पवित्र श्रावण मास में प्रत्येक दिन कल्याणकारी है क्योंकि श्रवण को भगवान शिव का महीना कहा जाता है ! भगवान शिव स्वयं कल्याणकारी हैं क्योंकि शिव का अर्थ ही कल्याण होता हैं ! वैसे तो प्रत्येक दिन कल्याणकारी है परंतु फिर भी श्रवण के सोमवार का विशेष महत्व है ! सोमवार के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करके भक्तजन स्वयं के कल्याण की कामना करती हैं ! जिस प्रकार सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय होने के कारण विशेष महत्व रखता है उसी प्रकार श्रावणमास में मंगलवार का भी विशेष महत्व है ! इस दिन "मंगलागौरी" का व्रत किया जाता है ! मंगला गौरी का व्रत करके स्त्रियां भगवती पार्वती की कृपा प्राप्त करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए माता पार्वती की पूजा करती हैं ! श्रावण मास के प्रथम मंगलवार से यह व्रत प्रारंभ किया जाता है ! मंगला गौरी का व्रत बहुत ही लाभकारी है , इसके विषय में हमारे शास्त्र बताते हैं कि मंगलवार के दिन गौरी का पूजन करने के कारण यह मंगला गौरी व्रत कहलाता है ! यह व्रत विवाह के बाद प्रत्येक स्त्री को पाँच वर्षों तक करना चाहिए ! इसे प्रत्येक श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को करना चाहिए ! विवाह के बाद प्रथम श्रावण में पिता के घर से यह व्रत प्रारंभ करके अन्य चार वर्षो में पतिगृह में व्रत किया जाता है ! इस प्रकार सनातन धर्म में मानव जीवन के कल्याण हेतु अनेकों संसाधन बताए गए हैं उसमें भी पवित्र श्रावण मास परम कल्याणकारी इसीलिए कहा गया है क्योंकि श्रावण मास में किया गया व्रत कई गुना फल प्रदान करता ! प्रथम वर्ष पिता के घर से श्रावण के प्रथम मंगलवार से यह व्रत प्रारंभ होकर की पांचवें वर्ष के सावन में अंतिम मंगलवार को इस व्रत का समापन एवं उद्यापन कर देना चाहिए !
आज समाज में अनेकों प्रकार के नए-नए त्यौहार तो देखने को मिल जाते हैं परंतु जीवन उपयोगी जो व्रत एवं अनुष्ठान हमारे शास्त्रों में हमारे महर्षियों के द्वारा वर्णित है उनके विषय में हमें जानकारी ही नहीं है ! मंगला गौरी व्रत करते हुए स्त्री को सुख - सौभाग्य , पुत्र प्रौत्र की प्राप्ति होती है ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इस व्रत के विषय में शास्त्रों से प्राप्त निर्देशानुसार यही बताना चाहता हूं कि श्रावण के प्रथम मंगलवार को प्रातः काल स्नान से निवृत्त होकर के पवित्र आसन पर बैठकर मंगला गौरी का व्रत करने के लिए संकल्प करें ! अपने समक्ष मंगला गौरी मूर्ति की प्रतिष्ठा करके आटे से बना सौलह मुख वाला दीपक जिसमें सोलह बत्तियां होॉ ऐसे घृत पूरित दीपक को प्रचलित करें ! श्री गणेश जी का पूजन करके यथाशक्ति वरुण , नवग्रह , षोडशमातृका आदि का पूजन करना चाहिए ! उसके बाद मंगला गौरी का पूजन करे ! मंगला गौरी के पूजन में विशेष रूप से सोलह प्रकार के पुष्प , सोलह मालायें , सोलह वृक्षों के पत्ते , सोलह दूर्बादल , सोलह धतूर के पत्ते , सोलह प्रकार के अनाज , सोलह सुपारी- इलायची जीरा और धनिया भगवती को समर्पित करें ! पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना करके विशेषार्घ्य भी प्रदान कर दे ! फिर बाँस के पात्र में सौभाग्य द्रव्य के साथ लड्डू , फल, वस्त्र के साथ ब्राह्मण को दान करें फिर अपनी सासू जी के चरण स्पर्श करके उन्हें सोलह लड्डुओं का प्रसाद दे ! रात्रि जागरण करके प्रातः काल किसी सरोवर में या नदी में गौरी जी का विसर्जन कर देना चाहिए ! इस विधि विधान से मंगला गौरी का व्रत किया जाता है !
सनातन धर्म का प्रत्येक विधान मंगलकारी है आवश्यकता है इन्हें जानने की और इन्हें जानने के लिए या तो ग्रन्थों का अध्ययन करना पड़ेगा या फिर अपने ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठजनों के साथ सत्संग करना पड़ेगा ! दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज हम इन दोनों संसाधनों से दूर होते जा रहे !