आपने आदि शंकराचार्य का नाम तो सुना होगा
बड़े ही दुःख की बात है की, अधिकांश हिन्दू उनको जानते भी नहीं है, पर जो हिन्दू उनको जानते है वो हमेशा इनके ऋणी हैं
अशोक के धर्म ांतरण के बाद भारत में बौद्ध बढ़ने लगे, एक के बाद एक बौद्ध राजा हुए
और सनातनियों का बौद्ध में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ, भारत की संस्कृति ही लुप्त होने लगी
ऐसे में केरल में जन्मे शंकर सनातन धर्म की रक्षा करने अकेले ही निकल पड़े, उन्होंने पुरे भारत का भ्रमण किया और सभी बड़े बौद्ध गुरुओं को शास्त्रार्थ की चुनौती दी ( ज्ञान बहस की चुनौती)
आचार्य शंकर ने एक एक कर सभी बौद्ध धर्मगुरुओं को ज्ञान में हराया
बहस की यही शर्त रहती थी की, जो बहस में हारेगा वो अपना धर्म जीतने वाले के धर्म में बदल लेगा
अगर बौद्ध धर्मगुरु हारे तो वो सनातन धर्म में आएंगे, और आचार्य शंकर हारे तो वो बौद्ध धर्म में आएंगे
या आत्महत्या कर लेंगे
एक के बाद एक उस समय भारत में मौजूद हर बौद्ध धर्मगुरु को आचार्य शंकर ने हराया, और फिर उनकी और उनके समर्थको की घर वापसी कराई और उस समय सनातन धर्म का ये हाल था की
सनातनी लोग भारत में अल्पसंख्यक हो गए थे
सनातन धर्म लुप्त ही होने के कगार पर था, पर 1 अकेले आचार्य शंकर ने सनातन धर्म को बचाया
और आज पूरा हिन्दू समाज आचार्य शंकर का ऋणी है, अन्यथा हमारे पूर्वजों का धर्म लुप्त ही हो जाता
आचार्य शंकर ने ही सनातन धर्म को बचाया
आज आचार्य शंकर को आदि शंकराचार्य के नाम से जाना जाता है और उनको बस एक संत बता दिया जाता है, उन्होंने असल में क्या किया था वो कोई नहीं बताता पर हमने ऊपर आपको बताया की उन्होंने क्या किया था
आचार्य जिस भी बौद्ध गुरु को हराते थे, वो कहते थे, की आज सिद्धार्थ गौतम होते तो वो भी सनातन धर्म में वापसी करते
आचार्य शंकर ने 4 मठ भी स्थापित किये थे, 1 उत्तराखंड में है, 1 गुजरात में है, 1 ओडिसा में है और एक कर्णाटक में
उन्होंने इन मठों का निर्माण भारत के चारों कोनो में किया था और उन्होंने अपने शिष्यों को ज्ञान देकर शंकराचार्य भी बनाया था, आज भी भारत में 4 असली शंकराचार्य है
पर आचार्य शंकर की तरह ये काम करने में असमर्थ है, वैसे हिन्दू समाज भी शंकराचार्यों का साथ देता नहीं, खैर
आज महानतम सनातनी योद्धा आचार्य शंकर का जन्मदिवस है और हम उनको नमन करते है