*संसार में आदर्श समाज एक उदाहरण प्रस्तुत करता है ! आदर्श समाज का निर्माण आदर्श परिवार से ही होता है ! जहां आदर्श परिवार होते हैं वही आदर्श समाज की आधारशिला रखी जाती है ! पवित्र श्रावण मास में भगवान शिव की चर्चा के अंतर्गत यदि आदर्श परिवार की बात की जाय तो भगवान शिव का कुटुम्ब भी बड़ा विचित्र होते हुए भी आदर्श प्रस्तुत करता है ! माता अन्नपूर्णा का भंडार सदा भरा रहता है पर भोले बाबा सदैव खाली रहते हैं ! कार्तिकेय जी सदा युद्ध के लिए तैयार रहते हैं परंतु गणेश जी स्वभाव से ही शांतिप्रिय है ! परिवार में कार्तिकेय जी का वाहन मयूर , गणपति का वाहन मूषक , पार्वती जी का वाहन सिंह और स्वयं भगवान शिव का वाहन नंदी एवं उनके गले में सांपों के आभूषण ! विचार करने योग्य बात है कि सभी एक दूसरे के शत्रु हैं पर गृहपति की छत्रछाया में सभी सुख और शांति से रहते हैं ! यही आदर्श परिवार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है ! #किसी भी घर में प्राय विचित्र स्वभाव और रुचि के लोग रहते हैं जिसके कारण आपस में खटपट चलती ही रहती है ! घर की शांति के आदर्श की शिक्षा भी शिव से ही मिलती है ! आदर्श परिवार वहीं स्थापित हो सकता है जहां पर घर का मुखिया परिवार के सभी सदस्यों के दायित्वों का विभाजन कर दे ! सब कुछ स्वयं करने के बाद भी इसका श्रेय स्वयं न लेकरके परिवार में वितरित कर दे ! यही आदर्श परिवार का उत्तम उदाहरण हो सकता ! जैसे भगवान शिव और माता अन्नपूर्णा अपने आप परम विरक्त रहकर संसार का सारा ऐश्वर्य श्री विष्णु और लक्ष्मी जी को अर्पण कर देते हैं ! श्री लक्ष्मी और विष्णु भी संसार के सभी कार्यों को संभालने - सुधारने के लिए अपने आप ही अवतरित होते हैं ! गौरी-शंकर को कुछ भी परिश्रम न देकर आत्मानुसंधान के लिए उन्हें निष्प्रपंच रहने देते हैं ! ऐसे ही कुटुंब और समाज के सर्वमान्य पुरुषों को चाहिए कि योग्यतम कुटुंबियों के हाथ समाज और कुटुंब का सारा ऐश्वर्य दे दें और उन योग्य अधिकारियों को चाहिए कि समाज के प्रत्येक कार्य संपादन के लिए स्वयं ही अग्रसर हो वृद्धो को निष्प्रपंच करके आत्मानुसंधान करने दे !*
*आज का समाज बड़ा ही विचित्र हो गया है क्योंकि समाज में विचित्र से विचित्र परिवार देखने को मिलते हैं ! जहां भगवान शिव के परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के विपरीत स्वभाव के होने के बाद भी शांति के साथ एक ही परिवार में रहते हैं वहीं आज परिवार में एकरूपता बहुत कम देखने को मिलती है ! परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के प्रति समर्पित नहीं दिखाई पड़ते हैं ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज समाज में देख रहा हूं कि परिवार हो चाहे समाज हो या फिर राष्ट्र , आज लोग एक दूसरों की कमियां ही देखते हैं ! इसके साथ ही लोग अपने किए हुए कार्य का श्रेय किसी दूसरे को नहीं देना चाहते हैं ! परिवार का छोटा व्यक्ति स्वयं सारा श्रेय ले लेना चाहता है ! वहीं परिवार के मुखिया भी दायित्व का विभाजन नहीं कर पा रहे हैं जीवन भर स्वयं घर के मालिक बने रहना चाहते हैं , जबकि परिवार के मुखिया को चाहिए कि जब हमारी संतान श्रेष्ठ हो गई है तो परिवार का दायित्व उसको सौंप करके स्वयं हरि भजन में लगकर निष्प्रपंच हो जाय ! परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है ! यही कारण है कि आज के युग में आदर्श परिवार बहुत कम ही देखने को मिलते हैं और परिवार के साथ समाज भी विघटित होता चला जा रहा ! आज परिवार के मुखिया जीवन की अंतिम सांस तक परिवार के मुखिया बने रहना चाहते हैं और इस मोह माया में फंस करके अपने जीवन के उद्देश्य (हरिभजन) को भूल जाते हैं ! परिवार के अन्य सदस्य भी परिवार के मुखिया का आदर करना इसलिए बंद कर देते हैं क्योंकि उन लोगों के द्वारा किया हुआ कोई भी निर्णय परिवार के मुखिया मानना नहीं चाहते ! पवित्र श्रावण मास में जिस प्रकार हम भगवान शिव का अभिषेक करके भांति भांति से उनका पूजन कर रहे हैं उसी प्रकार आवश्यकता यह भी है कि हमें भगवान शिव के परिवार , उनके आयुध , उनके आभूषणों आदि से शिक्षा भी ग्रहण करनी चाहिए , तभी भगवान शिव की पूजा करने का सच्चा अर्थ निकल सकता है ! जिन्हें हम अपना आराध्य मानते हैं उनके आदर्शों को यदि अपने जीवन में नहीं उतार पाए तो अपने आराध्य का पूजन करने का कोई मतलब ही नहीं है !*
*भगवान शिव विश्वम्भर हैं , उनके प्रत्येक क्रियाकलाप अनुकरणीय और आज हम शिव की आराधना एवं उनके आदर्शों को भूल गए हैं शायद यही कारण है कि आज परिवार - समाज एवं राष्ट्र का मंगल नहीं हो पा रहा है !*