बता दें कि करीना खान और सैफ़ अली खान को बेटा पैदा हुआ है लेकिन देश के 79 % हिन्दुओं की भावनाओं पर कड़ा प्रहार करते हुए उसका नाम रखा गया है तैमुर अली खान सबसे पहले आपको एक बात बता दें मुस्लिम कितने भी माडर्न हो जाएँ वे कभी भी कट्टर इस्लाम नहीं छोड़ते । करन जौहर का ट्वीट पढ़ें
क्या इस ज़माने ने कोई तैमुर अली खान जैसा नाम रखेगा ? नहीं पर मुस्लिमों को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ज़रा तैमुर खान का इतिहास भी जान लेते हैं ।
wikipedia के अनुसार तैमुर ने उस वक़्त क़रीब 1 करोड़ 70 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया था जिसमें से अधिकतर हिंदू थे , अगर आप नीचे दी गयी लाइन ध्यान से पढ़ेंगे तो लिखा है ये उस वक़्त पूरी दुनिया की जनसख्या का पाँच % था यानी कि एक अकेले आदमी ने इस्लाम की तलवार से दुनिया की 5% आबादी (हिन्दुओं ) को क़त्ल कर दिया था । अबं उसी के नाम पर आपकी चहेती बॉलीवुड अभिनेत्री करीना खान और सैफ़ अली खान के बेटे का नाम रखा गया है । भाजपा नेता गीता कपूर का ट्वीट भी पढ़ें
लोकतंत्र बधाई स्वीकार करे , करीना खान , सैफ़ अली खान को हिन्दुओं के सबसे बड़े हत्यारे का नाम अपने बेटे के नाम पर रखने पर बधाई हो , अभिव्यक्ति की आज़ादी के बदले देश के अधिसंख्यक हिन्दुओं का मज़ाक़ उड़ाने और उनको नीचा दिखाने वाले कट्टर वादी भी बधाई स्वीकार करें
बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर ने मुंबई में आज बेटे को जन्म दिया। करीना और सैफ ने बेटे का नाम तैमूर अली खान पटौदी रखा है। ये नाम उज्बेकिस्तान के खूंखार लुटेरे तैमूरलंग की याद दिलाता है, जो क्रूरता और अत्याचार के लिए मशहूर था। तैमूर ने 14वीं सदी में भारत के दिल्ली और कश्मीर में भी जमकर लूटपाट की थी। 15 दिन में ही उसने दिल्ली में लाशों के ढेर लगा दिए थे।
दुश्मनों के सिर काटकर ढेर लगाने का शौक था तैमूर को…
– तैमूर का जन्म 1336 में उज्बेकिस्तान के शाहरिसब्ज सिटी में एक आम मुस्लिम परिवार में हुआ था।
– उज्बेकिस्तान सोवियत यूनियन का हिस्सा था। तानाशाही शासन की वजह से देश के हालात अच्छे नहीं थे।
– परिवार की माली हालत के चलते तैमूर ने बचपन से ही छोटी-मोटी चोरियां शुरू कर दी थीं। धीरे-धीरे उसने अपनी गैंग बना ली।
– गैंग बनाने के बाद तैमूर ने बड़ी-बड़ी लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया और इस तरह वह खूंखार लुटेरा बन गया।
– तैमूर ने सबसे पहले सन 1380 में इराक की राजधानी बगदाद पर हमला बोला था, जहां हजारों लोगों का कत्ल कर उनकी खोपड़ियों के ढेर लगा दिए थे।
– इसी के बाद से उसकी बेरहमी के चर्चे पूरी दुनिया में फैल गए। तैमूर ने एक के बाद एक कई खूबसूरत राज्यों को खंडहर में तब्दील करना शुरू कर दिया।
– तैमूर ने भारत के दिल्ली और कश्मीर में भी जमकर लूटपाट की थी। 15 दिन में ही उसने दिल्ली में लाशों के ढेर लगा दिए थे।
– खूनी योद्धा के रूप में मशहूर तैमूर ने 14वीं शताब्दी में कई देशों में जीत हासिल कर ली थी।
– अपाहिज होने के बावजूद तैमूर अपनी आखिरी सांस तक किसी से नहीं हारा। उसकी मौत 1405 में बीमारी के चलते उस वक्त हुई, जब वह चीन पर हमला करने जा रहा था।
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बचपन से ही चोरिया शुरू कर दी थीं तैमूरलंग ने
तैमूर के बारे में कहा जाता है कि उसने बचपन से चोरी की लत थी। वह कई बार पकड़ाया और पिटा भी, लेकिन उसकी आदत नहीं बदली। तैमूर ने बचपन में ही बच्चों की गैंग बना ली थी, जो चोरी करने में उसकी मदद करती थीं। धीरे-धीरे गैंग ने हथियारों के दम पर लूटपाट शुरू कर दी। इस तरह वह बचपन से ही खूंखार हो गया था। बचपन की गैंग के कई साथी तैमूर के साथ आखरी सांस तक रहे। ये तैमूर के सबसे भरोसेमंद साथी, जिनकी मदद से तैमूर ने कई देशों को जीता।
दिल्ली और कश्मीर में लगा दिया था लाशों का ढेर
तैमूर को भारत की दौलत ने आकर्षित किया। इसके लिए वह कश्मीर के रास्ते दिल्ली तक पहुंचा। दिल्ली में इस समय सुल्तान राज करता था, लेकिन इसकी रियासत सरहद पर मंगोलों से बराबर लड़ाई करते-करते कमजोर हो चुकी थी। इसलिए जब तैमूर मंगोलों की फौज लेकर यहां पहुंचा तो दिल्ली के सुल्तान की सेना उसका सामना नहीं कर सकी। तैमूर ने दिल्ली में जमकर कत्लेआम मचाया और लूटपाट की। बताया जाता है कि दिल्ली में जब कैदियों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई तो तैमूर ने उनक कत्ल का आदेश दिया। मरने वालों में हिंदू-मुस्लिम दोनों ही शामिल थे। तैमूर को धर्म से ज्यादा लूटपाट से मतलब था। इतिहासकारों की मानें तो दिल्ली में वह 15 दिन रहा और उसने पूरे शहर को कसाईखाना बना दिया। इसके बाद में कश्मीर में लूटपाट मचाते हुए हुआ वह समरकंद वापस लौट गया था।
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भारी-भरकम सेना से लैस होकर सबसे पहले सुल्तान तुर्की पर हमला बोला
कई देशों में लूटपाट के दौरान तैमूर ने न सिर्फ दौलत ही जमा की, बल्कि उसने विशाल सेना भी तैयार कर ली थी। तानाशाही देशों के पीड़ित लोगों को उसने अपनी सिपाहियों के तौर पर चुना। तैमूर एक तेज दिमाग व बहादुर लीडर भी था, जिसके चलते सैनिक उसका बहुत सम्मान करते थे। वह हर जंग में अगली लाइन में खड़ा होता था और यह बात सैनिकों के दिल में जोश पैदा कर देती थी। तैमूर ने 1402 में तुर्की के सुल्तान बायाजिद प्रथम के खिलाफ जंग छेड़ी थी।
जंग में एक हाथ की उंगलियां गंवा दी था तैमूर ने
तैमूर कितना बहादुर था, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लूटपाट के दौरान जवानी में उसने अपना दाएं हाथ की उंगलियां गंवा दी था। वह सिर्फ एक हाथ से ही भारी-भरकम तलवार से लड़ता था। एक जंग के दौरान उसका दाहिना पैर भी बेकार हो गया था। 14वीं शताब्दी में तैमूर के दुश्मन जिनमें तुर्की, बगदाद और सीरिया के शासक उसका ‘लंगड़ा’ कहकर मजाक उड़ाते थे, लेकिन जंग के मैदान में ये कभी भी तैमूर को हरा नहीं पाए। तैमूर ने अपनी विकलांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया। वह एक के बाद एक जंग लड़ता और जीतता गया।
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इतिहासकार एडवर्ड गिब्बन ने की तैमूर की तारीफ
18वीं शताब्दी के इतिहासकार एडवर्ड गिब्बन ने तैमूरलंग की तारीफ करते हुए लिखा था कि तैमूरलंग की बहादुरी व जंग की काबलियत को कभी स्वीकार नहीं किया गया। तैमूर ने जिन-जिन देशों पर जीत हासिल की। वहां के शासकों ने उसके बारे में हमेशा झूठी कहानिया प्रचारित करवाईं। गिब्बन के अनुसार, तैमूर की मौत 1405 में उस समय हुई, जब वह चीन के राजा मिंग के खिलाफ युद्ध लड़ने जा रहा था। इस दौरान बीच रास्ते में ही बीमारी के चलते उसकी मौत हो गई और तैमूर का विजय रथ थम गया।