🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼
दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या में थे और जोर जोर से चीख चीख कर भयानक प्रकार से अट्टाहस कर रहे थे, वे उन मासूम पर निडर और परमवीर बच्चों को डराना चाहते थे, परन्तु उनके किसी भी जंगली आचरण का तनिक भी प्रभाव उन बच्चों पर नहीं हो रहा था।
तभी उनका दैत्याकार शरीर वाला कुरूप सरदार अपनी गुफा में से निकला और बच्चों को देखकर जोर से दहाड़ने कि कोशिश कि परन्तु बच्चों के चेहरे पर खिल रही मधुर मुस्कान ने उसके अंदर की नीचता को और प्रखर कर दिया। जब उसने सुना की ये बच्चे कई प्रकार से डराने जी भी ना डरे, इनके अन्य दो भाइयों के वीरगति प्राप्त होने की सुचना देने पर भी अडिग रहे, तब उस दैत्याकार शरीर में लोमड़ी का दिमाग रखने वाले नरपशु ने अपना तरीका बदला और अब बच्चों को नाना प्रकार के प्रलोभन देने लगा और उनसे अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए कहने लगा।
बच्चे उसके इस धूर्तता पर हंस पड़े और निर्भीकता से बोले, रे मूर्ख क्या तू नहीं जनता, हमारे पिता कौन है। रे मूर्ख क्या तूने हमारे दो अन्य भाइयों की वीरता नहीं देखी। रे मलेच्छ सुन
" हम वीरो को झुका सके ऐसी तेरी औकात नहीं,
हमें डरा सके ऐसी तुझमें कोई बात नहीं।
ना दे प्रलोभन हमको ना समझ तू हमको बच्चा
एक बार स्वतन्त्र हुए जो शेर, चबा जाएँगे तुझे कच्च।।"
उस छोटे से बालक के मुख से निकले इन शब्दों ने उस दैत्याकार म्लेच्छ के घमंड को चूर चूर कर दिया। वो किसी विशधर सा फुफकार उठा। उसने एक बार पुन: प्रलोभन देते हुए बच्चों को समस्त सुख सुविधाएं देने का इरादा दिखाया, पर जैसा कि मित्रों हम सब यह जानते है कि :-
अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।
पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥
आठ गुण मनुष्य को सुशोभित करते है – बुद्धि, अच्छा चरित्र, आत्म-संयम, शास्त्रों का अध्ययन, वीरता, कम बोलना, क्षमता और कृतज्ञता के अनुसार दान और ये गुण इन बच्चों को विरासत में मिले हुए हैं और इसी कारण ना तो म्लेच्छ समुदाय के डराने से डरे और ना प्रलोभन में फंसे।
मित्रों वो म्लेच्छ समुदाय सैकड़ो कि संख्या में था, तथा उनका दैत्याकार शरीर वाला मूढ़ सरदार भी उनके साथ था परन्तु ये दोनों बालक अकेले उनके सामने अडिग, निर्भीक और चिंतारहित अवस्था में अपने मस्तक को ऊँचा किये खड़े थे, यह देख म्लेच्छ समुदाय के सरदार को घोर आश्चर्य हुआ, पर वो भूल गया था मित्रों की ये बच्चे कोई साधारण माता पिता की संतान नहीं अपितु :-
धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥
धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कि संताने हैं।
जब उन बच्चों पर ना तो डर या भय दिखाने का प्रभाव पड़ा और ना प्रलोभन देने का प्रभाव पड़ा, तो म्लेच्छ समुदाय का सरदार क्रोध से पागलपन के स्तर तक पहुंच गया और उसने उन दोनों बच्चों को जीवित रहते ही दीवार में चुनवा देने का हुक्म दिया। बच्चे ये आदेश सुनकर एक दूसरे को देखकर मुस्करा उठे मानो वो उस म्लेच्छ का उपहास कर रहे हों, उन्होंने बड़ी निर्भीकता से उस आदेश को सुना और मुस्करा दिया।
नाप्राप्यमभिवाञ्छन्ति नष्टं नेच्छन्ति शोचितुम् ।
आपत्सु च न मुह्यन्ति नराः पण्डितबुद्धयः ॥
अर्थात : जो व्यक्ति दुर्लभ वस्तु को पाने की इच्छा नहीं रखते, नाशवान वस्तु के विषय में शोक नहीं करते तथा विपत्ति आ पड़ने पर घबराते नहीं हैं, डटकर उसका सामना करते हैं, वही ज्ञानी हैं, और ये दोनों बालक अपने उम्र की छोटी अवस्था में हि इस ज्ञान को प्राप्त कर ज्ञानी बन चुके थे।
जैसे जैसे दीवार कि उंचाई बढ़ती जाती, वैसे वैसे दोनों बालक, अपनी निडरता और बहादुरी से म्लेच्छ वर्ग के सरदार के क्रोध को हवा देते जाते, वो इन मासूमों की बहादुरी को देख इस सोच में पड़ जाता है कि आखिर ये बच्चे किस मिट्टी के बने हैं, इन्हें अपनी जान से ज्यादा अपने धर्म की शान प्यारी है। वो भी मन हि मन इन बच्चों को इनकी वीरता के लिए बधाई दे रहा था, परन्तु अपनी हार से कुपित भी हो रहा था।
उधर जैसे ही दीवार छोटे भाई के मुख तक पहुंची, बड़े बही के आँखों से आंसू निकलने लगे, इसे देख छोटे भाई ने पूछा कि क्या आप मुझसे अत्यंत स्नेह के कारण रो रहे हैं, तो बड़े भाई ने कहा, अरे तू तो मेरे स्नेह और प्रेम का पात्र है हि, परन्तु यह सोचकर् मेरे आंसू निकल रहे हैं कि, बड़ा भाई तो मै हूँ, पर बलिदान देने का पहला मौका तुझे मिल रहा है मेरे भाई।
इसके बाद दोनों भाइयों ने तीव्र रूप से गर्जना की और पवित्र मंत्र बोले" जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल" और देखते ही देखते दोनों वीरो ने अपना बलिदान दे दिया, परन्तु हिंदुस्तान के शीश को कभी झुकने ना दिया।
हमार देश ऐसे महान बलिदानीयो के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। इनका बलिदान हमारे ह्रदय में इतिहास पर बनकर अंकित है। " जय बाबा जोरावर सिँह, जय बाबा फतेह सिँह"।
🌹🌸🙏 जय गुरु गोविन्द सिंह 🙏🌷🌺
🌹🌸🌻🌼🙏 जय श्रीराम प्रेम से बोलो राधे राधे हर हर महादेव जय श्री कृष्णा 🙏 🌹🌸🌻🌼