घर आने के कुछ पल बाद नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त हो गए। यूं भी खुद के गमों और खुशियों को पेंटिंग के पात्रों के साथ बांटना उनका प्रिय शगल था ।और इस बीच जैसे वह घड़ी की सुईयों को भी भूल जाते हैं। इस समय उनके कैनवास पर हल्की सी मासूमियत उभर रही थी, रंगों का तारतम्य एक नई इच्छाओं को उत्पन्न कर रहा था ।कैनवास की रेखाओं में जॉन का चेहरा झांक रहा था ।हाथ में पाइप लिए जॉन का चेहरा भावमग्न था। उसके माथे पर उन्होंने गुलाबों की माला बनाई थी जो उस एक दैवीय ता प्रदान कर रहा था। लाल पार्श्व भाग में दो गुलदस्ते अंकित किए जो उसकी सरलता और ताजगी को इंगित कर रहे थे। उनके चेहरे के भाव इस पेंटिंग को बनाते हुए प्रतिक्षण बदलते जा रहे थे। विचारों में जैसे खुशियों का तांता लगा था । अधरों पर रह रहकर जैसे खुशियां नाच उठती।
' सच ही तो ह!,यूं भी हसरतों का क्या है ,एक शांत नहीं हुई कि दूसरा सर उठाने लगती है। माना इंसान इन्हें संयमित कर सकता है पर हर कोई योगी तो नहीं होता। यूं भी किसी से प्रेम और लगाव के मामले में योग निरर्थक हो जाता है । यहां यह शब्द ही निरर्थक हो जाता है ।'नील के चेहरे पर मुस्कान फैली थी।
नील ने सोचा-' मैं नहीं जानता मैं क्या सोच रहा हूं ,पर शब्दों में बाँधू तो एक अद्भुत अहसास था! एक आश्चर्यजनक खुशी जिससे मैं अभिभूत था। जहां स्वयं के बनाए दायरे को तोड़ एक अनोखे उन्माद में खो जाना जाता था। शायद मैं लालची होता जा रहा था! मैं जिस जॉन के बचपन को खुद में समेटना चाहता था, जिसके खिलंदड़े पन को अपनाना चाहता था, उसका सर्वस्व पाने के लिए सोचने लगा । मेरे इस इच्छा की जागृति जॉन के यहां से लौटते वक्त हुआ ।कितना खुश था वह, बिल्कुल स्वतंत्रता पक्षी सा चहकता हुआ तिस पर उसका शरारती अंदाज!... पहले तो उसने अपनी मोहिनी मुस्कान बिखेरी फिर हौले से मुझे पुकारा।
' हां जॉन।' नील ने कहा।
'कुछ नहीं, बस ऐसे ही ।'वह बोला।' मैं आपको बहुत ही याद करता हूं सर ।आज ही देखिए ना! जैसे ही आप के विषय में सोचना आरंभ किया आप चले आए।' वह कुछ सोचता हुआ प्रतीत हो रहा था ।उसके चेहरे की खुशी बढ़ती जा रही थी। नील लौटने को हुए ।
'सर.... सर .....'अचानक वह चिल्लाया ।नील उसके पास गए।
' मैं आपको कुछ देना चाहता था !'उसने मुस्कुराते हुए कहा। नील ने बच्चों सदृश अपन हाथ जॉन की तरफ बढ़ा दिया।
'सर ऐसे नहीं, आप आंखें तो बंद कीजिए।' उसके शब्दों में ब्यग्रता थी, जोश था !
नील ने आंखें बंद कर ली । सहसा उनके गालों पर सुखद अहसास-सा छाता चला गया और मन में एक अनूठी शांति। पूरे वजूद में रोमांच हो आया और कानों में उसके शब्द गूंज उठे। नील ने आंख खोली तो वह इठलाता हुआ दूर जा चुका था ।उन्होंने आंखें बंद कर ली, जैसे इस अनोखे एहसास को खुद में आत्मसात कर लेना चाहते हो ।
'ओह जॉन !सच में तुम बहुत ही प्यारे हो!' उसके प्यार भरे चुम्बन ने न जाने कैसा अभिभूत कर डाला था उन्हें ।
'मुझ रेगिस्तान प्यासे को जैसे शीतल जल का कुंड मिल गया हो तुम्हारे रूप में। सर्वथा प्रेम से विलग रहने वाले व्यक्तित्व को तुमने कैसा प्यार भरा उपहार दे दिया! नील स्तब्ध से खड़े अंदर जाते जॉन का चेहरा निहार रहे थे।
सहसा नील चौंक उठे! 'उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि सामने सचमुच जॉन खड़ा है। उन्होंने पेंटिंग बनानी बंद कर दी और उसकी तरफ मुड़ गए।
' जॉन तुम? मैं तुम्हारे ही विषय में मैं सोच रहा था। कह नहीं सकता तुम मेरे लिए क्या हो ?हां जॉन ,आज तुमने मुझे वह एहसास दिलाया इसके लिए मैं आज तक भटका हूं ।एक निश्चल प्रेम, भावनात्मक सुरक्षा जिसके लिए मैं अपना सब कुछ भेंट कर सकता हूं। तुम सुन रहे हो ना जान?
वह निरुद्वेग नील को निहारे जा रहा था। .... मुझे छोड़ना नहीं जॉन..... मुझे भूलना मत। इस प्यार भरे अपनत्व को मैं फिर से एक बार नहीं खोना चाहता ।नील के शब्द अवरुद्ध होते जा रहे थे।जॉन ने देखा, एक विश्व प्रसिद्ध चित्रकार थोड़े से प्रेम के आगे कितना बेबस है। उसने नील का हांथ थाम लिया।
' मैं एक बार फिर से नहीं टूटना चाहता जॉन! नील उसकी तरफ देखते हुए बोले।वह बिना किसी प्रतिक्रिया के नील के चेहरे को देख रहा था ।
'मैं जानता हूं, तुम यही सोच रहे होगे मैं यह सब क्या बकता जा रहा हूं। नील ने संयत होते हुए कहा।'पर इतना समझदार तो मैं तुम्हें मान ही सकता हूं, है न जॉन ?'
' पर सर.....! उसने कहना चाहा।
' हां जॉन,न जाने क्यों तुम पर विश्वास करने को जी चाहता है ।और यह विश्वास तुम पर नहीं, मेरे खुद के विश्वास पर कर रहा हूं। और मेरा विश्वास तुम हो जॉन !.…मेरी अगाध श्रद्धा!
तुम सुन रहे हो ना ?
वह जैसे सोते से जागा।
'पता है जॉन न जाने मेरी दुनिया क्यों तुम में सिमटती जा रही है।... मेरा हर रिश्ता.... मेरी हर खुशी तुमसे जुड़ती जा रही है। कहने को तो बहुत कुछ है जॉन .......नील के शब्द डूबते जा रहे थे। उनकी आंखें शून्य में खोती जा रही थी। नील चिहुँक उठे। जॉन ने अपना हाथ उनके कंधे पर रखा। उनकी आंखों से अश्रु की दो बूंद नील के हाथों पर गिरे ......न टूटने दूंगा आपको, नहीं टूटेगा आपका विश्वास ,कभी नही।सहसा वह नील चिपट गया!नील ने भी उसे भींचना चाहा पर हाथ कुछ सोचकर विलग ही रह गए ।इन सुखद एहसासों को आज तक नील अपने भाग्य से छीनते आए थे, लेकिन आज वे एहसास खुद उनमे प्रविष्ट हो रहे थे ।इन अविरल एहसासों को आत्मसात होने में उसे स्पर्श विघ्न नहीं डालना चाहते थे। कुछ देर तक दोनों यूं ही पड़े रहे ।जब तक दोनों अलग हुए उनके चेहरों पर एक अद्भुत शांति थी तथा आंखों में एक निश्चिंतता। जॉन ने अपना हाथ नील के हाथों पर रख दिया। जैसे उन्हें विश्वास दिलाना चाहता हो
' मैं जानता हूं जॉन!'नील ने कहा।