हे मित्रों पी. टी. उषा जी को कौन नहीं जानता। जब ये बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसे खिलाड़ी अपने पैरों पर ठीक से खड़े होना भी नहीं जानती या जानते थे, तब ये पी. टी. उषा जी भारत की शान हुआ करती थी। पी. टी. उषा जी को भारत की "उड़नपरी" के नाम से सारी दुनिया जानती थी। एशिया का शायद हि कोई ऐसा एथलिट हो जो इनका मुकाबला करने में सक्षम था।
आप जानते हैँ कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और सांसद श्री ब्रिज भूषण शरण सिंह के ऊपर विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के नेतृत्व में महिला कुश्तिबाजो ने आज से कुछ महीने पूर्व धरना प्रदर्शन करके "यौन उत्पीड़न" का आरोप लगाया था और उन पर तुरंत कार्यवाही की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि "कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष तथा कुछ अन्य कोचो ने " ७ महिला पहलवानों का "यौन उत्पीड़न" किया है, जिसमें से एक तो नाबालिग है।
मामला गंभीर था , अत: इसके लिए एक जांच कमेटी गठित कर दी गयी और खिलाड़ियों को उस कमेटी के समक्ष जाकर अपना बयान दर्ज करने को कहा गया। और इस प्रकार वो धरना समाप्त हो गया। अभी तिन महीने हि हुए थे की एक बार फिर से खिलाडी दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गये।
पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने कहा कि हमने दो दिन पहले सीपी पुलिस थाने में शिकायत की थी। कोई सुनवाई नहीं हुई. सात लड़कियों ने एफआईआर की। एक लड़की नाबालिग है और पॉस्को के अंदर आती है। ढाई महीने हो गए, लेकिन समिति का कोई फैसला नहीं आया है।
साक्षी मलिक ने आगे कहा कि "हम कुश्ती का और अपने आगे आने वाले खिलाड़ियों का फ्यूचर दांव पर नहीं लगा सकते हैं। ७ लड़कियों में इंटरनेशनल खिलाड़ी भी हैं, नाम नहीं बता सकते. कहा जा रहा है कि हमने सबूत नहींदिया। बृजभूषण शरण सिंह से सबूत क्यों नहीं लिया गया. विक्टिम की पूरी लाइफ है, लड़की अगर आकर खड़ी हो जाएगी तो उसकी क्या लाइफ बचेगी?
अब मित्रों तनिक साक्षी मलिक के इन कथनों पर विचार करें और समझे की ये किस ओर इशारा कर रहे हैँ? अरे भाई आपने आरोप लगाया है " यौन उत्पीड़न" का और इस आरोप को लगाने वाली ७ महिला पहलावान हैँ। अब यदि ये पहलवान पुलिस को "यौन उत्पीड़न" से संबंधित प्रारम्भिक जानकारी जैसे कब हुआ, कैसे हुआ, किसने किया, किस स्थान पर किया , कितने दिन या कितने महीने या फिर कितने वर्ष पूर्व किया इत्यादि नहीं बताएंगे तो "FIR" पंजीकृत करने का आधार क्या होगा? और यदी आपके दवाब में आकर "प्रथम सूचना प्रतिवेदन" (FIR) दर्ज भी कर ली जाए तो वो साक्ष्य और साक्षीदार के अभाव में कितने देर तक टिकेगा।और जब स्वाति मालिवाल (जो दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष है) ने अपने पिता की मृत्यु के कई वर्षों के पश्चात उनके ऊपर "यौन उत्पीड़न" का आरोप लगाया ये कहकर कि "उनके पिता उन्हें डांटते थे, मारते पीटते थे" अब प्रश्न ये है कि "दुनिया में कौन सा ऐसा पिता है जिसने कभी ना कभी अपनी बेटी को मारा या पिटा ना हो। माता पिता बच्चों की गलतियों पर उन्हें समझाते हैँ, मारते और पीटते हैँ पर ये सब क्रियाये " यौन उत्पीड़न" के दायरे में कंहा से आ जाती हैँ।
अब साक्षी मलिक ये भी कहती है, कि ब्रिज भूषण शरण सिंह से सबूत क्यों नहीं मांगे गये। अरे साक्षी मलिक आपने इस व्यक्ति को आरोपी बनाया है, इसलिए सबूत उन लड़कियों को देना है, जिन्होंने आरोप लगाया है, क्या कभी आपने किसी आरोपी को अपने हि विरुद्ध सबूत जुटा कर पुलिस को देते देखा या सुना है?
मित्रों मिडिया में चल रही खबरों के अनुसार दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में शिकायत की गई थी।. पुलिस की ओर से इस मामले पर अभी एफआइआर दर्ज नहीं किया गया था और पिछले प्रदर्शन के दौरान खिलाड़ियों को मिले आश्वासन पर अब तक कार्रवाई न होने से पहलवान नाराज थे।
अब जरा आइये विनेश फोगाट के द्वारा दिया गया और विभिन्न मीडिया द्वारा छापा गया बयान देख लेते हैँ:- विनेश फोगाट ने मीडिया को बताया कि, “कोच महिलाओं को परेशान कर रहे हैं और फ़ेडरेशन के चहेते कुछ कोच तो महिला कोचों के साथ भी अभद्रता करते हैं। वे लड़कियों को परेशान करते हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रेसीडेंट ने कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया है।” फोगाट आगे कहती हैं कि, “वे हमारी निजी ज़िंदगी में दखल देते हैं और परेशान करते हैं। वे हमारा शोषण कर रहे हैं। जब हम ओलंपिक खेलने जाते हैं तो न तो हमारे पास फीजियो होता है न कोई कोच। जब हमने अपनी आवाज़ उठाई तो उहोंने हमें धमकाना शुरू कर दिया।”
अब विनेश फोगाट के द्वारा दिये गये बयान पर गौर करें। क्या उनमे से किसी बयान के द्वारा थोड़ा सा भी ये आधार प्राप्त होता है कि " ब्रिज भूषण शरण सिंह ने यौन उत्पीड़न किया है। सारे बयान एक सामान्य तरिके से दिये गये हैँ, जिनमे गंभीरता का सर्वथा अभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
लेकिन चुंकि इस मामले को सरकार ने अत्यंत गंभीरता से लिया और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों का एकजुट होकर तथाकथित हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का नतीजा ये हुआ कि सरकार की तरफ़ से सबसे पहले कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भाजपा नेता बृज भूषण शरण सिंह को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया और सरकार ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति गठित कर दिया।
और हे मित्रों इन्ही सब तथ्यों को दृष्टिगोचित करते हुए पी. टी. उषा जी ने कहा कि "देश ने खिलाड़ियों बड़ा सम्मान दिया है। खिलाड़ियों को भी देश का सम्मान करना चाहिए। न्याय मांगना सभी का अधिकार है लेकिन सड़कों पर उतर कर धरना-प्रदशर्न करना अशोभनीय है इससे देश की छवि खराब हो रही है। पी. टी. उषा जी ने आईओए (IOA) की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा ,‘यौन उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर हम उनकी भावनाएं समझते हैं। आईओए की एक समिति और खिलाड़ी आयोग है। सड़कों पर उतरने की बजाए उन्हें हमारे पास आना चाहिए था, लेकिन उनमें से कोई भी आईओए के पास नहीं आया।
मित्रों आपको बताते चलें की FIR ना दर्ज होने पर पहलवानो ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। यहां सुनवाई के दौरान पुलिस ने WFI अध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज करने की बात कही थी।रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में दो FIR दर्ज की गई हैं। दिल्ली पुलिस ने एक नाबालिग पहलवान से यौन शोषण के मामले में बृजभूषण पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। वहीं, दूसरी FIR अन्य 6 महिला पहलवानो के यौन शोषण के आरोप में दर्ज हुई है।
अब FIR दर्ज हो गयी है तब विनेश फोगाट का कहना है कि - सिर्फ FIR से कुछ होने वाला नहीं है। बृजभूषण पर पहले से ८५ से ज्यादा FIR हैं। उनको पदों से हटाकर जेल में डालना होगा। हम अब किसी कमेटी या दिल्ली पुलिस को कोई सबूत नहीं देंगे। हम कोर्ट में ही सबूत देंगे। इस बयान पर गंभीरता से विचार करें अब ये खिलाडी बिना जांच पड़ताल किये एक सांसद को जेल के सलाखों के पीछे करना चाहती हैँ और साथ में यह भी बता रही हैँ कि ब्रिज भूषण शरण सिंवः के ऊपर ८५ से ज्यादा मुकदमे हैँ। मित्रों आपको पुलिस पर भरोसा नहीं है तो फिर पुलिस पर कोई आरोप भी नहीं लगा सकते। साक्षी मलिक ने तो स्पष्ट रूप से कहा कि " हमें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है।" हमारे साथ धरने पर बड़े बुजुर्ग भी शामिल हैं, अब सभी की सहमति से ही धरने को खत्म या आगे बढ़ाने का फैसला लिया जाएगा।
जब यह धरना प्रदर्शन प्रथम बार हुआ तो यही बजरंग पुनिया थे जिन्होनें कहा था कि "जब तक ब्रिज भूषण शरण सिंह का इस्तीफा नहीं लिया जाता तब तक धरना प्रदर्शन समाप्त नहीं होगा और अब वही बजरंग पूनिया कह रहे हैँ कि " बृजभूषण को तुरंत जेल में डाला जाए। जब तक उन्हें जेल में नहीं डाला जाएगा, तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे।"
इधर अपने ऊपर लगे आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए अपने उवार लगे सभी आरोपों को खारिज किया। बृजभूषण शरण सिंह ने खुलेआम घोषणा कि " अगर आरोप सही साबित हुए तो मैं फांसी पर लटक "। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये खिलाड़ी ट्रायल में भाग नहीं लेना चाहते। इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
अब मित्रो इन खिलाड़ियों ने जब दूसरी बार धरना प्रदर्शन किया तो इनके समर्थन में कौन कौन आया है, जरा देख लेते हैँ :- १- बिहार से पप्पू यादव, २:- आम आदमी पार्टी के अतिशी (मारलेना) और सौरभ भारद्वाज, ३:- वही JNU वाले, ४:- कम्युनिस्ट और ५:- छुप छुप के समर्थन देने वाले कांग्रेसी।अब आप पुरी स्क्रिप्ट समझ रहे होंगे कि " आखिर इस धरना प्रदर्शन के पीछे क्या है? ईश्वर करे कि ये धरना प्रदर्शन किसी टूल्किट का हिस्सा ना हो।