श्रीमद भगवत गीता :- जो मनुष्य मांस का सेवन करता है वह मनुष्य आसुरी/राक्षस समुदाय से सम्बन्ध रखता, उस मनुष्य के ह्रदय में किसी भी जीव के प्रति दया-भाव ना के बराबर होती है, वह मनुष्य हिंसक प्रवर्ति का बन जाता है और वह किसी भी जीव के प्रति हिंसात्मक रवैया अपनाने में नहीं झिजकता. आतंकवाद जैसा शैतान आज पूरी दुनिया में अपने पैर जमाता जा रहा है, जो मनुष्य इस शैतानवाद में विश्वास करता है और परदे के पीछे से इन लोगो का समर्थन करता है वह मनुष्य भी मांस का ही सेवन करता है. यही एक मुख्य कारण है कि ऐसे लोगो में दया नाम की कोई चीज नहीं होती और वह हिंसा करने में उतारू हो जाता है. इन लोगो को हिंसा करने वालें पशुओं की सूची में रखा जाये तो गलत नहीं होगा.
सतीश शर्मा
दिल्ली