*इस समस्त सृष्टि में वैसे तो बहुत कुछ है जो मनुष्य को प्रभावित करते हुए उसके जीवन में महत्वपूर्ण हो जाता है परंतु यदि आंकलन किया जाय तो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है समय | इस संसार में एक से बढ़कर एक बलवान हुए हैं परंतु उनका बल भी समय के आगे व्यर्थ ही हो गया है अत: यह सिद्ध हो जाता है कि समय से अधिक बलवान न कोई हुआ है और न ही हो पायेगा | यह अकाट्य सत्य है कि जीवन में समय का बड़ा महत्व है , अपने अच्छे व बुरे समय को पहचान कर कोई भी कार्य करने वाले ही अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हुए आनन्दित जीवन व्यतीत करते हैं | जिसने जीवन में समय के महत्व को जान लिया उसका जीवन सफल हो गया , मनुष्य को समय के साथ चलना पड़ता है जो समय के साथ नहीं चला वह पीछे रह जायगा | अच्छा व बुरा समय प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आता है जिसने बुरे समय पर विजय प्राप्त कर ली वह हमेशा यशस्वी होता है | जिसने बुरे समय को न पहचानकर उसके विपरीत कृत्य करने का प्रयास किया है समय उसको परास्त कर देता है और वह वह व्यक्ति कभी उपर नहीं उठ पाता है | समय बहुत चंचल होने के साथ बलवान भी होता है और यह भी सत्य है कि अच्छा हो या बुरा ज्यादा समय किसी के पास नहीं टिकता है | अच्छा समय शीघ्र ही कट जाता है लेकिन बुरे समय को काटना पड़ता है और यदि बुरे समय को काटने की शक्ति नहीं जुटा पाए तो वह मनुष्य को ही काट देता है | इसलिए मनुष्य को बुरे समय में विवेक का प्रयोग करते हुए धैर्य के साथ उसे काटने का प्रयास करते रहना चाहिए | रहीमदास जी ने कहा भी है कि :- "रहिमन चुप हो बैठिये देखि दिनन के फेर ! नीके दिन जब आयेंगे बनत न लगिहैं देर !! अर्थात बुरे समय में मनुष्य को चुपचाप बैठकर सही समय आने की प्रतीक्षा कर लेनी चाहिए , यही बुद्धिमत्ता है | जो भी समय का अवलोकन किये बिना उसके विपरीत जाने का प्रयास करता है वह अपने जीवन को हास्यास्पद तो बनाता ही है साथ ही उसका जीवन भी नष्ट हो जाता है | अत: प्रत्येक मनुष्य को समय की पहचान करके ही अपने क्रियाकलाप सम्पादित करने चाहिए |*
*आज का समय समस्त मानव जाति के विपरीत चल रहा है | पूरे विश्व में फैली हुई महामारी ने कभी न थकने वाले मानव के के पैरों की गति को रोक सा दिया है | सृष्टि का सबसे बलवान प्राणी होने का गौरव पाने वाला मनुष्य आज समय के आगे बेबस - निरीह सा दिखाई पड़ रहा है | आज जिस प्रकार एक मनुष्य से से दूसरे मनुष्य में कोरोना का संक्रमण फैलकर विनाशलीला कर रहा है उसका यही कारण है कि मनुष्य अभी भी स्वयं को स्वछंद एवं बलवान समझते हुए किसी की भी बात नहीं मान रहा है और मौत बाँट रहा है | समय की प्रबलता आज समस्त विश्व देख रहा है जो मनुष्य समस्त विश्व में कुछ भी करने का दम भरता था वह आज अपनों की जिन्दगियाँ भी बचा पाने में असमर्थ है | वैसे तो मनुष्य बहुत ही विवेकवान है परंतु मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज के कुछ अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों (जो कि स्वयं के आगे किसी की कुछ नहीं सुन रहे हैं) को बताना चाहूँगा कि समय अपना ताण्डव कर रहा है इस ताण्डव से स्वयं को बचा पाओ तो बचा लो | स्वयं को अपने घरों में सुरक्षित रखने का समय है परंतु कुछ लोगों को इस समय कुछ अधिक ही कार्य करने का मन हो रहा है | ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि यह जीवन बड़ा अनमोल है इसकी सुरक्षा करना स्वयं का दायित्व है और इस जीवन को सुरक्षित रखने का एक ही उपाय है कि स्वयं को लोगों की भीड़ से बचाकर रखें | जब जीवन सुरक्षित रहेगा तभी जीवन के अन्यान्य कार्य सम्पादित हो पायेंगे | आज समस्त विश्व की रफ्तार थम सी गयी है ऐसे में समय की प्रबलता को समझते हुए उसके अनुसार ही क्रियाकलाप करते हुए धैर्य धारण किये रहें | जैसे अनेक संकटों वाला समय व्यतीत हो गया है वैसे यह महामारी भी धीरे - धीरे समाप्त हो जायेगी परंतु जब तक है तब तक इस बुरे समय को घर में बैठकर काटना ही बुद्धिमत्ता है |*
*समय की पहचान करके उसके अनुसार जीवन को ढाल लेने वाले ही जीवन में कुछ कर पाने में सफल हो पाते हैं ! अत: समय को पहचानें |*