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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023

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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने करवा दी।

अब हम बात करें लेनिन के समय के सोवियत संघ की तो राजशाही को तो अवश्य लेनिन ने कार्ल मार्क्स के असमाजिक और इंसानियत के विरुद्ध प्रतिपादित सिद्धांतो को अपनाकर खत्म कर दिया, परन्तु सत्ता पर काबिज होने के पश्चात लेनीन स्वय एक निर्मम कसाई की भांति जीवन जीने लगा। वो निरंकुश  अधिनायकवादी (तानाशाह) बन गया।

लेनिन ने साम्यवाद के खोखले और असमाजिक सिद्धांतो की आड़ में करोड़ो मासूम सोवियत संघ के नागरीको कि निर्मम हत्या करवा दी। उसने विपक्ष के नेताओं पर क्रूरता पूर्ण अत्याचार किये और अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को खामोश कर दिया। लेनिन की मौत के पश्चात हि सोवियत संघ के मासूम नागरिकों को उससे छुटकारा मिला परन्तु कार्ल मार्क्स के अमानवीय और असमाजिक सिद्धांतो से उन्हें छुटकारा ना मिला क्योंकि अब लेनिन के स्थान पर स्टालिन आ चुका था।

इसके पश्चात स्टालिन ने क्रूरता के सारे माप दंड तोड़ डाले, उसने भी क्रूरता से हर उठने वाली आवाज को दबाने कि निति पर कार्य करता रहा। उसने लेनिन से भो भयानक अत्याचार किये और कई करोड़ सोवियत के नागरिकों का भयानक नरसंहार कराया।

यही नहीं कार्ल मार्क्स के असमाजिक और क्रूर सिद्धांतो ने चिन में "माओत्से तुंग" जैसे एक अर्ध विक्षिप्त वामपंथी को पैदा किया, जिसने चिन में  सत्ता सम्हालते हि अपने सनकीपन वाले आदेश से करीब १०० करोड़ गौरैय्या, १०० करोड़ के आस पास चुहे और करीब ७० टन के आस पास मक्खी और मच्छड़ मरवा डाले और इसका परिणाम ये हुआ कि खेतों में खड़ी फसलो को कीड़े मकोडो ने खा लिया और उस दौरान हुई भुखमरी में करीब ढाई करोड़ चीनी नागरिक मारे गए।

यही नहीं मित्रों लोकतंत्र कि आवाज बुलंद करने वाले  लाखों कि संख्या वाले छात्र समूह के ऊपर टैंक चलवाकर चिन के वामपंथी दैत्यो ने कुचल डाला।

यही नहीं अभी २०२० ई के आस पास इन्होने कोरोना जैसे विषाणु का अविष्कार करके पूरी दुनिया में फैला दिया जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने COVID -१९ का नाम दिया। इस कोरोना नामक विषाणु से इन्होने दुनिया भार के करीब ५ करोड़ से ज्यादा संख्या में लोगों को मरने के लिए मजबूर कर दिया।

मित्रों इन वामपंथियो के क्रूरता से हमारा देश भी अछूता नहीं रहा। इन्होने पाश्चिम बंगाल में ज्योति बसु नामक अपने वामपंथी नेता के नेतृत्व मे चटगांव बंगला देश से आए हजारों हिन्दू शरणार्थीयो पर पहले तो बेइंतहा क्रूरता कि और फिर उसके पश्चात् उन्हें गोलियों से भून डाला और नीचता तो ऐसी की जिस कुएं से वो लोग पानी पीते थे उसमें उन्होंने ज़हर मिला दिया और कई मासूम हिन्दुओ का कत्ल कर डाला।

मित्रों ये कार्ल मार्क्स के सिद्धांत केवल और केवल इंसानियत के विरुद्ध एक भयानक अस्त्र है, जिन्हें साम्यवाद के नाम पर प्रयोग किया जाता है। मित्रों या साम्यवाद ने केवल, क्रूरता, असमाजिकता, हिंसा और लूट (विस्तारवाद) के अलावा इस विश्व को कुछ नहीं दिया और देता भी कैसे इन सिद्धांतो का प्रतिपादन करने वाला कार्ल मार्क्स स्वय एक परजीवी और चरित्र् से असमाजिक व्यक्ति था। उसकी असमाजिकता इसी बात से आपको पता चल जाएगी कि उसने अपनी नौकरानी के साथ जबरदस्ती करके उसे गर्भवति कर दिया और फिर जब उसने कार्ल मार्क्स के पुत्र को जन्म दिया तो वो कायर घबरा गया और उस स्थान को छोड़ भाग गया। यही नहीं मित्रों वो अपने माँ बाप के जिंदा रहते कभी उनसे मिलने नहीं गया परन्तु जैसे हि उनके मरने की खबर मिली वो तुरंत उनके जमीन जायदाद पर कब्जा जमाने के लिए दौड़ पड़ा। मित्रों कार्ल मार्क्स के असमाजिक चरित्र् को बताने वाली कई घटनाये इतिहास में दर्ज हैं, जिन्हें जान कर और समझ कर इस कार्ल मार्क्स के जीवन से घृणा हो जाएगी।

ऐसे हि वामपन्थियों ने विधर्मीयो के साथ मिलकर हमारी "मनुस्मृति" को अपमानित करने षड्यंत्र रचा और उसमें वे सफल भी रहे, क्योंकि हमारे यंहा के आस्तीन में छुप कर बैठे सांपो ने चन्द पैसों कि लालच में आकर उनका साथ जो दिया।

आइये हम मनुस्मृति पर एक दृष्टि डालते हैं:-

अध्याय १२ श्लोक १२५

एवं यः सर्वभूतेषु पश्यत्यात्मानं आत्मना ।

स सर्वसमतां एत्य ब्रह्माभ्येति परं पदम् ।।

समाधियोग से जो मनुष्य सब प्राणियों में परमेश्वर को देखता है वह सबको अपने आत्मा के समान प्रेमभाव से देखता है वही परमपद जो ब्रह्म-परमात्मा है उसको यथावत् प्राप्त होके सदा आनन्द को प्राप्त होता है!

ये मनुस्मृति कि सिख है, जो ना तो कार्ल मार्क्स को कभी पसंद आयी और ना स्वार्थी और धूर्त विधर्मीयो को, इसीलिए उन्होंने इस पुस्तक को अपमानित करने हेतु इसमें प्रदुषण फैलाया और प्रदुषित पुस्तक को बाजार में उतार दिया। प्राचीन मनुस्मृति कि बहुत कम प्रतियां हि आज बाजार में उपलब्ध हैं।

मनुस्मृति सबको अपने समान समझने वाले प्राणी को मिलने वाले फल के बारे में सूचित करते हुए कहती है, यदि मनुष्य सभी प्राणियों में परमेश्वर के दर्शन करता है और अपने शरीर मे व्याप्त आत्मा कि भांति हि उन्हें देखता है और उनके साथ व्यवहार करता है, उसे हि परम ब्रह्म कि प्राप्ति होती है। ऐसा सुविचार क्या कार्ल मार्क्स के स्वप्न में भी आ सकता है, नहीं ना, फिर इन वामपंथियो के ह्रदय में कैसे आ सकता है।

भारत के एक राज्य में तो ये इन्होने एक गर्भवति हथिनी को आयुध भरकर कुछ खिला देते हैं, जिसके विस्फोट से उस बेजुबान और मासूम मादा हाथी का बच्चा और वो खुद तडप तडप कर मर जाते हैं। एक अन्य घटना में शराब के नशे में धुत्त ये दैत्य एक बिल्ली के गले में रस्सी बाँध कर तडप तडप कर मरने के लिए खिड़की से टांग देते हैं। सच्चाई व्यक्त करने वालों को अपनी गाड़ी से उडा देते हैं। अपने विरोधियो की लाशें बिछा देते हैं अरे ऐसे अनगिनत तथ्य हैं जो इनके क्रूरता और हैवानियत को व्यक्त करते हैं।

तो ऊपर जिस प्रकार मनुस्मृति ने जो सिख दी है, क्या ऐसी सिख ये कार्ल मार्क्स के अनुयायि दे सकते हैं। ऐसे सुविचार केवल और केवल सनातन धर्म के लोगों में  और इनके धर्म ग्रंथो में पायी जा सकती है और पायी जाती है।

इसी प्रकार हम देखते हैं, मनुस्मृति अध्याय १२ श्लोक १०९वे श्लोक में

धर्मेणाधिगतो यैस्तु वेदः सपरिबृंहणः ।

ते शिष्टा ब्राह्मणा ज्ञेयाः श्रुतिप्रत्यक्षहेतवः ।।

जो मनुष्य धर्मानुसार चारों वेदों का अध्ययन करना है वही श्रेष्ठ ब्राह्मण कहलाता है। यंहा पर मनुष्य की बात करते हुए मनुस्मृति प्रत्येक मनुष्य के लिए कहती है, कि जो भी मनुष्य धर्मानुसार चार वेदो का अध्ययन करता है, वो ब्राह्मण अर्थात विद्वान् कहलाता है।  चारों वेदो का अध्ययन कोई भी मनुष्य कर सकता है, चाहे उसका जन्म किसी भी वर्ण में हुआ हो। इस श्लोक के अनुसार तो ये वामपंथी और विधर्मी भी यदि धर्मानुसार चारों वेदों का अध्ययन करें तो वे भी अपनी मूर्खता से छूटकारा प्राप्त कर ब्राह्मण अर्थात विद्वान् बन सकते हैं।

आप स्वय विचार करें जो मनुस्मृति इतना व्यापक, अखंड और विस्तारित सोच लेकर जीवित है, उसे जातिवाद फैलाने वाली पुस्तक कहकर अपमानित किया इन मूर्ख और अल्प ज्ञानी वामपंथी और विधर्मी समूहो ने। मनुस्मृति के पवित्रता से भयभीत होकर हि इन विकृत मानसिकता वाले लोगों ने इस पुस्तक को अपने प्रदुषण से प्रदुषित करके समाज में फैला दिया। ये मनुस्मृति "जियो और जीने दो", "जीवो पर दया करो" और सभी जीव बराबर हैं और उनसे किसी भी प्रकार ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसा व्यवहार हम स्वय के लिए नहीं चाहते ऐसे सिद्धांतो पर मानव समाज की रचना करती है, उन्हें बाटने का कार्य कभी नहीं करती।

इसी प्रकार मनुस्मृति अध्याय १२ श्लोक ११९ में  कुछ इस प्रकार कहा गया है:-

आत्मैव देवताः सर्वाः सर्वं आत्मन्यवस्थितम् ।

आत्मा हि जनयत्येषां कर्मयोगं शरीरिणाम् ।।

सब देवता आत्मा में हैं और सब पदार्थ आत्मा में स्थिर हैं और परमात्मा ही जीवों के कर्मों के अनुसार उन सब शरीरों को उत्पन्न करता है। इस प्रकार के श्लोक हि तो अनुवांशिकी विज्ञान के आधार बनते हैं। आज विज्ञान जोर लगा के कहता है कि सन्तानो में सभी गुण दोष उनके माता पिता से आते हैं अर्थात जो  DNA  और RNA  तथा Genes माता और पिता से उनके सन्तानो में आते हैं, उन्हीं से उनके चरित्र् का निर्माण होता है। और यही तो यह श्लोक बता रहा है, यदि ध्यान से इसे समझने का प्रयास किया जाए।

इसी प्रकार मनुष्य समाज को सचेत करते हुए मनुस्मृति के अध्याय १२ का श्लोक ६ कहता है:-

पारुष्यं अनृतं चैव पैशुन्यं चापि सर्वशः ।

असंबद्धप्रलापश्च वाङ्मयं स्याच्चतुर्विधम् ।।

पारुष्य वचन कहा (कटुभाषण) मिथ्या भाषण करना, आत्मा के विरुद्ध कहना, और लोगों की चुगली और अनादर करना, असम्बद्ध बकवास करना यह चार वाणी के दोष हैं। अर्थात यदि मनुष्य अपनी वाणी का उपयोग अनर्गल प्रलाप, मिथ्या प्रवन्चना, किसी कि अनुचित निंदा, किसी कि अनुचित और अकारण शिकायत करने या फिर किसी का अपमान के उद्देश्य करता है तो निश्चय हि आपराधिक कृत्य करता है, जो उसके वाणी के दोष से उत्पन्न माने जाते हैं।

अब मित्रों आप हि बताए, जिन उपदेशों या ज्ञान के साथ मनुस्मृति विश्व मे मानव समाज के समक्ष प्रकट हुई है, क्या वो मनुष्य को मनुष्य से बाटने वाले हैं, नहीं ना फिर ये कार्ल मार्क्स के कुविचारों में उलझे ये विकृत प्रकृति के वामपंथी और विधर्मी आखिर किस आधार पर मनुस्मृति को समाज को बाटने वाली पुस्तक कह के अपमानित और बदनाम करते हैं।

हे मित्रों मनुस्मृति के पश्चात, इन  लोगों ने अब गोस्वामी तुलसीदास जी रचित "श्रीरामचरित मानस" नामक पवित्र ग्रंथ पर भी अपनी प्रदूषित मानसिकता के साथ प्रहार करना शुरू कर दिया है, हम सब सनातनी धर्मीयों को इनका डट कर सामना करना पड़ेगा और इनके प्रदुषण को जड़ से मिटाना होगा। याद रखे ये हमारे सनातन धर्म पर प्रहार है, जिसे हमें किसी भी आधार पर सहन नहीं करना है। हम अब अपनी संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्र पर किसी का भी कैसा भी प्रहार नहीं सहेंगे।

याद रखिये मित्रों हमें अपनी विचारधारा को सदैव कि भांति जीवित रखना होगा, अन्यथा ईरान, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश के पश्चात हमें और सिकुड़ना पड़ेगा और एक दिन इसी भांति हम इतिहास बन जाएँगे। हमें अपने आने वाली पीढ़ियों को एक नया भारत  (विश्व गुरु) देकर जाना चाहिए और ये तभी होगा जब हम अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को सुरक्षित रख पाएंगे।

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, इमे सादरं त्वां नमामो वयम्

त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्,शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।

प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है।

हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे नमस्कार करता हूँ। हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के अंगभूत तुझे आदरसहित प्रणाम करते हैं। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे।

लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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