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विज्ञान (नासा) शास्त्रों में लिखी बातों को सच साबित कर रहा है।

29 मई 2023

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NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें।NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें।

जी हाँ कई आसमानी किताबों में आपको निम्नलिखित बाते मिल जाएंगी जैसे:-जी हाँ कई आसमानी किताबों में आपको निम्नलिखित बाते मिल जाएंगी जैसे:-

१:- धरती चपाती की तरह चपटी है; २:- सूरज धरती के चक्कर लगाता है; ३:-सूरज एक कीचड़ भरे तालाब में जाकर गिर जाता है; ४:- पुरी दुनिया ६ दिनों में बनी और ईश्वर ने ७ वे दिन आराम किया; ५:- मिट्टी से पहला पुरुष बनाया और फिर उसके कूल्हे की हड्डी से औरत बनाया तथा ६:- धरती उड़ ना जाये इसके लिए बड़े बड़े पहाड़ और समुद्र से इसको स्थिर कर दिया इत्यादि।

पर सच तो मित्रों केवल १६१०८ ऋचाओ में हि सम्मिलित है, जिन्हें चार वेदों में बाँटा गया है। १:- ऋग्वेद , २:- यजुर्वेद  ३:- अथर्ववेद और ४:- सामवेद ।पर सच तो मित्रों केवल १६१०८ ऋचाओ में हि सम्मिलित है, जिन्हें चार वेदों में बाँटा गया है। १:- ऋग्वेद , २:- यजुर्वेद  ३:- अथर्ववेद और ४:- सामवेद ।

मित्रों वेदों को छोड़ दिया जाए तो इस दुनिया में जितनी भी किताबे हैँ, उनका कोई ना कोई लेखक अवश्य रहा है फिर वो चाहे मजहबी हों, या समाजिक हों, या राजनितिक हों, या आर्थिक हों या फिर ऐतिहासिक हों।मित्रों वेदों को छोड़ दिया जाए तो इस दुनिया में जितनी भी किताबे हैँ, उनका कोई ना कोई लेखक अवश्य रहा है फिर वो चाहे मजहबी हों, या समाजिक हों, या राजनितिक हों, या आर्थिक हों या फिर ऐतिहासिक हों।

धारयति इति धर्म: अर्थात जो धारण करना है, वो धर्म हैँ।धारयति इति धर्म: अर्थात जो धारण करना है, वो धर्म हैँ।

अब प्रश्न ये है मित्रों की मनुष्य के लिए धारण की जा सकने वाली कौन सी वस्तु, गुण या वातावरण है, और यंहा पर धारण किये जाने से क्या तात्पर्य है?

मित्रों जंहा पर धर्म की बात आती है वंहा कर्म का विधान अपने आप प्रस्तुत हो जाता है। अत: यंहा पर धारण करने से सीधा और स्पष्ट अर्थ है अपने कर्म या कर्तव्य को धारण करना।मित्रों जंहा पर धर्म की बात आती है वंहा कर्म का विधान अपने आप प्रस्तुत हो जाता है। अत: यंहा पर धारण करने से सीधा और स्पष्ट अर्थ है अपने कर्म या कर्तव्य को धारण करना।

अब मित्रों यदि हम "प्रकृति के धर्म" की चर्चा करें तो अवश्य हमें अनुभव होगा प्रकृति के व्यवहार के विषय में अर्थात जीवन किसी भी प्रकार का हो (जैसे जीवाणु, विषाणु, किट पतंगे, जलचर, स्थलचर, नभचर या उभयचर इत्यादि ) प्रकृति सभी को अपना जीवन यापन करने का बराबर अवसर प्रदान करती है, सभी के साथ उसका प्रेम, क्षमा, दया, करुणा, स्नेह और ज्ञान का संबंध होता है। प्रकृति कभी भी भेदभाव नहीं करती। प्रकृति इन्हीं गुणों को धारण कर सभी जीवों (जिसमें पेड़ पौधे भी सम्मिलित हैँ) के प्रति सत गुण, रजो गुण और तमो गुण के आधार पर अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने धर्म का निर्वाह करती है।अब मित्रों यदि हम "प्रकृति के धर्म" की चर्चा करें तो अवश्य हमें अनुभव होगा प्रकृति के व्यवहार के विषय में अर्थात जीवन किसी भी प्रकार का हो (जैसे जीवाणु, विषाणु, किट पतंगे, जलचर, स्थलचर, नभचर या उभयचर इत्यादि ) प्रकृति सभी को अपना जीवन यापन करने का बराबर अवसर प्रदान करती है, सभी के साथ उसका प्रेम, क्षमा, दया, करुणा, स्नेह और ज्ञान का संबंध होता है। प्रकृति कभी भी भेदभाव नहीं करती। प्रकृति इन्हीं गुणों को धारण कर सभी जीवों (जिसमें पेड़ पौधे भी सम्मिलित हैँ) के प्रति सत गुण, रजो गुण और तमो गुण के आधार पर अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने धर्म का निर्वाह करती है।

उसी प्रकार मनुष्य के लिए भी धारण करने का अर्थ है "सत्य, क्षमा, विद्या, दान, दया और प्रेम रूपी गुणों को धारण कर अपने कर्तव्यों का पालन करना। उसी प्रकार मनुष्य के लिए भी धारण करने का अर्थ है "सत्य, क्षमा, विद्या, दान, दया और प्रेम रूपी गुणों को धारण कर अपने कर्तव्यों का पालन करना।

अब यदि हम पुन: इसका विश्लेषण करें तो पायेंगे की हमारा शरीर तिन भागों में विभक्त है, जिसमें प्रथम है:- भौतिक शरीर,  दूसरा है:- एंटी बॉडी (अर्थात प्रतिरोधी क्षमता) और तीसरा है :- आत्मा। अब प्रश्न ये है कि, भौतिक शरीर हि केवल दृष्टिगोचित होता है, परन्तु एंटी बॉडी और आत्मा दिखाई नहीं देते, तो फिर ये धारण करने में संतुलन कैसे स्थापित होता है या होना चाहिए।अब यदि हम पुन: इसका विश्लेषण करें तो पायेंगे की हमारा शरीर तिन भागों में विभक्त है, जिसमें प्रथम है:- भौतिक शरीर,  दूसरा है:- एंटी बॉडी (अर्थात प्रतिरोधी क्षमता) और तीसरा है :- आत्मा। अब प्रश्न ये है कि, भौतिक शरीर हि केवल दृष्टिगोचित होता है, परन्तु एंटी बॉडी और आत्मा दिखाई नहीं देते, तो फिर ये धारण करने में संतुलन कैसे स्थापित होता है या होना चाहिए।

मित्रों इसका भी उत्तर हमारे वेदों और अन्य धार्मिक पवित्र पुस्तकों में दिया गया है। मित्रों आत्मा क्या धारण कर सकती है? जो स्वयं मात्र एक ऊर्जा के समान अदृश्य होती है, वो क्या धारण कर सकती है अर्थात इसका क्या धर्म हो सकता है। इसका उत्तर है " परमात्मा" अर्थात आत्मा  अपने अनन्य भक्ति से केवल परमात्मा को धारण कर भौतिक शरीर और एंटी बॉडी के साथ मोक्ष को प्राप्त कर सकती है। परमात्मा को धारण करने का अर्थ है, उनकी निस्वार्थ और कामना रहित भक्ति, इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में  अर्जुन को अमूल्य ज्ञानामृत कराते हुए कहते हैँ, "भगवद गीता अध्याय २ श्लोक १९:-मित्रों इसका भी उत्तर हमारे वेदों और अन्य धार्मिक पवित्र पुस्तकों में दिया गया है। मित्रों आत्मा क्या धारण कर सकती है? जो स्वयं मात्र एक ऊर्जा के समान अदृश्य होती है, वो क्या धारण कर सकती है अर्थात इसका क्या धर्म हो सकता है। इसका उत्तर है " परमात्मा" अर्थात आत्मा  अपने अनन्य भक्ति से केवल परमात्मा को धारण कर भौतिक शरीर और एंटी बॉडी के साथ मोक्ष को प्राप्त कर सकती है। परमात्मा को धारण करने का अर्थ है, उनकी निस्वार्थ और कामना रहित भक्ति, इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में  अर्जुन को अमूल्य ज्ञानामृत कराते हुए कहते हैँ, "भगवद गीता अध्याय २ श्लोक १९:-

य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्‌ ।य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्‌ ।

उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥

भावार्थ : जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा जाता है॥ावार्थ : जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा जाता है॥

इसी प्रकार मित्रों इस भौतिक शरीर का धर्म क्या है? ये शरीर क्या धारण कर सकता है, तो इस प्रश्न का उत्तर है "माया"। अर्थात इस संसार में केवल तिन तत्व हैँ " परमात्मा", "आत्मा" और "माया"! आत्मा तो परमात्मा का हि एक अंश मात्र है इसीलिए उसका धर्म परमात्मा की प्राप्ति है। पर " माया" तो परमात्मा की लीला अर्थात क्रियाकलाप है जो विभिन्न जीवों में विभिन्न रूप से उनके पारिस्थितिक तंत्र के अंतर्गत उत्पन्न और लुप्त होते हैँ। ये माया प्रकृति के आठ प्रकारों से जैसे जल, वायु, अग्नि, आकाश, धरा, बुद्धि, अहंकार और मन। और पंचभूतों से बना यह नश्वर भौतिक शरीर माया के पांच प्रकारों से बना है पर धारण करता है आठो प्रकारों को और यही इसका धर्म है।इसी प्रकार मित्रों इस भौतिक शरीर का धर्म क्या है? ये शरीर क्या धारण कर सकता है, तो इस प्रश्न का उत्तर है "माया"। अर्थात इस संसार में केवल तिन तत्व हैँ " परमात्मा", "आत्मा" और "माया"! आत्मा तो परमात्मा का हि एक अंश मात्र है इसीलिए उसका धर्म परमात्मा की प्राप्ति है। पर " माया" तो परमात्मा की लीला अर्थात क्रियाकलाप है जो विभिन्न जीवों में विभिन्न रूप से उनके पारिस्थितिक तंत्र के अंतर्गत उत्पन्न और लुप्त होते हैँ। ये माया प्रकृति के आठ प्रकारों से जैसे जल, वायु, अग्नि, आकाश, धरा, बुद्धि, अहंकार और मन। और पंचभूतों से बना यह नश्वर भौतिक शरीर माया के पांच प्रकारों से बना है पर धारण करता है आठो प्रकारों को और यही इसका धर्म है।

भगवद गीता अध्याय २ श्लोक २४भगवद गीता अध्याय २ श्लोक २४

अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।

नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥

भावार्थ : क्योंकि यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और निःसंदेह अशोष्य है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है॥ावार्थ : क्योंकि यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और निःसंदेह अशोष्य है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है॥

मित्रों किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा धर्म को अपने बुद्धि, अहंकार, ज्ञान और मन से व्याख्यित कर ईश्वर को प्राप्त करने का जो मार्ग या पथ बताया जाता है, वो पंथ या मजहब कहलाता है, जैसे:- मूसा के द्वारा "यहूदी पंथ", इसा के द्वारा "ईसाई पंथ" और मोहम्मद के द्वारा "इस्लाम" मजहब या पंथ।मित्रों किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा धर्म को अपने बुद्धि, अहंकार, ज्ञान और मन से व्याख्यित कर ईश्वर को प्राप्त करने का जो मार्ग या पथ बताया जाता है, वो पंथ या मजहब कहलाता है, जैसे:- मूसा के द्वारा "यहूदी पंथ", इसा के द्वारा "ईसाई पंथ" और मोहम्मद के द्वारा "इस्लाम" मजहब या पंथ।

तो इस प्रकार मित्रों सनातन हि एक मात्र धर्म है, जो प्रकृति के साथ हि उत्पन्न हुआ है। हम सनातनी मुख्यत: परमपिता ब्रह्मा, परमेश्वर विष्णु और देवादिदेव महादेव की परमात्मा के रूप में उपासना करते हैँ। जिसमें ब्रह्म देव (सतगुण विज्ञान के अनुसार Newtron) को सृष्टि की रचना करने वाला, परमेश्वर विष्णु (रजोगुण विज्ञान की दृष्टि से Proton ) को सृष्टि का पालनहार और महादेव (तमों गुण विज्ञान कि दृष्टि से Electron ) को सृष्टि का संहार करने वाला माना जाता है।तो इस प्रकार मित्रों सनातन हि एक मात्र धर्म है, जो प्रकृति के साथ हि उत्पन्न हुआ है। हम सनातनी मुख्यत: परमपिता ब्रह्मा, परमेश्वर विष्णु और देवादिदेव महादेव की परमात्मा के रूप में उपासना करते हैँ। जिसमें ब्रह्म देव (सतगुण विज्ञान के अनुसार Newtron) को सृष्टि की रचना करने वाला, परमेश्वर विष्णु (रजोगुण विज्ञान की दृष्टि से Proton ) को सृष्टि का पालनहार और महादेव (तमों गुण विज्ञान कि दृष्टि से Electron ) को सृष्टि का संहार करने वाला माना जाता है।

अब मित्रों भगवान विष्णु सभी जीवों के पालनहार हैँ और जिस प्रकार भगवत गीता के अध्याय ८ श्लोक ४  में कहते हैँअब मित्रों भगवान विष्णु सभी जीवों के पालनहार हैँ और जिस प्रकार भगवत गीता के अध्याय ८ श्लोक ४  में कहते हैँ

अधिभूतं क्षरो भावः पुरुषश्चाधिदैवतम्‌ ।अधिभूतं क्षरो भावः पुरुषश्चाधिदैवतम्‌ ।

अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर ॥

भावार्थ : उत्पत्ति-विनाश धर्म वाले सब पदार्थ अधिभूत हैं, हिरण्यमय पुरुष (जिसको शास्त्रों में सूत्रात्मा, हिरण्यगर्भ, प्रजापति, ब्रह्मा इत्यादि नामों से कहा गया है) अधिदैव है और हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन! इस शरीर में मैं वासुदेव ही अन्तर्यामी रूप से अधियज्ञ हूँ॥ावार्थ : उत्पत्ति-विनाश धर्म वाले सब पदार्थ अधिभूत हैं, हिरण्यमय पुरुष (जिसको शास्त्रों में सूत्रात्मा, हिरण्यगर्भ, प्रजापति, ब्रह्मा इत्यादि नामों से कहा गया है) अधिदैव है और हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन! इस शरीर में मैं वासुदेव ही अन्तर्यामी रूप से अधियज्ञ हूँ॥

इससे स्पष्ट है कि कण कण में भगवान का जो अध्यात्मिक सिद्धांत हमारे शास्त्रों ने हमे बताया है उसे विश्व अब स्वीकार करने लगा है।इससे स्पष्ट है कि कण कण में भगवान का जो अध्यात्मिक सिद्धांत हमारे शास्त्रों ने हमे बताया है उसे विश्व अब स्वीकार करने लगा है।

अब शास्त्रों को देखे तो गौड़ीय वैष्णववाद (जिसे चैतन्य वैष्णववाद के नाम से भी जाना जाता है) के "सात्वत तंत्र" में परमेश्वर विष्णु के तीन अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है जैसे: महा विष्णु, इन्हें कारणोंदकशायी विष्णु के नाम से भी जानते हैँ। यही विष्णु संसार रूपी वृक्ष का बिजारोपण करते हैँ। पंचभूत (जल, आकाश, भूमि, अग्नि और वायु), मन, महत, अहंकार, आकाश, अवकाश और प्रकृति इत्यादि इन्हीं की माया के स्वरूप हैँ।अब शास्त्रों को देखे तो गौड़ीय वैष्णववाद (जिसे चैतन्य वैष्णववाद के नाम से भी जाना जाता है) के "सात्वत तंत्र" में परमेश्वर विष्णु के तीन अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है जैसे: महा विष्णु, इन्हें कारणोंदकशायी विष्णु के नाम से भी जानते हैँ। यही विष्णु संसार रूपी वृक्ष का बिजारोपण करते हैँ। पंचभूत (जल, आकाश, भूमि, अग्नि और वायु), मन, महत, अहंकार, आकाश, अवकाश और प्रकृति इत्यादि इन्हीं की माया के स्वरूप हैँ।

महामाया द्वारा रचित समस्त ब्रह्माण्ड की आत्मा के रूप मे यह एक हजार नेत्र और एक हजार भुजाओं के साथ विराजमान होते है । ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में इसका ही विस्तार है ।महामाया द्वारा रचित समस्त ब्रह्माण्ड की आत्मा के रूप मे यह एक हजार नेत्र और एक हजार भुजाओं के साथ विराजमान होते है । ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में इसका ही विस्तार है ।

२:-गर्भोदकशायी विष्णु  उन सभी महा माया द्वारा रचित ब्रह्मांडो मे गर्भोदकशायी विष्णु के रूप मे प्रवेश करते हैं । हर एक ब्रह्मांड मे एक गर्भोदकशायी विष्णु । यह गर्भोदकशायी विष्णु अलग-अलग महा माया द्वारा रचित ब्रह्मांडो की आत्माओं की आत्मा है । इन्ही की नाभिकमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होती है । विष्णु के इसी स्वरूप की कल्पना चातुर्मास या देवशयन काल के नाम से विख्यात है।२:-गर्भोदकशायी विष्णु  उन सभी महा माया द्वारा रचित ब्रह्मांडो मे गर्भोदकशायी विष्णु के रूप मे प्रवेश करते हैं । हर एक ब्रह्मांड मे एक गर्भोदकशायी विष्णु । यह गर्भोदकशायी विष्णु अलग-अलग महा माया द्वारा रचित ब्रह्मांडो की आत्माओं की आत्मा है । इन्ही की नाभिकमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होती है । विष्णु के इसी स्वरूप की कल्पना चातुर्मास या देवशयन काल के नाम से विख्यात है।

३:-क्षीरोदकशायी विष्णु, विष्णु प्रत्येक ब्रह्मांड में जीवित शरीरों मे क्षीरोदकशायी विष्णु के रूप में बसते है, अर्थात प्रत्येक जीवात्मा (जिसमें पेड़ पौधे भी सम्मिलित हैँ) इन्हीं का अंश होती है। इसीलिए सनातन धर्म में यह अध्यात्मिक सिद्धांत स्थापित है कि "कण कण में भगवान होते हैँ" और इसीलिए हम सनातनी समस्त जीवों की उपासना करते हैँ। श्री हरी विष्णु, जिनके पास देवता मदद मांगने जाते है या जिन्हे हम परमात्मा कहते है वह क्षीरोदकशायी विष्णु  ही है । ३:-क्षीरोदकशायी विष्णु, विष्णु प्रत्येक ब्रह्मांड में जीवित शरीरों मे क्षीरोदकशायी विष्णु के रूप में बसते है, अर्थात प्रत्येक जीवात्मा (जिसमें पेड़ पौधे भी सम्मिलित हैँ) इन्हीं का अंश होती है। इसीलिए सनातन धर्म में यह अध्यात्मिक सिद्धांत स्थापित है कि "कण कण में भगवान होते हैँ" और इसीलिए हम सनातनी समस्त जीवों की उपासना करते हैँ। श्री हरी विष्णु, जिनके पास देवता मदद मांगने जाते है या जिन्हे हम परमात्मा कहते है वह क्षीरोदकशायी विष्णु  ही है ।

भगवद गीता अध्याय १५ श्लोक ७भगवद गीता अध्याय १५ श्लोक ७

ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः ।

मनः षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति ॥

भावार्थ : इस देह में यह जीवात्मा मेरा ही सनातन अंश है (जैसे विभागरहित स्थित हुआ भी महाकाश घटों में पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है, वैसे ही सब भूतों में एकीरूप से स्थित हुआ भी परमात्मा पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है, इसी से देह में स्थित जीवात्मा को भगवान ने अपना 'सनातन अंश' कहा है) और वही इन प्रकृति में स्थित मन और पाँचों इन्द्रियों को आकर्षित करता है॥ावार्थ : इस देह में यह जीवात्मा मेरा ही सनातन अंश है (जैसे विभागरहित स्थित हुआ भी महाकाश घटों में पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है, वैसे ही सब भूतों में एकीरूप से स्थित हुआ भी परमात्मा पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है, इसी से देह में स्थित जीवात्मा को भगवान ने अपना 'सनातन अंश' कहा है) और वही इन प्रकृति में स्थित मन और पाँचों इन्द्रियों को आकर्षित करता है॥

अब मित्रों प्रश्न ये है कि हम भगवान विष्णु के इन स्वरूपों के बारे में चर्चा और परिचर्चा क्यों कर रहे हैँ? तो मित्रों इसकी पृष्ठभूमि में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान के द्वारा जारी किया गया एक चित्र है, जिसे उनके हबल टेलीस्कोप ने खिंचा है। अब मित्रों प्रश्न ये है कि हम भगवान विष्णु के इन स्वरूपों के बारे में चर्चा और परिचर्चा क्यों कर रहे हैँ? तो मित्रों इसकी पृष्ठभूमि में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान के द्वारा जारी किया गया एक चित्र है, जिसे उनके हबल टेलीस्कोप ने खिंचा है।

NASA ने इसे "मिस्टिक माउंटेन" का नाम दिया है। यह आकृति पृथ्वी से लगभग ७५०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। जैसा की आप जानते हैँ कि  एक प्रकाश वर्ष लगभग "९.४६१ × १० की घात १२ किलोमीटर" के बराबर होता है। विज्ञान की भाषा में यह एक कैरीना नेबूला है, पर इसकी तस्वीर ने सम्पूर्ण विश्व को हैरत में डाल दिया है।NASA ने इसे "मिस्टिक माउंटेन" का नाम दिया है। यह आकृति पृथ्वी से लगभग ७५०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। जैसा की आप जानते हैँ कि  एक प्रकाश वर्ष लगभग "९.४६१ × १० की घात १२ किलोमीटर" के बराबर होता है। विज्ञान की भाषा में यह एक कैरीना नेबूला है, पर इसकी तस्वीर ने सम्पूर्ण विश्व को हैरत में डाल दिया है।

NASA का यह मिस्टिक माउंटेन का चित्र पूर्णतया वेदों के द्वारा प्रस्तुत किये गये गर्भोदकशायी महा विष्णु के चित्र के समानांतर है। यहां अलग अलग दो चित्र इसकी स्पष्टता के लिए दिखाए जा रहे हैं । इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वेदों में वर्णित खगोल विज्ञान आदि विषय कितना सच्चाई से भरा पड़ा है।NASA का यह मिस्टिक माउंटेन का चित्र पूर्णतया वेदों के द्वारा प्रस्तुत किये गये गर्भोदकशायी महा विष्णु के चित्र के समानांतर है। यहां अलग अलग दो चित्र इसकी स्पष्टता के लिए दिखाए जा रहे हैं । इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वेदों में वर्णित खगोल विज्ञान आदि विषय कितना सच्चाई से भरा पड़ा है।

सम्पूर्ण विश्व इस तथ्य को स्वीकार करता है कि दुनिया की सबसे प्राचीन पुस्तक वेद हि हैँ। इन्हीं वेदों ने खगोल विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, समाज शास्त्र, राजनितिक शास्त्र, अध्यात्म, गणित, ज्यामितीय, वनस्पति शास्त्र, सान्ख्यिकी, धर्मशास्त्र, कर्मशास्त्र, मनोविज्ञान, ज्योतिष शास्त्र तथा शैल्य क्रिया शास्त्र इत्यादि का सृजन अर्थात सूत्रपात किया, जिसे पहले अरबियों, चिनियों ने तथा बाद में अंग्रेजों ने नकल करके अपने यंहा प्रचारित और प्रसारित किया।सम्पूर्ण विश्व इस तथ्य को स्वीकार करता है कि दुनिया की सबसे प्राचीन पुस्तक वेद हि हैँ। इन्हीं वेदों ने खगोल विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, समाज शास्त्र, राजनितिक शास्त्र, अध्यात्म, गणित, ज्यामितीय, वनस्पति शास्त्र, सान्ख्यिकी, धर्मशास्त्र, कर्मशास्त्र, मनोविज्ञान, ज्योतिष शास्त्र तथा शैल्य क्रिया शास्त्र इत्यादि का सृजन अर्थात सूत्रपात किया, जिसे पहले अरबियों, चिनियों ने तथा बाद में अंग्रेजों ने नकल करके अपने यंहा प्रचारित और प्रसारित किया।

पर सच तो सच है, जो है बस सनातन धर्म का है।पर सच तो सच है, जो है बस सनातन धर्म का है।

लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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मित्रों जो लोग आज भी कबिलाई संस्कृति से मुक्ति नहीं पा सके हैँ, वो लोग इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के महरौली में खड़े विष्णु स्तम्भ को "कुतुब मिनार" होने का दावा करते हैँ और इसमे उनका साथ देते हैँ अनपढ़ औ

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बेचारा और असहाय कम्युनिस्ट बाप- "The Kerala Story"

29 मई 2023
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वो कम्युनिस्ट बाप बेतहाशा अपनी पत्नी के साथ दौड़ता हुआ, अपनी बेटी के कमरे की ओर दौड़ता है और जैसे हि कमरे का दरवाजा खोलता है, कमरे के पंखे से लटक रहे अपनी बेटी के बेजान हो चुके शरीर को झूलता देख अवाक

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विज्ञान (नासा) शास्त्रों में लिखी बातों को सच साबित कर रहा है।

29 मई 2023
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NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें।NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें। जी हाँ कई आसमानी किताबों में आपको निम्नलिखित बाते मिल जाएंगी जैसे:-जी हाँ कई आसम

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अरे अदालते तो उस समय भी थी संविधान तो उस समय भी था।

29 मई 2023
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मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवाद

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

29 मई 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; १:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं

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कैसा भगवान है तुम्हारा, जिसकी १६१०८ पत्नियां है, कैसे तुम इन्हें GOD कह सकते हो?

30 मई 2023
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एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:-एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:- मित्रों जैसा की आपको पता है कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म और सोच से वामपंथी हैँ और वामपंथी होकर सनातन

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आदरणीय न्यायालयों ने भी "The Kerla Story" का सम्मान किया:-

30 मई 2023
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मित्रों शांतिदूतो से पैसा मिलने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी केस लड़ने का हुनर रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तथाकथित वकील ने अपने मस्तिष्क के पश्च भाग का सम्पूर्ण बल प्रयोग कर लिया अपनी समस्त ज

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अनपढ़ कौन:- प्रधानमंत्री या दिल्ली का मुख्यमंत्री।

30 मई 2023
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मित्रों आपने यादी ध्यान दिया होगा तो अबकारी (शराब) मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के तुरूंगवासित होते हि,( वर्ष २०१६ के पश्चात )श्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दाम

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भगत सिंह कम्युनिस्ट नहीं थे।

30 मई 2023
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वामपंथी के साथ एक सनातनी का शास्त्रार्थ। मित्रों जैसा कि आप जानते हैँ कि  हमारे एक, जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी मित्र हैँ, जो सनातन धर्म की आलोचना करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। आज उन्होंन

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खुशबु सुंदर के पिता तो यौन शोषण कर सकते हैँ पर स्वाति मालीवाल के पिता कैसे?

30 मई 2023
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पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥ प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥ अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं,

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

30 मई 2023
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मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए

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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023
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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: - १:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रे

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बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अतिक अहमद और असद अहमद।

6 जून 2023
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हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों  आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद

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वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की :- एक मसखरा जो अपने अहंकार के कारण यूक्रेन के लिए बना शॉप |

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों यदि राजा देश और देश की प्रजा से अधिक स्वयं के अहंकार को महत्व देता है तो वह  देश पाकिस्तान या फिर यूक्रेन जैसी भयानक परिस्थितियों का शिकार हो जाता है | यूक्रेन में २०१९ से पूर्व एक संजी

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स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया।

6 जून 2023
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मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे। मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:- विद्य

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एक सनातनी का एक वामपंथी तर्कवादी के साथ शास्त्रार्थ भाग-१० " चार्ल्स डार्विन और दशावतार"।

6 जून 2023
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हे मित्रों जैसा की आप जानते हैं की हमारे  एक जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र हैं और उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं और सनातन धर्म को निचा दिखने का कोई अवसर

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एक नेता जिसने किया कुछ भी नहीं पर पाया सब कुछ!

6 जून 2023
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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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