मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता को किसी भी कीमत पर मिट्टी में मिलाने में लगे हुए हैँ।
चलिए सर्वप्रथम बात करते हैँ जार्ज सोरोस की:-
मित्रों जार्ज सोरोस का जन्म हंगरी नामक देश के बुडापेस्ट नामक राज्य में एक यहूदी परिवार में दिनांक १२ अगस्त १९३० ई को हुआ था। जार्ज के बचपन का नाम ज्योर्गी श्वार्ट्ज था। जार्ज के माता का नाम एर्ज़सेबेट (जिन्हें एलिजाबेथ के नाम से भी जाना जाता है) था जो रेशम का सफलतापुर्वक व्यवसाय करने वाले परिवार से थी। जार्ज के पिता का नम पिता तियोडोर श्वार्ट्ज (जिन्हें तियोदोरो श्वार्ट्ज के नाम से भी जाना जाता है) थे। ये एक वकील और प्रसिद्ध एस्पेरांतो लेखकथे , जिन्होंने एस्पेरांतो साहित्यिक पत्रिका "लिटरेटुरा मोंडो" का संपादन भी किया था।
वर्ष १९३६ में, जार्ज के परिवार ने अपना नाम जर्मन-यहूदी "श्वार्ट्ज़" से बदलकर "सोरोस" रख लिया। वर्ष १९४४ में जब जर्मनी ने हंगरी पर कब्जा कर लिया तब जार्ज १३ वर्ष का था।
जार्ज और उसका परिवार हंगरी से पेरिस और फिर पेरिस से होता हुआ इंग्लैंड जाकर बस गया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्ययन किया और वर्ष १९५१ में दर्शनशास्त्र में बीएससी की उपाधि प्राप्त की , और फिर वर्ष १९५४ में मास्टर ऑफ विज्ञान की डिग्री, प्राप्त की।
वैचारिक और आर्थिक आतंकवाद:-
जार्ज सोरोस एक वैचारिक और आर्थिक आतंकवाद फैलाने वाला विश्व का सबसे बड़ा आतंकवादी है। इसने और इसके परिवार ने सर्वप्रथम अपने हि मजहब अर्थात "यहूदी" मजहब का विरोध करना शुरु किया।सोरोस ने अपने ही सजातीय यहूदियों की मुखबिरी करके उन्हें मौत के मुंह में भी धकेला। जिससे कि वह नाजियों का भरोसा जीत पाए। उदारवाद के नाम पर ये राष्ट्रवादियों द्वारा शाषित देशों में वैचारिक और आर्थिक आतंकवाद से दंगे और अस्थिरता फैलाकर उनकी अर्थव्यवस्था को चौपट करने में ये सिद्धहस्त है।
पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉर्ज सोरोस १९५६ में लंदन से अमेरिका आ गए। अमेरिका में सोरोस ने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट सेक्टर में काम करने का फैसला किया। यह फैसला उनके लिए सही साबित हुआ। वर्ष १९७३ में 'सोरोस फंड मैनेजमेंट' के नाम से कंपनी बनाई। इसके बाद अमेरिकी शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया और अगले ६ वर्षो में अर्थात वर्ष १९७९ तक यह आतंकी एक सफल बिजनेसमैन बन गया।
इसके बाद वर्ष १९९२ में वो वक्त आया जब इस आतंकी ने "बैंक ऑफ इंग्लैंड" को बर्बाद करके एक अरब डालर से ज्यादा कमाई की।
इसी प्रकार वर्ष १९९५ में जॉर्ज सोरोस ने एशियन कंट्री मलेशिया और थाईलैंड के करेंसी के विरुद्ध भी अपने आतंकवाद का प्रयोग किया और इन देशो के करेंसी के मूल्य में ५०% से ४५% तक की गिरावट आयी परन्तु जार्ज सोरोस का खजाना भरता हि गया।
जार्ज सोरोस ने वर्ष १९९३ में ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ की शुरुआत की। इसके जरिए उसने दुनिया के उन देशो में अराजकता और दंगे फसाद फैलाने के क्षेत्र में काम किया और करीब १०० देशों में पहुंच बनाई। जार्ज के स्वयं की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि वह अब तक ३२ अरब डॉलर दान कर चुके हैं। वो कई दूसरी इंटरनेशनल संस्थाओं को भी फंड करते हैं, जो अपने अपने देशो की अर्थव्यवस्था को चौपट करने में लगे हुए हैँ।
१:-जार्ज सोरोस नामक इस वैश्विक आतंकवादी ने अमेरिका में जॉर्ज बुश को हराने के लिए और अपने इच्छानुसार सरकार बनवाने के लिए एक अनुमान के मुताबिक करीब १२५ करोड़ रुपए खर्च किये परन्तु अमेरिकी नागरिकों के सूझ बुझ के कारण वो अपने मकसद में कामयाब ना हो सका।
२:- यह वैश्विक आतंकी जार्ज सोरोस दान पुण्य के नाम पर अपने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन और फोर्ड फाउंडेशन की आड़ में हंगरी, टर्की, सर्बिया और म्यांमार देशो में होने वाले सरकार विरोधी लोकतांत्रिक आंदोलनों का खुलकर समर्थन करता है और इनको फंड भी मुहैया कराता है।
३:- जब इस आतंकी के देश विरोधी और वैचारिक और आर्थिक आतंकवाद के विरुद्ध फॉक्स न्यूज ने कार्यक्रम बनाना और दुनिया के सामने लाना शुरु किया तो ये आतंकी बुरी तरह बौखला गया और फॉक्स न्यूज को बर्बाद करने के लिए इसने अपना खजाना खोल दिया और अपना पैसा (लगभग १ मिलियन डालर) पानी की तरह बहाया और इसके लिए जॉर्ज सोरोस ने "मीडिया मैटर्स" नाम की एक वेबसाइट को अपना मोहरा बनाया। वर्ष २००४ में लॉन्च होने के बाद इस वेबसाइट ने फॉक्स न्यूज के खिलाफ एक के बाद एक कई रिपोर्ट पब्लिश की। इस वेबसाइट ने फॉक्स न्यूज को रिपब्लिकन पार्टी का मुखपत्र बताना शुरू कर दिया।
४:- ब्रिटेन के राष्ट्रवादियों ने जब ब्रिटेन को ब्रेक्जिट से अलग होने के लिए आंदोलन चलाया तो ये आतंकी वंहा भी सामने आ गया और ब्रिटेन में फैले अपने जरखरीद गुलामो की सहायता से इस आंदोलन के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए 4 लाख पाउंड से ज्यादा धनराशि खर्च किया। यह आतंकी चाहता था कि यूनाइटेड किंगडम यूरोपीय यूनियन का ही हिस्सा रहे।
ब्रिटेन में सोरोस के पैसे पर इस कैंपेन की अध्यक्षता ब्रिटिश सरकार के पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव लॉर्ड मैलोच-ब्राउन कर रहे थे। आप स्वयं सोच सकते हैँ संयुक्त राष्ट्र का उप महासचिव भी इस आतंकी के लिए कार्य कर रहा था।
इस प्रकार इस आतंकी ने अपने पैसे के बल पर ना जाने कितने देशो के कानूनों में परिवर्तन कराया, कितने हि देशो की सरकारों को उखाड़ फेका और ना जाने कितने देशो में इसके आदेश पर नाचने वाले जनप्रतिनिधि अपने अपने देशो के विरुद्ध देशद्रोह के अपराध में संलिप्त रहे।
कांग्रेस :- मित्रों कांग्रेस की स्थापना हि ब्रिटिश सरकार को मजबूत बनाये रखने के लिए हुई थी। कांग्रेस ने अपने जन्म से लेकर अब तक भारत और भारत के वीर सपूतों और सेना को सदैव नुकसान हि पहुंचाया है। कांग्रेस ने सदैव भारत के साथ गद्दारी की और आज भी यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को बर्दास्त नहीं कर पा रही है और जार्ज सोरोस, चिन और BBC जैसे भारत विरोधी कारकों के साथ मिलकर, भारत को तोड़ने का अनवरत प्रयास कर रही है।
जार्ज सोरोस का हिन्दुस्तान में प्रवेश और कांग्रेस के साथ गढ़जोड़ वर्ष १९९९ ई में हुआ था, जब प्रथम बार् भारत में राष्ट्रवादियों की सरकार स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में बनी थी।
ये भुलने वाली बात नहीं है कि सोरोस की संस्था (Open Society Foundation) भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सही ठहराए जाने के बावजूद राफेल सौदे को बदनाम करने की साजिश रच रहा था। उसी समय कांग्रेसी शहजादा ” चौकीदार चोर है” का कैंपेन चला रहा था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह कैंपेन कांग्रेसियों के अपने मन की उपज थी या वह सोरोस के इशारों पर नाच रहे थे?
अब आइये देखते हैँ जार्ज सोरोस के भाड़े के वो टट्टू जो भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचकर् भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने में अपने घर की इज्जत भी नीलाम करने से नहीं चुक रहे।
यौवनं धनसंपत्ति प्रभुत्वमविवेकिता ।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ॥
अर्थात युवानी, धन, सत्ता और अविवेक ये हर अपने आप में ही अनर्थकारी है, तो फिर जहाँ (एक के पास) चारों चार इकट्ठे हो, तब तो पूछना ही क्या ?
१:- सलिल शेट्टी:- मित्रों इसका जन्म दिनांक ३ फरवरी १९६१ को बंगलौर में हुआ था । इसके माता का नाम हेमलता शेट्टी और पिता का नाम वी टी राजशेखर था। इसकी स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ इंडियन हाई स्कूल, बैंगलोर से पुरी हुई। इसने वर्ष १९८१ में सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम , भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद से वर्ष १९८३ में एमबीए और वर्ष १९९१ में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से सामाजिक नीति और योजना में विशिष्टता के साथ एमएससी की उपाधि प्राप्त की।
इसकी पढ़ाई लिखाई से हि आपको पता चल गया होगा कि इसकी मानसिकता पूर्णतया अंग्रेज परस्त मनासिकता में बदल चुकी होगी और इसीलिए इसने पहले जुलाई २०१० ई में एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ इसके महासचिव के रूप में जुड़कर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा और फिर दिनाक ९ जून, २०२१ को की गयी घोषणा घोषणा के अनुसार इसे दिंनाक १ सितंबर, २०२१ को भारत के दुश्मन जार्ज सोरोस नमक आतंकी के ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन में वैश्विक कार्यक्रमों का उपाध्यक्ष बना दिया गया।
अब मित्रों जरा इसके कारनामों पर एक दृष्टि डालिये:-
:- भारत विरोधी आंदोलंजीवीयो द्वारा CAA के विरोध में शाहीनबाग (दिल्ली) में जो धरना दिया गया था, उसमे यह सक्रिय रूप से शामिल रहा। उसने ना केवल फंड दिया अपितु स्वयं भी कई मौकों पर भारत के विरुद्ध जहर उगलता रहा और अंतत: जिसका परिणाम २०२० ई में हुए दिल्ली के भयानक दंगो के रूप में सामने आया।
:- उन्हीं आंदोलनजीवियों के द्वारा किये गये किसान आंदोलन में यह सिंधु बार्डर पर भी यह भारत के विरुद्ध जहर उगलता हुआ दिखाई दिया, जो बाद में चलकर २०२१ में हुए गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के लाल किले पर दंगो के रूप में परिवर्तित हो गया।
:- यह कांग्रेसी शहजादे के भारत जोड़ो यात्रा में भी पूरे तन मन और धन के साथ जुड़ा था।
:- कोरोना काल में Pfizer नामक घटिया वैक्सीन को आयात करने के लिए प्रॉपगेंडा फैला रहा था। जबकी मित्रों आप सभी जानते हैँ, की लुटेरे अंग्रेजो ने Pfizer नामक एक बहुत हि घटिया वैक्सीन बनायीं थी और दवा किया था ८०% से अधिक प्रभावी होने का पर सच्चाई सबके सामने आ जाने पर उस कम्पनी के मुख्य कर्ता धर्ता गिरफ्तार कर लिए गये।
:- यह कई बार अपने ट्वीट के जरिये नक्सलवादियों का समर्थन कर चुका है और जब तक इसे खत्म नहीं किया जायेगा तब तक यह भारत के साथ गद्दारी करता रहेगा।
२:- शिवशंकर मेनन:-शिवशंकर मेनन का जन्म दिनांक ५ जुलाई १९४९ को हुआ था।इसके पिता का नाम परप्पिल नारायण मेनन था इन्होंने अपने अंतिम दिनों में यूगोस्लाविया में राजदूत के रूप में कार्य किया। इसके दादा के॰ पी॰ एस॰ मेनन भारत के पहले विदेश सचिव थे।
इसने भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन वर्ष २०१०/से २०१४ तक) भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य किया और इसके पूर्व इसे विदेश मंत्रालय में विदेश सचिव के रूप में भी नियुक्त किया गया था। इसे पाकिस्तान और श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त और चीन और इजरायल में राजदूत के रूप में भी नियुक्त किया गया । इसने नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।२००८ से २०१४ तक ये भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के सदस्य भी रहा।
जार्ज सोरोस से सम्बन्ध:-
साजिश की जड़ें बहुत गहरी और खतरनाक है शिवशंकर मेनन ने पीएम मनमोहन सिंह के तहत भारत के एनएसए के रूप में कार्य किया और् इसके साथ ही साथ वह जॉर्ज सोरोस के साथ उसके " क्राइसिस ग्रुप" के बोर्ड में न्यासी के रूप में भी कार्य कर रहा था! यह क्राइसिस ग्रुप खुद को एक थिंक टैंक कहता है, लेकिन वर्ष २०१४ से पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही लगातार भारत विरोधी प्रचार में जुटा हुआ है।
:-मित्रों यह भी कांग्रेसियों के भारत जोड़ो यात्रा में दिखाई दिया था।
:- इसी के कार्यकाल में २६/११ हमला हुआ था और आप समझ सकते हैँ की भारतीय सेना जब पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तैयार थी तो फिर किसकी सलाह पर उसे मना कर दिया गया।
:- शिवशंकर मेनन ने नागरिकता संशोधन कानून CAA पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस कदम से भारत ने खुद को दुनिया में अलग-थलग कर लिया है।
:-शिवशंकर मेनन ने मेहबूबा मुफ़्ती, फारुख अब्दुल्ला और कांग्रेस की प्रॉपगेंडा को आगे बढ़ाते हुए पाकिस्तान से बातचीत करने का सलाह दे डाला।
३:-अमृत सिंह:- मित्रों अपने मौनी बाबा जिनकी लगाम हमेशा उनकी बास सोनिया गांधी के हाथों में रहती थी, उनकी अपनी सगी बेटी अमृत सिंह भी उस आतंकी जार्ज सोरोस के "ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव" में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी परियोजना को डायरेक्ट कर रही है। अब कांग्रेस के प्रधानमंत्री की बेटी और उनका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जब इस आतंकी के पेरोल पर हैँ फिर इस आतंकी और कांग्रेस का कितना गहरा रिश्ता है, आसानी से समझा जा सकता है।
४:-हर्ष मंदार: - मित्रों ये हाफिज सईद् और दाऊद इब्राहिम से भी खतरनाक है। और जार्ज सोरोस तथा सोनिया गांधी का सबसे बड़ा वफ़ादार और देश के लिए अत्यंत खतरनाक है।
आइये इसके बारे में थोड़ा समझ लेते हैँ:-
सोरोस का एक हेचमैन है यह हर्ष मंदर, जो कि स्वयं को कार्यकर्ता कहता है। वह सोनिया गांधी की शक्तिशाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) का सदस्य था। हर्ष मंदर कांग्रेस के नेतृत्व वाले UPA शासन के दौरान National Advisory Council का सदस्य रहते हुए OSF के सलाहकार बोर्ड में भी था।
:-हर्ष मंदर देश के उन तथा-कथित बुद्धिजीवियों में भी शामिल था, जिन्होंने २००८ में मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी अजमल कसाब और १९९३ के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी रोकने की मांग की थी!
IAS की नौकरी छोड़कर NGO Action Aid के लिए काम करने वाले हर्ष मंदर, मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सोनिया गांधी के बेहद करीबी माने जाते था।
:-यह हर्ष मंदर और उसका एनजीओ "कारवां ए मोहब्बत" शाहीन बाग के घमासान में भी बेहद सक्रिय रहा था। यहां तक कि मंदर ने सीएए पारित होने पर मुसलमान बन जाने की भी कमस खाई थी।
:-शाहीन बाग में हुए प्रदर्शनों के दौरान एक वायरल वीडियो में मंदर जहर उगलते हुए दिख रहा था। सोरोस का यह कारिंदा हर्ष मंदर सोनिया-राहुल का बेहद करीबी है। यह एक IAS ऑफिसर भी रहा है।
:- इसके ऊपर ED के छापे भी पड़ चुके हैँ। अत्यंत नीचता से भरा और हिन्दुओ को गुलाम बनाने वाला कम्युनल बिल भी इसी ने तैयार किया था।
:-ये वही हर्ष मंदर हैं, जिसने देश के कुछ बुद्धिजीवियों के साथ संसद हमले के दोषी आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी ।
:- २००२ से पूर्व हि यह जाँच एजेंसियों के रडार पर था, अत: गुजरात में हुए दंगो के पूर्व हि अपना IAS का प्रोफ़ेसन छोड़ने अर्थात स्वयं रिटायरमेंट लेने के लिए प्रार्थना पत्र सम्बन्धित विभाग में भेज चुका था परन्तु दंगो के पश्चात की परिस्थितियों का इसने जबरदस्त फायदा उठाया और जनता के सामने इस प्रकार दर्शाया की उसने गुजरात के दंगो का कारण अपने पद से स्तीफा दे दिया है। उसके पश्चात यह जरखरीद गुलाम की नौकरी करने लगा। एक ओर इसने सोनिया गांधी के तलवे चाटने लगा और दूसरी ओर जार्ज सोरोस का।
:-लीगल राइट्स आब्ज़रवेटरी की ताज़ा जांच रिपोर्ट के मुताबिक एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के एन जी ओ "सेंटर फांर इक्युइटी स्टडीज़" को फ्रेंच और डैनिश कैथोलिक्स चर्चों से करोड़ों रुपयों की ग्रांट मिली थी। आर्गेनाइज़र में प्रकाशित न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक इस ग्रांट का उद्देश्य संभवत: भारत मे उस प्रकार की सामाजिक उथल पुथल की संरचना करना था जैसी की फरवरी २०२ के हिंदू विरोधी दंगों में देखने को मिली!
:-लीगल राइट्स आब्ज़र्वेटरी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के पुख्ता प्रमाण मौजूद हैंं कि हर्ष मंदर के एन जी ओ सेंटर फांर इक्युइटी स्टडीज़ का इस्तेमाल दिल्ली दंगों के लिये फंडिंग जुटाने के लिये किया गया!
:-लीगल राइट्स आब्ज़र्वेटरी कहता है कि अमरीका स्थित इंडियन मुस्लिम्स रिलीफ एंड चैरिटी और यू के स्थित माइनांरिटी राइट्स ग्रुप ने भी हर्श मंदर के एन जी ओ को ऐसे समय में बहुत सी फंडिंग दी थी जब नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रेजिस्टर के विरुद्ध चल रहे धरना प्रदर्शन अपने चरम पर थे.
५:- तिस्ता सितलवाड़ (अब जेल में है)
६:- राणा अय्यूब(जेल जाने की तैयारी में है)
७:- द वायर (वामपंथियों की वेबसाइट)
८:- द प्रिंट
९:- द कारवा
और इनके जरखरीद गुलाम पत्रकार ये सभी जार्ज सोरोस के फेंके गये टुकड़े को लपकने के लिए तैयार रहते हैँ!
१०:- BBC
११:- हिन्दनबर्ग
१२:- भारत के सडे हुए बालीवुड़ के कचरा स्टार भी इससे पैसे लेकर भारत के विरुद्ध उल्टा सीधा बयानबाजी देते रहते हैँ और देशद्रोहिता के नित नये आयाम गढ़ते रहते हैँ।
अर्थात ऐसे लोगों के बारे में हमारे शास्त्र कहते हैँ:-
केचिदज्ञानतो नष्टाः केचिन्नष्टाः प्रमादतः ।
केचिज्ज्ञानावलेपेन केचिन्नष्टैस्तु नाशिताः ॥
कुछ लोग अज्ञान से बिगड गये हैं, कुछ प्रमाद से, तो कुछ ज्ञान के गर्व से बिगड गये हैं और कुछ लोगों को बिगडे हुए लोगों ने बिगाडा है ।
अब मै आपको कांग्रेस और जार्ज सोरोस जैसे वैश्विक आंतकी के मध्य सबसे मजबूत बुनियादी रिश्ता बतलाता हुँ।
१३:- राहुल गांधी की दादी (चाची)शोभा नेहरू थी। शोभा नेहरू का जन्म बुडापेस्ट (हंगरी) में दिनांक ५ दिसंबर १९०८ को हुआ था। १९३० में बीके नेहरू (इंदिरा गांधी के चचेरे भाई थे) के साथ शादी होने से पहले उनका नाम "मैगोडोलना फ्रिडमैन उर्फ फौरी" था। जिन्हें बाद में नेहरू परिवार ने शोभा नेहरू का नाम दिया गया। ये नेहरू परिवार की सबसे पहली विदेशी बहु थी।
चंडीगढ़ के कसौली में फेयर व्यू बंगले को उनके स्वर्गीय पति व पूर्व राजदूत ब्रज कुमार नेहरू ने १९८७ में खरीदा था। बीके नेहरू यूनाईटेड स्टेट में भारतीय राजदूत के अलावा जेएंडके व गुजरात में राज्यपाल भी रहे हैं।बीके नेहरू का ९२ वर्ष की आयु में ३१ अक्टूबर २००१ को कसौली में निधन हुआ था।
यहां पर आपके लिए यह भी जानना जरुरी है कि जॉर्ज सोरोस और राहुल गांधी की चाची दादी फोरी यानी शोभा नेहरू आपस में अच्छे दोस्त थे ( शोभा नेहरू की मृत्यु दिनांक २६ अप्रैल २०१७ में हो गयी थी)। उनकी मुलाकात वर्ष २००९ में चंडीगढ़ के सेक्टर ९ में होने की खबर है।
चंडीगढ़ की बैठक की व्यवस्था फ़ोरी के पुत्र अनिल नेहरू और ब्रज कुमार नेहरू ने की थी।जैसा की ऊपर बता दिया गया है कि फ़ोरी का जन्म सोरोस के असली देश हंगरी में हुआ था और उनका असली नाम मैगडोलना फ्रीडमैन था। मैगडोलना उर्फ फोरी उर्फ शोभा नेहरु ही गांधी खानदान और सोरोस के बीच की अहम कड़ी थी।
अब मित्रों कांग्रेस और जार्ज सोरोस का इतना भयानक और मजबूत गठजोड़ क्या आंखे खोलने वाला नहीं है। क्या ये कांग्रेसी अभी भी इंकार कर सकते हैँ की इनका साथ देश के दुश्मनों और गद्दारों के साथ है।
चलते चलते आपको पैगासस की भी याद दिलाता चलूँ, इजरायली स्पाइवेयर पेगासस को लेकर भारत में जबरदस्त हंगामा मचाया था कांग्रेसियों और वामपंथियों ने। यहां तक कि संसद भी ठप कर दी गई थी। पेगासस की रिपोर्ट के उपयोग के माध्यम से मोदी सरकार द्वारा जासूसी के आरोपों को लेकर भारत को परेशान कर दिया गया था।
मित्रों पैगासस जासूसी से संबंधित आरोप वामपंथी प्रचार वेबसाइट "द वायर" ने लगाया था जिसे "फॉरबिडन स्टोरीज़" से लिया गया था। जिसे जॉर्ज सोरोस के Open Society foundation से भारी फंड मिलता है। वायर और फॉरबिडन स्टोरीज़ की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेसी शहजादे ने वर्ष २०२१ में पेगासस का हंगामा खड़ा करके संसद ठप कर दी थी। यह सब जॉर्ज सोरोस और राहुल गांधी के बीच के कनेक्शन के ठोस सबूत हैं।
मित्रों ये विदेशी कोख से जन्मी संतान और चंद पैसों के लिए अपने जमीर को बेच देने वाले देश के गद्दार कभी भी राष्ट्र भक्ति के विषय में सोच पाएंगे।
प्रभु श्रीराम, अपने भ्राता लक्ष्मण से कहते हैं-
अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते ।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥
अर्थात"हे लक्ष्मण! यद्यपि यह लंका सोने की बनी है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। (क्योंकि) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। हम सभी राष्ट्रवादी बस यही प्रार्थना करते हैँ:-
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्।।
हे प्रभु!आपकी असीम कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने में समर्थ हो।
लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
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