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बेचारा और असहाय कम्युनिस्ट बाप- "The Kerala Story"

29 मई 2023

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वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक और पथराई आँखों के साथ दरवाज़े पर लगे पर्दे को कसकर पकड़ के निढाल हो जाता है, उसकी पत्नी पर्दे के टूटने से गिरते हुए अपने पति के शरीर को सम्हालती हुई अपनी बेटी के मुह से गिर रही लार और आँखों से अभी भी बह रहे आसुओं के मिश्रण को देख चित्कार मारती हृदयावेधी ध्वनि से रोती हुई एक मूर्ति की भांति बैठ जाती है। वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक और पथराई आँखों के साथ दरवाज़े पर लगे पर्दे को कसकर पकड़ के निढाल हो जाता है, उसकी पत्नी पर्दे के टूटने से गिरते हुए अपने पति के शरीर को सम्हालती हुई अपनी बेटी के मुह से गिर रही लार और आँखों से अभी भी बह रहे आसुओं के मिश्रण को देख चित्कार मारती हृदयावेधी ध्वनि से रोती हुई एक मूर्ति की भांति बैठ जाती है।

कम्युनिस्ट के पत्नी की वेदनाभरी आवाज से अचंभित पड़ोसी दौड़कर आते हैँ तो उस भयानक दृश्य को देख चीख पड़ते हैँ और आनन फानन में उस बेजान हो चुके शरीर को पंखे से उतारकर निचे लिटाते हैँ। थोड़ी हि देर में कम्युनिस्ट को भी होश आता है और अपनी बेटी के लाश को देखता है और अपने कलेज़े पर पत्थर रखकर एक ओर सरक कर मौन हो जाता है। उस कम्युनिस्ट पिता के आँखों से अविरल अश्रु धारा बह रही है और वो चीखना चाहता है चिल्लाना चाहता है और अपनी वेदना और दर्द का एहसास कराना चाहता है, पर करे तो करे क्या, कम्युनिज्म की विदेशी और निर्र्थक विचारधारा उसे रोक रही है और कह रही है "अरे कामरेड तू किसको अपनी वेदना सुनाएगा, यंहा तो कम्युनिस्टों का शाशन है तो यदि दोषी भी बनाएगा तो किसको।" कम्युनिस्ट के पत्नी की वेदनाभरी आवाज से अचंभित पड़ोसी दौड़कर आते हैँ तो उस भयानक दृश्य को देख चीख पड़ते हैँ और आनन फानन में उस बेजान हो चुके शरीर को पंखे से उतारकर निचे लिटाते हैँ। थोड़ी हि देर में कम्युनिस्ट को भी होश आता है और अपनी बेटी के लाश को देखता है और अपने कलेज़े पर पत्थर रखकर एक ओर सरक कर मौन हो जाता है। उस कम्युनिस्ट पिता के आँखों से अविरल अश्रु धारा बह रही है और वो चीखना चाहता है चिल्लाना चाहता है और अपनी वेदना और दर्द का एहसास कराना चाहता है, पर करे तो करे क्या, कम्युनिज्म की विदेशी और निर्र्थक विचारधारा उसे रोक रही है और कह रही है "अरे कामरेड तू किसको अपनी वेदना सुनाएगा, यंहा तो कम्युनिस्टों का शाशन है तो यदि दोषी भी बनाएगा तो किसको।"

इधर उसकी पत्नी अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर अपनी लाडली के अंतिम यात्रा की तैयारी करती है। जब उसकी अर्थी उठने को थी कि उस कम्युनिस्ट के मौन को तोड़ा गया तो वो घुट घुट कर अपने आसुओं को पिता हुआ आगे बढ़ा पर कम्युनिज्म विचारधारा ने एक बार फिर उसके पाव में बेड़िया डाल दी पर अब उसकी पत्नी के धैर्य का बांध टूट गया और गुस्से से लाल होती हुई अपने आँखों से बरस रहे खुन रूपी आसुओं को पोछती अपने बेटी के सिर से हिजाब को खींच कर अग्नि के हवाले करती है और स्वयं अपनी बेटी को कंधा देने आगे बढ़ती है और ये सब देख वो कम्युनिस्ट आत्मग्लानि से डूबा अपनी बेटी को कंधा देने के लिए आगे बढ़ आता है।इधर उसकी पत्नी अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर अपनी लाडली के अंतिम यात्रा की तैयारी करती है। जब उसकी अर्थी उठने को थी कि उस कम्युनिस्ट के मौन को तोड़ा गया तो वो घुट घुट कर अपने आसुओं को पिता हुआ आगे बढ़ा पर कम्युनिज्म विचारधारा ने एक बार फिर उसके पाव में बेड़िया डाल दी पर अब उसकी पत्नी के धैर्य का बांध टूट गया और गुस्से से लाल होती हुई अपने आँखों से बरस रहे खुन रूपी आसुओं को पोछती अपने बेटी के सिर से हिजाब को खींच कर अग्नि के हवाले करती है और स्वयं अपनी बेटी को कंधा देने आगे बढ़ती है और ये सब देख वो कम्युनिस्ट आत्मग्लानि से डूबा अपनी बेटी को कंधा देने के लिए आगे बढ़ आता है।

मित्रों मैनें जैसे "ताशकन्द फाइल्स" देखी, जैसे RRR देखी और जैसे "द कश्मीर फाइल्स" देखी कुछ वैसे हि "द केरला स्टोरी" भी देखी। सभी सच्ची घटनाओं पर आधारित हैँ और सभी का विरोध कम से कम कम्युनिस्टो ने तो अवश्य किया है।मित्रों मैनें जैसे "ताशकन्द फाइल्स" देखी, जैसे RRR देखी और जैसे "द कश्मीर फाइल्स" देखी कुछ वैसे हि "द केरला स्टोरी" भी देखी। सभी सच्ची घटनाओं पर आधारित हैँ और सभी का विरोध कम से कम कम्युनिस्टो ने तो अवश्य किया है।

पर आप जानते हैँ, मुझे सबसे अधिक खुशी और शर्म दोनों केवल "द केरला स्टोरी" में उस लाचार कम्युनिस्ट बाप को देखकर हुई, जिसने अपनी बेटी को धर्म से यह कहकर दूर रखा कि "धर्म तो अफीम है, जो इंसानियत को बर्बाद कर देता है"!पर आप जानते हैँ, मुझे सबसे अधिक खुशी और शर्म दोनों केवल "द केरला स्टोरी" में उस लाचार कम्युनिस्ट बाप को देखकर हुई, जिसने अपनी बेटी को धर्म से यह कहकर दूर रखा कि "धर्म तो अफीम है, जो इंसानियत को बर्बाद कर देता है"!

आइये इस कम्युनिस्ट की कहानी पर एक दृष्टि डालते हैँ।आइये इस कम्युनिस्ट की कहानी पर एक दृष्टि डालते हैँ।

अपनी बेटी की जलती चिता अभी भी उस कम्युनिस्ट बाप के आँखों के सामने घूम रही थी और धीरे धीरे वो अपने अतीत के पन्नो को उलटने लगता है।अपनी बेटी की जलती चिता अभी भी उस कम्युनिस्ट बाप के आँखों के सामने घूम रही थी और धीरे धीरे वो अपने अतीत के पन्नो को उलटने लगता है।

केरला के एक छोटे से जिले के एक छोटे से गाँव में यह कम्युनिस्ट अपनी पत्नी और पुत्री के साथ निवास करता है। सबकुछ अच्छा है, घर है, गाड़ी है, बंगला है, सम्मान है और एक कद्दावर कम्युनिस्ट के रूप में समाज में प्रभाव भी है।केरला के एक छोटे से जिले के एक छोटे से गाँव में यह कम्युनिस्ट अपनी पत्नी और पुत्री के साथ निवास करता है। सबकुछ अच्छा है, घर है, गाड़ी है, बंगला है, सम्मान है और एक कद्दावर कम्युनिस्ट के रूप में समाज में प्रभाव भी है।

यह कम्युनिस्ट बाप अपनी बेटी को कम्युनिज्म की विदेशी विचारधारा के अनुसार पालता पोसता है और धार्मिक क्रिया कलापों से सदैव दूर रखता है, यंहा तक की कहानी के रूप में भी सनातन धर्म के आधारभुत सिद्धांतो को भी नही जानने देता। परिणामस्वरूप बच्ची बड़ी होती है, शिक्षित भी होती है परन्तु कम्युनिज्म के खोखले अमानवीय सिद्धांतों में लिपटे होने के कारण ना तो कम्युनिज्म को दृढ़ता से अंगीकार कर पाती है और ना हि अपने धर्म को। यह उसके लिए हि नहीं केरल के प्रत्येक हिन्दु परिवार के लिए भयानक खतरे की घंटी होती है।यह कम्युनिस्ट बाप अपनी बेटी को कम्युनिज्म की विदेशी विचारधारा के अनुसार पालता पोसता है और धार्मिक क्रिया कलापों से सदैव दूर रखता है, यंहा तक की कहानी के रूप में भी सनातन धर्म के आधारभुत सिद्धांतो को भी नही जानने देता। परिणामस्वरूप बच्ची बड़ी होती है, शिक्षित भी होती है परन्तु कम्युनिज्म के खोखले अमानवीय सिद्धांतों में लिपटे होने के कारण ना तो कम्युनिज्म को दृढ़ता से अंगीकार कर पाती है और ना हि अपने धर्म को। यह उसके लिए हि नहीं केरल के प्रत्येक हिन्दु परिवार के लिए भयानक खतरे की घंटी होती है।

कम्युनिस्ट इधर " लाल सलाम" से क्रांति पैदा करता है उधर उसकी बेटी देखते ही  देखते बड़ी हो जाती है और नर्सिंग की पढ़ाई के लिए इस्लामिक प्रभुत्व वाले क्षेत्र कासरगोढ के एक प्रसिद्ध नर्सिंग विद्यालय में प्रवेश लेती है, जंहा पर उसे जीवन के असली चुनौती से सामना करना होता है।कम्युनिस्ट इधर " लाल सलाम" से क्रांति पैदा करता है उधर उसकी बेटी देखते ही  देखते बड़ी हो जाती है और नर्सिंग की पढ़ाई के लिए इस्लामिक प्रभुत्व वाले क्षेत्र कासरगोढ के एक प्रसिद्ध नर्सिंग विद्यालय में प्रवेश लेती है, जंहा पर उसे जीवन के असली चुनौती से सामना करना होता है।

कम्युनिस्ट ने अपनी बेटी को ना तो सनातनी मान्यताओं के समीप जाने दिया और ना ही अपनी तरह कामरेड बनाया, परिणामस्वरूप वो लड़की एक कोरे कागज की भांति थी जिसे कोई भी आसानी से अपनी बातों के प्रभाव में ले सकता था।कम्युनिस्ट ने अपनी बेटी को ना तो सनातनी मान्यताओं के समीप जाने दिया और ना ही अपनी तरह कामरेड बनाया, परिणामस्वरूप वो लड़की एक कोरे कागज की भांति थी जिसे कोई भी आसानी से अपनी बातों के प्रभाव में ले सकता था।

वो हॉस्टल के जिस कमरे में रहने के लिए जाति है, वंहा पर इस्लामिक मजहब के आवरण में लिपटी शाजिया भी रहने आती है, उसका घर उसी विद्यालय के आस पास होता है, इसलिए वो प्रत्येक छुट्टी वाले दिन अपने घर चली जाती है।वो हॉस्टल के जिस कमरे में रहने के लिए जाति है, वंहा पर इस्लामिक मजहब के आवरण में लिपटी शाजिया भी रहने आती है, उसका घर उसी विद्यालय के आस पास होता है, इसलिए वो प्रत्येक छुट्टी वाले दिन अपने घर चली जाती है।

इधर कम्युनिस्ट की बेटी के साथ दो अन्य लड़कियाँ भी आती हैँ और सब मिलजुल कर रहना शुरु कर देती हैँ। कम्युनिस्ट की बेटी और अन्य दो लड़कियों को तो अपने धर्म के बारे में बेसिक जानकारी भी नहीं थी वही शाजिया इस्लामिक मजहब में डूबी हुई थी।इधर कम्युनिस्ट की बेटी के साथ दो अन्य लड़कियाँ भी आती हैँ और सब मिलजुल कर रहना शुरु कर देती हैँ। कम्युनिस्ट की बेटी और अन्य दो लड़कियों को तो अपने धर्म के बारे में बेसिक जानकारी भी नहीं थी वही शाजिया इस्लामिक मजहब में डूबी हुई थी।

शाजिया बात बात में अपने "अल्लाह" की बड़ाई करती है और जब इन लड़कियों के धर्म के बारे में पूछती है, तो इनके पास कोई उत्तर नहीं होता है और ये केवल उसकी बातो को ध्यान से सुनने के अलावा कुछ नहीं कर पाती।शाजिया बात बात में अपने "अल्लाह" की बड़ाई करती है और जब इन लड़कियों के धर्म के बारे में पूछती है, तो इनके पास कोई उत्तर नहीं होता है और ये केवल उसकी बातो को ध्यान से सुनने के अलावा कुछ नहीं कर पाती।

एक साजिश के अनुसार शाजिया इस कम्युनिस्ट की बेटी और इसके दोस्तों को अपने पुरुष मुसलमान मित्रों से मुलाक़ात कराती है। उन पुरुष मोमिनों के मुंह से खैरात(दान) देकर् लोगों की सहायता करने तथा अन्य सदाचारी बाते सुनकर ये कम्युनिस्ट के बेटी और उसके दो सखियाँ प्रभावित हो जाती हैँ।एक साजिश के अनुसार शाजिया इस कम्युनिस्ट की बेटी और इसके दोस्तों को अपने पुरुष मुसलमान मित्रों से मुलाक़ात कराती है। उन पुरुष मोमिनों के मुंह से खैरात(दान) देकर् लोगों की सहायता करने तथा अन्य सदाचारी बाते सुनकर ये कम्युनिस्ट के बेटी और उसके दो सखियाँ प्रभावित हो जाती हैँ।

एक बार होटल में खाना खाने के दौरान इस्लामिक शाजिया खाने से पहले अल्लाह को शुक्रिया करते हुए आंखे बंद करती है, यह देख कम्युनिस्ट की बेटी और उसकी एक साथी अचंभित हो जाती हैँ। पर शाजिया जब उन्हें कहती है कि "Eating Without Prayer is SIN " तो जोर का झटका बड़े हि सटीक तरिके से उनके मस्तिष्क को झकझोर देता है।एक बार होटल में खाना खाने के दौरान इस्लामिक शाजिया खाने से पहले अल्लाह को शुक्रिया करते हुए आंखे बंद करती है, यह देख कम्युनिस्ट की बेटी और उसकी एक साथी अचंभित हो जाती हैँ। पर शाजिया जब उन्हें कहती है कि "Eating Without Prayer is SIN " तो जोर का झटका बड़े हि सटीक तरिके से उनके मस्तिष्क को झकझोर देता है।

उसी होटल में कम्युनिस्ट की बेटी और उसकी दोस्त उन पुरुष मोमिनो के साथ नाच गाने में मशगूल हो जाति हैँ, जबकी शाजिया अपने इस्लामिक चरमपन्थ के आवरण में नये तरिके का ईजाद करते हुए वही बैठी रहती है।उसी होटल में कम्युनिस्ट की बेटी और उसकी दोस्त उन पुरुष मोमिनो के साथ नाच गाने में मशगूल हो जाति हैँ, जबकी शाजिया अपने इस्लामिक चरमपन्थ के आवरण में नये तरिके का ईजाद करते हुए वही बैठी रहती है।

होटल से हॉस्टल के रास्ते में शाजिया उनको "अल्लाह" की महानता के बारे में बताती है और कहती है कि " इस दुनिया को केवल अल्लाह चलाता है" और कोई नहीं। कम्युनिस्ट के बेटी और उसके साथियों के पास इस दावे का कोई उत्तर नहीं था अत: वो चुपचाप चल देते हैँ।होटल से हॉस्टल के रास्ते में शाजिया उनको "अल्लाह" की महानता के बारे में बताती है और कहती है कि " इस दुनिया को केवल अल्लाह चलाता है" और कोई नहीं। कम्युनिस्ट के बेटी और उसके साथियों के पास इस दावे का कोई उत्तर नहीं था अत: वो चुपचाप चल देते हैँ।

इधर शाजिया उनके मस्तिष्क से खेलना शुरु करती है क्योंकि ऐसे या वैसे उसे अपने अल्लाह को बड़ा साबित करना है और अपनी संख्या बढ़ानी है। शाजिया उन्हें अपने घर ले जाती  है, दावते देती है, अपने परिवार के सदस्यों से मिलवाती है, ईद और अन्य त्यौहार मनवाती है और यंहा तक कि उन मोमीन पुरुषों में से एक साथ कम्युनिस्ट की बेटी के प्रेम प्रसंग भी शुरु हो जाते हैँ।इधर शाजिया उनके मस्तिष्क से खेलना शुरु करती है क्योंकि ऐसे या वैसे उसे अपने अल्लाह को बड़ा साबित करना है और अपनी संख्या बढ़ानी है। शाजिया उन्हें अपने घर ले जाती  है, दावते देती है, अपने परिवार के सदस्यों से मिलवाती है, ईद और अन्य त्यौहार मनवाती है और यंहा तक कि उन मोमीन पुरुषों में से एक साथ कम्युनिस्ट की बेटी के प्रेम प्रसंग भी शुरु हो जाते हैँ।

अब शाजिया अपनी धूर्तता और मक्कारी की अंतिम चाल चलती है। जब कम्युनिस्ट की बेटी अपने साथियों के साथ माल घूमने जाति है तो माल के अंदर योजना के मुताबिक कई मोमिन उन्हें घेर कर शैतानी करने लगते हैँ और अंत में उन सभी लड़कियों के कपड़े फाड़ देते हैँ।अब शाजिया अपनी धूर्तता और मक्कारी की अंतिम चाल चलती है। जब कम्युनिस्ट की बेटी अपने साथियों के साथ माल घूमने जाति है तो माल के अंदर योजना के मुताबिक कई मोमिन उन्हें घेर कर शैतानी करने लगते हैँ और अंत में उन सभी लड़कियों के कपड़े फाड़ देते हैँ।

कम्युनिस्ट की बेटी अपने साथियों के साथ हॉस्टल में जाती है और अपनी योजना के सफल हो जाने पर अल्लाह को शुक्रिया कर अपने शाजिश को अंजाम तक पहुंचाने में लग जाती है। शाजिया कहती है "देखा वंहा पर बहुत सी लड़कियाँ थी पर शैतानो ने केवल तुम लोगों पर हि हमला किया, क्यों? क्योंकि जो अल्लाह को मानते हैँ और बुर्का और हिजाब पहनते हैँ, अल्लाह केवल उनकी रक्षा करता है"! और केवल अल्लाह ही है जो शैतानो से रक्षा करता है, कोई भगवान या GOD नहीं।कम्युनिस्ट की बेटी अपने साथियों के साथ हॉस्टल में जाती है और अपनी योजना के सफल हो जाने पर अल्लाह को शुक्रिया कर अपने शाजिश को अंजाम तक पहुंचाने में लग जाती है। शाजिया कहती है "देखा वंहा पर बहुत सी लड़कियाँ थी पर शैतानो ने केवल तुम लोगों पर हि हमला किया, क्यों? क्योंकि जो अल्लाह को मानते हैँ और बुर्का और हिजाब पहनते हैँ, अल्लाह केवल उनकी रक्षा करता है"! और केवल अल्लाह ही है जो शैतानो से रक्षा करता है, कोई भगवान या GOD नहीं।

फिर वो कम्युनिस्ट हिन्दु लड़की के सामने महादेव और प्रभु श्रीराम की बुराई करती है और पूछती है की तुम्हारा ईश्वर जब अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पाया तो तुम्हारी क्या रक्षा करेगा। अब यदि इस कम्युनिस्ट बच्ची को कुछ भी पता रहता अपने धर्म के विषय में तो वो प्रतीकर कर सकती थी परन्तु उसके बाप के अनुसार तो " धर्म अफीम है"! अत: वो कैसे जान सकती थी।फिर वो कम्युनिस्ट हिन्दु लड़की के सामने महादेव और प्रभु श्रीराम की बुराई करती है और पूछती है की तुम्हारा ईश्वर जब अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पाया तो तुम्हारी क्या रक्षा करेगा। अब यदि इस कम्युनिस्ट बच्ची को कुछ भी पता रहता अपने धर्म के विषय में तो वो प्रतीकर कर सकती थी परन्तु उसके बाप के अनुसार तो " धर्म अफीम है"! अत: वो कैसे जान सकती थी।

इसके पश्चात ये कम्युनिस्ट की बेटी अपने एक हिन्दु दोस्त के साथ  शाजिया के द्वारा पहचान कराये गये दो मोमिनो में से एक के घर पर जाती हैँ। वो दोनो मोमिन इनसे हमदर्दी जताते हुए अपनेपन की चासनी में इन्हें शीशे में उतार लेते हैँ और फिर चिंता को दूर करने के नाम पर एक गोली खाने को देते हैँ और फिर उनकी इज्जत को तार तार कर देते हैँ।इसके पश्चात ये कम्युनिस्ट की बेटी अपने एक हिन्दु दोस्त के साथ  शाजिया के द्वारा पहचान कराये गये दो मोमिनो में से एक के घर पर जाती हैँ। वो दोनो मोमिन इनसे हमदर्दी जताते हुए अपनेपन की चासनी में इन्हें शीशे में उतार लेते हैँ और फिर चिंता को दूर करने के नाम पर एक गोली खाने को देते हैँ और फिर उनकी इज्जत को तार तार कर देते हैँ।

इधर अपनी इज्जत के लूट जाने से बेखबर कम्युनिस्ट कि बेटी और उसकी दोस्त अब हिजाब पहनने लगते हैँ। अब उनके मस्तिष्क में जंहा कोई नहीं था वंहा अब "अल्लाह"  हल्ला मचाने लगता है। इधर अपनी इज्जत के लूट जाने से बेखबर कम्युनिस्ट कि बेटी और उसकी दोस्त अब हिजाब पहनने लगते हैँ। अब उनके मस्तिष्क में जंहा कोई नहीं था वंहा अब "अल्लाह"  हल्ला मचाने लगता है।

इधर हॉस्टल की छुट्टियाँ होती हैँ और कम्युनिस्ट की बेटी अपने घर पहुंचकर घंटी बजाती है, जैसे हि उसकी माँ दरवाजा खोलती है, वो अपनी बेटी का यह रूप देख अवाक् रह जाती है वो अपने पति को बुलाती है, और कम्युनिस्ट बाप जब अपनी बेटी को देखता है तो उसकी जिंदगी मानो थम सी जाती है, वो अपनी बेटी को हिजाब में देख सन्न रह जाता है।इधर हॉस्टल की छुट्टियाँ होती हैँ और कम्युनिस्ट की बेटी अपने घर पहुंचकर घंटी बजाती है, जैसे हि उसकी माँ दरवाजा खोलती है, वो अपनी बेटी का यह रूप देख अवाक् रह जाती है वो अपने पति को बुलाती है, और कम्युनिस्ट बाप जब अपनी बेटी को देखता है तो उसकी जिंदगी मानो थम सी जाती है, वो अपनी बेटी को हिजाब में देख सन्न रह जाता है।

बेटी के तेवर और बात बात पर अल्लाह की बड़ाई वाली आदतों को देख, कम्युनिस्ट बाप के भेजे से कम्युनिज्म का बुखार हि उतर जाता है, एक झटके में अपनी बेटी को इस जिहाद का शिकार बनता देख उसे अपने आप पर और अपने कम्युनिज्म पर आत्मग्लानि होने लगती है। वो समझ नहीं पाता कि आखिर उसकी अपनी बेटी हि इस जिहाद का शिकार कैसे हो गयी।बेटी के तेवर और बात बात पर अल्लाह की बड़ाई वाली आदतों को देख, कम्युनिस्ट बाप के भेजे से कम्युनिज्म का बुखार हि उतर जाता है, एक झटके में अपनी बेटी को इस जिहाद का शिकार बनता देख उसे अपने आप पर और अपने कम्युनिज्म पर आत्मग्लानि होने लगती है। वो समझ नहीं पाता कि आखिर उसकी अपनी बेटी हि इस जिहाद का शिकार कैसे हो गयी।

भाग्-२-उठिये चाय पीजिए।

भाग्-२भाग्-२

भाग्-२उठिये चाय पीजिए।उठिये चाय पीजिए।

पत्नी के इन शब्दों ने कम्युनिस्ट को अपने अतीत के पन्नो से बाहर निकाला और दोनों पति पत्नी अपने आँखों में आंसू भरे एक दूसरे को देखे बिना चाय पिने लगते है। कम्युनिस्ट की पत्नी उसे सूचना देकर बाजार चली जाती है। इधर अंधेरे ने एक बार फिर कम्युनिस्ट के हृदय पर दस्तक दिया और उसे उसके अतीत में धकेल दिया।

हॉस्टल की छुट्टियाँ बितने में अभी कुछ दिन बाकी थे कि तभी, अब्दुल (उन्ही दो मोमिनों में से एक) का फोन आता है और अल्लाह को अपने दिमाग़ में बसाये हिजाब को पहन अपना सामान लेकर कम्युनिस्ट की बेटी अपने माता पिता को बिना बताये हॉस्टल के लिए चल देती है।हॉस्टल की छुट्टियाँ बितने में अभी कुछ दिन बाकी थे कि तभी, अब्दुल (उन्ही दो मोमिनों में से एक) का फोन आता है और अल्लाह को अपने दिमाग़ में बसाये हिजाब को पहन अपना सामान लेकर कम्युनिस्ट की बेटी अपने माता पिता को बिना बताये हॉस्टल के लिए चल देती है।

कम्युनिस्ट की बेटी अपने अब्दुल के घर पर रूकती है और नशीली पर उत्तेजक दवाओं की आदि हो जाने के कारण लोक लाज को छोड़कर अब्दुल के जिस्मानी भूख और उसके पीछे छिपे एजेंडे के अनुसार कार्य करने लगती है। दोनो के शरीर निकाह से पहले एक दूसरे को कुबूल कर लेते हैँ।कम्युनिस्ट की बेटी अपने अब्दुल के घर पर रूकती है और नशीली पर उत्तेजक दवाओं की आदि हो जाने के कारण लोक लाज को छोड़कर अब्दुल के जिस्मानी भूख और उसके पीछे छिपे एजेंडे के अनुसार कार्य करने लगती है। दोनो के शरीर निकाह से पहले एक दूसरे को कुबूल कर लेते हैँ।

इधर कम्युनिस्ट बाप अपनी बेटी को बुलाने के सारे प्रयास कर लेता है परन्तु असफलता के बोझ को स्वीकार नहीं कर पाता क्योंकि शाजिया के अल्लाह और उन दवाइयों ने कम्युनिस्ट की बेटी के ना केवल शरीर अपितु मस्तिष्क भी नियंत्रण कर लिया था।इधर कम्युनिस्ट बाप अपनी बेटी को बुलाने के सारे प्रयास कर लेता है परन्तु असफलता के बोझ को स्वीकार नहीं कर पाता क्योंकि शाजिया के अल्लाह और उन दवाइयों ने कम्युनिस्ट की बेटी के ना केवल शरीर अपितु मस्तिष्क भी नियंत्रण कर लिया था।

एक बार शाजिया कि उपस्थिति में कम्युनिस्ट की पत्नी अपनी बेटी को यह कहकर बुलाती है कि "आजा बेटी तेरा बाप हृदयाघात होने के कारण अस्पताल में है" परन्तु अल्लाह तो काफिरों को दोजख की आग में जलाता है" और शाजिया ने तो इस बेटी को पुरी तरिके से इस्लाम में बदल दिया था। अत: यह बेटी अपने पिता को देखने से इंकार करती है और कहती है कि "वे काफिर हैँ अत: मै उनसे नहीं मिलने जाउंगी"!एक बार शाजिया कि उपस्थिति में कम्युनिस्ट की पत्नी अपनी बेटी को यह कहकर बुलाती है कि "आजा बेटी तेरा बाप हृदयाघात होने के कारण अस्पताल में है" परन्तु अल्लाह तो काफिरों को दोजख की आग में जलाता है" और शाजिया ने तो इस बेटी को पुरी तरिके से इस्लाम में बदल दिया था। अत: यह बेटी अपने पिता को देखने से इंकार करती है और कहती है कि "वे काफिर हैँ अत: मै उनसे नहीं मिलने जाउंगी"!

जब शातिर और धूर्त शाजिया को पता चलता है कि " इसकी माँ "ज्वेलरी देने के लिए बूला रही है" तब यह कहती है कि "तू जा और ज्वेलरी ले आ, क्योंकि काफिरों से मिला धन हराम नहीं होता" और सुन जब तक तू अपने बाप पर थूकती नहीं और पत्थर नहीं मारती तब तक तू उनको छोड़ नहीं पायेगी।जब शातिर और धूर्त शाजिया को पता चलता है कि " इसकी माँ "ज्वेलरी देने के लिए बूला रही है" तब यह कहती है कि "तू जा और ज्वेलरी ले आ, क्योंकि काफिरों से मिला धन हराम नहीं होता" और सुन जब तक तू अपने बाप पर थूकती नहीं और पत्थर नहीं मारती तब तक तू उनको छोड़ नहीं पायेगी।

कम्युनिस्ट की बेटी अस्पताल जाती है, अपनी माँ को रोते बिलखते देखने के पश्चात भी उसके प्रति जरा भी सहानुभूति नही दिखाती अपितु हिकारत भरी दृष्टि डालते हुए कहती है, "तुम लोग काफिर हो, तुम पर अल्लाह का अजाब गिरा है, इस्लाम कुबूल कर लो"! और ऐसा कहते हुए अपने पिता के सिर के पास जाकर थूक देती है।कम्युनिस्ट की बेटी अस्पताल जाती है, अपनी माँ को रोते बिलखते देखने के पश्चात भी उसके प्रति जरा भी सहानुभूति नही दिखाती अपितु हिकारत भरी दृष्टि डालते हुए कहती है, "तुम लोग काफिर हो, तुम पर अल्लाह का अजाब गिरा है, इस्लाम कुबूल कर लो"! और ऐसा कहते हुए अपने पिता के सिर के पास जाकर थूक देती है।

पर धीरे धीरे उस कम्युनिस्ट की बेटी को इस बात का एहसास होने लगता है कि " उसे नशीली और उत्तेजक दवाओं का रोगी बना दिया गया है।" वो अपने अब्दुल से बात करती है और उसके कहने पर नशीली दवाओं के प्रभाव में आकर  अपनी वस्त्रहीन तस्वीरें उसको भेजती है।पर धीरे धीरे उस कम्युनिस्ट की बेटी को इस बात का एहसास होने लगता है कि " उसे नशीली और उत्तेजक दवाओं का रोगी बना दिया गया है।" वो अपने अब्दुल से बात करती है और उसके कहने पर नशीली दवाओं के प्रभाव में आकर  अपनी वस्त्रहीन तस्वीरें उसको भेजती है।

इधर उसकी दोस्त तो गर्भवती होकर शाजिया के जाल में पुरी तरह फंस जाती है और आतंकी मौलवियों के द्वारा सीरिया जाकर खलीफा का खिदमत करने को विवश हो जाती है।इधर उसकी दोस्त तो गर्भवती होकर शाजिया के जाल में पुरी तरह फंस जाती है और आतंकी मौलवियों के द्वारा सीरिया जाकर खलीफा का खिदमत करने को विवश हो जाती है।

पर कम्युनिस्ट की बेटी अपने अब्दुल के बहकावे में आकर सीरिया जाने से इंकार कर देती है और फिर शैतान अपने असली रूप में आता है और कम्युनिस्ट की बेटी को धमकियाँ देने लगता है कि यदि तु मेरे साथ नहीं आयी तो तेरे सारे फोटो सोशल मीडिया पर प्रकाशित कर दूंगा।पर कम्युनिस्ट की बेटी अपने अब्दुल के बहकावे में आकर सीरिया जाने से इंकार कर देती है और फिर शैतान अपने असली रूप में आता है और कम्युनिस्ट की बेटी को धमकियाँ देने लगता है कि यदि तु मेरे साथ नहीं आयी तो तेरे सारे फोटो सोशल मीडिया पर प्रकाशित कर दूंगा।

अब अल्लाह को मानने वाले इन शैतानों से उबकर अंतत: वो अपने कम्युनिस्ट बाप के पास लौट आती है। "अरे सो गये क्या" उठिये खाना खा लीजिये"!अब अल्लाह को मानने वाले इन शैतानों से उबकर अंतत: वो अपने कम्युनिस्ट बाप के पास लौट आती है। "अरे सो गये क्या" उठिये खाना खा लीजिये"!

कम्युनिस्ट फिर से अतीत में भ्रमण करता हुआ वर्तमान के खालीपन में आकर ठहर गया, किसी प्रकार मुंह में दो निवाले गये, पर खाना नहीं खाया गया। दोनों पति पत्नी इतने वर्ष एक साथ व्यतीत करने और हर सुख दुख में एक दूसरे का साथ देने के पश्चात भी बेटी के साथ हुए इस जघन्य अपराध को भूल नहीं पा रहे थे।कम्युनिस्ट फिर से अतीत में भ्रमण करता हुआ वर्तमान के खालीपन में आकर ठहर गया, किसी प्रकार मुंह में दो निवाले गये, पर खाना नहीं खाया गया। दोनों पति पत्नी इतने वर्ष एक साथ व्यतीत करने और हर सुख दुख में एक दूसरे का साथ देने के पश्चात भी बेटी के साथ हुए इस जघन्य अपराध को भूल नहीं पा रहे थे।

तीसरा भाग।तीसरा भाग।

खाना खाने के पश्चात थोड़े हि देर में कम्युनिस्ट कि पत्नी अपनी सिसकियों और अपने आँखों से बहते हुए आँसुओ को रोकने में असफल होने के कारण, बेचैनी की दशा में छत पर चली गयी और इधर ये कम्युनिस्ट पुन: अतीत के पन्नो में खो गया।खाना खाने के पश्चात थोड़े हि देर में कम्युनिस्ट कि पत्नी अपनी सिसकियों और अपने आँखों से बहते हुए आँसुओ को रोकने में असफल होने के कारण, बेचैनी की दशा में छत पर चली गयी और इधर ये कम्युनिस्ट पुन: अतीत के पन्नो में खो गया।

बेटी लौटकर् तो आ गयी थी परन्तु उसकी आँखों से बहते आंसु और कभी भी कुछ भी गलत हो जाने के डर ने उसे जान रहित जिस्म में बदल दिया था। कम्युनिस्ट अपनी बेटी से बात करने का प्रयास करता है, तो उसकी बेटी उसे उलाहना देते कहती है,"पापा सब आपकी गलती है, इस खोखले विदेशी कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाकर आपने मुझे मेरे धर्म से हि दूर कर दिया, यदि आपने मुझे उसी प्रकार धार्मिक ज्ञान दिया जैसा शाजिया को उसके माँ बाप ने दिया था तो आज मै अपने आपको इस हालात में नहीं पाती, पापा आपने ऐसा क्यों किया?बेटी लौटकर् तो आ गयी थी परन्तु उसकी आँखों से बहते आंसु और कभी भी कुछ भी गलत हो जाने के डर ने उसे जान रहित जिस्म में बदल दिया था। कम्युनिस्ट अपनी बेटी से बात करने का प्रयास करता है, तो उसकी बेटी उसे उलाहना देते कहती है,"पापा सब आपकी गलती है, इस खोखले विदेशी कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाकर आपने मुझे मेरे धर्म से हि दूर कर दिया, यदि आपने मुझे उसी प्रकार धार्मिक ज्ञान दिया जैसा शाजिया को उसके माँ बाप ने दिया था तो आज मै अपने आपको इस हालात में नहीं पाती, पापा आपने ऐसा क्यों किया?

अब कम्युनिस्ट को काटो तो खून नहीं वाले हालात के दर्शन होने लगे, वह अपनी बेटी के प्रश्नों से लज्जा और शर्म से झुक गया। उसे आत्मग्लानी खाने लगी। उसे अब इस तथ्य का आभास हुआ कि "कम्युनिस्टों के चक्कर में आकर उसने अपनी बेटी और पूरे परिवार को शैतानी ताकतों के मध्य अकेला छोड़ दिया। कम्यनिस्ट विचारधारा के खोखले आदर्शो की आड़ में उसने अपनी बेटी को इस लायक़ भी नहीं बनाया कि वो शाजिया और अब्दुल जैसे शैतानी ताकतों का मुकबला कर सके।अब कम्युनिस्ट को काटो तो खून नहीं वाले हालात के दर्शन होने लगे, वह अपनी बेटी के प्रश्नों से लज्जा और शर्म से झुक गया। उसे आत्मग्लानी खाने लगी। उसे अब इस तथ्य का आभास हुआ कि "कम्युनिस्टों के चक्कर में आकर उसने अपनी बेटी और पूरे परिवार को शैतानी ताकतों के मध्य अकेला छोड़ दिया। कम्यनिस्ट विचारधारा के खोखले आदर्शो की आड़ में उसने अपनी बेटी को इस लायक़ भी नहीं बनाया कि वो शाजिया और अब्दुल जैसे शैतानी ताकतों का मुकबला कर सके।

आज वो कम्युनिस्ट पूर्णतया टूट चुका था। कम्युनिजम का भूत उसके सिर से उतर चुका था, उसे अपनी बेटी की शिकायत में सच्चाई दिखाई दे रही थी। आज उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि कैसे उसने इस वाहियात विचारधारा को अपना लिया और कैसे उसने अपना ५५ वर्ष का जीवन इस खोखली और निकृष्ट विचारधारा को समर्पित कर दिया।आज वो कम्युनिस्ट पूर्णतया टूट चुका था। कम्युनिजम का भूत उसके सिर से उतर चुका था, उसे अपनी बेटी की शिकायत में सच्चाई दिखाई दे रही थी। आज उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि कैसे उसने इस वाहियात विचारधारा को अपना लिया और कैसे उसने अपना ५५ वर्ष का जीवन इस खोखली और निकृष्ट विचारधारा को समर्पित कर दिया।

और इसका अंत इतना भयावह हुआ कि " अब्दुल को भेजे गये फोटो, मिडिल इस्ट के देशों से सोशल मीडिया पर वायरल कर दिये गये ना केवल प्राइवेट अपितु सरकारी संस्थानों के वेबसाईटो पर भी और फिर न्यूज़ चैनलो के माध्यम से कम्युनिस्ट कि बेटी के पास पहुंच जाती हैँ, शेष आप पढ़ चुके है।और इसका अंत इतना भयावह हुआ कि " अब्दुल को भेजे गये फोटो, मिडिल इस्ट के देशों से सोशल मीडिया पर वायरल कर दिये गये ना केवल प्राइवेट अपितु सरकारी संस्थानों के वेबसाईटो पर भी और फिर न्यूज़ चैनलो के माध्यम से कम्युनिस्ट कि बेटी के पास पहुंच जाती हैँ, शेष आप पढ़ चुके है।

तन्द्रा भंग होती है, तो कम्युनिस्ट को शोर सुनाई देता है और जब वह दौड़कर अपनी पत्नी के साथ बाहर आता है तो उसका घर आग के हवाले किया गया मिलता है। कम्युनिस्ट बाप को अपने कम्युनिस्ट विचारधारा से बेटी की बदनामी, उसकी लाश और अपना जलता आशियाना मिलता है।तन्द्रा भंग होती है, तो कम्युनिस्ट को शोर सुनाई देता है और जब वह दौड़कर अपनी पत्नी के साथ बाहर आता है तो उसका घर आग के हवाले किया गया मिलता है। कम्युनिस्ट बाप को अपने कम्युनिस्ट विचारधारा से बेटी की बदनामी, उसकी लाश और अपना जलता आशियाना मिलता है।

आखिर शैतानों ने कम्युनिस्ट की बेटी को दोजख की आग में जला डाला और उसका कम्युनिस्ट पिता अपने कम्युनिज्म के लाश को ढोता अभी भी जी रहा है, या फिर कम्युनिज्म को प्यारा हो गया।आखिर शैतानों ने कम्युनिस्ट की बेटी को दोजख की आग में जला डाला और उसका कम्युनिस्ट पिता अपने कम्युनिज्म के लाश को ढोता अभी भी जी रहा है, या फिर कम्युनिज्म को प्यारा हो गया।

निष्कर्ष:- ये केवल इसलिए हो गया, क्योंकि उन्होंने मदरसों की तामिल की और हमने गुरुकुल पूर्णतया बंद कर दिये। हम सनातनियों को अपने बच्चों को अपने धर्म से जोड़ कर रखना चाहिए, उन्हें तर्कवादी, गतिशील तथा विज्ञानवादी के साथ साथ। धर्मवादी भी बनाना चाहिए।निष्कर्ष:- ये केवल इसलिए हो गया, क्योंकि उन्होंने मदरसों की तामिल की और हमने गुरुकुल पूर्णतया बंद कर दिये। हम सनातनियों को अपने बच्चों को अपने धर्म से जोड़ कर रखना चाहिए, उन्हें तर्कवादी, गतिशील तथा विज्ञानवादी के साथ साथ। धर्मवादी भी बनाना चाहिए।

"धर्मों रक्षति रक्षित:"धर्मों रक्षति रक्षित:

लेखन और संकलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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रचनाएँ
परिस्थितिकीय लेख
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ये पुस्तक परिस्थितयो के द्वारा उत्पन्न स्थितियों पर विचारों की एक श्रृंखला है, जिसे पढ़ने के पश्चात आपका आकर्षण और भी सशक्त और दृढ हो जायेगा।
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खिलाडियों का धरना :- अनुशाशनहीनता -श्रीमती पी टी उषा |

7 मई 2023
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हे मित्रों पी. टी. उषा जी को कौन नहीं जानता। जब ये बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसे   खिलाड़ी   अपने पैरों पर ठीक से खड़े होना भी नहीं जानती या जानते थे, तब ये पी. टी. उषा जी भारत की शान हु

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क्या उस समय सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय नहीं थे?

7 मई 2023
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जब स्व. श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जम्मू कश्मीर के एक जेल में रहस्यमी ढंग से मौत के घाट उतार दिया गया। जब स्व (पंडित) दिन दयाल उपाध्याय जी का मृत शरीर मुगलसराय में रेल की पटारियों पर गिरा हुआ मिलता

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२०२४ के चुनाव से पूर्व मनीपुर को दंगो में झोंक दिया!

7 मई 2023
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मित्रों जिस प्रकार मणिपुर में अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और आगाजनी हुई, ये एक सुनियोजित षड्यंत्र की ओर इशारा करती है। अत्यंत हि अल्पावधी में "हिन्दु माइति" समुदाय को ST अर्थात Schedule Tribes  वर्

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आदरणीय न्यायालयों ने भी "The Kerala Story" का सम्मान किया:-

8 मई 2023
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मित्रों शांतिदूतो से पैसा मिलने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी केस लड़ने का हुनर रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तथाकथित वकील ने अपने मस्तिष्क के पश्च भाग का सम्पूर्ण बल प्रयोग कर लिया अपनी समस्त ज्ञान

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बेचारा और असहाय कम्युनिस्ट बाप- "The Kerala Story"

13 मई 2023
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वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक और

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एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ:-वराह अवतार और पृथ्वी को जल से बाहर निकालना।

13 मई 2023
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मित्रों वामपंथियों और तर्कवादियों ने सदैव "सनातन धर्म" के सभ्यता, संस्कृति, भाषा, इतिहास, भूगोल और समाजिक व्यवस्था को अपने आलोचना का केंद्र बनाया है। ये हमारे जितने भी धार्मिक और ऐतिहासिक पुस्तके हैँ

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

13 मई 2023
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 मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए रच

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मोदी का पैसा आया क्या? एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ।

29 मई 2023
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मित्रों आप तो जानते हैँ कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैँ । ये सनातन धर्म, उसकी सभ्यता, उसकी संस्कृति और उसके समीपस्थ जो पार्टी है भाजपा उसको पानी पी पीकर कोसते हैँ। वामप

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साम्यवाद अर्थात कम्युनिज्म का काला स्वरूप। प्रथम अंक:- कार्ल हेनरिक मार्क्स!

29 मई 2023
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आइये इस कम्युनिज्म के काले, भयानक और अंधेरी दुनिया का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हैँ। आरम्भ करते हैँ जर्मनी के उस छोटे से कस्बे से जंहा पर इस भयानक और समाजविरोधी सिद्धांत का जन्म हुआ था। आइये इस कम्

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जो अपनी पत्नी की लाश को अपने हाथों में उठाकर आम आदमी की तरह रोता घूमता हो वो GOD कैसे हो सकता है?

29 मई 2023
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मित्रों जब "The Kerala Story" में वो कन्वर्ट मुस्लिम लड़की पूछती है यह प्रश्न तो हिन्दु लड़कियों के पास इसका उत्तर नहीं होता है, क्योंकि वो अपने धर्म से कोसो दूर थी। मित्रों जब "The Kerala Story" म

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जो व्यक्ति अपनी पत्नी कर रक्षा ना कर सका और जिसे अपनी पत्नि को प्राप्त करने के लिए वानरो की सहायता लेनी पड़ी, वो भगवान कैसे हो सकता है?

29 मई 2023
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मित्रों ये प्रश्न "The Kerala Story" में  एक कन्वर्टेड मुस्लिम युवती ने जब हिन्दु लड़कियों से पूछी तो वो इसका उत्तर ना दे सकी, क्यों, क्योंकि वो अपने धर्म के ज्ञान से अत्यंत दूर थी। मित्रों ये प्र

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झूठे इतिहासकारों और कन्वर्टों हैसियत है तो साबित करो:- ये कुतुब मिनार है।

29 मई 2023
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मित्रों जो लोग आज भी कबिलाई संस्कृति से मुक्ति नहीं पा सके हैँ, वो लोग इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के महरौली में खड़े विष्णु स्तम्भ को "कुतुब मिनार" होने का दावा करते हैँ और इसमे उनका साथ देते हैँ अनपढ़ औ

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बेचारा और असहाय कम्युनिस्ट बाप- "The Kerala Story"

29 मई 2023
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वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक

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विज्ञान (नासा) शास्त्रों में लिखी बातों को सच साबित कर रहा है।

29 मई 2023
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NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें।NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें। जी हाँ कई आसमानी किताबों में आपको निम्नलिखित बाते मिल जाएंगी जैसे:-जी हाँ कई आसम

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अरे अदालते तो उस समय भी थी संविधान तो उस समय भी था।

29 मई 2023
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मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवाद

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

29 मई 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; १:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं

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कैसा भगवान है तुम्हारा, जिसकी १६१०८ पत्नियां है, कैसे तुम इन्हें GOD कह सकते हो?

30 मई 2023
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एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:-एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:- मित्रों जैसा की आपको पता है कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म और सोच से वामपंथी हैँ और वामपंथी होकर सनातन

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आदरणीय न्यायालयों ने भी "The Kerla Story" का सम्मान किया:-

30 मई 2023
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मित्रों शांतिदूतो से पैसा मिलने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी केस लड़ने का हुनर रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तथाकथित वकील ने अपने मस्तिष्क के पश्च भाग का सम्पूर्ण बल प्रयोग कर लिया अपनी समस्त ज

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अनपढ़ कौन:- प्रधानमंत्री या दिल्ली का मुख्यमंत्री।

30 मई 2023
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मित्रों आपने यादी ध्यान दिया होगा तो अबकारी (शराब) मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के तुरूंगवासित होते हि,( वर्ष २०१६ के पश्चात )श्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दाम

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भगत सिंह कम्युनिस्ट नहीं थे।

30 मई 2023
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वामपंथी के साथ एक सनातनी का शास्त्रार्थ। मित्रों जैसा कि आप जानते हैँ कि  हमारे एक, जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी मित्र हैँ, जो सनातन धर्म की आलोचना करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। आज उन्होंन

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खुशबु सुंदर के पिता तो यौन शोषण कर सकते हैँ पर स्वाति मालीवाल के पिता कैसे?

30 मई 2023
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पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥ प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥ अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं,

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

30 मई 2023
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मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए

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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023
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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: - १:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रे

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बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अतिक अहमद और असद अहमद।

6 जून 2023
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हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों  आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद

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वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की :- एक मसखरा जो अपने अहंकार के कारण यूक्रेन के लिए बना शॉप |

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों यदि राजा देश और देश की प्रजा से अधिक स्वयं के अहंकार को महत्व देता है तो वह  देश पाकिस्तान या फिर यूक्रेन जैसी भयानक परिस्थितियों का शिकार हो जाता है | यूक्रेन में २०१९ से पूर्व एक संजी

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स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया।

6 जून 2023
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मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे। मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:- विद्य

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एक सनातनी का एक वामपंथी तर्कवादी के साथ शास्त्रार्थ भाग-१० " चार्ल्स डार्विन और दशावतार"।

6 जून 2023
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हे मित्रों जैसा की आप जानते हैं की हमारे  एक जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र हैं और उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं और सनातन धर्म को निचा दिखने का कोई अवसर

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एक नेता जिसने किया कुछ भी नहीं पर पाया सब कुछ!

6 जून 2023
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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये।

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जन्म  से सनातनी हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आते

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों  मेरे मित्र जो जन्म  से तो सनातनी  हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़ा स

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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