आपको पता है कट्टरपंथियों का अड्डा यानि "मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड" कुछ नहीं बस एक NGO है
पर ये हमारे कानून, अदालतों पर कई बार भारी दिखाई पड़ता है
हमारा देश सेक्युलर है, और ये कट्टरपंथियों के आगे झुका हुआ ही प्रतीत होता है
देश में लड़की की उम्र शादी के लिए 18 साल कम से कम होनी चाहिए पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 15 साल में भी शादी की इज़ाज़त दे देता है, 15 साल में भी मुस्लिम बालिग हो जाते है
मुस्लिमो में 15 साल की उम्र में भी शादी होती है, पर हमारा कानून इसे नहीं रोक पाता
यहाँ हमारा कानून लूला लंगड़ा हो जाता है
पर जब इसी मजहब का मोहम्मद अफरोज, इतना बड़ा हो जाता है की निर्भया का बलात्कार कर सके, इतना बड़ा हो जाता है की उसके गुप्तांगो में रोड डालकर उसकी अंतड़ियाँ चीर देता है
उस मोहम्मद अफरोज को जब सजा देने की बारी आती है तो वो छोटा बच्चा, एक नाबालिग हो जाता है
और मात्र 3 साल बाल सुधार गृह (ये जेल नहीं हॉस्टल जैसा होता है) में रहकर हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद कर दिया जाता है
समझना मुश्किल हो जाता है की शादी के समय मुस्लिम 15 साल में बालिग हो जाता है तो
सजा के समय वो 17 साल की उम्र में बच्चा कैसे बन जाता है
हमारे देश में कानून चल रहा है या मजाक, ये समझना वाकई कई बार मुश्किल हो जाता है