारों, चित्रकारों, संगीतकारों ने मिलकर एक आंदोलन शुरू किया था जिसे दादावाद नाम दिया गया था। इसका नायक एक बाइसेक्सुअल चरित्र है जिसे बचपन में ही यौन शोषण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा... परिणामतः वह सामान्य नहीं रह सका और जीवन पर यह दर्द उस हावी रहा। एक ही परिवेश और पृष्ठभूमि में पलने बढ़ने वाला मनुष्य चिंतन के धरातल पर अलग-अलग सोच का प्रतिनिधित्व क्यों करता है! प्रेम ..हिंसा ...लगाव और नफरत जैसी भावनाएं किस तरह उसके मन मस्तिष्क में पनपती और आकार लेती हैं ।कैसे वह इनको जीता और व्यक्त करता है। जीवन के लिए आनंद बेहद जरूरी है। लेकिन हर मनुष्य के भीतर आनंद की परिभाषा अलग-अलग है। इस उपन्यास का पात्र आनंद की खोज में ऐसे कई भावों की टकराहट से गुजरता है। जहां से प्रेम की जगह हिंसा और नफरत से रूबरू होना पड़ता है। लेकिन वह प्रेम और आनंद की राह नहीं छोड़ता। उपन्यास का पात्र हर रिश्तो को जीना चाहता है ,यह जानते हुए भी कि इस रिश्ते की परिणति उसकी सोच के अनुरूप नहीं होगी। लेकिन इससे भी उसे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है ।उपन्यास पाठकों को कथावस्तु के सहारे चिंतन के ऐसे मोड़ तक ले जाता है जहां उसे औरों के लिए खुद को समर्पित कर देने में आनंद की अनुभूति होती है। उपन्यास रोचक एवं पटनीय है।
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ब्लाइंड( भाग- 1)

7 नवम्बर 2021
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<div> <span style="font-size: 1em;">..... मैंने बचपन से ही </span><u style=

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ब्लाइंड (भाग- 2)

8 नवम्बर 2021
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ब्लाइंड( भाग- 3)

9 नवम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 4)

10 नवम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग- 5)

11 नवम्बर 2021
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<div>जॉन... जॉन ....वापस आओ।' नील चिल्लाए।</div><div>जॉन चुपचाप खड़ा रहा।... निश्चल ...निस्पंद- सा!

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ब्लाइंड( भाग- 6)

13 नवम्बर 2021
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<div>नील की उपलब्धियों में आज और भी विस्तार होने वाला था। आज के तमाम प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में उन

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ब्लाइंड (भाग- 7)

13 नवम्बर 2021
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<div>साक्षात्कार के बाद नील जॉन के पास पहुंचे ।खुशी अभी भी उनके चेहरे से टपक रही थी ।थोड़ी ही देर बा

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ब्लाइंड (भाग-8)

5 दिसम्बर 2021
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<div>नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त थे या यूं कह सकते हैं कि वह खुद को व्यस्त रखना पसंद करते थे ।उनके

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ब्लाइंड (भाग -9)

5 दिसम्बर 2021
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<div>थोड़ी ही देर बाद दोनों दुबारा जीसस की प्रतिमा के सामने खड़े थे। नील ने मन ही मन जीसस को धन्यवाद

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ब्लाइंड (भाग- 10)

5 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड( भाग- 11)

6 दिसम्बर 2021
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<div>घर आने के कुछ पल बाद नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त हो गए। यूं भी खुद के गमों और खुशियों को पेंटि

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ब्लाइंड (भाग- 12)

6 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">नील आए यूं ही खाली से बैठे ना जाने क्यों उदास से दिख रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह चाहक

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ब्लाइंड (भाग -13)

7 दिसम्बर 2021
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<div>अचानक सामने से आती गाड़ी ने नील की तंद्रा तोड़ी। उन्होंने किसी तरह ब्रेक लगाया।</div><div>" क्य

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7 दिसम्बर 2021
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<div>आज मौसम सुबह से ही बारिश हो मे नहाया था। नील चाह कर भी स्टूडियो नहीं जा सके। अपने लिए कॉफी बनाई

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ब्लाइंड (भाग -15)

8 दिसम्बर 2021
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8 दिसम्बर 2021
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<div>नील वापस अपने देश लौट रहे थेअपने साथ भारत की अविस्मरणीय यादें समेट। चेहरे पर जॉन से मिलने की खु

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ब्लाइंड (भाग- 17)

10 दिसम्बर 2021
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ब्लाइंड (भाग -18)

10 दिसम्बर 2021
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<div>एलिस के रूखे व्यवहार से जॉन झुंझला उठा था। इन सब का कारण वह नील को समझ बैठा। सही मायने में वह न

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ब्लाइंड( भाग- 19)

10 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">"अंततः मेरी दूरियां बनाने के हर निश्चय के बाद भी वह मेरे सामने खड़ा था। हां मैं उसे भूल

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ब्लाइंड( भाग-20)

10 दिसम्बर 2021
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<div>नील शहर से दूर ,इन दिनों पेंटिंग के एक कार्यशाला में आए हुए थे जहां विश्व के तमाम प्रतिष्ठित चि

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ब्लाइंड( भाग- 21)

10 दिसम्बर 2021
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<div>नील के लिए सब कुछ अप्रत्याशित था जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी ना की थी। वह सोच भी नहीं सकते थे

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ब्लाइंड (भाग- 22)

11 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-22</div><div>शाम का समय था। नील कैनवास पर कुछ रेखाएं खींचते और मिटाते जाते। ऐसा लग रहा था ज

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11 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-23</div><div>नील के सपनों की यह टूटन प्रथम नहीं थी। मातृ- विहीन नील का अतीत और भी भयानक हाल

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ब्लाइंड (भाग -24)

11 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div>"अब हम यहां नहीं रहेंगे, इस लड़की ने तो जैसे हमारा जीना मुश्किल कर दिया है

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ब्लाइंड (भाग -25)

11 दिसम्बर 2021
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<div><b>भाग-25</b></div><div><b>नील का जीवन अब बदलाव की ओर अग्रसर था ,पर इस बदलाव में सिर्फ खुशियां

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ब्लाइंड( भाग- 26)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-26</div><div>जेनी एक बार फिर जा चुकी थी, नील को अकेला छोड़कर। नील एक बार फिर वही पहुंच गए ज

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ब्लाइंड( भाग- 27)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-27</div><div>शाम का समय था ।नील उदास से अपने घर पर बैठे थे। आंखें कुछ देखना चाहती थी, पर वह

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ब्लाइंड( भाग- 28)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-28</div><div>यह वह समय था जब गांधी जी के चरखे ने जोर पकड़ रखा था। याना भी इससे अछूती नहीं थ

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ब्लाइंड (भाग -29)

13 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">भाग-29<br> सुबह का समय था ।नील याना के साथ घाट की सीढ़ियों पर बैठे थे ।गंगा की लहरें शा

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ब्लाइंड (भाग -30)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -30</div><div>नील लेटे हुए छत को निहार रहे थे, आत्म -दहन की प्रक्रिया से गुजरते हुए। सब कुछ

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ब्लाइंड (भाग -31)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -31</div><div>नील का जीवन यूं ही बेलगाम चलने लगा था। कोई योजना नहीं ,कोई बंधन नहीं, स्वच्छं

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ब्लाइंड (भाग -32)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -32</div><div>समय बीतता जा रहा था पर नील की प्रतिक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं हुआ !जॉनसन

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