हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद अहमद के बारे में उपर दी गयी कहावत पूर्णतया सही ठहरती है।
हमारे शास्त्र कहते हैँ कि किसी भी बच्चे के प्रथम मार्गदर्शक और गुरु उसके माता पिता हि होते हैँ:-
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्
अर्थात:- मनुष्य के लिये उसकी माता सभी तीर्थों के समान तथा पिता सभी देवताओं के समान पूजनीय होते है।अतः उसका यह परम् कर्तव्य है कि वह् उनका अच्छे से आदर और सेवा करे।
बात उस समय की है जब असद अहमद मात्र १४ वर्ष का था, इस उम्र के बच्चे अक्सर ९वीं या १०वीं के परीक्षा की तैयारी में व्यस्त रहते हैँ और अपना भविध्य एक चिकित्सक (डॉक्टर) या अभियंता (इंजीनियर) या अधिवक्ता (Advocate) इत्यादि के रूप में देखते हैँ, उस उम्र में असद एक परिवारिक समारोह में एक बन्दुक से लगातार गोलियाँ दागता हुआ दिखाई देता है और उसका पिता तथा उसके गुर्गे तालियाँ बजाकर उसको शाबाशी देते दृष्टिगत होते हैँ। १४ वर्ष का असद को बिना डरे गोलियाँ चलाते देख अतिक अहमद की छाती अपने समाज में सबसे चौड़ी हो जाती है।
बात आज की है, जब अतिक अहमद अपने भाई अशरफ के साथ कैदी के रूप में माननीय न्यायालय में अपने अपराधों पर की जा रही विधिक कार्यवाही में पाप के बोझ से दब चुके अपने सिर को झुकाकर भाग ले रहा था तो उससे कंही दूर झाँसी के एक क्षेत्र में उसका १९ वर्षीय पुत्र असद अहमद उत्तर प्रदेश की पुलिस के साथ मुठभेड़ कर रहा था। इस मुठभेड़ का अंत उसकी मौत के साथ हुई जो उसके कर्मो का फल था।
अब प्रश्न ये है कि असद अहमद ऐसा खूंखार और असमाजिक व्यक्ति बना जिसे पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया, तो इसका उत्तरदायी कौन है? क्या इसके पीछे खूंखार आतंकी और माफिया अतिक अहमद के द्वारा की गयी परवरिश उत्तरदायी नहीं?
परिवारिक पृष्ठभूमि:- असद अहमद के पिता अतिक अहमद भारत के प्रयागराज जनपद में रहने वाला एक कुख्यात और खूंखार अपराधी है । समाजवादी पार्टी से भारतीय संसद और उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य भी रह चुका है। वह इलाहाबाद पश्चिम सीट से लगातार ५ बार विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया पर यंहा लर चुना गया कहना अत्यंत हि गलत और लोकतंत्र को अपशब्द कहने के समान होगा, क्योंकि यह खूंखार आतंकी अपने बाहुबल और आतंक के बल पर चुना गया और लोकतंत्र से सम्बन्धित चुनावी प्रक्रिया से इसका कोई लेना देना नहीं था। २००४-२००९ से, वह उत्तर प्रदेश के फूलपुर से १४वीं लोकसभा के लिए समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सांसद बना। १९९९-२००३ के मध्य, वह सोने लाल पटेल द्वारा स्थापित "अपना दल" नामक पार्टी का अध्यक्ष बना। इस खूंखार आतंकी के विरुद्ध १०० से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह २०१९ से जेल में बंद है!
अतिक अहमद को पढ़ाई लिखाई से कितना प्रेम था इस तथ्य का पता आसानी से आप लगा सकते हैँ कि उसने दिनांक १४ दिसंबर, २०१६ को, अपने गुर्गों के साथ मिलकर " सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज" के स्टाफ सदस्यों पर कथित तौर पर उन दो छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हमला किया, जिन्हें नकल करते पकड़े जाने के बाद परीक्षा देने से रोक दिया गया था।
अतीक अहमद ने अपने हि जैसी सोच और समझ रखने वाली खूंखार महिला शाइस्ता प्रवीन के साथ निकाह की है। शाइस्ता प्रवीन ने अतिक अहमद के के पांच बेटों को जन्म दिया हैं, जिनके नाम निम्न है:- अली अहमद, उमर अहमद, असद अहमद, अहजान अहमद और अबान अहमद। इन पांचो में से अली और उमर अपने अब्बू के दिखाए मार्ग पर चलते हुए अपने घृणित अपराधों के लिए अलग अलग जेलों में बंद हैँ। असद अहमद को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। अहजान और अबान नाबालिग होने के कारण बाल सुधार गृह में सरकारी खर्चे पर रखे गये हैँ।
परिवारिक व्यवसाय:- रंगदारी टैक्स, अवैध कब्जा, हवाला, धोखाधड़ी, डकैती, लूट, हत्या, विधायक बनना, सांसद बनना और मेयर बनना इत्यादि इनका प्रमुख व्यवसाय हैँ।
अतिक अहमद, इसकी पत्नी, इसके बेटे, इसका भाई, इसकी बहन, इसका बहनोई, इसकी भतीजियाँ तथा अन्य सभी इसके संगठन में महत्वपूर्ण पदो पर कार्य कर रहे थे और कार्य कर रहे हैँ, इनके कार्य करने के तरीके को आप स्व श्री उमेश पाल के दिन दहाड़े की गयी हत्या से आप समझ सकते हैँ:-
१:-जेल में बंद अतिक अहमद ने उमेश पाल जी के हत्या का रिसोलुशन पास किया और वंही से गुप्त तरिके से फतवा जारी किया;
२:- बाहर खुली हवा में सांस लेने वाली शाइस्ता प्रवीण ने योजना बनाने के लिए अपने बेटे असद अहमद तथा गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और अन्य गुर्गो के साथ योजना बनाने की कार्यवाही प्रारम्भ की।
३:- एक मुस्लिम हॉस्टल के एक कमरे में बालपूर्वक कब्जा करके बैठे एक राजनितिक पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाने वाले "खान साहेब" के अगुवाई में पुरी योजना बनायीं जाती है। योजना को चार चरणों में बाँटा जाता है:-
प्रथम चरण:- उमेश पाल के आने जाने, खाने पिने, ओढ़ने बिछाने, पहनने उतारने, मिलने जुलने से लेकर प्रत्येक स्थिति का गहन अध्ययन करना तथा सटीक स्थान का चयन करना;
दृित्तीय चरण:- आक्रमांकरियों की दो टिमे बनाना जिसमे से प्रथम टीम आक्रमण करेगी और दूसरी टीम प्रथम टीम की रक्षा के लिए आस पास रहेगी ताकि जनता के विरोध इत्यादि से उनकी रक्षा की जा सके;
तीसरा चरण:- उमेश पाल की सफलतापूर्वक हत्या के पश्चात सभी आक्रमांकरियों को सुरक्षित देश से बाहर निकल जाने तक उनकी पैसे से तथा छुपने का प्रबंध करना;
चौथा चरण:- मीडिया में विक्तिम कार्ड खेलना, ताकी प्रसाशन उन पर कोई कठोर कार्यवाही ना कर सके और वो भारतीय विधि व्यवस्था के सरंक्षण में आनंद से अपना केस लड़ सके और खुशियां मना सके।
इन सभी चरणों में इस बात का खास ख्याल रखा गया कि, अतिक अहमद के परिवार के किसी व्यक्ति का नाम ना आने पाए।
योजना का निष्पादन:- प्रतिदिन की भांति स्व श्री उमेश पाल अपने घर के पास सडक पर अपनी सफ़ेद कार से (इस बात से बेखबर की उनके मौत की योजना पर उनके भाई स्व श्री राजू पाल के हत्यारे, अमल करने को तैयार बैठे हैँ ) किसी से फोन पर बात करते हुए उतरते हैँ कि तभी एक हमलावर उन पर दनादन गोलियाँ दागने लगता है, दूसरा जो ठीक पास की दुकान में ग्राहक बनकर ताक में खड़ा था, तुरंत सक्रिय होता है और वो भी दनादन गोलियाँ दागने लगता है, अभी जनता इससे पहले कुछ समझ पाती पास में खड़ी मोटरसाइकिल से बमाबाज गुड्डू मुस्लिम उतरता है और चारो दिशा में बम फेकने लगता है, उमेश पाल और उनका एक बडीगार्ड किसी प्रकार जान बचाकर अपने घर की ओर भागते हैँ, पर बमबाज गुड्डू मुस्लिम बम मार देता है और तभी एक चचमाती गाड़ी से असद अहमद पठान की स्टाइल में हाथ में बन्दुक लिए गाड़ी से उतरता है और अपने योजना को खुद अंजाम तक पहुंचा देता है और बस यही एक गलती उसके पूरे परिवार पर भारी पड़ जाती है।
अब प्रथम चरण सफलतापूर्वक समाप्त करने के पश्चात दूसरे चरण का कार्य प्रारम्भ होता है, गुड्डू मुस्लिम जैसे बमबाज और गुलाम जैसे गोलिबाजो को स्वयं शाईस्ता प्रवीण का साथ मिलता है। उन्हें छिपाने के लिए और एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागते रहने के लिए पैसो का बंदोबस्त बहन और बहनोई करते हैँ। असद अहमद भी कभी दिल्ली, कभी अजमेर, कभी लखनऊ तो कभी झाँसी भागता और छिपता फिरता है, वही शूटर के साथ नजर आने पर शाईस्ता प्रवीण का भेद खुल जाता है और वह भी भागना, छिपना और दौड़ना शुरु कर देती है, आज की तारीख में इस महिला पर ५०००० का इनाम है।
इधर विधान सभा में समाजवादी पार्टी के मुखिया उत्तर प्रदेश के विधि व्यवस्था पर पातालतोड़ आलोचना करते हैँ और तब उत्तर प्रदेश को अपराधमुक्त प्रदेश बनाने का संकल्प ले चुके योगी के तीसरे नेत्र के खुलने का समय आ जाता है और वो प्रण लेते हैँ कि " इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे" ।
परिणाम ठीक दो दिन पश्चात २ अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया जाता है। और अभी एक दीन् पूर्व ही एक शूटर और असद अहमद को मुठभेड़ में उनके अंजाम तक पहुंचा दिया गया।
अतिक अहमद के पिछले २५ से ३० वर्षो के द्वारा बनाई गयी खूंखार और आतंकी दुनिया ने आज उससे उसका एक जवान बेटा छिन लिया, क्योंकि अतिक अहमद उसे एक समाजिक इंसान बनाने के स्थान पर अपने जैसा खूंखार आतंकी बनाता रहा।
आज की तारीख में अतिक अहमद का एक बेटा अली अहमद जेल में अपने कर्मो की सजा भुगत रहा है और उसके दो नाबालिग बेटे अपने अब्बू और अम्मी के जीवित रहने के पश्चात भी बाल सुधारगृह में अपना जीवन काट रहे हैँ। अतिक अहमद स्वयं कभी इस जेल में तो कभी उस जेल की हवा में सांसे ले रहा है और अपने ऊपर पंजीकृत किये गये १०१ अपराधिक मामलो को एक एक कर समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहा है।
अतिक की बीबी और मुठभेड़ में मार गिराए गये असद की अम्मी शाइस्ता प्रवीण आज ५०००० की इनामी अपराधी घोषित की जा चुकी है। अब प्रश्न ये आता है कि आखिर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करने का, कई मासूमों की हत्या करने का, गरीबों और कमजोरों की गाढ़ी कमाई पर बल और बेईमानी पूर्वक कब्जा करने का और इतना खूंखार अपराधी बनने का क्या लाभ इस अतिक अहमद को मिला। गरीबो और मासूमों के असुवों और उनके हृदय से निकली आह ने अतिक के सम्पूर्ण साम्राज्य को नष्ट कर दिया है। एक आंकड़े के अनुसार इसके ७०० करोड़ की सम्पत्ति को जप्त कर लिया गया है और लगभग ५०० करोड़ की सम्पत्ति पर बुलडोजर चला कर नष्ट कर दिया गया है।
पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥
पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च।
तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥
मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्।
प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥
अर्थात:- पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है।
पर क्या अली अहमद, उमर अहमद, असद अहमद, अहजान अहमद और अबान अहमद, (जिसमे असद अब जीवित नहीं है) अपने अब्बू और अम्मी के बारे में ऐसा सोच सकते हैँ। अगर अतिक अहमद ने अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के बारे में तनिक भी विचार किया होता तो उन्हें अपने नापाक दुनिया से बाहर रखता, उसके पास अपराध से कमाए काले पैसो की कोई कमी नहीं थी, वह अपने बच्चों को किसी भी देश में भेज कर अच्छी शिक्षा दीक्षा दिला कर एक समाजिक इंसान बना सकता था, परन्तु अतिक को अपना दबदबा और जनता के चेहरे पर उसके नाम का खौफ/डर देखने का शौक था और उसके इसी शौक ने उसके सम्पूर्ण परिवार का लगभग विनाश कर दिया।
आज उन सभी आँखों को आनंद महसूस हो रहा होगा, जिनके अपनों को अतिक अहमद ने अपने खूंखारी आतंक का निवाला बना लिया।
और हमारे यंहा की कुछ कहावते जैसे " बोये पेड़ बबूल का तो आम कंहा से होये" या फिर " जैसी करनी वैसी भरनी" इत्यादि का एक अकाट्य उदाहरण है अतिक अहमद की अब तक की जिंदगी। उसे उसके द्वारा किये गये एक एक अपराध का हिसाब तो देना हि होगा, क्योंकि अब उसकी यही नियति है।
लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
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