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कौन सा पठान?

8 जून 2023

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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र पठानो की वीरता और शौर्यता को प्रदर्शित करने वाली है।

इससे पूर्व भी यह स्वय को मुसलमान मानने वाला और सनातन धर्मीयों के फेके गए टुकड़ो पर पलने वाला अधूरा शख्श "रइस" नाम से चलचित्र लेकर आया था, जिसमें गुजरात के एक बहुत बड़े चोर, उचक्के, डकैत और आतंकी, जिसका नाम अब्दुल लतीफ था, का महिमामंडन किया था।

एक बार पुन: यह "पठान" प्रजाति का महिमामंडन करने हेतु इस चलचित्र को लेकर आ रहा है। परन्तु मित्रों प्रश्न यंहा पर ये उठता है, कि क्या वो एक पसमांदा मुस्लमान (जिनको पठान अपने पास बैठने तक की इजाजत नहीं देते, जिनको अपने मस्जिदों में घुसने तक नहीं देते, जिनके मुर्दो को दफनाने के लिए अपने कब्रिस्तान में स्थान तक नहीं देते) को भी पसंद आएगा।
क्या भारत के पसमांदा मुसलमान ये भूल जाएँगे कि किस प्रकार पठानो ने उनका सार्वजनिक अपमान किया और उन्हें कभी भी बराबरी का दर्जा नहीं दिया। पसमांदा मुसलमानो को पग पग पर अपमानित करने वाले पठानो पर बनी फिल्म को किस प्रकार ये पसमांदा मुस्लमान स्वीकार करते हैं, मित्रों ये तो हम पसमांदा मुसलमानो पर छोड़ देते हैं कि उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी, पर यंहा पर प्रश्न ये भी है की शाहरुख़ खान पठानो की कौन सी प्रजाति को दिखाने वाला है, क्योंकि पठानो के चार प्रमुख प्रजातियां हैं और सब मिलाकर करीब ३५० से ४०० कबिले और उपकबिले हैं।

आइये देखते हैं संक्षेप में: -

पश्तून, पख़्तून, पश्ताना या पठान दक्षिण एशिया में बसने वाली एक लोक-जाति है। वे मुख्य रूप में अफ़्ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों और पाकिस्तान में सिन्धु नदी के दरमियानी क्षेत्र में रहते हैं। लेकिन संस्कृत और यूनानी स्रोतों के अनुसार उनके वर्तमान इलाक़ों में कभी "पक्ता" नामक जाति रहा करती थी जो संभवतः पठानों के पूर्वज रहें हों।  पश्तून जाति अफ़्ग़ानिस्तान का सबसे बड़ा समुदाय है।पख़्तून लोक-मान्यता के अनुसार यह जाती 'बनी इस्राएल' यानी यहूदी वंश की है। इस कथा के अनुसार पश्चिमी एशिया में असीरियन साम्राज्य के समय पर लगभग २,८०० साल पहले बनी इस्राएल के दस कबीलों को देश निकाला दे दिया गया था और यही कबीले पख़्तून हैं।

किताब “मगज़ाने अफ़ग़ानी” जो सत्रहवीं सदी ईसवी में जहांगीर के काल में लिखी गयी है, पख़्तूनों के बनी इस्राएल (अर्थ - इस्रायल की संतान) होने की बात स्वीकार करती है।

सन् १८३५ में अपनी बुखारा कि यात्राओ को संकलित करते हुए अंग्रेज यात्री अलेक्ज़ेंडर बर्न्स ने भी पख़्तूनों द्वारा ख़ुद को बनी इस्राएल मानने के बारे में लिखा है। उसने सन १८३७ में यह बात उजागर करते हुए बताया कि "जब उसने उस समय के अफ़ग़ान राजा दोस्त मोहम्मद से इसके बारे में पूछा तो उसका जवाब था कि उसकी प्रजा बनी इस्राएल है इसमें संदेह नहीं लेकिन वे लोग मुसलमान हैं एवं आधुनिक यहूदियों का समर्थन नहीं करेंगे।

वर्ष १८१९ से १८२५ के मध्य भारत, पंजाब और अफ़्ग़ानिस्तान समेत कई देशों में  स्वय के द्वारा की गई यात्रा का वर्णन करते हुए विलियम मूरक्राफ़्ट ने लिखते हुए बताया कि पख़्तूनों का रंग, नाक-नक़्श, शरीर आदि सभी यहूदियों जैसा है।

जे बी फ्रेज़र ने अपनी १८३४ में लिखी गई किताब 'फ़ारस और अफ़्ग़ानिस्तान का ऐतिहासिक और वर्णनकारी वृत्तान्त' में लिखा कि पख़्तून ख़ुद को बनी इस्राएल मानते हैं और इस्लाम अपनाने से पहले भी उन्होंने अपनी धार्मिक शुद्धता को बरकरार रखा था।

जोसेफ़ फ़िएरे फ़ेरिएर ने १८५८ में अपनी अफ़ग़ान इतिहास के बारे में लिखी किताब में कहा कि वह पख़्तूनों को बेनी इस्राएल मानने पर उस समय मजबूर हो गया जब उसे यह जानकारी मिली कि नादिरशाह भारत-विजय से पहले जब पेशावर से गुज़रा तो यूसुफ़ज़ई कबीले के प्रधान ने उसे इब्रानी भाषा (हीब्रू) में लिखी हुई बाइबिल व प्राचीन उपासना में उपयोग किये जाने वाले कई लेख साथ भेंट किये। इन्हें उसके ख़ेमे में मौजूद यहूदियों ने तुरंत पहचान लिया।(विकिपीडिया)

पश्तून लोक-मान्यताओं के अनुसार सारे पश्तून चार गुटों में विभाजित हैं: सरबानी (سربانی‎, Sarbani), बैतानी (بتانی‎, Baitani), ग़रग़श्ती (غرغوشتی‎, Gharghashti) और करलानी (کرلانی‎, Karlani)। मौखिक परंपरा के अनुसार यह क़ैस अब्दुल रशीद जो समस्त पख्तूनो के मूल पिता माने जाते हैं उनके चार बेटों के नाम से यह चार क़बीले बने थे। इन गुटों में बहुत से क़बीले और उपक़बीले आते हैं और माना जाता है कि कुल मिलाकर पश्तूनों के ३५० से ४०० क़बीले हैं।

अब प्रश्न यंहा पर यह उठता है कि शाहरुख़ खान कौन से पठान समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है, पठान चलचित्र में।
खैर पठानो के वीरता के बारे में इतना बताना ही काफी होगा कि "पठानो के घर में जब रात को कोई बच्चा रोता था, तो उसकी माँ कहती थी बेटा चुप हो जा, चुप हो जा नहीं तो हरी सिंह नलवा आ जाएगा। पठानो के मन में भारत के शुरवीर हरी सिंह नलवा का भय उनके रगो में लहू बनकर दौड़ता था।

आइये थोड़ा सा हम अपने महानायक हरि सिंह नलवा के बारे में जान लेते हैं।

हरि सिंह नलवा का जन्म १७८९ में २८ अप्रैल को एक उप्पल खत्री सिक्ख परिवार में पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री गुरदयाल सिंह उप्प्पल और माँ का नाम श्रीमती धर्मा कौर था। बचपन में उन्हें घर के लोग प्यार से "हरिया" कहते थे। सात वर्ष की आयु में इनके पिता का देहान्त हो गया।
१८०५ ई. के वसन्तोत्सव पर एक प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में, जिसे महाराजा रणजीत सिंह ने आयोजित किया था, हरि सिंह नलवा ने भाला चलाने, तीर चलाने तथा अन्य प्रतियोगिताओं में अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया। इससे प्रभावित होकर महाराजा रणजीत सिंह ने उन्हें अपनी सेना में भर्ती कर लिया। शीघ्र ही वे महाराजा रणजीत सिंह के विश्वासपात्र सेनानायकों में से एक बन गये।

महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में १८०७ ई. से लेकर १८३७ ई. तक (तीन दशक तक) हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों (पठानो) से लोहा लेते रहे। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर उन्होने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की स्थापना की थी। काबुल बादशाहत के तीन पश्तून उत्तराधिकारी सरदार हरि सिंह नलवा के प्रतिद्वंदी थे। पहला था अहमद शाह अब्दाली का पोता, शाह शूजा ; दूसरा फ़तह खान, दोस्त मोहम्मद खान और उनके बेटे, तीसरा, सुल्तान मोहम्मद खान, जो अफगानिस्तान के राजा जहीर शाह (१९३३ -७३) का पूर्वज था।अहमदशाह अब्दाली के पश्चात् तैमूर लंग के काल में अफ़ग़ानिस्तान विस्तृत तथा अखंडित था। इसमें कश्मीर, लाहौर, पेशावर, कंधार तथा मुल्तान भी थे। हेरात, कलात, बलूचिस्तान, फारस आदि पर उसका प्रभुत्व था। हरि सिंह नलवा ने इनमें से अनेक प्रदेशों को जीतकर महाराजा रणजीत सिंह के अधीन ला दिया। उन्होंने १८१३ ई. में अटक, १८१८ ई. में मुल्तान, १८१९ ई. में कश्मीर तथा १८२३ ई. में पेशावर की जीत में विशेष योगदान दिया।

पठानी सूट का सच:-
मित्रों, तहरीके तालिबान पाकिस्तान, अर्थात (TTP) के बारे में कौन नहीं जनता, यह एक बार में २५० से ३०० मासूम बच्चो का दरिंदगी से कत्ल करने वाले पठानों का एक आतंकवादी संगठन है। इसी TTP ने आज से करीब १० वर्ष पूर्व खैबर पख्तूनवान, पेशावर, फाटा के पाकिस्तानी क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था और तब इस आतंकी संगठन ने वंहा के  सभी पठानों के लिए एक ड्रेस कोड लागू किया था… और वह ड्रेस कोड था "पठानी सूट"  यानी "सलवार कमीज"।

उस समय पाकिस्तान की स्वात रियासत का ताज पूर्व पाकिस्तानी तानाशाह अयूब खान के दामाद, पाकिस्तान के पूर्व सांसद और बलूचिस्तान के पूर्व गवर्नर "मियांगुल औरंगजेब" के सर पर था। मियांगुल औरंगजेब ने पठानो के पठानी सूट की असलियत पूरी दुनिया को एक बार फिर बतलाई थी।

मियांगुल औरंगजेब ने तालिबानी ड्रेस कोड की निंदा करते हुए कहा था कि तालिबान को अपने इतिहास के बारे में कोई जानकारी नहीं है, वास्तव में तालिबान जो ड्रेस कोड लागू कर रहा है वह पठानों का सही ड्रेस कोड नहीं है। यह ड्रेस कोड "सलवार और कमीज", हरि सिंह नलवा की तलवार के डर से पठान पुरुषों ने पहनी थी अपनी स्वेच्छा से नहीं।

उस समय मियांगुल औरंगजेब के बयान ने पाकिस्तान के कथित मर्दे मोमिन की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाया था, क्योंकि मियांगुल औरंगजेब ने ऐतिहासिक सच्चाई बताई थी।

मियांगुल औरंगजेब ने अपने बयान में आगे बताया कि "महाराजा रणजीत सिंह की सेना १८२० में हरि सिंह नलवा के नेतृत्व में अफगानिस्तान की सीमा पर आ गई, हरि सिंह नलवा की सेना ने हमारे पूर्वजों को बहुत आसानी से जीत लिया। पूरे लिखित इतिहास में यह एकमात्र समय है जब हम पर विदेशियों का शासन लागू हुआ और हम गुलाम हो गए।"

सिख सेना से पठान इतने भयभीत थे कि बाजार में सिखों को देखकर छिप जाते थे, जो कोई भी सिखों का विरोध करता था, उसे बेरहमी से कुचल दिया जाता था। उस समय यह कहावत   बहुत लोकप्रिय हो गया था कि सिख  तीन लोगों की  पहली महिला, दूसरे बच्चे और तीसरे बूढ़ो कि जान नहीं लेते।

इसके बाद पठानों ने पंजाबी महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली सलवार कमीज पहनना शुरू कर दिया यानि एक ऐसा समय आया जब महिला और पुरुष एक जैसे कपड़े पहनने लगे। इसके बाद सिखों ने उन पठानों को मारने से भी परहेज किया जिन्होंने महिलाओं की सलवार पहनी थी। दरअसल, पठानों द्वारा सलवार पहनना सिख सेना के सामने पठानों का आत्मसमर्पण था। आज भी मियांगुल औरंगजेब का बयान Defence.pk नाम की वेबसाइट पर मौजूद है।

हरी सिंह नलवा का भय किस कदर पठानो के अंदर व्याप्त था उसकी एक झलक "हरि सिंह नलवा-द चैंपियन ऑफ खालसा जी" नामक  किताब के पेज नंबर २६४ पर देखने को मिलता है। इसके अनुसार  हरि सिंह नलवा ने गुलाम पठानों से टैक्स मांगा, तब पठानों ने सिर्फ ये देखने के लिये कि हरि सिंह नलवा क्या करेंगे? टैक्स देने से इनकार कर दिया। गुस्से में आंख लाल करके हरि सिंह नलवा ने अपनी तलवार मयान से बाहर निकाल दी, तब पठानों ने घुटनों पर बैठकर क्षमायाचना की  और कहा कि टैक्स देंगे। लेकिन हरि सिंह नलवा ने अपनी तलवार म्यान में नहीं डाली और दहाड़ मार कर बोला कि मेरी तलवार म्यान से निकल चुकी है, अब बिना अपना काम किये नहीं लौटेगी, मुझे पांच पठानों के सिर चाहिये। तब पठानों ने बहुत मिन्नतें करके पांच बकरियां हरि सिंह नलवा को दी थीं कि इन्हें काटकर अपनी तलवार की खून की प्यास बुझा लें। ये रौब था हरि सिंह नलवा का। जिन पठानों को दुनिया के बेस्ट फाइटर्स में से एक माना जाता है उन पठानों को भी हरि सिंह नलवा ने छठी का दूध याद दिला दिया था।

और तो और हम हवालदार इशर सिंह के नेतृत्व में केवल २१ सिक्खों द्वारा १००००/- अफ्गानिस्तानी पठानो का सामना  कैसे भूल सकते हैं ।सारागढ़ी की लड़ाई में मात्र २१ सिखों की एक टोली  10,000 अफगानों के खिलाफ जंग लड़ती  है।

मित्रों इस युद्ध में अफगानी पठानो के छ्क्के छूट गए थे जब मात्र २१ बहादुर और जन्म भूमि पर मर मिटने वाले सिक्खों ने १०,००० की संख्या वाले पठानो को पटकनी देकर उनके घमंड को चकनाचुर कर दिया था।

इतिहास ऐसे घटनाओ से भरा पड़ा है और ये शाहरुख़ खान ना जाने कौन से पठानो का इतिहास हमें बताने वाला है। खैर ये तो तय है कि स्वय पठान भी इस फिल्म को देखकर शर्मशार हो जाएँगे। क्योंकि जिन तालिबानी पठानो ने अमेरिका को पटकनी देकर अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, वो ऐसे नाचने गाने वाले तो नहीं होंगे। कम से कम पठान तो अपनी बीबीयो को ऐसे अधनंगा नहीं दिखाते या देखते होंगे। तालिबान को अपनी संस्कृति पर लगने वाली इस चोट से सबक सीखते हुए शाहरुख़ खान जैसे लोगों को अवश्य अपने शरिया क़ानून के अनुसार पारितोषिक देना चाहिए।

हमेशा, शराब ,शबाब और कबाब में डूबे रहने वाला शाहरुख खान, चलचित्रो में पैसे के लिए नाचने गाने वाला शाहरुख़ खान,  अपनी फिल्मो में अश्लील कपड़े पहनाकर औरतों का प्रदर्शन करने वाला शाहरुख़ खान , पठान प्रजाति का अपमान करने के पश्चात भी तालिबान या तहरीके तालिबान पाकिस्तान के द्वारा शरिया क़ानून के अंतर्गत पारितोषिक नहीं पाता है तो निसंदेह आश्चर्य का विषय होगा।

"पठान" फिल्म से समुची पठान प्रजाति अपमानित हुई है, उनके संस्कृति को गहरा आघात लगा है। देखते हैं "पठान" इसका बदला कैसे लेते हैं।

लेखन और संकलन: - नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
aryan_innag@yahoo.co.in

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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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