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जो व्यक्ति अपनी पत्नी कर रक्षा ना कर सका और जिसे अपनी पत्नि को प्राप्त करने के लिए वानरो की सहायता लेनी पड़ी, वो भगवान कैसे हो सकता है?

29 मई 2023

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मित्रों ये प्रश्न "The Kerala Story" में  एक कन्वर्टेड मुस्लिम युवती ने जब हिन्दु लड़कियों से पूछी तो वो इसका उत्तर ना दे सकी, क्यों, क्योंकि वो अपने धर्म के ज्ञान से अत्यंत दूर थी।

मित्रों ये प्रश्न "The Kerala Story" में  एक कन्वर्टेड मुस्लिम युवती ने जब हिन्दु लड़कियों से पूछी तो वो इसका उत्तर ना दे सकी, क्यों, क्योंकि वो अपने धर्म के ज्ञान से अत्यंत दूर थी।मित्रों ये प्रश्न "The Kerala Story" में  एक कन्वर्टेड मुस्लिम युवती ने जब हिन्दु लड़कियों से पूछी तो वो इसका उत्तर ना दे सकी, क्यों, क्योंकि वो अपने धर्म के ज्ञान से अत्यंत दूर थी।

पर क्या आप इसका उत्तर दे सकते हैँ, सोचिये और सोच कर बताइये। जब तक आप सोचते हैँ, तब तक हम आपके लिए इस लेख के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दे देते हैँ।पर क्या आप इसका उत्तर दे सकते हैँ, सोचिये और सोच कर बताइये। जब तक आप सोचते हैँ, तब तक हम आपके लिए इस लेख के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दे देते हैँ।

मित्रों आपने अपने बचपन और युवावस्था में कभी ना कभी "रामलीला" तो अवश्य देखा होगा। दशहरे के पावन पर्व पर यह "रामलिला" रावण के दहन के साथ समाप्त हो जाती है। पर क्या आपने कभी सोचा है, कि आखिर प्रभु श्रीराम के जीवन वृत का मंचन करने वाले इस पवित्र कार्यक्रम को "रामलीला" कह कर क्यों सम्बोधित करते हैँ?मित्रों आपने अपने बचपन और युवावस्था में कभी ना कभी "रामलीला" तो अवश्य देखा होगा। दशहरे के पावन पर्व पर यह "रामलिला" रावण के दहन के साथ समाप्त हो जाती है। पर क्या आपने कभी सोचा है, कि आखिर प्रभु श्रीराम के जीवन वृत का मंचन करने वाले इस पवित्र कार्यक्रम को "रामलीला" कह कर क्यों सम्बोधित करते हैँ?

आइये इस "रामलीला" शब्द के सार के थाह को परखने और जानने का प्रयास करते हैँ।आइये इस "रामलीला" शब्द के सार के थाह को परखने और जानने का प्रयास करते हैँ।

मित्रों आपको इस तथ्य का ज्ञान तो अवश्य होगा कि इस सृष्टि के पालनहार भगवान श्री विष्णु ने नौ अवतार ले लिया है और "कल्की" के रूप में दशवें अवतार को धारण कर वे पुन: पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में जन्म लेने वाले हैँ।मित्रों आपको इस तथ्य का ज्ञान तो अवश्य होगा कि इस सृष्टि के पालनहार भगवान श्री विष्णु ने नौ अवतार ले लिया है और "कल्की" के रूप में दशवें अवतार को धारण कर वे पुन: पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में जन्म लेने वाले हैँ।

भगवान विष्णु के द्वारा लिए गये सभी अवतार "सृष्टि के आरम्भ से जीवन् के उत्पत्ति और उसके विकास अर्थात " उत्परिवर्तन" को दर्शाते हैँ।भगवान विष्णु के द्वारा लिए गये सभी अवतार "सृष्टि के आरम्भ से जीवन् के उत्पत्ति और उसके विकास अर्थात " उत्परिवर्तन" को दर्शाते हैँ।

प्रथम अवतार मत्स्य अवतार था "जो समुद्र में बैटीरिया से एक कोशिकीय जीव और उनसे बहुकोशिकीय जीव के विकास का क्रम दर्शाता है और मत्स्य अर्थात मछली जल में उत्पन्न होने वाला सबसे परिष्कृत जीव है, जो आज भी उपस्थित है। जलचर ।प्रथम अवतार मत्स्य अवतार था "जो समुद्र में बैटीरिया से एक कोशिकीय जीव और उनसे बहुकोशिकीय जीव के विकास का क्रम दर्शाता है और मत्स्य अर्थात मछली जल में उत्पन्न होने वाला सबसे परिष्कृत जीव है, जो आज भी उपस्थित है। जलचर ।

दूसरा अवतार था कच्छप अर्थात कछुआ:- यह उत्परिवर्तन का दूसरा चरण था जब जल से जीवन बाहर आकर स्थल अर्थात भूमि पर रहना शुरु कर चुका था। उभयचरदूसरा अवतार था कच्छप अर्थात कछुआ:- यह उत्परिवर्तन का दूसरा चरण था जब जल से जीवन बाहर आकर स्थल अर्थात भूमि पर रहना शुरु कर चुका था। उभयचर

तीसरा अवतार था वाराह:- अर्थात अब अंडो के द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों के साथ साथ स्तनधारियों का भी विकास आरम्भ हो गया और उनमे वाराह अर्थात शुकर सबसे ज्यादा योग्य जीव था और इसी समय नभचर जीवो तथा ऐसे जीवों का भी विकास शुरु हुआ जो जल, नभ और स्थल तीनो पर समान रूप से जीवन यापन कर सकते थे।तीसरा अवतार था वाराह:- अर्थात अब अंडो के द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों के साथ साथ स्तनधारियों का भी विकास आरम्भ हो गया और उनमे वाराह अर्थात शुकर सबसे ज्यादा योग्य जीव था और इसी समय नभचर जीवो तथा ऐसे जीवों का भी विकास शुरु हुआ जो जल, नभ और स्थल तीनो पर समान रूप से जीवन यापन कर सकते थे।

चौथा अवतार नृसिंह का था :- अर्थात चार पाँवो से चलने वाले जीवों का क्रमिक विकास होने लगा अब वो दो पाँवो पर भी चलने लगे, जिससे उनके जीवन में अत्यधिक आसानी होने लगी।चौथा अवतार नृसिंह का था :- अर्थात चार पाँवो से चलने वाले जीवों का क्रमिक विकास होने लगा अब वो दो पाँवो पर भी चलने लगे, जिससे उनके जीवन में अत्यधिक आसानी होने लगी।

पांचवा अवतार "वामन" का था:- अर्थात उत्परिवर्तन के कारण क्रमिक विकास के दौरान ४ से ५ फुट की लम्बाई वाले मानव अस्तित्व में आये, ये जंगलों में अन्य जीवों के साथ रहते थे।पांचवा अवतार "वामन" का था:- अर्थात उत्परिवर्तन के कारण क्रमिक विकास के दौरान ४ से ५ फुट की लम्बाई वाले मानव अस्तित्व में आये, ये जंगलों में अन्य जीवों के साथ रहते थे।

छठा अवतार "परशुराम" अवतार था:- अब मनुष्यों ने पत्थरों के  हथियार और औजार बनाना सिख लिया था और वो जंगलों से निकलकर गुफाओं में झुण्ड बना कर रहने लगे और भाषा इत्यादि का विकास किया, अग्नि का विकास किया।छठा अवतार "परशुराम" अवतार था:- अब मनुष्यों ने पत्थरों के  हथियार और औजार बनाना सिख लिया था और वो जंगलों से निकलकर गुफाओं में झुण्ड बना कर रहने लगे और भाषा इत्यादि का विकास किया, अग्नि का विकास किया।

अब था सातवा अवतार अर्थात प्रभु श्रीराम का:- इस दौरान जीवन के क्रमिक विकास में संस्कृति, सभ्यता, भाषा, गाव, समाज, मर्यादा, जीवन जिने के सामूहिक नियम, इत्यादि का ना केवल क्रमिक विकास हुआ अपितु यह अपने चरमोतकर्ष पर पहुंच गया। अब था सातवा अवतार अर्थात प्रभु श्रीराम का:- इस दौरान जीवन के क्रमिक विकास में संस्कृति, सभ्यता, भाषा, गाव, समाज, मर्यादा, जीवन जिने के सामूहिक नियम, इत्यादि का ना केवल क्रमिक विकास हुआ अपितु यह अपने चरमोतकर्ष पर पहुंच गया।

खैर आप उपर्युक्त तथ्य को स्वीकार करें या ना करें पर यही सत्य है। अब हम ऊपर दिये गये वैज्ञानिक अवधारणा को यंही छोड़ "रामलीला" पर पुन: आते हैँ।खैर आप उपर्युक्त तथ्य को स्वीकार करें या ना करें पर यही सत्य है। अब हम ऊपर दिये गये वैज्ञानिक अवधारणा को यंही छोड़ "रामलीला" पर पुन: आते हैँ।

"रामलीला" का अर्थ है:- "राम" का अर्थ तो सभी जानते हैँ फिर भी मै आपको बताता चलूँ "राम शब्द संस्कृत के दो धातुओं, रम् और घम से बना है। रम् का अर्थ है रमना या निहित होना और घम का अर्थ है ब्रह्मांड का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ सकल ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व यानी चराचर में विराजमान स्वयं ब्रह्म। शास्त्रों में लिखा है, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” अर्थात, योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।""रामलीला" का अर्थ है:- "राम" का अर्थ तो सभी जानते हैँ फिर भी मै आपको बताता चलूँ "राम शब्द संस्कृत के दो धातुओं, रम् और घम से बना है। रम् का अर्थ है रमना या निहित होना और घम का अर्थ है ब्रह्मांड का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ सकल ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व यानी चराचर में विराजमान स्वयं ब्रह्म। शास्त्रों में लिखा है, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” अर्थात, योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।"

लीला का अर्थ है, प्रभु श्रीराम के रूप में मानव समाज में जन्म लेकर, विश्व को मर्यादा, संस्कृति और सदाचारण (त्याग, तपस्या, क्षमा, प्रेम, दया और करुणा इत्यादि) का पाठ समझाने हेतु किये गये क्रिया कलाप।लीला का अर्थ है, प्रभु श्रीराम के रूप में मानव समाज में जन्म लेकर, विश्व को मर्यादा, संस्कृति और सदाचारण (त्याग, तपस्या, क्षमा, प्रेम, दया और करुणा इत्यादि) का पाठ समझाने हेतु किये गये क्रिया कलाप।

अब आइये इसे समझने का प्रयास करते हैँ। बाल्यवस्था में प्रभु श्रीराम अन्य सामान्य बालको की भांति हि अपनी मासूम क्रियाओं से अपने माता पिता के हृदय को असीम सुख और आनंद से भर देते हैँ और धीरे धीरे बड़े होते हैँ।अब आइये इसे समझने का प्रयास करते हैँ। बाल्यवस्था में प्रभु श्रीराम अन्य सामान्य बालको की भांति हि अपनी मासूम क्रियाओं से अपने माता पिता के हृदय को असीम सुख और आनंद से भर देते हैँ और धीरे धीरे बड़े होते हैँ।

वे अपने माता पिता की आज्ञा से गुरुकुल में शिक्षा और दीक्षा प्राप्त करने जाते हैँ और अयोध्या के अन्य सामान्य जनता के बच्चों के साथ ही शिक्षा और दीक्षा ग्रहण करते हैँ। यंहा पर वो सभी ऊंच नीच या छुआ छुत जैसी अवधारणाओ की बेड़ियों को तोड़ने का मर्यादामयी आचरण दर्शाते हैँ और इसी क्रम में निशाद राज उनके परम मित्र बन जाते हैँ।वे अपने माता पिता की आज्ञा से गुरुकुल में शिक्षा और दीक्षा प्राप्त करने जाते हैँ और अयोध्या के अन्य सामान्य जनता के बच्चों के साथ ही शिक्षा और दीक्षा ग्रहण करते हैँ। यंहा पर वो सभी ऊंच नीच या छुआ छुत जैसी अवधारणाओ की बेड़ियों को तोड़ने का मर्यादामयी आचरण दर्शाते हैँ और इसी क्रम में निशाद राज उनके परम मित्र बन जाते हैँ।

जब शिक्षा पूर्ण कर घर वापस आते हैँ, तो कुछ हि अवधि के पश्चात महर्षि विश्वामित्र के निवेदन पर अपने पिता के आदेश से राक्षसों के आतंक से संतो की रक्षा करने वन गमन कर जाते हैँ।जब शिक्षा पूर्ण कर घर वापस आते हैँ, तो कुछ हि अवधि के पश्चात महर्षि विश्वामित्र के निवेदन पर अपने पिता के आदेश से राक्षसों के आतंक से संतो की रक्षा करने वन गमन कर जाते हैँ।

(अब यंहा वो चाहते तो अपनी माता से या पिता से आग्रह कर किसी ना किसी बहाने वन में जाने से बच सकते थे, परन्तु उन्होंने अपने पिता के आदेश का पालन कर पुत्रधर्म निभाया और वंही दूसरी ओर अयोध्या के राजकुमार होने के नाते अपनी प्रजा के प्रति अपने राजधर्म का पालन किया)ताड़का और सुबाहु जैसे महापराक्रमि राक्षसों का वध कर संत समाज को अभय प्रदान करते हैँ।(अब यंहा वो चाहते तो अपनी माता से या पिता से आग्रह कर किसी ना किसी बहाने वन में जाने से बच सकते थे, परन्तु उन्होंने अपने पिता के आदेश का पालन कर पुत्रधर्म निभाया और वंही दूसरी ओर अयोध्या के राजकुमार होने के नाते अपनी प्रजा के प्रति अपने राजधर्म का पालन किया)ताड़का और सुबाहु जैसे महापराक्रमि राक्षसों का वध कर संत समाज को अभय प्रदान करते हैँ।

मार्ग में वे गौतम ऋषि की कुटिया में प्रवेश करते हैँ और शिला के रूप में विद्यमान और कई वर्षों से अपने उद्धार की प्रतीक्षा कर रही अहिल्या को अपने स्पर्श द्वारा मुक्ति प्रदान करते है। यह भी उनके अवतार का एक प्रमुख कारण था।मार्ग में वे गौतम ऋषि की कुटिया में प्रवेश करते हैँ और शिला के रूप में विद्यमान और कई वर्षों से अपने उद्धार की प्रतीक्षा कर रही अहिल्या को अपने स्पर्श द्वारा मुक्ति प्रदान करते है। यह भी उनके अवतार का एक प्रमुख कारण था।

मिथिला राजवंश के द्वारा आयोजित स्वयंबर में गुरु कि आज्ञा से ना केवल भाग लेते हैँ, अपितु धनुष को तोड़कर स्वयंबर की शर्त पूरी कर राजकुमारी सीता का वरण करते हैँ। परन्तु यंहा पर अपने मर्यादा रूपी आचरण से समाज को विशेष संदेश देते हैँ और अपने पिता, गुरुओं और अयोध्यावासियों कि उपस्थिति में पूरे धार्मिक अनुष्ठानों के साथ विवाह प्रक्रिया को सम्पन्न कराने तथा सभी बड़ो का आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात हि माता सीता की विदाई कराकर अयोध्या वापस आते हैँ। मिथिला राजवंश के द्वारा आयोजित स्वयंबर में गुरु कि आज्ञा से ना केवल भाग लेते हैँ, अपितु धनुष को तोड़कर स्वयंबर की शर्त पूरी कर राजकुमारी सीता का वरण करते हैँ। परन्तु यंहा पर अपने मर्यादा रूपी आचरण से समाज को विशेष संदेश देते हैँ और अपने पिता, गुरुओं और अयोध्यावासियों कि उपस्थिति में पूरे धार्मिक अनुष्ठानों के साथ विवाह प्रक्रिया को सम्पन्न कराने तथा सभी बड़ो का आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात हि माता सीता की विदाई कराकर अयोध्या वापस आते हैँ।

वो चाहते तो स्वयंबर जितने के पश्चात माता सीता का वरण कर  गुरु विश्वामित्र के साथ अयोध्या वापस आ सकते थे, परन्तु उन्होंने अपने सांस्कृतिक मूल्यों, धार्मिक वैवाहिक अनुष्ठानों और अपने पिता और अन्य अयोध्यावासियों के आशीर्वाद के साथ विवाह को सम्पन्न कराकर एक मर्यादामयी आचरण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया।वो चाहते तो स्वयंबर जितने के पश्चात माता सीता का वरण कर  गुरु विश्वामित्र के साथ अयोध्या वापस आ सकते थे, परन्तु उन्होंने अपने सांस्कृतिक मूल्यों, धार्मिक वैवाहिक अनुष्ठानों और अपने पिता और अन्य अयोध्यावासियों के आशीर्वाद के साथ विवाह को सम्पन्न कराकर एक मर्यादामयी आचरण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया।

अब आते हैँ १४ वर्ष के वनवास पर। मित्रों देवताओं की प्रार्थना पर माता सरस्वती ने रावण के अत्याचार से विश्व को मुक्त कराने हेतु और भगवान प्रभु श्रीराम को वन में भेजने हेतु, माता कैकेई की प्रमुख दासी मंथरा के मस्तिष्क में रासायनिक उलटफेर किया, जिसके फ्लस्वरूप मंथरा ने माता कैकेई का आजकल की भाषा में "ब्रेन वाश" किया और उसका परिणाम ये निकला कि महाराज दशरथ को अपने हृदय पर पत्थर रखकर दो वचन देने पड़े और प्रभु श्रीराम को १४ वर्ष का वनवास मिला। अब आप स्थिति को देखें:-अब आते हैँ १४ वर्ष के वनवास पर। मित्रों देवताओं की प्रार्थना पर माता सरस्वती ने रावण के अत्याचार से विश्व को मुक्त कराने हेतु और भगवान प्रभु श्रीराम को वन में भेजने हेतु, माता कैकेई की प्रमुख दासी मंथरा के मस्तिष्क में रासायनिक उलटफेर किया, जिसके फ्लस्वरूप मंथरा ने माता कैकेई का आजकल की भाषा में "ब्रेन वाश" किया और उसका परिणाम ये निकला कि महाराज दशरथ को अपने हृदय पर पत्थर रखकर दो वचन देने पड़े और प्रभु श्रीराम को १४ वर्ष का वनवास मिला। अब आप स्थिति को देखें:-

१:- भरत और शत्रुघ्न दोनो अयोध्या में नहीं हैँ;

२:- लक्ष्मण प्रभु श्रीराम के पक्ष में विद्रोह करने को तैयार हैँ;

३:- महाराज स्वयं को बंदी बनाकर कारागार में डालने का सुझाव दे रहे हैँ;

४:- अयोध्या की सेना प्रभु के साथ है;

५:- अयोध्या की सम्पूर्ण प्रजा प्रभु के साथ है;

६:- गुरु, संत और श्रेष्ठजन भी प्रभु श्रीराम के साथ हैँ

सब चाहते हैँ प्रभु विद्रोह करके अयोध्या का राजा बन जाए और सुख और यश के साथ राज करें, पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम इन सभी के आग्रह और साथ को टाल देते हैँ। वो अपने पिता के वचन के आगे सम्पूर्ण विश्व के वैभव और सुख को अत्यंत छोटा मानकर १४ वर्ष के वनवास को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैँ। प्रभु के लिए पिता के वचन का मान रखना अयोध्या के सिंहासन से कंही ज्यादा महत्व का है और अपने पुत्र धर्म का पालन करने हेतु वो वनवासी का जीवन अपना लेते हैँ, यही तो उदाहरण है, जो कंही और नहीं मिल सकता। यही तो एक योग्य पुत्र की मर्यादा है।

आगे प्रभु बड़ी विनम्रता से निशाद राज का आतिथ्य स्वीकार करते हैँ और एक बार पुन: समाज को "सभी मनुष्य बराबर हैँ" का पाठ पढ़ाते हैँ।

केवट का प्रसंग भी हमें प्रभु श्रीराम की लीला का एक दर्शन कराता है। केवट को इस घटना का भान था कि प्रभू के पैरों के स्पर्श से एक शिला नारी बन गयी थी, अत: वह प्रभु के पैरों को धोये बिना अपनी नाव में बैठाने के लिए तैयार नहीं था, अत: प्रभु ने केवट के हठ के आगे नतमस्तक होकर उसे संतुष्ट होने दिया और फिर उसकी आज्ञा से केवट की नाव में बैठकर नदी को पार किया। यंहा पर भी प्रभु ने अपनी इच्छा के स्थान पर केवट कि इच्छा का सम्मान किया और एक आदर्श प्रस्तुत किया।

अब आगे आते हैँ, वन में विचरण कर रही लंकाधीपति महाबली रावण की बहन सुपर्णनखा, जब प्रभु श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण को देखती है तो उनके रूप और सौंदर्य पर मोहित हो जाती है और अत्यंत रुपवती नारी के वेश में वो उनके पास जाती है। वो प्रभु श्रीराम से अपने सौंदर्य से ओत प्रोत और अत्यंत कामुकता से भरे शब्दों से प्रेम निमंत्रण देती है, पर मर्यादा पुरुषोत्तम अपनी मर्यादा के अंदर रहकर सुपर्णनखा को बड़े ही सम्मानपूर्वक मना कर देते हैँ और कहते हैँ कि "मेरी अर्धांगिनी तो मेरे साथ हैँ और पति के रूप में  ये सम्पूर्ण जीवन बस इन्हीं के लिए है। जब लक्षमण भी इंकार कर देते हैँ, तो वो वासनामयी नारी माता सीता के जीवन को खत्म करने दौड़ पड़ती है और उसे दंडित करने हेतु लखन को वाण चलाना पड़ता है जो उसके नाक और कान को बेधकर वन में चला जाता है।

अब यंहा पर भी प्रभु ने मर्यादा का पाठ पढ़ाते हुए अपने आचरण से दर्शाया है कि किसी भी अवस्था में व्यक्ति को अपने चरित्र कि ना केवल रक्षा करनी चाहिए अपितु नारी का सम्मान भी करना चाहिए। चरित्र हि व्यक्ति के संस्कार, संस्कृति और समाज का परिचायक होता है।

इसके पश्चात रावण साधु के वेश में आता है और अपने मामा मारीच (जो " स्वर्णमृग" का प्रपंच रचकर आया था) की सहायता से माता सीता का हरण कर पुष्पक विमान में बैठा लंका की ओर उड़ जाता है। मित्रों यंहा पर जब माता सीता भगवान राम की वेदनामयी आवाज को सुन व्याकुलता में लक्ष्मण को आदेश देती हैँ कि जाओ अपने भाई की सहायता करो, तब लक्ष्मण जी माता सीता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, ना चाहते हुए भी जाने को विवश हो जाते हैँ, परन्तु वो जाने से पूर्व लक्ष्मण रेखा खींच कर जाते हैँ और भाभी से प्रार्थना करते हैँ कि "आप इस रेखा के बाहर ना जाना"!

माता सीता का हरण तभी सम्भव हो पाता है, जब वो इस लक्ष्मण रेखा को पार करती हैँ। यंहा प्रभु श्रीराम ने विश्व को सचेत किया कि आप जब भी मर्यादा की रेखा को पार करेंगे तो याद रखिये केवल और केवल अहित होगा।

जब दोनो भाई कुटिया में वापस आते हैँ, तो माता सीता को ना पाकर व्याकुल हो जाते हैँ, प्रभु आम मनुष्यों की हि तरह व्यवहार करते हैँ। वे व्याकुलता में वन वन भटकते हैं और अपने पत्नी के वियोग में अश्रु भी बहाते है। मार्ग में उन्हें स्थान स्थान पर माता सीता के द्वारा फेके गये कुछ गहने भी प्राप्त होते हैँ, पर जब वो उन्हें पहचानने के लिए लक्ष्मण से पूछते हैँ, तो वो ये कहकर इंकार कर देते हैँ कि,  " भईया मैंने तो कभी भाभी के चरणों के अतिरिक्त कुछ देखा ही नहीं" अत: मै कैसे पहचान सकता हुँ। फिर कुछ और दूर जाने पर जब पैरों में पहने जाने वाली पायल मिलती है, तब लक्ष्मण उसे पहचान लेते हैँ और कहते हाँ भईया हाँ ये भाभी का हि है।

ये मर्यादा की पराकाष्ठा है, क्या लक्ष्मण जैसा देवर और भाई हो सकता है और यदि हाँ तो क्या ऐसा मर्यादामय आचरण निभा सकता है।

प्रभु श्रीराम के रूप में अवतार लेने का दूसरा कारण जटायु की मुक्ति:- जी हां मित्रों रावण से माता सीता की रक्षा करते हुए जटायु पूर्णतया घायल हो जाते हैँ और प्रभु श्रीराम को रावण के बारे में जानकारी देते हुए, प्रभु कि गोद में ही अपने प्राण त्याग देते हैँ। इस प्रकार प्रभु ने जंहा माता अहिल्या और केवट का उद्धार किया वंही इस पक्षिराज का भी उद्धार कर उसे मुक्ति दी।

इसके पश्चात प्रभु श्रीराम वर्षो से प्रतीक्षा कर रही है माता शबरी  के आश्रम में पहुंच कर उनके जूठे बेरो को आनंदपूर्वक ग्रहण करते हैँ और एक बार पुन: ऊंच नीच या छुआछूत को समाज से मिटाने का प्रयास करते हैँ।

इसके पश्चात अब अपने सबसे यशस्वी सेवक हनुमान से प्रभु श्रीराम की मुलाक़ात हुई और फिर किसकिंधा नरेश बाली द्वारा नगर से बाहर निकाल दिये गये सुग्रीव से मैत्री संधी होती है और प्रभु श्रीराम महाबली बाली का वध कर सुग्रीव को उसके आतंक से मुक्ति दिलाते हैँ और सुग्रीव को किसकिंधा का नरेश बना, बाली के पुत्र अंगद को उनके सरंक्षण में सौंप देते हैँ।

यंहा बाली का वध प्रभु ने इसीलिए किया, क्योंकि बाली ने अपने क्रोध में आकर ना केवल अपने छोटे भाई सुग्रीव को देश से निकाल दिया था अपितु उनकी पत्नी को भी अपने पास रख लिया था, जो की एक असमाजिक और अमर्यादित आचरण था और इससे समाज को गलत संदेश जा रहा था। प्रभु ने पेड़ की ओट लेकर इसलिए बाली का वध किया, क्योंकि यह एक युद्ध नीति का हिस्सा था, क्योंकि बाली को ये वरदान था कि वो स्वयं से लड़ने वाले की आधी शक्ति खींच लेता था अब उसका तरीका जैसा भी हो, पर सत्य यही था। अत: दुश्मन के इस लाभ की अवस्था के काट के तौर पर इस प्रक्रिया को उपयोग में लाया गया था।

इसी मध्य जब लंका से प्रताड़ित होकर रावण का छोटा भाई विभीषण उनसे मिलने आया तो जामवंत, सुग्रीव, अंगद और हनुमान के संदेह व्यक्त करने के पश्चात भी, प्रभु उनसे मिले और प्रथम मिलन में हि उन्हें "आओ लंकेश" कहकर सम्बोधित किया और उन्हें अपने समकक्ष आसन पर बैठाया। प्रभु के द्वारा ऐसा सम्मान पाकर विभीषण उनके चरणों में नतमस्तक हो गये। अब यंहा पर प्रभु श्रीराम चाहते तो उनसे मिलने से इंकार कर देते या उन्हें अपने सैनिकों के हवाले कर देते, परन्तु उन्होंने ये सब नहीं किया अपितु विभीषण को लंकेश कहकर भविष्य की रुपरेखा भी तैयार कर दी।

अब प्रभु श्रीराम ने अपनी अर्धांगिनी को प्राप्त करने के लिए वनवासी समुदाय का सर्वप्रथम विश्वाश जिता, उन्हें अपना बनाया, उनकी सहायता की और फिर अपने लिए सहायता की उम्मीद की। उन्होंने उन्हीं वनवासियों से मैत्री और संधी के माध्यम से एक विशाल सेना तैयार कि और उनके अभियांत्रिकी अनुभव का उपयोग करते हुए ना केवल अपनी अर्धांगिनी का पता लगाया अपितु वो समुद्र पर पुल बनाकर लंका भी पहुँच गये।

वो भगवान थे, तभी उन्होंने लंका तक पहुंचने के पश्चात भी उन्होंने अंतिम बार प्रयास किया और अपनी सेना के सबसे युवा योद्धा अंगद पर विश्वास करते हुए ना केवल उनका आत्मविश्वाश बढ़ाया अपितु उन्हें अपना दूत बना रावण के पास भेजा और "सीता" को सम्मान सहित लौटाकर युद्ध से बचने का अवसर प्रदान किया।

परन्तु रावण का वध तो प्रभु श्रीराम के हाथों ही होना था अत:, भयंकर युद्ध हुआ रावण के पुत्र, रिश्तेदार, सगे संबंधी और सैनिक सभी का उद्धार प्रभु श्रीराम और उनके वनवासी सेना के द्वारा किया गया और माता सीता को ससम्मान रावण के कैद से मुक्त करा लिया गया।

अब मित्रों आप स्वयं सोचे भगवान विष्णु के इस सातवें अवतार  प्रभु श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन काल में जो भी आचरण दर्शाया गया क्या वो एक सामान्य व्यक्ति के वश कि बात है:-

१:- एक पत्नीव्रता पति:- यदि वो सामान्य मनुष्य की भांति व्यवहार करते तो एक पत्नी के लिए, इतना भयानक संघर्ष नहीं करते। अपनी पत्नी को सुरक्षित वापस लाने के लिए समुद्र पर पुल बाँध दिया, सुग्रीव को किसकिंधा का नरेश बनाकर वनवासी समुदाय को अपने साथ कर लिया, दुश्मन के भाई को भी अपना लिया और फिर लंका पहुंचकर रावण के सम्पूर्ण खानदान (विभीषण को छोड़) का सर्वनाश कर डाला। विभीषण को लंका का राजा बनाकर केवल अपनी धर्मपत्नी को लेकर चले आये।

२:- पुत्रधर्म:- क्या कोई ऐसा हो सकता है, जो अपने पिता के वचनों के लिए अयोध्या के राज सिंहासन, सुख, आनंद और यश से भरे निष्कंटक जीवन का त्याग कर वनवासी का जीवन १४ वर्षों तक जिने के लिए वन गमन कर जाए।

३:-लोकधर्म:- माता अहिल्या, माता शबरी, केवट, महाबली  बाली और , जटायु इत्यादि को मुक्ति प्रदान करे और रावण के सम्पूर्ण खानदान का विनाश कर लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौप दे।

हमारा भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है। है कोई इस दुनिया में जो इनके चरित्र और मर्यादापूर्ण आचरण की अंश मात्र भी बराबरी कर सके।

यदि ये सभी तथ्य उनकी जानकारी में होते तो वो उस कन्वर्ट मुस्लिम युवती का उत्तर दे सकते थे।

लेखन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक और

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एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ:-वराह अवतार और पृथ्वी को जल से बाहर निकालना।

13 मई 2023
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मित्रों वामपंथियों और तर्कवादियों ने सदैव "सनातन धर्म" के सभ्यता, संस्कृति, भाषा, इतिहास, भूगोल और समाजिक व्यवस्था को अपने आलोचना का केंद्र बनाया है। ये हमारे जितने भी धार्मिक और ऐतिहासिक पुस्तके हैँ

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

13 मई 2023
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 मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए रच

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मोदी का पैसा आया क्या? एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ।

29 मई 2023
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मित्रों आप तो जानते हैँ कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैँ । ये सनातन धर्म, उसकी सभ्यता, उसकी संस्कृति और उसके समीपस्थ जो पार्टी है भाजपा उसको पानी पी पीकर कोसते हैँ। वामप

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साम्यवाद अर्थात कम्युनिज्म का काला स्वरूप। प्रथम अंक:- कार्ल हेनरिक मार्क्स!

29 मई 2023
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आइये इस कम्युनिज्म के काले, भयानक और अंधेरी दुनिया का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हैँ। आरम्भ करते हैँ जर्मनी के उस छोटे से कस्बे से जंहा पर इस भयानक और समाजविरोधी सिद्धांत का जन्म हुआ था। आइये इस कम्

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जो अपनी पत्नी की लाश को अपने हाथों में उठाकर आम आदमी की तरह रोता घूमता हो वो GOD कैसे हो सकता है?

29 मई 2023
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मित्रों जब "The Kerala Story" में वो कन्वर्ट मुस्लिम लड़की पूछती है यह प्रश्न तो हिन्दु लड़कियों के पास इसका उत्तर नहीं होता है, क्योंकि वो अपने धर्म से कोसो दूर थी। मित्रों जब "The Kerala Story" म

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जो व्यक्ति अपनी पत्नी कर रक्षा ना कर सका और जिसे अपनी पत्नि को प्राप्त करने के लिए वानरो की सहायता लेनी पड़ी, वो भगवान कैसे हो सकता है?

29 मई 2023
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मित्रों ये प्रश्न "The Kerala Story" में  एक कन्वर्टेड मुस्लिम युवती ने जब हिन्दु लड़कियों से पूछी तो वो इसका उत्तर ना दे सकी, क्यों, क्योंकि वो अपने धर्म के ज्ञान से अत्यंत दूर थी। मित्रों ये प्र

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झूठे इतिहासकारों और कन्वर्टों हैसियत है तो साबित करो:- ये कुतुब मिनार है।

29 मई 2023
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मित्रों जो लोग आज भी कबिलाई संस्कृति से मुक्ति नहीं पा सके हैँ, वो लोग इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के महरौली में खड़े विष्णु स्तम्भ को "कुतुब मिनार" होने का दावा करते हैँ और इसमे उनका साथ देते हैँ अनपढ़ औ

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बेचारा और असहाय कम्युनिस्ट बाप- "The Kerala Story"

29 मई 2023
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वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक

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विज्ञान (नासा) शास्त्रों में लिखी बातों को सच साबित कर रहा है।

29 मई 2023
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NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें।NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें। जी हाँ कई आसमानी किताबों में आपको निम्नलिखित बाते मिल जाएंगी जैसे:-जी हाँ कई आसम

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अरे अदालते तो उस समय भी थी संविधान तो उस समय भी था।

29 मई 2023
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मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवाद

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

29 मई 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; १:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं

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कैसा भगवान है तुम्हारा, जिसकी १६१०८ पत्नियां है, कैसे तुम इन्हें GOD कह सकते हो?

30 मई 2023
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एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:-एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:- मित्रों जैसा की आपको पता है कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म और सोच से वामपंथी हैँ और वामपंथी होकर सनातन

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आदरणीय न्यायालयों ने भी "The Kerla Story" का सम्मान किया:-

30 मई 2023
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मित्रों शांतिदूतो से पैसा मिलने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी केस लड़ने का हुनर रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तथाकथित वकील ने अपने मस्तिष्क के पश्च भाग का सम्पूर्ण बल प्रयोग कर लिया अपनी समस्त ज

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अनपढ़ कौन:- प्रधानमंत्री या दिल्ली का मुख्यमंत्री।

30 मई 2023
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मित्रों आपने यादी ध्यान दिया होगा तो अबकारी (शराब) मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के तुरूंगवासित होते हि,( वर्ष २०१६ के पश्चात )श्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दाम

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भगत सिंह कम्युनिस्ट नहीं थे।

30 मई 2023
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वामपंथी के साथ एक सनातनी का शास्त्रार्थ। मित्रों जैसा कि आप जानते हैँ कि  हमारे एक, जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी मित्र हैँ, जो सनातन धर्म की आलोचना करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। आज उन्होंन

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खुशबु सुंदर के पिता तो यौन शोषण कर सकते हैँ पर स्वाति मालीवाल के पिता कैसे?

30 मई 2023
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पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥ प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥ अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं,

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

30 मई 2023
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मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए

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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023
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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: - १:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रे

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बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अतिक अहमद और असद अहमद।

6 जून 2023
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हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों  आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद

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वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की :- एक मसखरा जो अपने अहंकार के कारण यूक्रेन के लिए बना शॉप |

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों यदि राजा देश और देश की प्रजा से अधिक स्वयं के अहंकार को महत्व देता है तो वह  देश पाकिस्तान या फिर यूक्रेन जैसी भयानक परिस्थितियों का शिकार हो जाता है | यूक्रेन में २०१९ से पूर्व एक संजी

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स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया।

6 जून 2023
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मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे। मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:- विद्य

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एक सनातनी का एक वामपंथी तर्कवादी के साथ शास्त्रार्थ भाग-१० " चार्ल्स डार्विन और दशावतार"।

6 जून 2023
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हे मित्रों जैसा की आप जानते हैं की हमारे  एक जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र हैं और उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं और सनातन धर्म को निचा दिखने का कोई अवसर

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एक नेता जिसने किया कुछ भी नहीं पर पाया सब कुछ!

6 जून 2023
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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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