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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023

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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जन्म  से सनातनी हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आते हि सदैव की भांति सबसे पहले चाय और नाश्ता मंगाने का आदेश दिया | खैर मेरे मित्र हैं तो मैंने उनके आदेश का पालन किया और "चाय" की प्रथम चुस्की लेते हुए अपने तरकश से निकाल कर  प्रथम बाण छोडते हुए पूछा:-

"देखा ईसाई भाई पुराने वर्ष को अलविदा और नए वर्ष का स्वागत कितने ख़ुशी से नाच गाकर और पूरी रात जागकर करते हैं और यही नहीं सारी दुनिया उनके साथ इसी प्रकार हर्षोल्लास  के साथ नए वर्ष का स्वागत करती है पर  तुम सनातनियों  का क्या कहें "तुम्हारा नया वर्ष कब शुरू होता है और कब खत्म हो जाता है पता ही नहीं चलता|  नए वर्ष को तो तुम लोग ठीक से नहीं मनाते ही नहीं  .... ये कहकर वो गर्व से हंस पड़े। मित्रों मेरे वामपंथी मित्र को लगा कि एक बार फिर वो सनातन धर्म का अपमान करने और मुझे मेरी हीनता को बोध कराने में वे सफल हो गए।" 

मैंने उन्हें उत्तर दिया:- हे वामपंथी! आपने सच कहा कि ईसाई भाई  अपने  नव वर्ष का बहुत धूमधाम से स्वागत करते हैं और सम्पूर्ण विश्व के लोग अर्थात मनुष्य समाज उसमें सम्मिलित रहता है। मेरे मुख से ऐसी बातें सुनकर वामपंथी मित्र ख़ुशी से खिलखिला उठे। फिर मैंने उन्हें ईसाई नव वर्ष और सनातनियों के नव वर्ष और उसके स्वागत के तरीको का सूक्ष्म विश्लेषण करके सनातन धर्म  के "नव वर्ष" कि महत्ता और उसके स्वागत के तरीकों को कुछ इस प्रकार समझाया:-

मैंने कहा कि हे वामपंथी:-

१:-तुम्हारे ईसाई समाज का नव वर्ष ३१ दिसम्बर कि रात १२ बजे आरम्भ होता है। वामपंथी मित्र ने कहा हाँ।

२:-फिर मैंने कहा कि हे वामपंथी मित्र क्या ये सच नहीं कि ईसाइ समाज का नव वर्ष तब आता है जब धरती शरद ऋतू में ठंड से जकडी रहती है|  वामपंथी ने कहा हाँ ये सच है।

३:- मैंने कहा इस नए वर्ष के आगमन पर  धरती के अधिकांश हिस्से पर बर्फबारी और कोहरा से  मनुष्य, वनस्पति, पशु और पक्षी इत्यादि सबका जीवन कष्टमय होता है|  वामपंथी ने कहा हाँ ये सच है।

४:- मैंने कहा हे वामपंथी! शरद ऋतू के एक दो फसलो को छोड़ दे तो धरती पर किसी अन्य फसल के बीज प्रस्फुटित नहीं होते|  वामपंथी ने कहा हाँ सच है।

५:- शरद ऋतू के कारण सूर्य के दर्शन कई दिनों तक नहीं हो पाते और यह पतझड़ का मौसम होता है जब पृथ्वी से हरियाली का नाश हो जाता है।वामपंथी ने कहा सच है। 

तो उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि उनके नए वर्ष के दौरान धरती और प्रकृति पतझड़ की मार सहन करती है, सभी जीवो का जीवन कष्टमय होता है और नयापन कुछ भी नहीं होता। वामपंथी मित्र ने ना चाहते हुए भी "हाँ" कहने के लिए अपना बड़ा सा सर हिलाया | 


मैंने पूर्ण शालीनता का पालन करते हुए वामपंथी मित्र को बताना शुरू किया कि "सनातन धर्म का नव वर्ष आता है तो कैसा मौसम होता है":-

१:-हिन्दू नववर्ष चैत्र मास(अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार मार्च  का महीना) के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है!

२:-इसका निर्धारण पंचांग गणना प्रणाली यानी तिथियों के आधार पर सूर्य की पहली किरण के उदय के साथ होता है, जो प्रकृति के अनुरूप है। यह पतझड़ की विदाई और नई कोंपलों के आने का समय होता है। इस समय वृक्षों पर फूल नजर आने लगते हैं और ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति किसी बदलाव की खुशी मना रही है।

३:- खेत खलिहान फसलो से लहलहाने लगते हैं, वनस्पति, पशु और पक्षी बसंत ऋतू के गीत गाने लगते हैं। वृक्ष पुन: रंग बिरंगी पत्तियों से भर जाते हैं।

४:- चैत्र मास अर्थात मार्च में प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है। जनवरी में प्रकृति का चक्र पूरा नहीं होता। धरती के अपनी धूरी पर घुमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगा लेने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है असल में वही नववर्ष होता है।

५:-२१ मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, ‍उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी दिन से धरती प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है।

६:-रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नूतन वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है।

७:-मार्च-अप्रैल में नयी फसल पक कर तैयार हो जाती है। नया अनाज घर में आता है, तो किसानों का भी नया वर्ष और खुशहाली का समय होता है।

८:-मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है, नई कक्षा और नए सत्र का आगमन यानि विद्यालयों में भी नया वर्ष  होता है I

९:- ३१ मार्च को देश के सभी बैंको की क्लोजिंग होती है पुराने हिसाब किताब पुरे करके बही खाते बंद होते हैं और नए बही खाते खोले जाते हैं, भारत सरकार का भी नया सत्र प्रारम्भ होता है।

१०:- चारों ओर बसंत ऋतू के सुनहरे मौसम का हर्शोल्लास होता है, सभी का जीवन एक नएपन के साथ ख़ुशी ख़ुशी आरम्भ होता है।वसंत के आगमन के साथ ही पतझड़ की कटु स्मृति को भुलाकर नूतन किसलय एवं पुष्पों से युक्त पादप वृंद इस समय प्रकृति का अद्भुत शृंगार करते हुए दिखलाई देते हैं। पशु-पक्षी, कीट-पतंग, स्थावर- जंगम सभी प्राणी नई आशा के साथ उत्साहपूर्वक अपने-अपने कार्यों में लगे दिखाई देते है। ऐसे उत्साहयुक्त समय में वार्षिक काल गणना का श्रीगणेश करते हुए नूतनवर्ष का स्वागत सहज ही प्रतीत होता है।


अब मेरे वामपंथी मित्र  इतना प्रत्यक्ष उदाहरण प्राप्त कर लेने के पश्चात भी अपना दम्भ छोड़ने को तैयार नहीं थे। अत: उन्होंने  कहा तो क्या हुआ आप ये तो देखो की ईसाई नव वर्ष पर सारी  दुनिया के लोग कितना आनंद और ख़ुशी में पूरी रात बिताते हैं ।

मैने कहा हे वामपंथी चलो नए वर्ष को आनंद और ख़ुशी से मनाने का तरीका भी देख लेते हैं: -

ईसाई नव वर्ष में अधिकांशत: युवा और पैसे वाले लोग रात को छोटे बड़े होटलों में जाते हैं। ९०% लोग मांसाहारी भोजन करते हैं। तेज गति का संगीत बजाते हैं और रात भर उछल कूद मचाते हैं। सोमरस (शराब या दारू) का अत्यधिक मात्रा में सेवन करते हैं और यदि अपने घर सकुशल पहुंच गए तो बेहाल से हालात में नए वर्ष का पूरा दिन बेसुध बिस्तर पर पड़े लड़े बिता देते हैं। ३१ दिसंबर से १ जनवरी  तक पुलिस प्रशासन के सभी वीभाग पूर्णतया मुस्तैद रहने को विवश होते हैं,  सम्भावित दुर्घटना को टालने के लिए, परन्तु फिर भी कई भयानक दुर्घटनाये हो हि जाती हैं।इसे केवल भटके युवा और पैसे वाले लोग मनाते हैं,  इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण धरती, मानव समाज और पशु पक्षी पतझड़ के मौसम और शरद ऋतू से बचे रहने की प्रार्थना करते रहते हैं।

सनातन धर्म के नए वर्ष को कैसे मनाते हैं, चलो तुम्हें बताते हैं: - ज्योतिष के ‘हिमाद्रि ग्रंथ’ में निम्नलिखित श्लोक आया है-

चैत्रे मासे जगद ब्रह्मा संसर्ज प्रथमेअहानि।शुक्ल पक्षे समग्रंतु, तदा सूर्योदये सति।।

चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय के समय ब्रह्मा ने जगत की रचना की। इसी दिन महाराज विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रमी संवत् की शुरुआत  की थी। इसी दिन  प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन नवरात्र का पहला दिन होता है।सिख गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिन होता हैं ।इसी दिन  भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव होता है।धर्मराज युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ था। अब चुंकि चैत्र नवरात्री का प्रथम दिन होता है, इसीलिए सम्पूर्ण सनातन धर्मी इसे बड़े हि सात्विकता, शुद्धता और स्वछता से मनाते हैं। नवरात्री में जो सनातन धर्मी मांसाहारी हैं वो भी मांसाहार का त्याग पूरे ९ दिनों के लिए कर देते हैं। सुबह सबेरे नित्य कर्म और स्नानादि के पश्चात नए परिधान को धारण कर माता की पूजा अर्चना करते हैं और इसके पश्चात व्रत रखने वाले व्यक्ति को छोड़ अन्य सभी आहार ग्रहण करते हैं। सभी एक दूसरे को नव संवत्सर की बधाइयां देते हैं और एक दूसरे के कल्याण की कामना करते हैं।

पुलिस अधिकारी हो या प्रशासन के अन्य लोग सभी पूर्ण संतुष्टि के साथ नया वर्ष मनाते हैं, उन्हें ३१ दिसम्बर जैसी कोई विवशता नहीं रहती।आंध्रप्रदेश में इसे उगादी (युग प्रारंभ) नाम से दीपावली की तरह मनाते है। महाराष्ट्र के लोग इसे गुड़ी पड़वा के नाम से मनाते है।सिंधु प्रांत में नवसंवत को चेती चांद (चैत्र का चांद) नाम से पुकारा जाता है।जम्मू कश्मीर में इस दिन को नवरेह के नाम से मनाया जाता है। पंजाब में इसे "वैशाखी" के नाम से मनाया जाता है। पाश्चिम बंगाल में  इसे पोहेला बैशाख के नाम से, उड़ीसा में पाना संक्रांति के नाम से, तमिलनाडु में पुठाण्डु के नाम से, असम में बिहू के नाम से और केरल राज्यों में नव वर्ष सौर कैलेण्डर के अनुसार मनाया जाता है । इसमें घरो को सजाना, विभिन्न प्रकार के पकवान बनाना, यथा शक्ति दान दक्षिणा देना, कलश यात्रा, शोभा यात्रा और अन्य धार्मिक आयोजन करने का शुभ कार्य किया जाता है।

इतना सब बताने के पश्चात मैंने वामपंथी मित्र की ओर देखा तो उनके चेहरे की हवाइयां उड़ रही थी वो तो आए थे मुझे और मेरे धर्म को हंसी का पात्र बनाने पर सच्चाई देख उनकी आंखे फटी की फटी रह गई। और एक बार फिर वो मुझे कोसते पुन: नये मुद्दे पर शास्त्रार्थ करने का वचन देते हुए चलें गए। मित्रों हम तो सनातन धर्मी अपने नए वर्ष पर सदैव यही प्रार्थना करते हैं "सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने। लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्‌।।" अर्थात :-जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, पुष्प सदैव महकता रहता है, उसी तरह आने वाला यह नूतन वर्ष  आपके लिए हर दिन, हर पल के लिए मंगलमय हो। यही नहीं सबके कल्याण की परिकल्पना हमारे शास्त्रोन द्वारा प्रदत्त इस श्लोक से स्पष्ट झलकती है:-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत।। नववर्षस्य शुभाशया।

अवतु प्रीणातु च त्वां भक्तवत्सलः ईश्वरः। नववर्षशुभकामनाः/शुभाशयाः/शुभाकाङ्क्षाः।

भगवान आपकी सुरक्षा करें और आप पर कृपा बनाएं रखे। नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। "सत्यमेव जयते"|

लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
aryan_innag@yahoo.co.in

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रचनाएँ
परिस्थितिकीय लेख
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये।

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जन्म  से सनातनी हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आते

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों  मेरे मित्र जो जन्म  से तो सनातनी  हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़ा स

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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