हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस बार उन्होंने आलोचना और मजाक के केंद्र में "पीपल" के वृक्ष को ले लिया।
वामपंथी मित्र ने कहा अरे भाई तुम सनातनी किसी भी वृक्ष के नीचे दिया जलाकर पूजा पाठ करना शुरू कर देते हो, हर स्थान पर तुम्हें तुम्हारा भगवान् हि नज़र आता है। तुम सनातन वाले आखिर पीपल कि पूजा करके अन्धविश्वास और पाखंड हि तो फैलते हो।
मित्रों हम भी तो सनातनी हैं और हमारा धर्म हि है ज्ञान फैलाना और इसीलिए विश्व के प्रत्येक स्थान से लोग सनातन धर्मीयों के पास हि आते हैं, सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए।
हमने अपने वामपंथी मित्र के चेहरे पर खिल आयी कुटिल और व्यंगात्मक मुस्कान को परख कर उन्हें उत्तर देना शुरू किया, जो इस प्रकार है:-
हे वामपंथी मित्र सुनो हमारे शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है।
"मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।"
अर्थात-जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है...
वामपंथी मित्र इस श्लोक के मर्म को ना समझ पाये और जोर से हँसे, तुम लोग कुछ भी बोलते हो और भरम में आकर कभी जल तो कभी दूध चढाते हो।
हमने पुन: उत्तर देना शुरू किया:-
हे वामपंथी मित्र सुनो "आयुर्वेद" में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। औषधीय गुणों के कारण पीपल के वृक्ष को 'कल्पवृक्ष' की संज्ञा दी गई है। पीपल को संस्कृत भाषा में "प्लक्ष" भी कहा गया है। वैदिक काल में इसे "अश्वत्थ" के नाम से जाना जाता था।
हे वामपंथी मित्र सुनो वनस्पति शास्त्र में अश्वत्थ वृक्ष का नाम फाइकस रिलिजिओसा है जो लोक में "पीपल" के वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध है।अर्थात पीपल का वानस्पतिक नाम Ficus religiosa Linn. (फाइकस् रिलीजिओसा) Syn-Ficus caudata Stokes; Ficus peepul Griff. है और यह Moraceae (मोरेसी) कुल का है। शंकराचार्य जी के अनुसार संसार को अश्वत्थ नाम व्युत्पत्ति के आधार पर दिया गया है। अश्वत्थ का अर्थ इस प्रकार है "श्व" का अर्थ आगामी कल है? "त्थ" का अर्थ है स्थित रहने वाला? अत अश्वत्थ का अर्थ है वह जो कल अर्थात् अगले क्षण पूर्ववत् स्थित नहीं रहने वाला है। तात्पर्य यह हुआ कि अश्वत्थ शब्द से इस सम्पूर्ण अनित्य और परिवर्तनशील दृश्यमान जगत् की ओर इंगित किया गया है।
हे जनम से ब्राह्मण परन्तु कर्म से वामपंथी मित्र सुनो
स्कंद पुराण में पीपल के वृक्ष के बारे में बताया गया है कि:-
मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च।
"नारायणस्तु शारवासु पत्रेषु भगवान् हरि:।।
फलेऽच्युतो न सन्देह: सर्वदेवै: समन्व स एवं ष्णिुद्र्रुम एव मूर्तो महात्मभि: सेवितपुण्यमूल:।
यस्याश्रय: पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढ्य:।।"
अर्थात पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। महात्मा इस वृक्ष की सेवा करते हैं और यह वृक्ष मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला है। पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है।
पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है। इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है। इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। पीपल की पूजा का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। इसके कई पुरातात्विक प्रमाण भी है।
पीपल के उपकार (लाभ)
१:-पीपल विषैली कार्बन डाइआक्साईड सोखता है और प्राणवायु मतलब ऑक्सीजन छोड़ता (peepal tree information in hindi) है।
"अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम् न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्।
कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।"
हे वामपंथी मित्र सुनो, पीपल हि एक मात्र ऐसा वृक्ष है जो २४ घंटे आक्सीजन का उत्सर्जन करता है और ऊपर दिए गए श्लोक के अनुसार अश्वत्थः अर्थात पीपल १००% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है, बेल का वृक्ष ८५% और नीम का वृक्ष ८०% CO2 को अवशोषित करता है।
२:-पीपल के वृक्ष की छाया बहुत ठंडी होती है। पीपल का वृक्ष लगभग १०-२० मीटर ऊँचा होता है। यह अनेक शाखाओं वाला, विशाल और् कई वर्षों तक जीवित रहता है। यह वृक्ष मनुष्य के कई पीढ़ियों को अपने आक्सीजन से पालता और पोसता है।
३:- जो व्यक्ति बोलने में हकलाते हैं उनके लिए अत्यंत लाभकारी है यह पीपल, क्योंकि पीपल के वृक्ष के लाभ हकलाने की समस्या में भी लाभ पहुंचाते हैं। पीपल के आधी चम्मच पके फल के चूर्ण में शहद मिलाकर, इसका सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट की बीमारी में लाभ होता है।
४:- दमा या अस्थमा के रोग में भी पीपल लाभ पहुंचाता है, पीपल की छाल और पके फल के चूर्ण को बराबर मिलाकर पीस लें और आधा चम्मच मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से दमे में लाभ होता है।
५:-पीपल के सूखे फलों को पीसकर २-३ ग्राम की मात्रा में १४ दिन तक जल के साथ सुबह-शाम सेवन करनेस से सांसों की बीमारी और खांसी में लाभ होता है।
६:- हे वामपंथी मित्र अगर आपको भूख कम लगती है तो पीपल के वृक्ष के लाभ से इस समस्या को दूर कर सकते हैं। पीपल के पके फलों के सेवन से कफ, पित्त, रक्तदोष, विष दोष, जलन, उल्टी तथा भूख की कमी की समस्या ठीक होती है।
७:- हे मित्र यदि आप शारीरिक कमजोरी, थकान या तनाव से परेशान हैं तब सुने, आधा चम्मच पीपल के फल का चूर्ण को दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करते रहने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
८:- हे मित्र यदि आप उल्टा सीधा खाने से कब्ज या गैस से पीड़ित हैं तब पीपल के पत्ते के फायदे से कब्ज की समस्या ठीक कर सकते हैं । कब्ज हो तो पीपल के 5-10 फल को नियमित रूप से खाएं आपका कब्ज ठीक हो जाएगा। इसके अतिरिक्त पीपल के पत्ते और कोमल कोपलों का काढ़ा बना लें/और ४० मिली काढ़ा को पिलाने से पेट साफ हो जाता है और कब्ज की समस्या ठीक हो जाती है।
९:- हे मित्र यदि आप और आपके ईसीइ या मुग़ल पीलिया रोग से पीड़ित हैं तो पीपल के ३-४ नए पत्तों (peepal leaf) को मिश्री के साथ २५० मिली पानी में बारीक पीस-घोलकर छान लें और यह शर्बत रोगी को २ बार पिलाएं। इसे ३-५ दिन प्रयोग करें। यह पीलिया रोग के लिए रामबाण औषधि है।
१०:- हे मित्र, पीपल के वृक्ष के लाभ से बांझपन की समस्या में लाभ मिलता है। मासिक धर्म खत्म होने के बाद १-२ ग्राम पीपल के सूखे फल के चूर्ण को कच्चे दूध के साथ पिलाये और आप पाएंगे कि १४ दिन तक इसे पिलाने से महिला का बांझपन मिटता है।
११:- हे मित्र यदि आप शीघ्र पतन से परेशान हैं तो पीपल के फल, जड़ की छाल और शुंग (पत्रांकुर) के दूध को पका लें और इसमें शर्करा और मधु मिलाकर पीने से वाजीकरण गुणों (संभोग शक्ति) की वृद्धि होती है।बराबर भाग पीपल फल, जड़, की छाल तथा शुंठी को मिलाकर दूध में पकाकर इसमें मिश्री और मधु मिलाकर नियमित सुबह-शाम सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और शक्ति मिलती है।
१२:- हे वामपंथी मित्र यदि आप भगंदर नामक गुप्त रोग से परेशान हैं तब आप पीपल की अंतर छाल को गुलाब जल में घिसकर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं। भगंदर में भी इससे लाभ होता है।
१३:-सर्प के काटने पर जब तक चिकित्सक उपलब्ध ना हो तब तक पीपल (peepal tree) के पत्तों का रस २-२ चम्मच की मात्रा में ३-४ बार पिलाएं। मुंह में पत्ते चबाने के लिए देते रहें। विष का प्रभाव कम होगा।
१४:-पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं, और दांतों में दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है! इसके अलावा १० ग्राम पीपल की छाल, कत्था और २ ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर बनाए गए मंजन का प्रयोग करने से भी दांतों की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं!
१५:-त्वचा रोग - त्वचा पर होने वाली समस्याओं जैसे दाद, खाज, खुजली में पीपल के कोमल पत्तों को खाने या इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है! इसके अलावा फोड़े-फुंसी जैसी समस्या होने पर पीपल की छाल का घिसकर लगाने से फायदा होता है!
१६:- घाव होने पर - शरीर के किसी हिस्से में घाव हो जाने पर पीपल के पत्तों का गर्म लेप लगाने से घाव सूखने में सहायता मिलती है। इसके अलावा प्रतिदिन इस लेप का प्रयोग करने व पीपल की छाल का लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है और जलन भी नहीं होती।
१७:-जुकाम - सर्दी-जुकाम जैसी समस्या में भी पीपल लाभदायक होता है. पीपल के पत्तों को छांव में सुखाकर मिश्री के साथ इसका काढ़ा बनाकर पीने से काफी लाभ होता है. इससे जुकाम जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.
१८:-- त्वचा का रंग निखारने के लिए भी पीपल की छाल का लेप या इसके पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा यह त्वचा की झुर्रियों को कम करने में भी सहायता करता है। पीपल की ताजी जड़ को भिगोकर त्वचा पर इसका लेप करने से झुर्रियां कम होने लगती हैं।
१९:- तनाव करे कम - पीपल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, इसके कोमल पत्तों को नियमित रूप से चबाने पर तनाव में कमी होती है, और बढ़ती उम्र का असर भी कम होता है।
२०:-नकसीर - नकसीर फूटने की समस्या होने पर पीपल के ताजे पत्तों को तोड़कर उसकर रस निकालकर नाक में डालने से बहुत फायदा होता है। इसके अलावा इसके पत्तों को मसलकर सूंघने से भी नकसीर में आराम होता है।
२१:-फटी एड़ियां - एड़ियों के फटने की समस्या में भी पीपल आपकी काफी मदद करेगा। फटी हुई एड़ियों पर पीपल के पत्तों का दूध निकालकर लगाने से कुछ ही दिनों फटी एड़ियां ठीक हो जाती हैं और तालु नरम पड़ जाते हैं।
२२:- हे मित्र यदि आप को सामान्य से ज्यादा प्यास लगती है,तो ऐसे में आपके लिए ज्यादा पानी लेने की वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएँ होने की आशंका बनी रहती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप पीपल के पेड़ की सूखी हुई छाल को जला कर उसका कोयला बना लें और फिर उसे पानी में डालकर ठंडा कर लें। इसके बाद आप उस पानी को साफ़ कर के पी लें। आप दिन भर में इसका एक गिलास ही लें। आपको जल्द से इस समस्या से आराम मिलना शुरू हो जायगा। इस पानी को आप ज्यादा लें, कई बार इसकी वजह से हिचकी आने की समस्या हो जाती है।
हे मित्र पीपल के वृक्ष का लगभग प्रत्येक भाग जैसे तना की छाल, फल,पत्ते (कली के रूप वाले पत्ते),दूध और जड़ सभी उपयोगी और लाभदायक होते हैं।
हे वामपंथी मित्र पीपल के इसी औषधिय गुण और २४ घंटे प्राणवाहीनी वायु O2 छोड़ते रहने के कारण हि इसकी पवित्रता कि प्रशंसा करते हुए प्रभु श्री कृष्णा कहते हैं:-
"अश्वत्थ: पूजितोयत्र पूजिता:सर्व देवता:।'
अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां'
अर्थात् समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं। पीपल की पूजा करने से एक साथ सभी देवताओं की पूजा का फल प्राप्त हो जाता है।
हमारे शास्त्र इसकी उपयोगिता और महत्ता का वर्णन करते हुए कहते हैं: -
"।।मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः।
अग्रतः शिव रुपाय अश्वत्त्थाय नमो नमः।।"
अर्थात- इसके मूल में ब्रह्म, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास होता है। इसी कारण 'अश्वत्त्थ'नामधारी वृक्ष को नमन किया जाता है।
और इसीलिए हे मित्र भारत के प्रत्येक गुरुकुल में पीपल का वृक्ष अवश्य होता था, जिसकी छत्रछाया में गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा और दिक्षा प्रदान करते थे।
मित्रों एक बार फिर वामपंथी मित्र के मुखारबिंद से वो कुटिल मुस्कान गायब हो चुकी थी और सदैव कि भांति वो शीश को झुका अपने घर की ओर प्रस्थान कर गए।
लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
aryan_innag@yahoo.in