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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023

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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़ा सनातनी बनते थे।

मैंने पूछा कि हे वामपन्थ अनुगामी तुम्हारी प्रसन्नता का कारण क्या है?

वामपंथी ने कहा: - बिहार के शिक्षा मंत्री ने जो श्री रामचरित मानस के छ्न्दो को आधार बनाकर नफ़रत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है, उसके बारे में तुम्हें क्या कहना है?

मैंने पूछा:- तनिक बताओ कौन से छ्न्द को आधार बनाया है।

वामपंथी ने कहा:- मित्र तुम सनातनी हो तुमको नहीं पता।

मैं समझ गया कि इस वामपंथी को कुछ नहीं पता ये तो बस इसलिए खुश है कि सनातन धर्म अपमान हो रहा है।

मैंने पूछा:- हे वामपंथी क्या तुम बिहार की शिक्षा मंत्री के कथन से सहमत हो?

वामपंथी ने कहा: - बिलकुल सहमत हूँ, इसमें कोई दो राय नहीं, अगर तुम उनके कथन को मिथ्या साबित कर सकते हो तो करो।

मैंने परिस्थिति को समझ वामपंथी को उत्तर देना शुरू किया और कहा,  हे वामपंथी किसी भी कविता, छ्न्द, दोहा व गीत इत्यादि को समझने के लिए उसके पृष्ठभूमि को जानना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि उसको जाने बिना हम किसी भी रचना कि व्याख्या नहीं कर सकते, अत: सुनो:-

शिक्षा मंत्री ने जो प्रथम छ्न्द को अपमान करने का आधार बनाया वो निम्नवत है:-

हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ॥

अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ॥

हे वामपंथी सुनो प्रस्तुत छ्न्द उत्तर कांड में काकभुशुन्डी और पक्षीराज गरुड के मध्य हुए संवाद से लिया गया है। इसमें काकभुशुन्डी अपनी अज्ञानता का बोध करते हुए पश्चाताप की भावनाओं से भरकर स्वय को उनके अंदर उत्पन्न हुई क्लेशयुक्त भावनाओं के लिए दोषी मानते हुए कहते हैं -"गुरुजी ने शिवजी को हरि का सेवक कहा। यह सुनकर हे पक्षीराज! मेरा हृदय जल उठा। अधर्म कर्म से युक्त  मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया जैसे दूध पिलाने से साँप॥"

यंहा अधम जाती से तात्पर्य है "अधर्म युक्त कर्म" करने वाला कारक। यंहा वो अपने आप को सांप कह रहे हैं और दूध को गुरु द्वारा प्रदान किया गया सर्वोच्च ज्ञान। वो ये कह रहे हैं कि जिस प्रकार सांप को दूध पिलाने से सांप की स्थिति हो जाती है बस वैसे हि अधर्म कार्य करने वाला व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने पर हो जाता है।

फिर मैंने कुछ उदाहरण दिया कि हे वामपंथी:- बुरहान वानी तो software Engineer था, याकुब मेनन तो Chartered Accountant था, ओसामा बिन लादेन भी इंजीनियर था, अफजल गुरु अध्यापक था, रियाज भटकल भी तो इंजीनियर था जनरल डायर भी पढ़ा लिखा था, लेनिन, स्टालिन, मुसोलिनी, अबू बकर अल बगदादी, पी चिदम्बरम और माओ ये सभी पढ़े लिखें थे और ऐसे अनगिनत उदाहरण आपको प्राप्त हो जाएँगे जो अधर्म कार्यों से युक्त ज्ञानी थे, जिन्होंने करोड़ो लोगों का सर्वनाश किया, मानवता को अपमानित किया और हैवानियत और अंधकार का साम्राज्य फैलाया।

फिर मैंने वामपंथी को समझाया सुनो वामपंथी, बिहार के शिक्षा मंत्री ने पूरा छ्न्द ना कहकर अधूरा छ्न्द बतलाया और उसमें भी उन्होंने अपने चरित्र् के विशैलेपन के अनुसार अपना अधार्मिक कार्य कर दिया वो इस प्रकार है:-

अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ॥

शिक्षा मंत्री ने केवल इसी भाग को पढ़ा और विषवमन किया। और यही नहीं उन्होंने इसे अपने प्रोपेगेंडा के अनुसार परिवर्तित भी कर दिया, देखो:-"अधम जाति मैं बिद्या पाएँ।" ये है वास्तविक शब्द पर शिक्षा मंत्री ने इसमें "मैं" के स्थान पर "में" शब्द जोड़कर इसे कुछ इस प्रकार कहा: - "अधम जाति में  बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ॥" अब हे वामपंथी तुम स्वय परख सकते हो कि कितना बड़ा षड्यंत्र है जो बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा निष्पादित किया जा रहा है।

मित्रों वामपंथी महाशय एक बार पुन: नीरूत्तर हो गए और फिर से छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुआ बोले अच्छा चलो अब दूसरे वाले छ्न्द के बारे में भी तनिक बता दो, तुम लोग शूद्र और नारी को पशु समान मानकर उन्हें पीटने लायक समझते हो , धिक्कार है।

मैंने वामपंथी के ह्रदय में उत्पन्न हो रही घृणा को महसूस किया पर स्वय कि भावनाओं पर पूर्णतया नियंत्रण करते हुए उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा: - हे वामपंथी, इस पूरे ब्रह्माण्ड में केवल एक धर्म है और वो है सनातन धर्म। सनातन धर्म में स्त्री का सबसे अधिक सम्मान है यंहा तक की प्रत्येक कुटुंब में प्रथम तो माता ही होती है, इसीलिए हम जय सियाराम, जय राधेकृष्णा या जय गौरीशंकर या फिर जय लक्ष्मी नारायण कहते हैं।

हमारे शास्त्र भी यही कहते हैं: -

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।

मनुस्मृति ३/५६ ।।

अर्थात जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।

अब आ जाते हैं बिहार के दुर्भाग्य शिक्षा मंत्री के द्वारा रामचरित मानस के छ्न्द के अर्थ का अनर्थ बनाकर व्यक्त करने के कार्य पर। उन्होंने सुंदर कांड के उस छ्न्द के विषय में अपने दूषित विचार व्यक्त किये हैं, जिसका समुद्र के कथन के रूप में गोस्वामी जी द्वारा वर्णन किया गया है।

जब प्रभु श्रीराम तीन दिनों तक समुद्र से विनती करते रहे मार्ग देने के लिए परन्तु समुद्र ने उनकी प्रार्थना का कोई उत्तर माहीं दिया, तब प्रभु क्रोधित होकर अपने धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढा कर उसे दण्डित करने के लिए तैयार हो जाते हैं :-

बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।

बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति॥

जब प्रभु क्रोधित देखा तो सारे समुद्री जीव बेचैन हो गए, उन्हें अपने अस्तित्व के समाप्त हो जाने का स्पष्ट खतरा दिखाई देने लगा। तब समुद्र देव स्वय प्रकट होकर दुहाई देते हुए विनती करते हैं और अनेक कथन करते हैं,  उन्हीं में से एक कथन यह है कि:-

"प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥

ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥"

यंहा समुद्र जी कहते हैं कि ये अच्छा किया प्रभु ने कि मुझे दण्डित करने का विचार कर अच्छा ज्ञान दिया परन्तु प्रभु सभी की  मर्यादा भी तो आप के हि द्वारा उत्पन्न कि गई है। समुद्र की मर्यादा ये है कि वो किसी को मार्ग नहीं देता, अपितु उसे जानकर, परख कर अर्थात ताड़ कर जीव मात्र को स्वय मार्ग बनाना पड़ता है। ढोल गवार, शूद्र पशु और नारी ये सभी ताड़ने अर्थात जानने योग्य हैं अर्थात इनको जाने बिना इनसे सहकार्य नहीं किया जा सकता।

अब इसी " ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥" वाले हिस्से को माननीय शिक्षा मंत्री जी जैसे विषधारीयो के द्वारा नारी, पशु और शूद्र के विरुद्ध बताकर समाज में घृणा फैलाई जाती है।

इस चौपाई के इस हिस्से का अर्थ समझने के लिए हे जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी सुनो, हमें सर्वप्रथम इसमें प्रयोग किये गए शब्दों के अर्थ को समझना होगा, जो इस प्रकार हैं “ढोल अर्थात ढोलक, गवार अर्थात अज्ञानी या अनपढ़, शूद्र अर्थात वंचित वर्ग, पशु का अर्थ जानवर, नारी का अर्थ स्त्री, सकल मतलब पूरा या सम्पूर्ण, "ताड़ना" (जो सबसे अधिक बहुअर्थी शब्द है) का अवधि भाषा में अर्थ है देखना,  पहचनाना या परख करना और अधिकारी का मतलब हक़दार”।

इस प्रकार इस  चौपाई के इस हिस्से का अर्थ यह हुआ कि “ढोलक, अनपढ़, वंचित, जानवर और नारी, यह पांच पूरी तरह से जानने या परखने के विषय है।"

मित्रों इसके पश्चात मैंने अपने वामपंथी मित्र को पुन: समझाया और कहा आओ, इसे विस्तारपुर्वक इस प्रकार समझते हैं: -

१:-ढोलक को अगर सही तरिके से नहीं ताड़ा अर्थात सही ढंग से थाप नहीं दी तो उससे संगीत के सुर और ताल से जोड़ा नहीं जा सकता अत: उससे संगीत के मधुर स्वर उतपन्न करने के लिए उसे जानना अत्यंत आवश्यक है। अतः ढोलक पूरी तरह से जानने या अध्ययन का विषय है । एक अज्ञानी व्यक्ति ढोल से संगीत की ध्वनि नहीं उत्पन्न कर सकता है परन्तु ढोल को अच्छी प्रकार समझने वाला व्यक्ति उससे सुर लय ताल से बद्ध संगीत उतपन्न कर सकता हैं। " ढोल बाजे,  ढोल बाजे, ढोल बाजे ढोल की ढम ढम बाजे ढोल" ये तभी हो सकता है जब हम उसे अच्छे तरिके से ताड़ ले।

२:-इसी तरह अनपढ़ व्यक्ति आपकी किसी बात का गलत अर्थ निकाल सकता है या आप उसकी किसी बात को ना समझकर अनायास उसका उपहास उड़ा सकते हैं अतः उसके बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए! हे वामपंथी चिन के वामपंथी शासक "माओ" ने "Opression Sparrow" चलाकर करीब १०० करोड़ गौरैय्या पक्षी को मार डाला, जिसका परिणाम हुआ कि चिन कि खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गयी और भुखमरी से करीब २.५ करोड़ चीनी तडप तडप कर मर गए, ये गवांर होने का सबसे बड़ा उदाहरण है। यदि माओ अर्थात एक गवार की प्रकृति को समझकर उसके विज्ञानिको ने सलाह दी होती तो इतनी भयानकता का सामना नहीं करना पड़ता।

२:-इसी प्रकार  वंचित व्यक्ति अर्थात शूद्र को भी जानकर ही आप किसी कार्य में उसका सहयोग ले सकते हैं अन्यथा कार्य में  असफलता का डर बना रहता है और यदि हम शूद्र व्यक्ति की योग्यता के बारे में जानकर उनका सहयोग प्राप्त करना चाहे किसी लक्ष्य कि प्राप्ति हेतु तो किसी भी असफलता के बगैर हम उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए जैसे लेनिन एक सत्ता से वंचित व्यक्ति था। यद्यपि उसे शासन करने का कोई अनुभव नहीं था, परन्तु उसके द्वारा उतपन्न की गई क्रांति पर विश्वास करके सोवियत संघ की जनता ने उसे ताड़े बिना उसका साथ दिया और बदले में लेनिन ने सोवियत संघ की जनता की स्वतन्त्रता को बाधित कर दिया और विरोध करने पर करोड़ो नागरिकों का वध करवा दिया। यदि जनता ने उसे अच्छे से ताड़ लिया होता तो शायद उनका नरसंहार नहीं होता।

३:-हम सब जानते हैं कि चार पैर वाले जीव  के पास सोचने एवं समझने की क्षमता मनुष्य जितनी नहीं होती इसलिए कई बार वो हमारे किसी व्यवहार, आचरण, क्रियाकलाप या गतिविधि से आहत हो जाते हैं और ना चाहते हुए भी असुरक्षा के भाव में असामान्य कार्य कर बैठते हैं अतः पशु को भी भली-भांति जान लेना चाहिए, उनसे किसी भी प्रकार का कार्य लेने से पूर्व। अब एक उदाहरण से समझो एक वामपंथी अपने गांव से कभी बाहर नहीं गए थे, अत: उन्होंने केवल कुत्ता, गाय, बैल या भैंस इत्यादि को हि देखा था। एक बार वो अपने कुछ साथियो के साथ जंगल से होते हुए किसी दूसरे गांव में जा रहे थे। अचानक मार्ग में ५ -६ कि संख्या में जंगली कुत्ते आ जाते हैं। बाकी के साथी तो तुरंत पेड़ पर चढ़ जाते हैं पर वामपंथी उन्हें देखकर हँसते हैं और कहते हैं कि "अरे तुम लोग इन कुत्तो से डर रहे हो" और तभी वो कुत्ते उन पर आक्रमण कर देते हैं और वामपंथी को काटना शुरू कर देते हैं और फिर अत्यंत मुश्किल से वामपंथी उनके चंगुल से बचकर पेड़ पर चढने में सफल होते हैं और उनकी जान बच जाती है। अब यदि वामपंथी ने अपने अन्य साथियो कि बात मानकर जंगली और गाव वाले कुत्तो के मध्य अंतर ताड़ लिए होते तो ये हाल ना होता।

४:-अब हम आ जाते हैं "नारी" पर :-यदि आप स्त्रियों को नहीं समझते तो उनके साथ जीवन निर्वहन मुश्किल हो जाता है यहां स्त्री का तात्पर्य माता, बहन, पत्नी, मित्र या किसी भी ऐसी स्त्री से है जिनसे आप जीवनपर्यन्त जुड़े रहते हैं, ऐसे में आपसी सूझबूझ अत्यधिक आवश्यक होती है। आधुनिक परिवेश में जितने सम्बन्ध विच्छेद या तलाक के मामले सामने आ रहे हैं,  ये सभी एक दूसरे को ताड़ ना पाने के कारण हि हो रहे हैं।

और जब तुलसीदास जी स्वय एक साधारण मनुष्य का जीवन यापन कर रहे थे, तब उन्हें उनकी पत्नी रत्नावली केवल एक साधारण और रुपवती स्त्री ही लगती हैं। परन्तु जब रत्नावली ने उनके अपने प्रति अति आकर्षण को देख कहा

"अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति !

नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?"

अर्थात रत्नावली कहती हैं ”मेरे इस हाड – मांस के शरीर के प्रति जितनी तुम्हारी आसक्ति है, उसकी आधी भी अगर प्रभु से होती तो तुम्हारा जीवन संवर गया होता.” यह अनमोल शब्द सुनकर तुलसी जी निशब्द से खड़े रह गये,इन प्रेरक शब्दों ने उनके हृदय में गहराई तक उतरकर असर डाला और उनके ज्ञान चक्षु खुल गये। तुलसीदास जी को  अपनी जडता का अनुभव होगया। इन्ही शब्दों की शक्ति ने तुलसीराम को महान गोस्वामी तुलसीदास बना दिया।

वैसे कई विद्वानो ने अपने लेखो में स्पष्ट किया है कि, गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित उक्त पंक्ति कुछ इस प्रकार है:-

ढोल गंवार सूद्र पसु रारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥"

अर्थात जंहा पर गोस्वामी जी ने "रॉरी" शब्द का उपयोग किया है, उसे है चन्द्रशेखर जैसे मानसिक रूप से बीमार लोगों ने "नारी" शब्द से बदल दिया।अब यंहा "रॉरी" शब्द का अर्थ है "झगड़ा करने वाला व्यक्ति"  अर्थात ऐसा व्यक्ति जो हर बात में झगड़ा करने का तत्व ढूढने का प्रयास करता है, तो ऐसे व्यक्ति को ताड़ने की अत्यंत अवश्यक्ता होती है।

तो मित्रों इस प्रकार हम सबने देखा कि किस प्रकार बिहार को एक बार पुन: हिन्दुओ को आपस में लडाने की पूरी योजना बना ली गई है और समाज में जहरीले बयान देकर बस अग्नि प्रज्वलित करने का प्रयास किया जा रहा है।

जब मैंने वामपंथी मित्र को उक्त उदाहरण देकर समझाया तो उनके चेहरे पर खिल रही कुटिल मुस्कान के स्थान पर हवाइया उड़ने लगी और एक बार पुन: पराजित भाव से बुदबुदाते हुए उठ कर चलें गए।

लेखन और सन्कलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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