तेजी से बढ़ रही देसी गाय के गोबर और जिप्सम से बने वैदिक प्लास्टर की मांग जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के बीच ऐसे मकानों की प्रासंगिकता आज बढ़ रही है जो उष्मा रोधी हों ताकि सर्दी और गर्मी दोनों से ही बचाव हो सके।
पहले मिट्टी के बने और गोबर से लिपे कच्चे घरों में उष्मा को रोकने की क्षमता थी। उनमें सर्दी और गर्मी दोनों से बचाव होता था लेकिन अब कच्चे मकान व्यवहारिक नहीं है। पक्के मकानों को ही इस तरह का बनाने के लिये ऐसा प्लास्टर तैयार किया गया है जो उष्मा रोधी हो। यह वैदिक प्लास्टर प्रख्यात वै ज्ञान िक डॉक्टर शिव दर्शन मलिक के दिमाग की देन है। जिनका कहना है कि वैदिक प्लास्टर ध्वनि एवं अग्नि रोधक है तथा मकान को गर्मी में ठंडा तथा सर्दी में गर्म रखता है। इसके अलावा, इस प्लास्टर में गोबर का मिश्रण होने की वजह से यह प्राकृतिक वायु शोधक है और वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखता है। यह अपने आप में पूर्ण है क्योंकि इसमें रेत मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही तराई करने की जरूरत पड़ती है। देशी गाय के गोबर, जिप्सम, चूना और ग्वारगम पाउडर से निर्मित वैदिक प्लास्टर ध्वनि एवं अग्नि रोधक है। यह साथ ही मकान को गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रखता है। डाक्टर मलिक ने बताया, वैदिक प्लास्टर की व्यावसायिक बिक्री हमने पिछले साल नवंबर में शुरू की थी। अभी तक हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 250 टन वैदिक प्लास्टर की बिक्री हो चुकी है।
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