मित्रों आप तो जानते हैँ कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैँ । ये सनातन धर्म, उसकी सभ्यता, उसकी संस्कृति और उसके समीपस्थ जो पार्टी है भाजपा उसको पानी पी पीकर कोसते हैँ। वामपंथ के नाम पर वैचारिक आतंकवाद के जरिये अंधेरा फैलाने वाले अनेक तर्कवादी अल्पज्ञानी आप को हर स्थान पर किसी ना किसी रूप में मिल जाएंगे।
मित्रों आप तो जानते हैँ कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैँ । ये सनातन धर्म, उसकी सभ्यता, उसकी संस्कृति और उसके समीपस्थ जो पार्टी है भाजपा उसको पानी पी पीकर कोसते हैँ। वामपंथ के नाम पर वैचारिक आतंकवाद के जरिये अंधेरा फैलाने वाले अनेक तर्कवादी अल्पज्ञानी आप को हर स्थान पर किसी ना किसी रूप में मिल जाएंगे।मित्रों आप तो जानते हैँ कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैँ । ये सनातन धर्म, उसकी सभ्यता, उसकी संस्कृति और उसके समीपस्थ जो पार्टी है भाजपा उसको पानी पी पीकर कोसते हैँ। वामपंथ के नाम पर वैचारिक आतंकवाद के जरिये अंधेरा फैलाने वाले अनेक तर्कवादी अल्पज्ञानी आप को हर स्थान पर किसी ना किसी रूप में मिल जाएंगे।
आइये मै आपको एक ऐसे हि तर्कवादी अल्पज्ञानी वामपंथी मित्र से आपकी मुलाक़ात करवाता हुँ।आइये मै आपको एक ऐसे हि तर्कवादी अल्पज्ञानी वामपंथी मित्र से आपकी मुलाक़ात करवाता हुँ।
आइये मै आपको एक ऐसे हि तर्कवादी अल्पज्ञानी वामपंथी मित्र से आपकी मुलाक़ात करवाता हुँ।समय १०.३० बजे, स्थान मेरा घर।
समय १०.३० बजे, स्थान मेरा घर।समय १०.३० बजे, स्थान मेरा घर।
एक करीब ५० से६० वर्ष के वय की बुरकानाशीन मुस्लिम महिला मेरे घर के पास वाली गली में आयी और आते हि पासबुक थमाकर मेरे गली में स्थित एक बैंक के ATM के पास खड़े व्यक्ति से पूछा " जरा चेक करो भईया मोदी का भेजा हुआ पैसा मेरे खाते में आया क्या"! वंहा खड़े सभी लोग अचानक चौकन्ने हो गये की ये कौन सा पैसा है जो मोदी जी डायरेक्ट इन मोहतरमा के खाते में भेजते हैं, पर जब उस व्यक्ति ने जांचकर कहा कि " हाँ पैसा आ गया है" तब लोगों की तन्द्रा टूटी, क्योंकि सभी को पता है, कि विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, किसान समृद्धि योजना, किसान सम्मान निधि योजना और अन्य योजनाए जो अल्पसंख्यक लोगों के लिए लागू की गयी हैँ उनके द्वारा वर्ष भर कोई ना कोई पैसा खाते में अवश्य आता रहता है। तो इन मोहतरमा के खाते में भी "किसान सम्मान निधि योजना" का पैसा आता है, जो पुरी तरह केंद्रीय सरकार के द्वारा नियोजित और लागूकृत है।एक करीब ५० से६० वर्ष के वय की बुरकानाशीन मुस्लिम महिला मेरे घर के पास वाली गली में आयी और आते हि पासबुक थमाकर मेरे गली में स्थित एक बैंक के ATM के पास खड़े व्यक्ति से पूछा " जरा चेक करो भईया मोदी का भेजा हुआ पैसा मेरे खाते में आया क्या"! वंहा खड़े सभी लोग अचानक चौकन्ने हो गये की ये कौन सा पैसा है जो मोदी जी डायरेक्ट इन मोहतरमा के खाते में भेजते हैं, पर जब उस व्यक्ति ने जांचकर कहा कि " हाँ पैसा आ गया है" तब लोगों की तन्द्रा टूटी, क्योंकि सभी को पता है, कि विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, किसान समृद्धि योजना, किसान सम्मान निधि योजना और अन्य योजनाए जो अल्पसंख्यक लोगों के लिए लागू की गयी हैँ उनके द्वारा वर्ष भर कोई ना कोई पैसा खाते में अवश्य आता रहता है। तो इन मोहतरमा के खाते में भी "किसान सम्मान निधि योजना" का पैसा आता है, जो पुरी तरह केंद्रीय सरकार के द्वारा नियोजित और लागूकृत है।
पर वंहा पर एक उच्चस्तर के तर्कवादी वामपंथी भी थे, अर्थात मेरे मित्र उन्होंने तत्काल कहा "ये मोदी का पैसा नहीं है, मोदी अपने जमीन जायदाद में से नहीं दे रहा है, मोदी अपने पाकेट से भी नहीं दे रहा है, ये हमारे और आपके टैक्स का पैसा है जो हमारे पास वापस आ रहा है।पर वंहा पर एक उच्चस्तर के तर्कवादी वामपंथी भी थे, अर्थात मेरे मित्र उन्होंने तत्काल कहा "ये मोदी का पैसा नहीं है, मोदी अपने जमीन जायदाद में से नहीं दे रहा है, मोदी अपने पाकेट से भी नहीं दे रहा है, ये हमारे और आपके टैक्स का पैसा है जो हमारे पास वापस आ रहा है।
मैने जब अपने वामपंथी मित्र के मुंह से TAX की बात सुनी तो मुझे जोर से हंसी आयी, की इस वामपंथी का भला TAX से क्या लेना देना। ये वामपंथी तो पुरी जिंदगी अपने अब्बा कार्ल हेनरिक मार्क्स की भांति परजीवी बनकर काट देते हैँ, फिर भला ये TAX की बात कैसे कर रहा है।मैने जब अपने वामपंथी मित्र के मुंह से TAX की बात सुनी तो मुझे जोर से हंसी आयी, की इस वामपंथी का भला TAX से क्या लेना देना। ये वामपंथी तो पुरी जिंदगी अपने अब्बा कार्ल हेनरिक मार्क्स की भांति परजीवी बनकर काट देते हैँ, फिर भला ये TAX की बात कैसे कर रहा है।
खैर मैने अपने हँसी पर नियंत्रण रखा और अपने वामपंथी मित्र से कहा, जियो मेरे मित्र जियो, तुमने सही कहा की यह पैसा ना तो मोदी का है ना उनके परिवार का है। क्योंकि मोदी जी तो चाय बेचने वाले थे और उनके पिताजी भी बहुत जमीन जायदाद वाले नहीं थे, अत: उनके पास इतना पैसा हो हि नहीं सकता।खैर मैने अपने हँसी पर नियंत्रण रखा और अपने वामपंथी मित्र से कहा, जियो मेरे मित्र जियो, तुमने सही कहा की यह पैसा ना तो मोदी का है ना उनके परिवार का है। क्योंकि मोदी जी तो चाय बेचने वाले थे और उनके पिताजी भी बहुत जमीन जायदाद वाले नहीं थे, अत: उनके पास इतना पैसा हो हि नहीं सकता।
अब वामपंथी थोड़ा सतर्क हो गया पर इससे क्या होता है, हमारे गाव में एक कहावत है, " मुस मोटहिये त लोढे न होइएं", ठीक इसी प्रकार वामपंथी कितना भी सतर्कता से बात करे, रहेगा तो अल्पज्ञानी। वामपंथी ने हँसते हुए कहा अरे मेरा मतलब वो नहीं था, पर क्या ये सच नहीं कि ये सारा पैसा हमारे दिये हुए TAX का है, जो हमें वापस मिल रहा है।अब वामपंथी थोड़ा सतर्क हो गया पर इससे क्या होता है, हमारे गाव में एक कहावत है, " मुस मोटहिये त लोढे न होइएं", ठीक इसी प्रकार वामपंथी कितना भी सतर्कता से बात करे, रहेगा तो अल्पज्ञानी। वामपंथी ने हँसते हुए कहा अरे मेरा मतलब वो नहीं था, पर क्या ये सच नहीं कि ये सारा पैसा हमारे दिये हुए TAX का है, जो हमें वापस मिल रहा है।
अब मैंने वामपंथी से पूछ हि लिया कि "हे मित्र तुम कितना Tax सरकार को देते हो, क्या ऐसा है कि तुम औरों से अधिक Tax देते हो और अधिक पैसा तुम्हें सरकार की ओर से वापस किया जाता है। अब चुंकि मैने बड़े आदर से पूछा था, अत: वामपंथी महोदय मुझसे वार्तालाप करने को तैयार थे। मेरे प्रश्न का उन्होंने उत्तर नहीं दिया।अब मैंने वामपंथी से पूछ हि लिया कि "हे मित्र तुम कितना Tax सरकार को देते हो, क्या ऐसा है कि तुम औरों से अधिक Tax देते हो और अधिक पैसा तुम्हें सरकार की ओर से वापस किया जाता है। अब चुंकि मैने बड़े आदर से पूछा था, अत: वामपंथी महोदय मुझसे वार्तालाप करने को तैयार थे। मेरे प्रश्न का उन्होंने उत्तर नहीं दिया।
मैंने पुन: समस्त मर्यादा का अनुसरण करते हुए पूछा कि " हे मित्र अच्छा चलो बताओ क्या तुम्हारे पास BPL Card है, उन्होंने तपाक से उत्तर दिया हाँ मै भी BPL (Below Powerty Line /गरीबी रेखा के निचे) वाले कैटैगरी में आता हुँ। मुझे फिर हँसी आयी की ये वामपंथी गरीबी रेखा के निचे आता है और TAX देने की बात कर रहा है।मैंने पुन: समस्त मर्यादा का अनुसरण करते हुए पूछा कि " हे मित्र अच्छा चलो बताओ क्या तुम्हारे पास BPL Card है, उन्होंने तपाक से उत्तर दिया हाँ मै भी BPL (Below Powerty Line /गरीबी रेखा के निचे) वाले कैटैगरी में आता हुँ। मुझे फिर हँसी आयी की ये वामपंथी गरीबी रेखा के निचे आता है और TAX देने की बात कर रहा है।
मैने पुन: उनसे प्रश्न किया "कृपया आप बताये की कितना चावल आपको मुफ्त में सरकार द्वारा दिया जाता है? वामपंथी साहेब ने तुरंत कहा " ३५ किलो प्रतिमाह। मैने पुन: उनसे प्रश्न किया "कृपया आप बताये की कितना चावल आपको मुफ्त में सरकार द्वारा दिया जाता है? वामपंथी साहेब ने तुरंत कहा " ३५ किलो प्रतिमाह।
मैने कहा इसका अर्थ हुआ की आपको एक वर्ष में लगभग ४२० किलो मुफ्त में चावल सरकार द्वारा दिया जाता है। वामपंथी ने कहा हाँ। मैने फिर वामपंथी महोदय से पूछा कि आप बताओ यदि इसी चावल को राशन की दुकान से खरीदना हो तो कितने रुपये प्रति किलो मिलेगा?मैने कहा इसका अर्थ हुआ की आपको एक वर्ष में लगभग ४२० किलो मुफ्त में चावल सरकार द्वारा दिया जाता है। वामपंथी ने कहा हाँ। मैने फिर वामपंथी महोदय से पूछा कि आप बताओ यदि इसी चावल को राशन की दुकान से खरीदना हो तो कितने रुपये प्रति किलो मिलेगा?
वामपंथी ने कहा लगभग ३० रुपये प्रतिकिलों। अब मैनें वामपंथी साहेब को इशारा किया कि "हे वामपंथी साहेब ये सरकार आपको एक वर्ष में करीब १२६००/- रुपये का चावल निशुल्क दे रही है। और इसी प्रकार दाल, किरोसिन तेल, चीनी इत्यादि भी आपको प्राप्त हो रहा है। वामपंथी ने कहा लगभग ३० रुपये प्रतिकिलों। अब मैनें वामपंथी साहेब को इशारा किया कि "हे वामपंथी साहेब ये सरकार आपको एक वर्ष में करीब १२६००/- रुपये का चावल निशुल्क दे रही है। और इसी प्रकार दाल, किरोसिन तेल, चीनी इत्यादि भी आपको प्राप्त हो रहा है।
वामपंथ के अल्पज्ञान को ये विस्तारित व्याख्या समझ में आ गयी। मैनें उनका पीछा नहीं छोड़ा और फिर पूछा कि क्या सरकार कई अन्य योजनाओं के माध्यम से लाभ जनता को पहुंचा रही है, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों को। आपके घर में भी कोई वरिष्ठ नागरिक होगा ही। वामपंथी अपनी माता जी के साथ रहते हैँ जो ६० वर्ष से ऊपर के वय की थी। अत: निसंदेह इस कारण लगभग ११००० से १२००० तक का वार्षिक लाभ उनको प्राप्त हो रहा होगा।वामपंथ के अल्पज्ञान को ये विस्तारित व्याख्या समझ में आ गयी। मैनें उनका पीछा नहीं छोड़ा और फिर पूछा कि क्या सरकार कई अन्य योजनाओं के माध्यम से लाभ जनता को पहुंचा रही है, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों को। आपके घर में भी कोई वरिष्ठ नागरिक होगा ही। वामपंथी अपनी माता जी के साथ रहते हैँ जो ६० वर्ष से ऊपर के वय की थी। अत: निसंदेह इस कारण लगभग ११००० से १२००० तक का वार्षिक लाभ उनको प्राप्त हो रहा होगा।
वामपंथी महोदय ने भारी मन से अपना शिश हिलाया और हाँ में उत्तर दिया।वामपंथी महोदय ने भारी मन से अपना शिश हिलाया और हाँ में उत्तर दिया।
अब मैने आखिरी वाण छोड़ते हुए पूछा कि " सरकार द्वारा लागू किये गये सभी योजनाओं से प्राप्त होने वाले लाभ की यदि गणना करें तो वामपंथी मित्र आपका परिवार करीब ३५००० से ४००००/- रुपये तक का लाभ सरकार से ले रहा है।
वामपंथी ने कहा "हाँ" यादी मोटे तौर पर देखे तो यह सच है।वामपंथी ने कहा "हाँ" यादी मोटे तौर पर देखे तो यह सच है।
मैने धीरे से पूछा, " मोटे तौर पर या छोटे तौर पर" आप ले रहे हो पर सरकार को कितना वापस कर रहे हो।
मित्रों मेरे प्रश्न पर वामपंथी का चेहरा पिला पड़ गया और कुछ भी जवाब ना दे सका, पर मै आपमो बताते चलूँ कि "उस वामपंथी स्थानीय छुटभाइये नेता के पास करीब ९०० वर्ग फिट का एक घर है, जिस पर वो लगभग २०० रुपये House Tax देता है और करीब ३रुपये Land Tax देता है। इस प्रकार वामपंथी महोदय कुल २०३/- रुपये Tax के रूप में देते हैँ।मित्रों मेरे प्रश्न पर वामपंथी का चेहरा पिला पड़ गया और कुछ भी जवाब ना दे सका, पर मै आपमो बताते चलूँ कि "उस वामपंथी स्थानीय छुटभाइये नेता के पास करीब ९०० वर्ग फिट का एक घर है, जिस पर वो लगभग २०० रुपये House Tax देता है और करीब ३रुपये Land Tax देता है। इस प्रकार वामपंथी महोदय कुल २०३/- रुपये Tax के रूप में देते हैँ।
मैने पुन: कहा "मेरे भाई आप सरकार से रुपये ४००००/- प्राप्त करते हैँ और मात्र रुपये २०३/- वापस करते हैँ, तो कौन सा बड़ा एहसान करते हैँ कि " इतनी तीव्र ध्वनि से चीख रहे हैँ "हमारे TAX का पैसा है, हमारे टैक्स का पैसा है"! आप हमें तनिक ये बताएं कि हर महीने आपसे सरकार को जो लगभग ३९७९७/- रुपये का घाटा होता है, उसकी भरपाई कौन करता है? आपके पास है इसका उत्तर, नहीं ना।मैने पुन: कहा "मेरे भाई आप सरकार से रुपये ४००००/- प्राप्त करते हैँ और मात्र रुपये २०३/- वापस करते हैँ, तो कौन सा बड़ा एहसान करते हैँ कि " इतनी तीव्र ध्वनि से चीख रहे हैँ "हमारे TAX का पैसा है, हमारे टैक्स का पैसा है"! आप हमें तनिक ये बताएं कि हर महीने आपसे सरकार को जो लगभग ३९७९७/- रुपये का घाटा होता है, उसकी भरपाई कौन करता है? आपके पास है इसका उत्तर, नहीं ना।
अब वामपंथी की "काटो तो खून नहीं" वाली हालत हो जाती है। फिर मैंने वामपंथ के सिद्धांत पर वार करते हुए बताया कि " हे वामपंथी सुनो ये जो तुम लोग पूँजीपतियों को बुरा भला कहते रहते हो ना , असल में यही वो नायक हैँ जो अम्बानी, अडानी, टाटा, बिरला, महिंद्रा, गोदरेज, पतंजलि, गोयनका, अग्रवाल, मित्तल इत्यादि के रूप में सरकार को वो TAX अदा करते हैँ, जिनसे तुम्हारे और हमारे जैसे लोगो से होने वाले घाटे को सरकार भरती है और लाभप्रद योजनाये लागू करती हैँ।अब वामपंथी की "काटो तो खून नहीं" वाली हालत हो जाती है। फिर मैंने वामपंथ के सिद्धांत पर वार करते हुए बताया कि " हे वामपंथी सुनो ये जो तुम लोग पूँजीपतियों को बुरा भला कहते रहते हो ना , असल में यही वो नायक हैँ जो अम्बानी, अडानी, टाटा, बिरला, महिंद्रा, गोदरेज, पतंजलि, गोयनका, अग्रवाल, मित्तल इत्यादि के रूप में सरकार को वो TAX अदा करते हैँ, जिनसे तुम्हारे और हमारे जैसे लोगो से होने वाले घाटे को सरकार भरती है और लाभप्रद योजनाये लागू करती हैँ।
अब आप स्वयं सोचो कि सर्वहारा या सम्यवाद की कल्पना कितने खोखले आदर्शो और सिद्धांतो पर टिकी है। उदाहरण के लिए सरकार ने Startup India और Make in India या फिर "digital India" जैसे कार्यक्रम शुरु किया, ये तो था ना पूरे देश के युवाओं के लिए, उद्यमियों के लिए, डिग्रीधारकों के लिए, तो फिर करोड़ो में से केवल कुछ हजार हि क्यों सफल हुए, सबके सब क्यों नहीं सफल हुए।अब आप स्वयं सोचो कि सर्वहारा या सम्यवाद की कल्पना कितने खोखले आदर्शो और सिद्धांतो पर टिकी है। उदाहरण के लिए सरकार ने Startup India और Make in India या फिर "digital India" जैसे कार्यक्रम शुरु किया, ये तो था ना पूरे देश के युवाओं के लिए, उद्यमियों के लिए, डिग्रीधारकों के लिए, तो फिर करोड़ो में से केवल कुछ हजार हि क्यों सफल हुए, सबके सब क्यों नहीं सफल हुए।
आधारहिन सिद्धांतो को पढ़कर, तर्कविहिन घोषणापत्र को पढ़कर यथार्थ को समझे बिना यादी आप पूंजीपतियों का बहिष्कार करते हैँ तो आप देश को और समाज को खोखला करते हैँ। आज अम्बानी से करोड़ो लोगों के परिवार का चूल्हा जलता है, आज अडानी देश के लिए आवश्यक इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है, आज TATA ने एयर इंडिया और Indian एयरलाइन्स का रूप रंग और संगठन बदल के रख दिया है, आप मुझे बताये आपके कम्युनिस्ट घोषणापत्र और "Das Capital" से किसी भी देश को क्या लाभ हो रहा है, कुछ भी नहीं।आधारहिन सिद्धांतो को पढ़कर, तर्कविहिन घोषणापत्र को पढ़कर यथार्थ को समझे बिना यादी आप पूंजीपतियों का बहिष्कार करते हैँ तो आप देश को और समाज को खोखला करते हैँ। आज अम्बानी से करोड़ो लोगों के परिवार का चूल्हा जलता है, आज अडानी देश के लिए आवश्यक इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है, आज TATA ने एयर इंडिया और Indian एयरलाइन्स का रूप रंग और संगठन बदल के रख दिया है, आप मुझे बताये आपके कम्युनिस्ट घोषणापत्र और "Das Capital" से किसी भी देश को क्या लाभ हो रहा है, कुछ भी नहीं।
इसीलिए बगैर पढ़े लिखे, बगैर सोचे समझे बगैर काँट छांट विच्छेदन किये और बगैर तार्किक कसौटी पर कसे किसी भी प्रकार का विरोध नहीं करना चाहिए और ना ही किसी सिद्धांत को अपनाना चाहिए। वामपंथी मित्र एक बार फिर मुंह लटका, शिश झुका दबे पाव अपने घर चले गये।इसीलिए बगैर पढ़े लिखे, बगैर सोचे समझे बगैर काँट छांट विच्छेदन किये और बगैर तार्किक कसौटी पर कसे किसी भी प्रकार का विरोध नहीं करना चाहिए और ना ही किसी सिद्धांत को अपनाना चाहिए। वामपंथी मित्र एक बार फिर मुंह लटका, शिश झुका दबे पाव अपने घर चले गये।
"वामपंथ एक विश है, जो समाज को धीरे धीरे मार डालता है।"
लेखन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता) aryan_innag@yahoo.co.in
लेखन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)inaryan_innag@yahoo.co.ino.co.in