• Indian Agricultural Price Commission Act - ये भी अंग्रेजों के ज़माने का कानून है | पहले ये होता था की किसान, जो फसल उगाते थे तो उनको ले के मंडियों में बेचने जाते थे और अपने लागत के हिसाब से उसका दाम तय करते थे | अंग्रेजों ने हमारे कृषि व्यवस्था को ख़त्म करनेके लिए ये कानून लाया और किसानों को उनके फसल का दाम तय करने का अधिकार समाप्त कर दिया | अंग्रेज अधिकारी मंडियों में जाते थे और वो किसानों के फसल का मूल्य तय करते थे की आज ये अनाज इस मूल्य में बिकेगा और ये अनाज इस मूल्य में बिकेगा, ऐसे ही हर अनाज का दाम वो तय करते थे | आप हर साल समाचारों में सुनते होंगे की "सरकार ने गेंहू का,धान का, खरीफ का, रबी का समथर्न मूल्य तय किया" | ये किसानों के फसलों का न्यूनतम समथर्न मूल्य होता है, मतलब किसानों के फसलों का आधिकिरिक मूल्य होता है | इससे ज्यादा आपके फसल का दाम नहीं होगा | किसानों को अपने उपजाए अनाजों का दाम तय करने का अधिकार आज भी नहीं है इस आजाद भारत में | उनका मूल्य तय करना सरकार के हाथ में होता है | और आज दिल्ली के AC Room में बैठ कर वो लोग किसानों के फसलों का दाम तय करते हैं जिन्होंने खेतों में कभी पसीना नहीं बहाया और जो खेतों में पसीना बहाते हैं, वो अपने उत्पाद का दाम नहीं तय कर सकते |
• Indian Patent Act - अंग्रेजों ने एक कानून लाया Patent Act , और वो बना था 1911 | Patent मतलब होता है एक तरह का Legal Right, कोई व्यक्ति, वैज्ञािनक या कंपनी अगर किसी चीज का आविष्कार करती है तो उसे उस आविष्कार पर एक खास अविध के लिए अधिकार दिया जाता है | ये जा के 1970 में ख़त्म हुआ श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्रयासों से लेकिन इसे अब फिर से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में बदल दिया गया है | अभी विस्तार से नहीं लिखूंगा मतलब इस देश के लोगों के हित से ज्यादा जरूरी है बहुराष्ट्रीय कंपिनयों का हित |
• Indian Evidence Act - Indian Evidence Act काम करता है गवाह और सबूत के आधार पर और ये दोनों ही बदले जा सकते हैं | गवाह भी बदले जा सकते हैं और सबूत तो इतने आसानी सेमिटाए जाते हैं और नए बनाये जाते हैं इस देश में की आप कल्पना नहीं कर सकते हैं | इसी कारण से, चूकी गवाह बदले जाते हैं, गवाह कैसे बदलते हैं, पता है आपको ? पुलिस बयान लेती है और अदालत में जैसे ही वो गवाह खड़ा होता है, तुरंत मुकर जाता है और कहता है की पुलिस ने जबरदस्ती ये बयान मुझसे लिया हैऔर जैसे ही वो ये कहता है, वो मुक़दमा, जो 20 मिनट में ख़त्म हो जाता, 10 साल तक चलता रहता है | और यही कारण है की अंग्रेजी न्याय व्यवस्था में conviction rate पाँच प्रतिशत है | Conviction Rate समझते हैं आप ? 100 लोगों के ऊपर मुक़दमा किया जाये तो सिर्फ पाँच लोगों को ही सजा होती है, 95 को सजा होती ही नहीं, वो अदालत से बाइज्जत बरी हो जाते हैं | तो इसका मतलब है की या तो 95 मुकदमे झूठे, या सरकार झूठी, या पुलिस व्यवस्था झूठी या न्याय व्यवस्था कमजोर | ये इंडियन एविडेंस एक्ट ने ऐसा सत्यानाश कर रखा है इस देश का की सत्य महत्व का नहीं है बल्कि गवाह और सबूत महत्व का है, कई बार पुलिस कहती है की सत्य हमें मालूम है लेकिन गवाह नहीं, सबूत नहीं है, क्या करे हम ? ना सजा दिलवा सकते हैं, ना किसी को न्याय दिलवा सकते हैं | और न्यायाधीश को सत्य की पहचान करने के लिए बिठाया जाता है, वो न्यायाधीश भी सबूत और गवाह के आधार पर सत्य की तलाश करता है, जब की सच्चाई ये है की सत्य अपने आप में ही पूर्ण होता है, उसको कोई गवाह की जरूरत नहीं होती है, उसको कोई सबूत की जरूरत नहीं होती | इस इंडियन एविडेंस एक्ट या कहें भारतीय न्याय व्यवस्था का कैसा मजाक इस देश में हो रहा है उसका एक उदाहरण देता हूँ | 26 नवम्बर को जिन आतंकवािदयों ने पाकिस्तान से आकर मुंबई में सैकड़ों निर्दोष लोगों को मार दिया | उनमे से एक पकड़ा गया और उसके ऊपर नौटंकी चली की नहीं | हम सब को सत्य मालूम है की इसने सैकड़ों लोगों को मारा, इस मामले में निर्णय देना 10 मिनट का काम था, अब उस पर सबूत ढूंढेगए, गवाह ढूंढे गए और वो मक्कार आतंकवादी मजाक बना रहा है, हँस रहा है | भारतीय न्याय व्यवस्था पर हँस रहा है और दुभार्ग्य से ये हमारी न्याय व्यवस्था नहीं है, ये अंग्रेजों की है |
- राजीव भाई के व्याख्यानों से लिया गया एक अंश।
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निवेदक-
राजीव दीक्षित स्वदेशी संस्था, गुङगांव।
संपर्क सूत्र-९४१६०६९६८३
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