मन के कागज पर
🎄🎄🎄मन की कविता🎄🎄🎄
मन के कागज पर बस लिखता जाऊँ
मन की व्यथा सुधिजनों तक पहुँचाऊँ
कुछ अपनी कुछ जग की बात बतलाऊँ
मन से कागज की सुंदर एक नाँव बनाऊँ
क्षीरसागर तक बह कर विष्णुलोक तक जाऊँ
हरि से एक टूक बात मन की आज मैं बताऊँ
लक्ष्मी को भी खरी खोटी मन भर आज सुनाऊँ
दु:ख प्रतारण असह्य दिया माँ साधु दीनजन को
सीता माता का इतिहास एकबार पुनः दोहरवाऊँ
किसी ऋषि आश्रम में बस रम जा- रथ मंगवाऊँ
नारायण का अस्त्र छीन दाह्य बना मैं जलाऊँ
धरा धाम पर अमन चैन एवम् शांति फैलाऊँ
अकाल मृत्यु देव को हराकर अंतरिक्ष के पार भगाऊँ
मन को पुष्पक विमान बना स्वर्ग से 'अमृत घट' लाऊँ
चराचर- प्राणी पादप को रक्षा सुनिश्चित कर पाऊँ
इस अमुल्य मानव जीवन को तपसे सफल बनाऊँ
मन के कागज पर मंत्राधात् से कलम चलाऊँ
मुख पर लगी दमघोटू सारी 'पट्टियाँ' हटवाऊँ
मन से तन तक की दूरियाँ सारी शिध्र मिटा पाऊँ
धर्म स्थापित कर 'वैश्विक आनंद परिवार' बनाऊँ
अमानवीय सीमायें समस्त धरती की अतिशीघ्र मिटा पाऊँ
'विश्व बंधुत्व' का शंखनाद् गुँजायमान् कर अमृत बरसाऊँ
ऋणभावमुक्त कर 'शुभभावों' से मनों को भर पाऊँ
हर मानव को सात्विक साधक, अवतार बना जाऊँ
तिमिर अँधकार चीर घर घर में 'आशादीप जलाऊँ
कुरुक्षेत्र विश्व है बना, धर्म से धरा को स्वर्ग बनाऊँ
मन के कागज पर बस लिखता जाऊँ
मन की व्यथा सुधिजनों तक पहुँचाऊँ
डॉ. कवि कुमार निर्मल______👏
बेतिया, पश्चिम चंपारण 【बिहार】