( Anand kumar जी द्वारा लिखित एक तार्किक एवं तथ्यात्मक लेख .) उनकी फेसबुक नोट से साभार लिया गया...
जब हम छोटे थे तो घर में चापाकल हुआ करता था, अब ये सिर्फ सरकारी ही देखने मेंआता है | जब घर में एक नया चापाकल लगवाने की बात हुई तो दादाजी सारे पुर्जे ख़रीदने निकले | करीब सात सौ रुपये का चापाकल था, और उसके साथ लगनी थी लम्बी सी पाइप |मिस्त्री ने 20 – 25 फ़ीट की पाइप के लिए कहा था, दादाजी ने ख़रीदा 40 फुट का पाइप | हम लोग रिक्शे से लौटने लगे तो दादाजी से पूछे बिना नहीं रहा गया, हमने सवाल दागा,क्या हमारे घर दो नए चापाकल लगेंगे | दादाजी ने समझाया, कुछ साल में पानी और नीचे चला जायेगा तब हमें दोबारा बोरिंग न करवानी पड़े इसलिए इतना लम्बा पाइप ख़रीदा है |
Water Table समझने लायक नहीं थे उस ज़माने में, लेकिन आज जब उसी इलाके में चापाकल लगाया जाता है तो करीब 100 फ़ीट का पाइप तो चाहिए ही चाहिए | वैसे तो वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है की भारत में पानी शायद 2020 तक ख़त्म हो जाए, लेकिन ये अतिशयोक्ति है, हाँ कमी होगी इसमें कोई शक़ नहीं है|
जहाँ हमारी आबादी तेज़ी से बढ़ रही है वहीँ ज़मीन के नीचे और सतह पर, दोनों जगह पानी घट रहा है | अगर आज ध्यान नहीं दिया गया तो थोड़े ही दिनों में ये एक विकराल समस्या होगी | पाकिस्तानी या चीनी आतंकी उठने लोगों को नहीं मार पायेंगे जितना पानी की कमी मार डालेगी |
एक समस्या हमारे खान पान का बदलना भी है
कुछ ही समय पहले हमने कई कलाकारों को देखा जो होली के त्यौहार पर तेज़ हमले कर रहे थे | सब सिखाने आ गए की हम लोग होली पर कितना पानी बर्बाद कर देते हैं | ये लोग ALS challenge में होने वाले पानी की बर्बादी पर भी भाषण देते थे | अच्छी बात है की आपका ध्यान पानी की बर्बादी पर गया, लेकिन “कहीं न कहीं, कहीं न कहीं” आप गलत तरीके से समस्या के निवारण की सोच रहे हैं बन्धु ! हमारे खान पान का बदलता तरीका इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार है |
एक किलो BEEF के लिए करीब 15400 लीटर पानी लगता है, अगर आलू उपजाना हो तो करीब 50 किलो आलू उपजा सकते हैं इतने पानी से | दुसरे शब्दों में कहा जाए तो एक दावत जिसमे पांच लोगों को BEEF परोस दिया गया हो, उस दावत के बदले आप जिन्दगी भर होली खेल सकते हैं | एक गाय को अपने जीवन काल में करीब दो मिलियन लीटर पानी की जरूरत होती है, जब जानवरों को मीट के लिए पाल पोस रहे हों तो हिसाब लगा लीजिये की कितना खर्चीला है ये |
1 किलो के लिए खर्च होने वाला पानी :
BEEF : 15400 लीटर
मटन : 6400 लीटर
चिकन : 4300 लीटर
चावल : 1400 लीटर
आलू : 290 लीटर
(इसके अलावा BEEF में कहीं ज्यादा कार्बन खर्च हो जाता है, भविष्य में इस से एनर्जी resources पर भी असर पड़ेगा, कार्बन फुटप्रिंट जुमला शायद सुना हो !)
खेती में पानी का बेतरतीब इस्तेमाल
दुसरे कई विकासशील देशों की तरह (खास तौर पर जहाँ पानी की कमी है, जैसे चीन), भारत में सतह से नीचे के पानी पर कानूनी बंदिशें कम हैं, लगभग ना के बराबर | कोई भी पानी निकाल सकता है, बोरिंग करने या कुआं खुदवाने पर कोई रोक टोक नहीं होती | इनके लिए सरकार को कोई टैक्स भी नहीं देना होता इसलिए पानी बचाने या उसके दोबारा इस्तेमाल की कोई कोशिश भी नहीं की जाती | सतह के नीचे से पानी निकाल कर सबसे ज्यादा खेती के लिए खर्च किया जाता है, मुफ्त बिजली और सब्सिडी वाले पम्पिंग सेट की वजह से कई इलाकों का वाटर टेबल लगातार नीचे जा रहा है | लेकिन किसान काफ़ी ताकतवर वोटिंग ब्लाक हैं इसलिए कोई सरकार उन्हें नाराज़ नहीं करना चाहती | थोड़े ही दिनों में पानी सतह से इतना नीचे जा चुका होगा की आफत किसान के लिए भी होगी और खेती ना करने वालों के लिए भी |
तो अब करें क्या ?
1. खाने के बेहतर विकल्प इस्तेमाल करें
जैसा की देख चुके हैं की BEEF के मुकाबले मटन और चिकन काफी कम पानी इस्तेमाल करता है | सीधा शाकाहारी तो आप होंगे नहीं, कम से कम BEEF के बदले मुर्गा खाना तो शुरू कर ही सकते हैं | सही खान पान शुरू करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ज्यादातर पानी भोजन के उत्पादन में ही ख़र्च होता है | टीवी पर अपने खाने में पनीर के बदले टोफू, BEEF के बदले चिकन, और चावल खाने की सलाह देने वाला खानसामा देश सेवा ही कर रहा है, चाहे आप मानें या न मानें |
2. कम पानी खर्च करने वाले बीज
देश भर में कृषि अनुसन्धान केंद्र हैं, ऐसे बीज बनाये जा सकते हैं जिनमे पानी का खर्च कम से कम हो | यहाँ ज्यादातर सरकारी मदद की जरूरत होगी, इसके अलावा कृषि प्रयोगशालाओं में मिट्टी की जांच करके सबसे बेहतरीन फ़सल का चुनाव किया जा सकता है| इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करना पड़ेगा |
3. सिंचाई के बेहतर तरीके
यहाँ भी सरकारी मदद की जरूरत होगी, लोगों को स्प्रिंकलर जैसे बेहतर सिंचाई के तरीके अगर सिखाये जाएँ तो खेती में खर्च होने वाला पानी काफी हद तक बचाया जा सकता है | चावल की खेती में अगर उन्नत तरीकों से सिंचाई की जाए तो पानी दो तिहाई तक बचाया जा सकता है |
4. बारिश के पानी का संरक्षण
राजस्थान या फिर गुजरात के इलाकों में देखें तो पारंपरिक तरीकों से वर्षा का जल बचाया जाता रहा है | तालाब खुदवाना पूरे भारत में पुण्य का काम माना जाता है | अगर बारिश का हिसाब देखें तो हर भारतीय के लिए करीब चार मिलियन लीटर पानी बरसता है, मतलब जरूरत से करीब दस गुना ज्यादा ! अगर इसे बचाने पर ध्यान दिया जाए तो समस्या काफी हद तक सुलझ सकती है |
5. Desalination के बेहतर तरीकों का इस्तेमाल
खारे पानी के शुद्धिकरण की सारी तकनीकों का इस्तेमाल करना शुरू करना होगा | कई इलाके जहाँ सतह के नीचे से आने वाला पानी पीने योग्य नहीं होता वहां पानी साफ़ करने के बेहतर तरीकों का इस्तेमाल शुरू करना होगा | ये ज्यादातर आदिवासी और पिछड़े इलाके हैं जहाँ ज्यादा काम करने की जरूरत पड़ेगी |
स्थाई, टिकाऊ पानी के लिए खान पान
कई बार sustainability की कक्षाओं में लोग भयावह ग्राफ और नंबर लेकर आते हैं | जब जल संरक्षण पर ऐसी वर्कशॉप में जाना होता है तो हमें बड़ा मज़ा आता है | हिन्दुओं ने इसके लिए एक बड़ा ही आसान तरीका निकाला था सदियों पहले | उन्होंने गाय को धर्म से जोड़ दिया, अब चाहे आप लाख मेहनत कर लें, हिन्दू आसानी से BEEF खाने के लिए तैयार नहीं होता, इस तरह लाखों लीटर पानी अपने आप ही बच जाता है | इतनी बड़ी आबादी में अगर लोग BEEF खाते तो क्या होता इसका अंदाजा लगाना है तो किस राज्य में कितने इसाई हैं उसका एक ग्राफ नीचे है एक नज़र देख लीजिये |
आहार बदलें कैसे ?
आहार बदलने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करने की जरूरत है | कानून अगर गौ हत्या के खिलाफ़ होगा तो BEEF मिलना ऐसे ही कम हो जायेगा ! मुश्किल से चोरी छिपे मिलने वाली चीज़ महंगी भी होगी, तो उसकी खरीदारी अपने आप कम हो जाएगी| थोड़ा सा जोर लगाकर अगर संजीव कपूर जैसे नामी कुक से अगर बढ़िया शाकाहारी, या टोफू या चिकन के आइटम कुछ दिन टीवी पर बनवाए जाएँ तो उस से भी प्रचार होगा ऐसे खाने का | अमरीकी सरकार भी लोगों को शाकाहारी बनाने के लिए बड़ी मेहनत करती है |
मेरे ख़याल से तो अब समय आ गया है की हमारी सरकार भी कानून और मार्केटिंग को मिला के लोगों के आहार की आदतें बदले |
अब आप सोच रहे होंगे की ये पानी बचाने, खेती और मांस पर हमने ये बोरिंग सा लेख क्यों लिख डाला ? अब मेरा कारण तो लेख के अंतिम पैराग्राफ में होता है ! तो साहब ऐसा है की होली आ रही है और कोई न कोई “बुद्धिजीवी” हमें पानी बचाने की सलाह तो देगा ही | वैसे कई बुद्धिजीवी महाराष्ट्र सरकार के गौहत्या पर प्रतिबन्ध पर भी शोर मचा रहे हैं | कितना पानी बचेगा इस से ये उनकी बुद्धि में शायद इस लेख से चला जाए !
(आनंद कुमार जी के अन्य फेसबुक नोट पढ़ने के लिए यहाँ संपर्क करें...
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