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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023

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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: -

१:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रेमी का दामन थामा और माता पिता को समाज के सामने रोता बिलखता छोड़कर चली गई।२:- एकतरफा प्रेम के वशीभूत हो एक सिरफिरे आशिक ने लड़की के ऊपर एसिड फेका।३:- एकतरफा प्यार में लड़के ने लड़की के इंकार करने पर बंदूक से गोली मारी।४:- झूठे प्रेम के जाल में फंसाकर प्रेमी ने प्रेमिका के साथ गैंग रेप के वारदात को अंजाम दिया।५:- शादी करने का झूठा वादा करके वो उसका कई वर्षो तक शीलभंग करता रहा।६:- माँ बाप द्वारा शादी कराने से इंकार करने पर बेटी ने फांसी लगाई।

१:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रेमी का दामन थामा और माता पिता को समाज के सामने रोता बिलखता छोड़कर चली गई।२:- एकतरफा प्रेम के वशीभूत हो एक सिरफिरे आशिक ने लड़की के ऊपर एसिड फेका।३:- एकतरफा प्यार में लड़के ने लड़की के इंकार करने पर बंदूक से गोली मारी।४:- झूठे प्रेम के जाल में फंसाकर प्रेमी ने प्रेमिका के साथ गैंग रेप के वारदात को अंजाम दिया।५:- शादी करने का झूठा वादा करके वो उसका कई वर्षो तक शीलभंग करता रहा।६:- माँ बाप द्वारा शादी कराने से इंकार करने पर बेटी ने फांसी लगाई।७:- किशोर प्रेमी ने प्रेमिका के इंकार करने पर ज़हर खा कर आत्महत्या की।८:- लिव इन रिलेशन में रहने वाले प्रेमी ने प्रेमिका के ३५ टुकड़े किये।९:-शादी वाले दिन लड़की अपने प्रेमी के साथ भाग गई, माँ बाप कि समाज में बदनामी।

१:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रेमी का दामन थामा और माता पिता को समाज के सामने रोता बिलखता छोड़कर चली गई।२:- एकतरफा प्रेम के वशीभूत हो एक सिरफिरे आशिक ने लड़की के ऊपर एसिड फेका।३:- एकतरफा प्यार में लड़के ने लड़की के इंकार करने पर बंदूक से गोली मारी।४:- झूठे प्रेम के जाल में फंसाकर प्रेमी ने प्रेमिका के साथ गैंग रेप के वारदात को अंजाम दिया।५:- शादी करने का झूठा वादा करके वो उसका कई वर्षो तक शीलभंग करता रहा।६:- माँ बाप द्वारा शादी कराने से इंकार करने पर बेटी ने फांसी लगाई।७:- किशोर प्रेमी ने प्रेमिका के इंकार करने पर ज़हर खा कर आत्महत्या की।८:- लिव इन रिलेशन में रहने वाले प्रेमी ने प्रेमिका के ३५ टुकड़े किये।९:-शादी वाले दिन लड़की अपने प्रेमी के साथ भाग गई, माँ बाप कि समाज में बदनामी।१०:-प्रेमी के जाल मे फस कर प्रेमिका अपने घर से लाखों के आभूषण लेकर भागी, तीन दिन बाद सिर कटी लाश बरामद।

मित्रों उपर्युक्त में से परिस्थितियां कोई भी हो पर सबसे ज्यादा दुःख, पीड़ा, शर्मिंदगी या संताप यदि किसी के हिस्से में आती है तो वो है माँ बाप। जी हाँ वो माता पिता जो संतान कि प्राप्ति के लिए ना जाने कितने मन्नते मानते हैं,ना जाने कितने मंदिरो में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और फिर जाकर एक माँ अपने अमृत कलश में ए एक बीज को रूप रंग और आकार देने लगती है। ९माह तक विशेष सावधानी का पालन करते हुए अपनी संतान को अपने शरीर से जोड़े रखती है, उसे कोई समस्या ना हो, इसीलिए अपने शरीर के अवश्यक्ताओ कख पूरा करने का भरसक प्रयास करती है।

फिर एक दिन दुनिया कि सबसे भयानक पीड़ा को सहन करते हुए अपनी संतान को जन्म देती है। संतान के जन्म लेते ही पिता को अपार हर्ष महसूस होता है और वो इस जिम्मेदारी को खुशि- ख़ुशी स्वीकार कर लेता है। पिता दिन रात परीश्रम करता है, दुनिया भर की जलालत सहता है, परन्तु अपनी संतान कि एक मुस्कराहट पर सब कुछ भूल जाता है।

संतान धीरे धीरे बड़ी होती है और एक समय के पश्चात वो अपने आभामंडल में कैद हो जाती है। अब उसके पास अपने माता पिता के लिए समय कम और अपने बाहरी मित्रों के लिए समय अधिक हो जाता है और धीरे धीरे ऊपर दी गई परिस्थितियों उतपन्न हो जाती हैं।

क्या आपने सोचा है, ऐसा क्यों होता है? मित्रों हमारे यंहा बॉलीवुड नामक एक ऐसी संस्था है जो अब केवल और केवल समाजिक बुराइयों का हि प्रशिक्षण देता रहता है। मित्रों जब हम किसी भाषा को आत्मसात् करते हैं तो उसके साथ उसकी संस्कृति भी आप अपना लेते हैं। जैसे एक गंदगी ने समाज में उठकर बॉलीवुड के माध्यम से चिखा था " Everything is fare in love and war" इसी नीचतापूर्ण ओछेपन को एक और समाजिक गंदगी ने कुछ इस प्रकार है" जंग और इश्क में सबकुछ जायज है"!

मित्रों क्या अपने हमारी अपनी भाषा में कभी सुना है कि " प्यार और युद्ध में सब कुछ उचित है", नहीं ना, क्योंकि हमारे यंहा प्यार का अर्थ त्याग, समर्पण, तपस्या और प्रेम के सुख की कामना होता है जबकि युद्ध का एक धर्म होता है।

जब हम यह कहते हैं कि "जंग और इश्क में सबकुछ जायज है"! तो इसके साथ हि लव जिहाद भी जायज हो जाता है, सामूहिक शीलभंग भी जायज हो जाता है, इंकार करने पर गोली मारना भी जायज हो जाता है, पिता की पगड़ी उछालना भी जायज हो जाता है, शादी के मण्डप से भागना भी जायज हो जाता है और् ३५ टुकड़े करना भी जायज हो जाता है।

मित्रों हमारे शास्त्र प्रेम को कुछ इस प्रकार निरूपित करते हैं: -

बन्धनानि खलु सन्ति बहूनि प्रेमरज्जुकृतबनधनमन्यत्।

दारुभेद निपुणोऽपि षडङ्घ्रि निष्क्रियो भवति पङ्कजकोशे॥

बन्धन तो अनेकोँ हैँ पर प्रेम बन्धन जैसे नहीँ। (प्रेम बन्धन के कारण ही) काष्ठ मेँ छिद्र करने वाला भ्रमर कमलकोष मेँ निष्क्रिय हो जाता है। यंहा भ्रमर कमलकोष के प्रति अपने प्रेम रूपी समर्पण के कारण स्वय को भले खतरे में डाल देता है, परन्तु कमलकोश् को कोई हानि नहीं पहुंचने देता वो अपने प्रेम के लिए अपने अस्तित्व को हि मिटा देता है।

दर्शने स्पर्शणे वापि श्रवणे भाषणेऽपि वा।

यत्र द्रवत्यन्तरङ्गं स स्नेह इति कथ्यते॥

यदि किसी को देखने से, स्पर्श करने से या सुनने से या वार्ता करने से हृदय द्रवित हो तरङ्गमय हो जाये तो इसे स्नेह(प्रेम) कहते हैँ। यह नैसर्गिक प्रक्रिया है, जो स्वच्छ और शीतल है।

अष्ट सिद्धि और नौ निधि के ज्ञाता हनुमान जी महाराज भगवान श्रीराम का संदेश माता सीता को इस प्रकार सुनाते हैं-

तत्त्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा।

सो मनु सदा रहत तोहि पाही। जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं।।

प्रेम हृदय की वस्तु है, इसीलिये वह गोपनीय है। गीता में भी प्रेम गुप्त है। कबीरदास जी भी प्रेम कि महिमा को कुछ इस प्रकार व्यक्त करते हैं: -

‘‘जा घट प्रेम न संचरै सो घट जान मसान।

जैसे खाल लाहेार की साँस लेत बिनु प्रान।।’’

जो व्यक्ति इस संसार में आकर प्रेम-रस का पान नहीं करते, उनका इस संसार में आना उसी व्यथ है। जिस प्रकार किसी अतिथि का सूने घर में आना -

‘‘कबीर प्रेम न चाबिया, चाशिन लीया साब।

सूने घर का पाहुणा ज्यूँ आया त्यँ जाव।’’

जब व्यक्ति सुन्दर वस्तु के प्रति आकर्षित होता है तो स्वाभाविक है कि उसके प्रति प्रेम उत्पन्न होगा। सृष्टि का उद्भव और विकास प्रेम से ही हुआ है। जीवन के बाहर और भीतर वही व्याप्त रहता है। प्रेम से हृदय के तृप्ति, रूप, आनन्द का परिचय होता है।

गोस्वामी तुलसीदास ने प्रेम के अभाव में, मनुष्य के सुख, सम्पदा और ज्ञान को तुच्छ मानते हुए कहा है -

‘‘जो सुखु करमु जरि जाऊ, जहै न राम पद पंकज भाऊ।

जागेु कुजोगु ग्यानु अग्यानू, जहै निहे राम पमे परधानू।।’’

इशा फाउण्डेशन वाले सद्गुरु भी कहते हैं । मूल रूप से प्रेम का मतलब है कि कोई और आपसे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका है। यह दुखदायी भी हो सकता है, क्योंकि इससे आपके अस्तित्व को खतरा है। जैसे ही आप किसी से कहते हैं, ’मैं तुमसे प्रेम करता हूं’, आप अपनी पूरी आजादी खो देते है। आपके पास जो भी है, आप उसे खो देते हैं। जीवन में आप जो भी करना चाहते हैं, वह नहीं कर सकते। बहुत सारी अड़चनें हैं, लेकिन साथ ही यह आपको अपने अंदर खींचता चला जाता है। यह एक मीठा जहर है, बेहद मीठा जहर। यह खुद को मिटा देने वाली स्थिति है।

अगर आप खुद को नहीं मिटाते, तो आप कभी प्रेम को जान ही नहीं पाएंगे। आपके अंदर का कोई न कोई हिस्सा मरना ही चाहिए। आपके अंदर का वह हिस्सा, जो अभी तक ’आप’ था, उसे मिटना होगा, जिससे कि कोई और चीज या इंसान उसकी जगह ले सके। अगर आप ऐसा नहीं होने देते, तो यह प्रेम नहीं है, बस हिसाब-किताब है, लेन-देन है।

महाकवि कालिदास ने प्रेम के जिस त्यागी और समर्पित स्वरूप का वर्णन "मेघदूत" मे किया है वह अद्वितीय है।

इस महाकाव्य में कालिदास ने आदर्श प्रेम के दिव्य स्वरूप का चित्रण किया है। उसको सविशेष हृदयहारी और यथार्थता-व्यञ्जक बनाने के लिए यक्ष को नायक का स्वरूप प्रदान करके कालिदास ने अपने कवित्व-कौशल की पराकाष्ठा स्पर्श करने के साथ निश्चल प्रेम को भी अभिव्यक्त किया है। निःस्वार्थ और निर्व्याज प्रेम का जैसा चित्र मेघदूत में देखने को मिलता है वैसा और किसी काव्य में नहीं। मेघदूत के यक्ष का प्रेम निर्दोष है। और, ऐसे प्रेम से क्या नहीं हो सकता ? प्रेम से जीवन पवित्र और सार्थक हो सकता है। प्रेम से जीवन को अलौकिक सौन्दर्य प्राप्त हो सकता है। प्रेम से जीवन सम्पूर्ण हो सकता है। मनुष्य-प्रेम से ईश्वर सम्बन्धी प्रेम की भी उत्पत्ति हो सकती है। अतएव कालिदास का मेघदूत उच्च-प्रेम का सजीव उदाहरण है।

ये था प्रेम के कुछ विशेषताओं का वर्णन , अब आ जाते हैं हम भारतीय युद्ध शैली पर, इसकी व्यापक झलक हमें प्रभु श्रीराम और महापंडित पर महा अभिमानी रावण के मध्य हुए युद्ध से मिल जाती है, कुछ युद्ध के नियम इस प्रकार थे और हैं: -

१:- निहत्थो पर वार ना करना;२:- सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक युद्ध करना;३:- नारीयों, बालको और वृद्ध मनुष्यो को युद्ध का शिकार ना बनाना;४:- युद्धबन्दियो से मानवीय व्यवहार करना;५:- भागते शत्रु पर पीछे से वार ना करना;६:-शरणागत में आए शत्रु की भी रक्छा करना;७:-क्षमादान देना;८:- अधिनता स्वीकार कर लेने के पश्चात उस राजा को अभयदान देना;९:- जब तक शत्रु छल और कपट से वार ना करें तब तक छल का सहारा ना लेना, इत्यादि।

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 8)

अर्थ: सीधे साधे सरल पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए...धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।

तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 37)

अर्थ: यदि तुम (अर्जुन) धर्मयुद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और यदि विजयी होते हो तो धरती का सुख पा जाओगे... इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)

अर्थ: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म की ग्लानि-हानि यानी उसका क्षय होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं श्रीकृष्ण धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।

स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि ।

धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते ॥2.31॥

अर्थः “तथा अपने धर्म ( क्षत्रिय धर्म) को देखकर भी तूझे विचलित या विकम्पित नहीं होना चाहिए, क्योंकि धर्मरुप युद्ध से बढ़ कर क्षत्रिय के लिए दूसरा कुछ भी कल्याणकारक नहीं है।” अर्जुन जानते है कि वो एक क्षत्रिय है और युद्ध करना उनका कार्य है। लेकिन वो अपने इस क्षत्रिय धर्म के पालन के फलस्वरुप जो परिणाम उत्पन्न होगा उससे विचलित है। उनको पता है कि अगर उन्होंने अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए युद्ध शुरु कर दिया तो इससे महाविनाश होगा। अपने इस क्षत्रिय धर्म के पालन कार्य में उसे अपने ही स्वजनों का रक्त बहाना पड़ेगा। इसलिए ही अर्जुन विचलित हुए थे। विचलित होकर ही उन्होंने युद्ध न करने का निर्णय कर लिया था।

इस प्रकार हम देखते हैं कि चाहे महाराणा प्रताप हो या छत्रपति शिवाजी महाराज या फिर गुरु गोविन्द सिंह, चाहे वो रानी दुर्गावती हो या रानी लक्ष्मी बाई या दुर्गा भाभी, चाहे वो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हो या सरदार पटेल हो या स्व लाल बहादुर शास्त्री जी हो सभी ने धर्मयुद्ध का पालन किया।

कहने का तात्पर्य ये है मित्रों कि जिस भाषा को हम अपनाते हैं वो अपने साथ अपनी संस्कृति भी लेकर आती है और जाने अनजाने में हम उसका शिकार बन जाते हैं।

लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह(अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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