पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥
प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥
अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं, जो मेरी सभी आकांक्षाओं को पूर्ण करते हैं। मेरे पिता मेरे हर संकल्प को सिद्ध करने में मेरे आदर्श हैं, जो मेरी कठिनाइयों एवं चिंताओं से मुझे मुक्त करते हैं ऐसे प्रभु के रूप में विघ्नहर्ता को प्रणाम करता हूँ।
हे मित्रों सनातन धर्म के शास्त्र जंहा पिता को पुज्यनीय मानते हैँ और सदैव उनका आदर और सम्मान करने के शिक्षा देते हैँ, वहीं विधर्मियता, नास्तिकता और वामपंथ की आड़ में कुछ लोग एक पिता को अपमानित और बदनाम करने से भी नहीं चूकते। आइये इसी तथ्य पर थोड़ा सा विचार विमर्श कर लेते हैँ।
हे मित्रों आपको याद होगा कि अभी कुछ दिन पूर्व हि, बदकिस्मती से भारतीय जनता पार्टी में एक प्रमुख पद पर पहुंच चुकी खुशबु सुंदर नामक महिला ने ये प्रकटीकरण किया था कि " बचपन में उसके पिता ने उसका यौन शोषण किया था।"
उन्होंने बताया था कि जब पहली बार मेरे साथ यौन उत्पीड़न किया गया तो मैं महज ८ वर्ष की थी। जब मैं १५ वर्ष की हुई तब मुझमें इस अपराध का विरोध करने की हिम्मत आई। एक समय ऐसा आया जब मुझे खुद अपना स्टैंड लेना पड़ा।उनका जीवन एक ऐसे आदमी के साथ बीता, जिसने शायद सोचा था कि अपनी पत्नी या बच्चों को पीटना और अपनी इकलौती बेटी का यौन शोषण करना उसका जन्मसिद्ध अधिकार है।’
इस स्त्री का ये कथन जैसे हि मीडिया के माध्यम से विधर्मी , सनातन विरोधी और वामपंथी टूट पड़े और सनातन धर्मियों को निचा दिखाने के कै प्रयास किया । सोशल मीडिया तो इनके तानो से भर गई। प्रत्येक दिशा से ये चीखने और चिल्लाने लगे कि देखो सनातनियों तुम्हारे यंहा एक बाप अपनी बेटी का यौन शोषण जैसा घृणित कार्य करता है।
मित्रों जब असलियत सामने आयी तो पता चला, कि ये खुशबु सुंदर तो "नखत खान" है। आइये पुरा सच बताते हैँ।
खुशबु सुंदर का जन्म दिनांक २९ सितम्बर १९७० को भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई नामक शहर में रख पाँच वक्त के नमाजी मुस्लिम परिवार में हुआ था। ईनका असली नाम नखत खान है। इनके मुस्लिम पिता इन्हें प्यार से खुशबु कहते थे।
खुशबू ने अपने करियर की शुरुआत बॉलीवुड फिल्म ‘द बर्निंग ट्रेन’ से की, जिसमें वो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आईं थीं। समय के साथ वो साउथ सिनेमा का जाना-माना चेहरा बन गईं।
उन्होंने चिन्ना थम्बी (१९९१) फिल्म करते समय अभिनेता प्रभु के साथ नजदीकियां बढ़ी, प्रेम हुआ और फिर वो एक दूसरे के साथ समर्पण के साथ, साढ़े चार साल से लिव-इन रिलेशनशिप में रहे और फिर उन्होंने दिनांक १२ सितंबर, १९९३ को पोएस गार्डन के घर में शादी कर ली, जिसे उन्होंने खरीदा था। अगले चार महीनो में हि इनके समर्पण का रस खत्म हो गया और ये दोनो एक दूसरे से अलग हो गये।
अपने पहले पति अभिनेता प्रभु से तलाक लेने के पश्चात वर्ष
२००० में, उन्होंने फिल्म अभिनेता, निर्देशक और निर्माता सुंदर सी से शादी की । वह तब से विवाहित नाम खुशबू सुंदर का उपयोग अपनी पहचान बताने के लिए कर रही है। वह् सर्वजनिक जीवन में नखत खान के रूप में नहीं जीना चाहती।
वर्ष, २०१० में उन्होंने राजनीति की दुनियां में कदम रखा। पहले वह DMK में शामिल हुईं। पार्टी में ४ वर्ष रहने के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं। करीब ६ वर्ष में ही पार्टी छोड़ कर वह भाजपा में शामिल हो गईं।उन्हें हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य के रूप में चुना गया और दिनांक २८ फरवरी २०२३ को खुशबु सुंदर @ नखत खान ने पदभार ग्रहण किया।
मित्रो खुशबु सुंदर अर्थात नखत खान चुंकि एक मुस्लिम परिवार से हैँ तो वंहा तो अब्बू द्वारा अपने फल का स्वाद चखने की आजादी है" इसलिए यदि नखत खान उर्फ़ खुशबु सुंदर का बचपन में यादी यौन शोषण हुआ है, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।
स्वाती मालिवाल :-
मित्रों प्रश्न ये है, मित्रों की स्वाति मालीवाल के पिता कैसे उनका शोषण कर सकते हैँ और सबसे बड़ी बात की उनके पिता की मृत्यु करीब २० वर्ष पूर्व हो चुकी है। चलिए तनिक इसका विश्लेषण कर लेते हैँ।
स्वाति मालीवाल का जन्म दिंनाक १५ अक्टूबर १९८४ को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गाजियाबाद जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अशोक मालीवाल और माता का नाम श्रीमती संगीता मालीवाल था।
स्वाती मालीवाल के अनुसार उनके पिताजी भारतीय सेना में कार्यरत थे। मित्रों स्वाती मालीवाल आम आदमी पार्टी की नेता हैँ। इन्होने आम आदमी पार्टी के हि एक अन्य नेता " नविन जयहिंद" से शादी कर ली परन्तु वर्ष २००० में इन्होने तलाक ले लिया।
मित्रों इन्होने दिंनाक २४ जुलाई २०१५ को "दिल्ली महिला आयोग" के चेयरपर्सन का पदभर सम्हाला। आइये इन्होने अपने पिता के ऊपर क्या आरोप लगाए हैँ , तंजिक उस पर अपनी दृष्टि डालते हैँ;-
"दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बताया कि बचपन में मेरे पिता मेरा यौन शोषण करते थे। इसकी वजह से मैं अपने ही घर में डर कर रहती थी। वो बिना वजह मुझे पीटते थे, चोटी पकड़कर सर दीवार पर टकरा देते थे। डर की वजह से मैंने कई रातें तो बिस्तर के नीचे छिपकर बिताई हैं। स्वाति ने शनिवार को दिल्ली में DCWAwards कार्यक्रम में अपना दर्द बयां किया।"
हे मित्रों अब आप तनिक विचार करें स्वाति मालीवाल ने अपने बयान में आरोप क्या लगाया है और उसे साबित करने के लिए घटनायें क्या बताई हैँ:-
आरोप;- "मेरे पिता मेरा यौन शोषण करते थे!"
घटनायें:- वो बिना वजह मुझे पीटते थे, चोटी पकड़कर सर दीवार पर टकरा देते थे। डर की वजह से मैंने कई रातें तो बिस्तर के नीचे छिपकर बिताई हैं।
मित्रों आप तनिक विचार करें की आरोप और घटनाओ में कोई सम्बन्ध है या फिर किसी भी प्रकार का कोई समंजस्य दिखाई दे रहा है। ये दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर बैठी महिला " घरेलू हिंसा और यौन शोषण" में अंतर को नहीं समझ पा रही है। ये जिन घटनाओ का उल्लेख स्वाती मालिवाल के द्वारा किया गया है, वो और कुछ नहीं एक सामान्य सी घरेलू हिंसा हि कहा जा सकता है।
आप हमें बताये लड़का हो लड़की किसने अपने माँ बाप के हाथों मार या डांट नहीं खायी है। बचपन में बच्चे आवश्यकता से अधिक शरारत करते हैँ, पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैँ, या फिर रुपये-पैसे की चोरी करते हैँ या फिर माँ बाप को बताये बिना कंही चले जाते हैँ इत्यादि ऐसी बहुत सी परिस्थितियां होती जिनमे माँ बाप का धैर्य जवाब दे जाता है, फिर जम के कुटाई होती है, तो क्या ये कुटाई यौन शोषण की परिधि में आती है?
मित्रों माँ बाप अपने बच्चों को सही मार्ग पर ले जाने के लिए कभी कभी कठोर व्यवहार करते हैँ तो उसे यौन शोषण या यौन उत्पीड़न की परिधि में रखना अत्यंत निंदनीय है। स्वाती मालीवाल के पिता किस प्रकार दिन रात मेहनत करके स्वाती और उसके परिवार की सुख सुविधा की व्यवस्था करते थे, वो भूल गई।
चलिए खुशबु सुंदर @ नखत खान और स्वाती मालीवाल के चरित्र की तुलना करते हैँ:-
१:- ये दोनो स्वयं को नास्तिक मानती हैँ,
२:-ये दोनो अपने पहले पति से तलाक ले चुकी हैँ,
३:-ये दोनो लिव-इन रिलेशन की पक्षधर हैँ,
४:- ये दोनों देश के महिला आयोग से संबंधित हैं,
५:- ये दोनों अलग अलग राजनीतिक पार्टियों से संबंधित हैँ
६:- लड़कियों के लिए विवाह पूर्व यौन संबंध बनाना इनकी दृष्टि में ठीक है यदि वे खुद को सुरक्षित रखती हैं और गर्भावस्था और यौन संचारित रोगों को रोकने के लिए सावधानी बरतती हैं।
अब मित्रों स्वाति मालिवाल के प्रथम पति नविन जयहिंद ने स्वाती मालिवाल द्वारा अपने पिता पर घृणित आरोप लगाने के उत्तर में Twit करते हुए कहा कि " मैडम भूतों से भगवान लड़ लेंगे व सजा भी दे देंगे आप भेड़ियों से लड़ो। आप की बात सच भी है तो पुरा सच नहीं है। शोषण और यौन शोषण में अंतर होता है। खुद का नार्कोटेस्ट करवाके, खुद सार्वजनीक करो। क्योंकि पिता और पुत्री के पवित्र रिश्ते पर आंच ना आये और डाक्टर से मेन्टल हेल्थ चेक करवाओ।
नवीन जयहिंद ने ऐसा क्यों कहा, इसकी झलक स्वयं आप स्वाति मालीवाल के द्वारा पूर्व में किये गये कुछ Twits पर एक दृष्टि डालकर समझ सकते हैँ:-
दिनांक २६ फरवरी २०२३
"This is such great news. Salute the courage and competence of Indian Air Force.So so proud of being an Hair Force officer's daughter."
दिंनाक २० सितम्बर २०१६
" मै फ़ौजी की बेटी हुँ। फ़ौज में पली बढ़ी हुँ देश के लिए काम करना देश के लिए जान देना सिखा है। मुझे दुनिया की कोई ताकत डरा नहीं सकती।"
आप Twits पर ध्यान दे तो उसके जन्म से लेकर वर्ष २०१६ तक तथा वर्ष २०१६ से लेकर २० सितम्बर २०२३ तक स्वाती मालिवाल को अपने पिता पर गर्व था, परन्तु १० मार्च २०२३ के पश्चात अचानक ऐसा क्या हो गया कि "स्वाति मालीवाल" को अपने पिता में यौन शोषणकर्ता दिखाई देने लगा, वो भी उनकी मृत्यु के कई वर्षों के पश्चात।
अब आप स्वयं सोचिये की ये नास्तिकता की आड़ में वामपंथी विचारधारा के वशिभूत ये मानसिक विकृति को प्राप्त हो जाने वाले व्यक्तित्व किस प्रकार महिलाओ के सम्मान की लड़ाई लड़ सकते हैँ।
मित्रों हमारे शास्त्र पिता के बारे में कहते हैँ:-
उपाध्यायान्दशाचार्य आचार्याणां शतं पिता।
सहस्त्रं तु पितृन् माता गौरवेणातिरिच्यते।।
अर्थात:-दस उपाध्यायों से बढ़कर आचार्य, सौ आचार्यों से बढ़कर पिता और एक हजार पिताओं से बढ़कर माता गौरव में अधिक है, अर्थात् बड़ी है। मनुस्मृति
और यही नहीं पदमपुराण तो इससे भी आगे जाकर पिता कि महिमा का गुणगान करता है:-
पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥
अर्थात:-पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
पद्मपुराण आगे हमे सचेत करते हुए कहता है:-
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥
अर्थात:-माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये।
अत: मित्रों मै अक्सर अपने मित्रों से यह कहता हुँ कि ये वामपंथी और नास्तिकता के झूठे आडंबर में आकंठ तक डूबे ये लोग थोड़े से लाभ के लिए अपने माँ बाप को भी बदनाम करने से नहीं चूकते हैँ। स्वाती मालीवाल ने अपने दिवंगत पिता को विश्व के समक्ष अपमानित कर दिया। इसके पापा भी इसको परी हि मानते होंगे पर इस "पापा की परी" ने अपने पिता पर हि झूठे और अश्लील आरोप लगाकर पिता और पुत्री के रिश्ते को कलंकित कर दिया। आप स्वयं सोचिये ये भोंडी मानसिकता हि तो लव जिहाद तथा बलात्कार जैसे अपराधों को बढ़ावा देती है। ये अक्सर ऐसी हि बालाओ के साथ होता है जो "मेरा वाला ऐसा नहीं है" कह कर अपने पिता पर हि लांक्षन लगाकर काल के गाल में समा जाती हैँ।
सोचिये, विचारिये और प्रयास करिये की समाज से ऐसी निम्न कोटी की निकृष्ट मानसिकता की व्याधि शीघ्रतिशीघ्र समाप्त हो जाये।
लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
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