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अरे अदालते तो उस समय भी थी संविधान तो उस समय भी था।

29 मई 2023

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मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवादी (जो अक्सर हि अदालतों की निम्न स्तर पर आलोचना करते रहते हैँ) छाती पिट पिट कर चिल्ला रहे हैँ कि  " यदी अपराधियों को इसी प्रकार सजा देनी है तो फिर इन अदालतों का क्या काम, संविधान का क्या काम" बंद कर दो इन अदालतों को।

मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवादी (जो अक्सर हि अदालतों की निम्न स्तर पर आलोचना करते रहते हैँ) छाती पिट पिट कर चिल्ला रहे हैँ कि  " यदी अपराधियों को इसी प्रकार सजा देनी है तो फिर इन अदालतों का क्या काम, संविधान का क्या काम" बंद कर दो इन अदालतों को।

मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवादी (जो अक्सर हि अदालतों की निम्न स्तर पर आलोचना करते रहते हैँ) छाती पिट पिट कर चिल्ला रहे हैँ कि  " यदी अपराधियों को इसी प्रकार सजा देनी है तो फिर इन अदालतों का क्या काम, संविधान का क्या काम" बंद कर दो इन अदालतों को।

मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवादी (जो अक्सर हि अदालतों की निम्न स्तर पर आलोचना करते रहते हैँ) छाती पिट पिट कर चिल्ला रहे हैँ कि  " यदी अपराधियों को इसी प्रकार सजा देनी है तो फिर इन अदालतों का क्या काम, संविधान का क्या काम" बंद कर दो इन अदालतों को।मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवादी (जो अक्सर हि अदालतों की निम्न स्तर पर आलोचना करते रहते हैँ) छाती पिट पिट कर चिल्ला रहे हैँ कि  " यदी अपराधियों को इसी प्रकार सजा देनी है तो फिर इन अदालतों का क्या काम, संविधान का क्या काम" बंद कर दो इन अदालतों को।

मित्रों हमारे देश में एक अजीब सा चलन चल रहा है, कुछ भी घटना होती है, उस पर एक चिरकुट विद्वान अपना बयान जारी करता है और भी उस चिरकुट विद्वान को अपना नेता मानने वाले लोग और भाजपा को अपना दुश्मन मानने वाले लोग उसी बयान को बार बार दोहराने लगते हैँ।मित्रों हमारे देश में एक अजीब सा चलन चल रहा है, कुछ भी घटना होती है, उस पर एक चिरकुट विद्वान अपना बयान जारी करता है और भी उस चिरकुट विद्वान को अपना नेता मानने वाले लोग और भाजपा को अपना दुश्मन मानने वाले लोग उसी बयान को बार बार दोहराने लगते हैँ।

जब अतिक अहमद और अशरफ अहमद को १७ पुलिस वालो की सुरक्षा को भेदकर, पचासों मीडियकर्मियों के सामने और कई  आम लोगों की उपस्थिति में रात-बहाड़े तिन अति दुस्साहसी नौजवानों ने केवल ४० सेकेण्ड में खत्म कर दिया तो एक तथाकथित चिरकुट विद्वान ने भाग्यनगर से अपनी भड़ास निकालते हुए बोला कि " यदी ऐसे हि इंसाफ करना है तो फिर ये अदालतें किसलिए हैँ, ये संविधान किसलिए है, बंद कर दो इन अदालतों को इनका क्या काम है?"जब अतिक अहमद और अशरफ अहमद को १७ पुलिस वालो की सुरक्षा को भेदकर, पचासों मीडियकर्मियों के सामने और कई  आम लोगों की उपस्थिति में रात-बहाड़े तिन अति दुस्साहसी नौजवानों ने केवल ४० सेकेण्ड में खत्म कर दिया तो एक तथाकथित चिरकुट विद्वान ने भाग्यनगर से अपनी भड़ास निकालते हुए बोला कि " यदी ऐसे हि इंसाफ करना है तो फिर ये अदालतें किसलिए हैँ, ये संविधान किसलिए है, बंद कर दो इन अदालतों को इनका क्या काम है?"

बस फिर क्या था ये तकिया कलाम बन गया हर उस व्यक्ति का जो अभी कुछ दिन पूर्व हि प्रयागराज में दीनदहाड़े इसी अतिक अहमद के नाम की खौफ को जिंदा रखने के लिए, उसकी बीबी  की बनायी योजना पर उसके बेटे असद और अन्य छ: गुर्गो ने " उमेश पाल और दो पुलिस वालों को दौड़ाकर कत्ल कर दिया था" , पर अपना मुंह छिपा कर बैठा था और उसके जुबान से एक लफ्ज नहीं निकल रहा था। बस फिर क्या था ये तकिया कलाम बन गया हर उस व्यक्ति का जो अभी कुछ दिन पूर्व हि प्रयागराज में दीनदहाड़े इसी अतिक अहमद के नाम की खौफ को जिंदा रखने के लिए, उसकी बीबी  की बनायी योजना पर उसके बेटे असद और अन्य छ: गुर्गो ने " उमेश पाल और दो पुलिस वालों को दौड़ाकर कत्ल कर दिया था" , पर अपना मुंह छिपा कर बैठा था और उसके जुबान से एक लफ्ज नहीं निकल रहा था।

मित्रों मै आतंक के किसी भी घटना का समर्थन नहीं करता, परन्तु आतंक और अपराध की घटनाओं में से केवल कुछ घटनाओं को केंद्र में रखकर अदालत और संविधान की दुहाई देने वालों को उत्तर देना अपना कर्तव्य समझता हुँ, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।मित्रों मै आतंक के किसी भी घटना का समर्थन नहीं करता, परन्तु आतंक और अपराध की घटनाओं में से केवल कुछ घटनाओं को केंद्र में रखकर अदालत और संविधान की दुहाई देने वालों को उत्तर देना अपना कर्तव्य समझता हुँ, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

मित्रों शुरु करता हुँ  शुरु से और पूछता हुँ,इन चिरकुट विद्वानों से, बताओ मुझे :-मित्रों शुरु करता हुँ  शुरु से और पूछता हुँ,इन चिरकुट विद्वानों से, बताओ मुझे :-

१:- जब १९७९ ई में इस अतिक अहमद ने प्रयागराज के एक वार्ड के पार्षद "चांद मामा" की हत्या की तो उस समय भी ये अदालतें थी और ये संविधान था, क्यों नहीं ये मिलकर अतिक अहमद को सजा दे पायी या सजा देकर सुधार पायी;

२:- जब वर्ष १९९५ में  अशोक साहू की आतिक के भाई अशरफ ने केवल इसलिए हत्या करवा दी की उसने अशरफ के गाड़ी से आगे अपनी गाड़ी निकाल दी थी, तो उस समय भी ये अदालतें थी और ये संविधान था, क्यों नहीं ये मिलकर अशरफ  अहमद को सजा दे पायी या सजा देकर सुधार पायी;२:- जब वर्ष १९९५ में  अशोक साहू की आतिक के भाई अशरफ ने केवल इसलिए हत्या करवा दी की उसने अशरफ के गाड़ी से आगे अपनी गाड़ी निकाल दी थी, तो उस समय भी ये अदालतें थी और ये संविधान था, क्यों नहीं ये मिलकर अशरफ  अहमद को सजा दे पायी या सजा देकर सुधार पायी;

मित्रों यदि समय रहते अदालतों ने और संविधान ने अपनी ताकत दिखाई होती तो आज की तारीख में :-मित्रों यदि समय रहते अदालतों ने और संविधान ने अपनी ताकत दिखाई होती तो आज की तारीख में :-

१:- अतिक अहमद पर १०१ मुकदमें (जिसमें हत्या, लूटपाट, जबरिया वसूली, जबरिया कब्जा, दंगे फ़साद कराने, बेनामी सम्पत्ति, हवाला कारोबार तथा अपहरण इत्यादि शामिल है) दर्ज नहीं होते;

२:- अशरफ अहमद पर ५६ मुकदमें (जिसमें हत्या, लूटपाट, जबरिया वसूली, जबरिया कब्जा, दंगे फ़साद कराने, बेनामी सम्पत्ति, हवाला कारोबार तथा अपहरण इत्यादि शामिल है) दर्ज नहीं होते;

३:- आज अशरफ अहमद को हराकर विधायक बनने वाला राजू पाल जिंदा होता;

४:- आज अतिक अहमद के नाम का खौफ बनाये रखने के लिए उसकी बीबी शाइस्ता खान  की योजना को अंजाम देते हुए उसका बेटा असद अहमद उमेश पाल की दिन दहाड़े हत्या नहीं करता;

५:- आज अतिक अहमद के बेटा असद अहमद १९ वर्ष की आयु में २ लाख रुपये का इनामी बदमाश नहीं बनता और एक दिन एक शातिर अपराधी की भांति पुलिस मुठभेड़ मे ना मारा जाता;

६:- आज अतिक अहमद की बीबी शाइस्ता खान ५० हजार की इनामी गुंडी नहीं बनती;

७:- आज अतिक अहमद के बेटे अली, उमर और असद इतने खूंखार अपराधी नहीं बनते;

८:- आज अतिक अहमद के रिश्तेदार यूँ गली गली मारे मारे नहीं फिरते;

९:- आज अतिक अहमद और उसके भाई के आतंक को समाप्त करने के लिए तिन नौजवानों को कानून हाथ में लेकर हथियार चलाना और हत्या का जघन्य अपराध करने की प्रेरणा नहीं मिलती;

१०:- और आज इन अदालतों और संविधान के नाम पर इन्हें जोर जोर से छाती पीटने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

मित्रों अदालतों और संविधान ने इन घृणित अपराधियों और समाज के कोढ़ो के प्रति सख्त रवैया अपनाया होता तो आज ये नौबत हि नहीं आती। हमने कई बार देखा है कि अतिक और अशरफ जैसे बाहुबली खुलेआम कत्ल और लूटपाट जैसी वारदातों को अंजाम देकर बड़ी हि आसानी से सीना चौड़ा करते हुए अदालतों की कार्यवाही का मखौल उड़ाते हुए एक नये अपराध को अंजाम देने निकल पड़ते हैँ, क्योंकि अदालतें सबूत और गवाह पर सजा देती हैँ और अतिक तथा अशरफ जैसे दुर्दान्त अपराधी ना तो सबूत छोड़ते हैँ और ना गवाह।मित्रों अदालतों और संविधान ने इन घृणित अपराधियों और समाज के कोढ़ो के प्रति सख्त रवैया अपनाया होता तो आज ये नौबत हि नहीं आती। हमने कई बार देखा है कि अतिक और अशरफ जैसे बाहुबली खुलेआम कत्ल और लूटपाट जैसी वारदातों को अंजाम देकर बड़ी हि आसानी से सीना चौड़ा करते हुए अदालतों की कार्यवाही का मखौल उड़ाते हुए एक नये अपराध को अंजाम देने निकल पड़ते हैँ, क्योंकि अदालतें सबूत और गवाह पर सजा देती हैँ और अतिक तथा अशरफ जैसे दुर्दान्त अपराधी ना तो सबूत छोड़ते हैँ और ना गवाह।

मित्रों यदी कोई साहसी नागरिक अतिक और अशरफ जैसे आतंकियों के विरुद्ध खुलकर सामने भी आते हैँ तो ना तो ये अदालतें उन्हें सुरक्षा दे पाती हैँ और ना संविधान। मित्रों आपको बताते चले की एका बार उच्च न्यायालय के एक नहीं दो नहीं पूरे दस जजों ने अतिक के जमानत याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था, इतना डर और खौफ उन अदालतों पर उस समय था अतिक अहमद के आतंक का। और जब अदालतें खुद को नहीं बचा सकती थी, तो फिर वो अतिक को क्या सजा देती।मित्रों यदी कोई साहसी नागरिक अतिक और अशरफ जैसे आतंकियों के विरुद्ध खुलकर सामने भी आते हैँ तो ना तो ये अदालतें उन्हें सुरक्षा दे पाती हैँ और ना संविधान। मित्रों आपको बताते चले की एका बार उच्च न्यायालय के एक नहीं दो नहीं पूरे दस जजों ने अतिक के जमानत याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था, इतना डर और खौफ उन अदालतों पर उस समय था अतिक अहमद के आतंक का। और जब अदालतें खुद को नहीं बचा सकती थी, तो फिर वो अतिक को क्या सजा देती।

मित्रों मै इन चिरकुट विद्वानों से पूछना चाहता हुँ,  कि अभी असद अहमद के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से पूर्व इसी उत्तर प्रदेश में एक २ लाख रुपये के इनामी बदमाश "राणा" को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया तो उस समय इन सभी चिरकुटों के मुंह पर ताला क्यों पड़ गया था, उनकी जुबान से पुलिस के विरुद्ध अंगारे क्यों नहीं बरस रहे थे? इसका एक मात्र उत्तर यह है कि "राणा" एक हिन्दु था और इन चिरकुटों की दृष्टि में हिन्दु मरे या जिये इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।मित्रों मै इन चिरकुट विद्वानों से पूछना चाहता हुँ,  कि अभी असद अहमद के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से पूर्व इसी उत्तर प्रदेश में एक २ लाख रुपये के इनामी बदमाश "राणा" को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया तो उस समय इन सभी चिरकुटों के मुंह पर ताला क्यों पड़ गया था, उनकी जुबान से पुलिस के विरुद्ध अंगारे क्यों नहीं बरस रहे थे? इसका एक मात्र उत्तर यह है कि "राणा" एक हिन्दु था और इन चिरकुटों की दृष्टि में हिन्दु मरे या जिये इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

अब मै यह भी जानना चाहता हुँ कि अतिक और अशरफ का ना तो कोई कारोबार था और ना हि ये पुस्तैनी अमीरजादे थे, ये तो एक मामूली से फटेहाल तांगेवाले के लड़के थे फिर १९७९ से २०२३ के मध्य इन्होने १२००० करोड़ से भी अधिक की सम्पत्ति कंहा से बना ली? पर मै जानता हुँ, इसका कोई भी उत्तर देने को तैयार नहीं होगा, क्योंकि इसका उत्तर देने से उनका एजेंडा और प्रोपेगेंडा उजागर जो हो जायेगा।अब मै यह भी जानना चाहता हुँ कि अतिक और अशरफ का ना तो कोई कारोबार था और ना हि ये पुस्तैनी अमीरजादे थे, ये तो एक मामूली से फटेहाल तांगेवाले के लड़के थे फिर १९७९ से २०२३ के मध्य इन्होने १२००० करोड़ से भी अधिक की सम्पत्ति कंहा से बना ली? पर मै जानता हुँ, इसका कोई भी उत्तर देने को तैयार नहीं होगा, क्योंकि इसका उत्तर देने से उनका एजेंडा और प्रोपेगेंडा उजागर जो हो जायेगा।

मित्रों इन चिरकुट विद्वानों अर्थात मूर्खो के लिए हमारे शास्त्रों में ठीक हि कहा है,(भर्तृहरि के नीतिशतक)मित्रों इन चिरकुट विद्वानों अर्थात मूर्खो के लिए हमारे शास्त्रों में ठीक हि कहा है,(भर्तृहरि के नीतिशतक)

"लभेत सिकतासुतैलमपि यत्नत: पीडयन् पिबेच्चमृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दित:।

कदाचिदपि पर्यटञ्छशविषाणमासादये-न्न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।५।।

यत्नपूर्वक निचोड़ने पर बालू से तेल प्राप्त हो सकता है, प्यासा व्यक्ति मृगमरीचिकाओं में भी जल पी सकता है। भ्रमण करते हुए कभी खरगोश के सिर पर सींग पाया जा सकता है, परन्तु दुराग्रही मूर्ख के चित्त को कभी भी प्रसन्न नहीं किया जा सकता।।५।।

इसी प्रकार आगे कहा गया है:-इसी प्रकार आगे कहा गया है:-

शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक्छत्रेण सूर्यातपो नागेन्द्रो निशिताङ्कुशेन समदो दण्डेन गोगर्दभौ।

व्याधिर्भेषजसङ्ग्रहैश्च विविधैर्मन्त्रप्रयोगैर्विषं सर्वस्यौषधमस्ति शास्त्रविहितं मूर्खस्य नास्त्यौषधम्।।११।।

जल से आग बुझाई जा सकती है, सूर्य के ताप को छाते से रोका जा सकता है, मतवाले हाथी को तीखे अंकुश से वश में किया जा सकता है, पशुओं को दण्ड से वश में किया जा सकता है, औषधियों से रोग भी शान्त हो सकता है, विष को भी अनेक मन्त्रों के प्रयोगों से शान्त कर सकते हैं - इस तरह सब उपद्रवों की औषधि शास्त्र में है, परन्तु मूर्ख की कोई औषधि नहीं है।।११।।

जब से उत्तर प्रदेश में भगवाधारी योगी आदित्यनाथ जी को मुख्यमंत्री के रूप में जनता ने पदासीन किया है, तबसे वंहा के दंगाइयों, माफियाओं, गुंडों, मवालियों चोर-उचक्कों, छीनैतो तथा बलात्कारियों में जबरदस्त दहशत का माहौल है और ये डर  उनके उत्सर्जन तंत्र से प्रवेश करके तंत्रिका तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। आज मुख़्तार अंसारी, अफजल अंसारी सहित अनेक नामी गिरामी माफिया और गुंडे बिल्कुल या तो शराफत की जिंदगी जी रहे हैँ या फिर जेल में चक्की बड़े शांति से पीस रहे हैँ। योगी जी सदैव जनता के हितार्थ कार्य करने में तत्पर रहते हैँ, जनता के हर सुख दुख में सहभागी रहते हैँ। उनके राज में आम जनता निडर होकर जागति और सोती है।जब से उत्तर प्रदेश में भगवाधारी योगी आदित्यनाथ जी को मुख्यमंत्री के रूप में जनता ने पदासीन किया है, तबसे वंहा के दंगाइयों, माफियाओं, गुंडों, मवालियों चोर-उचक्कों, छीनैतो तथा बलात्कारियों में जबरदस्त दहशत का माहौल है और ये डर  उनके उत्सर्जन तंत्र से प्रवेश करके तंत्रिका तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। आज मुख़्तार अंसारी, अफजल अंसारी सहित अनेक नामी गिरामी माफिया और गुंडे बिल्कुल या तो शराफत की जिंदगी जी रहे हैँ या फिर जेल में चक्की बड़े शांति से पीस रहे हैँ। योगी जी सदैव जनता के हितार्थ कार्य करने में तत्पर रहते हैँ, जनता के हर सुख दुख में सहभागी रहते हैँ। उनके राज में आम जनता निडर होकर जागति और सोती है।

ऐसे हि मुख्यमंत्री या राजधर्म को निभाने वाले नेता से जनता सदैव प्रसन्न रहती है और उसका पुरजोर समर्थन करती है।ऐसे हि मुख्यमंत्री या राजधर्म को निभाने वाले नेता से जनता सदैव प्रसन्न रहती है और उसका पुरजोर समर्थन करती है।

और इन्ही के बारे में हमारे शास्त्र कहते हैँ:-

प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम् ।प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम् ।

नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम् ।।

अर्थात प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; अर्थात् जब प्रजा सुखी अनुभव करे तभी राजा को संतोष करना चाहिए । प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है । वैयक्तिक स्तर पर राजा को जो अच्छा लगे उसमें उसे अपना हित न देखना चाहिए, बल्कि प्रजा को जो ठीक लगे, यानी जिसके हितकर होने का प्रजा अनुमोदन करे, उसे ही राजा अपना हित समझे । ऐसे हि प्रजापालक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैँ।अर्थात प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; अर्थात् जब प्रजा सुखी अनुभव करे तभी राजा को संतोष करना चाहिए । प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है । वैयक्तिक स्तर पर राजा को जो अच्छा लगे उसमें उसे अपना हित न देखना चाहिए, बल्कि प्रजा को जो ठीक लगे, यानी जिसके हितकर होने का प्रजा अनुमोदन करे, उसे ही राजा अपना हित समझे । ऐसे हि प्रजापालक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैँ।

लेखन और संकलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

लेखन और संकलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)aryan_innag@yahoo.co.in

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मित्रों शांतिदूतो से पैसा मिलने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी केस लड़ने का हुनर रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तथाकथित वकील ने अपने मस्तिष्क के पश्च भाग का सम्पूर्ण बल प्रयोग कर लिया अपनी समस्त ज

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अनपढ़ कौन:- प्रधानमंत्री या दिल्ली का मुख्यमंत्री।

30 मई 2023
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मित्रों आपने यादी ध्यान दिया होगा तो अबकारी (शराब) मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के तुरूंगवासित होते हि,( वर्ष २०१६ के पश्चात )श्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दाम

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भगत सिंह कम्युनिस्ट नहीं थे।

30 मई 2023
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वामपंथी के साथ एक सनातनी का शास्त्रार्थ। मित्रों जैसा कि आप जानते हैँ कि  हमारे एक, जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी मित्र हैँ, जो सनातन धर्म की आलोचना करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। आज उन्होंन

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खुशबु सुंदर के पिता तो यौन शोषण कर सकते हैँ पर स्वाति मालीवाल के पिता कैसे?

30 मई 2023
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पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥ प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥ अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं,

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

30 मई 2023
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मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए

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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023
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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: - १:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रे

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बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अतिक अहमद और असद अहमद।

6 जून 2023
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हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों  आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद

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वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की :- एक मसखरा जो अपने अहंकार के कारण यूक्रेन के लिए बना शॉप |

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों यदि राजा देश और देश की प्रजा से अधिक स्वयं के अहंकार को महत्व देता है तो वह  देश पाकिस्तान या फिर यूक्रेन जैसी भयानक परिस्थितियों का शिकार हो जाता है | यूक्रेन में २०१९ से पूर्व एक संजी

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स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया।

6 जून 2023
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मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे। मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:- विद्य

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एक सनातनी का एक वामपंथी तर्कवादी के साथ शास्त्रार्थ भाग-१० " चार्ल्स डार्विन और दशावतार"।

6 जून 2023
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हे मित्रों जैसा की आप जानते हैं की हमारे  एक जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र हैं और उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं और सनातन धर्म को निचा दिखने का कोई अवसर

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एक नेता जिसने किया कुछ भी नहीं पर पाया सब कुछ!

6 जून 2023
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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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